साँपों की बूटी : परी कहानी

Sampon Ki Booti : Fairy Tale

बहुत पुराने समय की बात है। एक बहुत ही गरीब आदमी था। उसको एक ही बेटा था, पर वह अपनी गरीबी के कारण अपने इकलौते बेटे का भी पेट नहीं भर पाता था। अपने पिता की गरीबी से तंग आकर एक दिन उसका बेटा उससे बोला, 'मेरे प्यारे पिताजी, इस गरीबी में आपको अपना पेट भरना ही इतना मुश्किल हो रहा है। मैं आपके लिए बोझ बन गया हूँ। क्यों न मैं खुद ही बाहर जाकर अपनी रोटी कमाऊँ, क्योंकि इस छोटे से गाँव में कोई भी काम मिलना संभव नहीं है।'

अपने बेटे को देने के लिए गरीब पिता के पास आशीर्वाद के सिवाय कुछ भी नहीं था। माता-पिता ने भारी मन से अपने बेटे को विदाई दी। वह लड़का अपने भाग्य को आजमाने गाँव से शहर की ओर चल दिया।

शहर पहुँचने पर उसे पता लगा कि उनके राजा की किसी और राजा के साथ लड़ाई चल रही है और राजा को स्वस्थ नौजवानों को अपनी सेना के लिए जरूरत है। वह लड़का भी बिना कुछ सोचे-समझे झट से राजा की सेना में भरती हो गया। शत्रु राजा की सेना बहुत ही शक्तिशाली थी। उसकी सेना के सामने इस लड़के के राजा वाली सेना का टिकना बहुत ही कठिन हो रहा था। इनका सेनापति सबको साहस बँधा रहा था, पर बहुत सारे सिपाही अपनी जान बचाकर भागने लगे थे। इस बहादुर लड़के ने जिंदगी को बहुत ही करीब से देखा था। गरीबी की जिंदगी जीने से तो लड़ते-लड़ते मरना ज्यादा अच्छा है-यह सोचकर उसने पीठ दिखाकर भागने वाले सभी सिपाहियों को शत्रु का बहादुरी से सामना करने के लिए उकसाया, तो भाग रहे सिपाही भी वापस आ गए और अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए जीजान से लड़ने लगे। अंत में शत्रु की सेना को मैदान छोड़कर भागना पड़ा। बूढ़े सेनापति ने राजा से इस लड़के की बहादुरी की बहुत प्रशंसा की। उसे बहुत सारा धन इनाम में दिया गया और साथ ही अपने राज्य में ऊंचे पद पर रख लिया गया।

अब वह लड़का राजदरबार और राजमहल का एक हिस्सा बन गया। राजा को एक बेटी थी, जो बहुत ही सुंदर थी, पर अभी तक उसे उसकी पसंद का कोई भी युवक नहीं मिला था, क्योंकि उसने कसम खाई थी कि वह उसी युवक से शादी करेगी, जो उसे इतना अधिक प्यार करेगा कि उसके मरने पर उसीकी कब्र में साथ-साथ दफन हो जाएगा। और अगर उसका पति पहले मरता है तो वह भी उसी के साथ उसकी कब्र में दफन हो जाएगी, क्योंकि पति की मृत्यु के बाद उसके जीवन का कोई महत्त्व ही नहीं रह जाएगा। राजकुमारी की यह बेहूदी सी कसम किसी भी युवक को पसंद नहीं थी। इसी वजह से उस राज्य का कोई भी युवक उस राजकुमारी से विवाह करने का इच्छुक नहीं था, पर इस गरीब लड़के को राजकुमारी से पहली नजर में प्यार हो गया था। वह किसी भी हालत में उससे शादी करने के लिए तैयार था। राजा ने उसे बहुत समझाया कि यह सब उसके बस की बात नहीं है। जीते-जी किसी और के साथ उसकी कब्र में बंद रहना इतना आसान नहीं है। शादी के लिए 'हाँ' करने से पहले उसे अच्छी तरह सोच-विचार कर लेना चाहिए। ऐसा न हो कि बाद में अपना वचन न पूरा कर सके। अगर वह अपना वचन नहीं निभाएगा तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाएगा; पर वह लड़का अपनी बात पर डटा रहा। अंत में राजा को अपनी बेटी का विवाह उससे करना पड़ा।

