सखि ढिबरी : मणिपुरी लोक-कथा

Sakhi Dhibari : Manipuri Lok-Katha

बात प्राचीन काल की है। मणिपुर के किसी गाँव में एक बुढ़िया रहती थी। बुढ़िया का इस दुनिया में कोई नहीं था। वह अपने घर में अकेली ही रहती थी तथा अपना जीविकोपार्जन चलाने के लिए सारा काम खुद करती थी। बुढ़िया के संघर्ष और मेहनत का अंदाज़ा इसी से लग जाता है कि रात में भी उसका चरखा बंद नहीं होता था। उस बेचारी के पास एक ढिबरी थी, उसी को वह रात में जलाकर चरखा कातने का काम करती थी। अपनी आने वाली जिंदगी के लिए थोड़ा-थोड़ा कर वह धन जुटा रही थी। एक रात अचानक बुढ़िया के घर में एक चोर घुस आया। चोर ने जैसे ही घर में प्रवेश किया वह ढिबरी की छाया में छिपने लगा और बेसब्री से बुढ़िया के सोने का इंतज़ार करने लगा। चोर सोच रहा था कि बुढ़िया ने उसे नहीं देखा है और जैसे ही बुढ़िया की आँख लग जाएगी, किसी न किसी तरह सारा सामान बुढ़िया के घर से चुरा के ले उड़ेगा। पर अफ़सोस चोर का अनुमान गलत रहा क्योंकि बुढ़िया ने पहले से ही चोर को देख लिया था। बुढ़िया काफी घबरा गई थी पर उसने हिम्मत नहीं हारी और किसी न किसी तरह अपने आपको संभालकर सोचने लगी कि धीरज से काम करना चाहिए। फिर बुढ़िया अनजान बनकर चुपचाप अपना काम करती रही। चरखा कातते-कातते बुढ़िया सोच रही थी, आखिर चोर को किस तरह पकड़वाया जाए ? कुछ समय तक सोचने के बाद बुढ़िया को एक विचार आया। बुढ़िया सोचने लगी क्यों न ढिबरी को कहानी सुनाने के बहाने चोर को पकड़वाया जाए। बुढ़िया कहने लगी, ‘हे सखि ढिबरी ! हर रोज़ की तरह मैं तुम्हें एक कहानी सुनाऊँ ? पर ढिबरी एकदम चुप। फिर से बुढ़िया ने सखि ढिबरी को पुकारा और कहने लगी, सखि ढिबरी तुम चुप क्यों हो ? तुम ठीक तो हो ना ? पर ढिबरी कुछ बोली ही नहीं।चोर बार-बार सोच रहा था क्या ढिबरी भी बात करती है ? बुढ़िया ने फिर से पुछा, ‘हे सखि ढिबरी ! तुम इतनी चुप क्यों हो ? क्या घर में कोई घुस आया है जिसके संकोचवश तू कुछ बोल नहीं रही ? घर में घुसा चोर मन ही मन सोचने लगा शायद ढिबरी ने मुझे देख लिया है तभी वह कुछ बोल नहीं रही। चोर ने सोचा ढिबरी के बदले अब वह जवाब देगा। इसी बात को सोचकर चोर ने जवाब दिया ‘हाँ सखि पर उसे लगा कि उसकी आवाज थोड़ी मोटी है, सो अपनी आवाज को थोड़ा दबाते हुए बोला हाँ सखि। सुनाओ’।

और बुढ़िया ने कहानी सुनाना शुरू किया “बहुत पुरानी बात है, एक घर में एक धनवान बुढ़िया अकेली रहती थी। बुढिया बहुत अनुभवी और चतुर थी। एक दिन एक चोर उसके घर में घुस आया । चोर को देखते ही बुढ़िया डर गई और जोर-जोर से चिल्लाने लगी- चोर,चोर। उस बुढ़िया ने कहानी के बहाने आस-पास के लोगों को सुनाते हुए जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया “मोहल्ले वालों घर में चोर घुस आया है।” बुढ़िया को लगा उसकी आवाज कोई नहीं सुन पाया है तो वह और जोर-जोर से चिल्ला उठी। पड़ोसियों तक बुढ़िया की आवाज़ जब पहुँची, सबके सब दौड़े चले आए और चोर को पकड़ लिया।

इसलिए कहते हैं कि संकट के समय धैर्य और अक्ल से काम लेना चाहिए और बुढ़िया ने ऐसा ही किया।

(-के. गीता देवी)

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