सम्राट् का संदेश : फ़्रेंज़ काफ़्का
Samraat Ka Sandesh : Franz Kafka
सम्राट्, कहानी इस तरह आरंभ होती है, ने आपको एक संदेश भेजा था । आप एक अकेला व्यक्ति , प्रजा में सबसे कमजोर व्यक्ति, एक परछाईं जो कि साम्राज्य के सूर्य के सामने भाग गया , जबकि यह सुदूर क्षेत्र में सूक्ष्मदर्शी न हो जाए, सिर्फ आप को सम्राट् ने अपनी मृत्यु-शय्या से संदेश भेजा है। उसने संदेशवाहक को अपने बिस्तर के पास झुकने के लिए कहा और उसके कान में कुछ फुसफुसाया । उसके लिए यह इतना महत्त्वपूर्ण था कि उसने उस व्यक्ति को उसके अपने काम में दुहरा ने के लिए कहा । अपना सिर हिलाकर उसने इस बात की पुष्टि की कि संदेश सही था । और तभी, जबकि पूरे नौकर-चाकर और साथी-संगी उसकी मृत्यु देखने के लिए इकट्ठे हुए, तभी दृश्य को रोकनेवाली सभी दीवारों को तोड़कर गिरा दिया गया तो खुली सीढि़यों के चौड़े ऊँचे वक्र पर घेरा बना कर साम्राज्य के प्रमुख व्यक्ति खड़े थे। उन सबके सामने उसने संदेशवाहक को भेजा । संदेशवाहक तुरंत ही रवाना हो गया । एक मजबूत, परिश्रमी व्यक्ति, एक बाजू इधर से दूसरी उधर से फैलाता हुआ, भीड़ को चीरकर अपने लिए रास्ता बनाता ; जहाँ भी बाधा दिखाई देती , वह अपनी छाती पर सूर्य के निशान की ओर संकेत करता , उस तक आसानी से पहुँचा भी जा सकता था , अन्य किसी तक नहीं । फिर भी भीड़ इतनी ज्यादा है, उनके निवास स्थान का तो कोई अंत नहीं है। यदि उसके सामने खुला मैदान होता तो वह किस तरह से दौड़ता और शीघ्र ही आपको उसकी गौरवशाली मुट्ठियों के निशान आपके दरवाजे पर दिखाई पड़ेंगे। लेकिन इसकी बजाय उसका प्रयास कितना निष्फल था । वह अभी महल के भीतरी भाग के कक्ष से अपना रास्ता बना रहा था , वह कभी भी उनके अंत तक नहीं पहुँच पाएगा ; यदि वह पहुँच भी जाए, तो वह सही नहीं होगा , उसे सीढि़यों तक पहुँचने के लिए लड़ाई करनी पड़ेगी । यदि वह कर भी लेता है तो उसे तो वह सौभाग्यशाली नहीं होगा ; उसे फिर आँगन तक पहुँचना पड़ेगा , आँगन के बाद उसे पहले महल को घेरे दूसरे बाहरी महल तक पहुँचना पड़ेगा फिर और अधिक सीढि़याँ ; और फिर दूसरे महल; और इस तरह से हजारों साल तक चलता रहेगा । यदि वह अंतिम रूप से बाहरी गेट तक पहुँच भी जाता है, लेकिन यह कभी भी नहीं हो सकता है, उसके सामने राजधानी नगर फिर भी रहेगा , जो संसार का केंद्र है और मानव के तलछट से भरा हुआ है। कोई भी उससे होकर अपना रास्ता नहीं बना सकता , और वह भी एक मृत व्यक्ति के संदेश के सा थ। लेकिन आप अपनी खिड़की के साथ बैठकर, जब शाम होने लगे तो इन चीजों को सच होते हुए सपने में देखें।
(अनुवाद: अरुण चंद्र)