काफी समय तक दोनों पति-पत्नी बहुत ही सुखी जीवन बिताते रहे, पर एक दिन अचानक ही राजकुमारी बहुत बीमार पड़ गई। कोई भी डॉक्टर और उसकी दवा उस राजकुमारी को ठीक न कर सकी। काफी दिनों तक बीमार रहने के बाद एक दिन उस राजकुमारी की मृत्यु हो गई। अब तो उस लड़के को अपनी पत्नी के साथ ही उसकी कब्र में तब तक रहना था जब तक वह भूख से मर नहीं जाता। राजा को उस लड़के पर तरस आ गया, तो उसने अपनी बेटी के लिए एक बड़ी सी कब्र बनवाई और इस लड़के के लिए कुछ दिनों का खाना-पानी भी उस कब्र में रखवा दिया। बेचारा लड़का उस भेजन में से बहुत ही कम भोजन करता, जिससे वह कुछ लंबे समय तक जीवित रह सके, क्योंकि जीतेजी मरना उतना आसान नहीं था, जितना उसने सोचा था, पर अब इस कब्र में घुट-घुटकर मरने के अलावा उसके पास कोई और रास्ता नहीं था। बाहर निकलने पर राजा के सिपाहियों को उसे जान से मार देना था। धीरे-धीरे उसका भोजन और पानी भी खत्म होने लगा। अब वह अपनी मौत का इंतजार करने लगा। तभी एक दिन उस कब्र में एक बड़ा साँप घुस गया। लड़के ने अपनी तलवार से उसके तीन टुकड़े कर दिए। अगले दिन एक और साँप उस कब्र में घुसा, पर पहलेवाले साँप को मरा देखकर एकदम ही वापस चला गया। फिर थोड़ी देर बाद वह साँप अपने मुँह में एक बूटी लेकर फिर कब्र में आया और उस बूटी को मरे हुए साँप के फन व आँखों पर रखा, तो वह साँप फिर से जीवित हो गया और उसके देखते-देखते दोनों साँप कब्र से गायब हो गए, पर वे अपनी बूटी वहीं छोड़ गए।

लड़के ने सोचा कि क्यों न मैं इस बूटी को अपनी पत्नी के मुंह और आँखों पर रखें। शायद वह इससे जिंदा हो जाए। उसने वह बूटी उठाई और अपनी पत्नी के मुंह तथा आँखों पर रख दी। थोड़ी देर बाद उसकी मृतक पत्नी ने आँखें खोल दी और अपने पति को अपने पास देखकर बहुत हैरान हुई। उसके पति ने उसे कब्र से बाहर निकाला। राजकुमारी ने कब्र का दरवाजा खटखटाया, तो सिपाहियों ने राजा को इसकी सूचना दी। राजा ने खुद आकर उस कब्र का दरवाजा खुलवाया और अपनी लड़की को फिर से जीवित देखकर बहुत हैरान हुआ। उस लड़के ने सिवाय अपनी विश्वसनीय नौकर के किसीको भी साँपों की बूटी के बारे में नहीं बताया। उसने वह बूटी अपने उस नौकर को सँभालकर रखने के लिए दे दी, यह सोचकर कि कब इस बूटी की जरूरत पड़ जाए। उस विश्वसनीय नौकर ने भी उस बूटी को सँभालकर रख दिया।

साँपों की बूटी से उस राजकुमारी की आदतें बहुत बदल गई। अब वह इस लड़के से इतना प्यार नहीं करती थी, जितना पहले किया करती थी। अब वह बात-बात में उससे झगड़ती थी और खुद को अपने पिता की गद्दी का मालिक समझती थी। एक बार उसने अपने पति के साथ दूर देश की यात्रा की योजना बनाई। राजा ने उसके जहाज को बहुत सारी सुविधाओं से भरकर उन दोनों को रवाना किया। उस जहाज को चलानेवाला कैप्टन उस राजकुमारी को अब अपने पति से अधिक पसंद आया। उसने अपने पति से अपना पीछा छुड़ाने के लिए उस कैप्टन से सहायता माँगी और उसे विश्वास दिलाया कि इसके मरने के बाद जब वह अपने पिता के पास पहुँचेगी तो वह उसीसे शादी करेगी। कैप्टन को भी इसमें अपना फायदा नजर आया तो वह इस बात के लिए तैयार हो गया। एक रात को जब उसका पति सोया हुआ था तो राजकुमारी और जहाज के कैप्टन ने उसे उठाकर समुद्र में फेंक दिया। यह सारी घटना उसका विश्वसनीय सेवक देख रहा था। उसे यह सब देखकर बहुत दुःख हुआ। तभी उसे साँपों की उस बूटी की याद आई जो उसने एक डिब्बी में रखी हुई थी। वह चुपचाप उस जहाज से निकला तथा आपत्काल के समय इस्तेमाल होनेवाली एक नाव निकाली और उसे बचाने के लिए चल पड़ा। उधर राजकुमारी ने कैप्टन को जहाज को वापस अपने पिता के घर ले जाने की आज्ञा दी। विश्वसनीय सेवक ने समुद्र के गहरे पानी से युवक को बाहर निकाला और उस बूटी की सहायता से जीवित किया तथा फिर उसी नाव में बैठाकर उसे राजकुमारी से पहले ही राजा के महल में पहुँचा दिया। लड़के ने राजा को सारी घटना सुना दी, पर राजा को उसकी बातों पर विश्वास नहीं हुआ। वह बोला, 'मैं यह कभी नहीं मान सकता कि मेरी बेटी ऐसा नीच काम भी कर सकती है। जिस आदमी ने उसके लिए इतने दिन उसकी कब्र में गुजारे और फिर उसकी जान बचाई, वह उसे मारने की बात कैसे सोच सकती है, पर सच्चाई कभी छुप नहीं सकती।' इतना कहकर उसने राजकुमारी के पति को अपने ही महल में छुपा दिया। अगले दिन उसकी बेटी का जहाज भी वापस आ गया। राजा के पास राजकुमारी बहुत दुःखी सी आकर खड़ी हो गई। राजा ने उसे अकेले देखकर पूछा, 'बेटी, तुम अकेली कैसे? तुम्हारा पति कहाँ है?' वह दुःख से रोती हुई बोली, 'क्या बतलाऊँ पिताजी, रास्ते में मेरे पति की तबीयत बहुत खराब हो गई थी और इलाज के बगैर हम उसे नहीं बचा सके। आज अगर यह जहाज का कैप्टन मेरे साथ नहीं होता तो ईश्वर जाने, मेरा क्या हाल होता।'

राजा अपनी बेटी की झूठी कहानी चुपचाप सुनता रहा। फिर थोड़ी देर बाद उसने उसके पति को दरबार में बुलवाया। अपने पति को देखकर राजकुमारी हैरान रह गई। उसे तो जैसे साँप सूंघ गया। वह अपने पिता से अपने झूठ के लिए माफी माँगने लगी; पर पिता ने अपने सीधे-सादे और सच्चे पति को धोखा देने के लिए अपनी बेटी को क्षमा नहीं किया। अगर कोई और उसके राज्य में ऐसा काम करता तो वह उसे जान से मरवा डालता, पर वह उसकी अपनी बेटी है, इसलिए उसने उसे एक टूटी हुई नाव में उस कैप्टन के साथ समुद्र में भिजवा दिया। राजकुमारी के रोने-धोने पर राजा ने कोई ध्यान नहीं दिया और उन दोनों को मरने के लिए छोड़ दिया।

(ग्रिम्स फेयरी टेल्स में से)