सफाई के सिपाही (बाल कहानी) : अनुपमा श्रीवास्तव 'अनुश्री'
Safai Ke Sipahi (Hindi Story) : Anupama Shrivastava Anushri
नंदनवन की बात ही कुछ और थी। स्वच्छ आकाश के नीचे हरीतिमा युक्त सुंदर -सुंदर फूलों ,पेड़ -पौधों और पशु -पक्षियों के साथ, नीली पहाड़ी से घिरा हुआ यह वन बहुत सुंदर था।कहीं पशु- पक्षियों के झुंड के झुंड नीले आकाश में कलरव करते हुए अपनी परवाज लेते, तो कहीं सुंदर चितकबरे सांभर और हिरण कुलांचे भरते। रंग बिरंगी तितलियाँ भी गुनगुनाती रहतीं, सारे दिन फूलों पर मँडरातीं।
और आज ननकू बंदर यहाँ- वहाँ उछल -कूद कर करके सबको बता रहा था ,उस गतिविधि के बारे में, जो होने वाली थी नंदनवन में।
अब सम्यक व्यवहार तो जरूरी है सीखना और इसके लिए नंदनवन में साप्ताहिक कक्षाएँ लगा करती थी।
"अरे चिंपू ! यहाँ क्यों बैठा है झाड़ियों के पीछे छुप कर! टीचर ने बुलाया है!"
अरे , मैं नहीं जाऊँगा । देखो अभी मुझे भूख लगी है- चिंपू भालू शहद चाटते हुए बोला।
यही तो... व्यवहार कैसा करना है ! जंगल की भी तो आखिर कुछ मान -मर्यादा है, नियम कानून है ।अब हमारी क्लास शुरू होने वाली है जल्दी से पहुँचो। नहीं तो.. टीचर भालू दादा तुम्हारी अच्छी तरह खैर- खबर लेंगे।
और छलाँग लगाता हुआ ननकू बंदर बाकी सभी जानवरों को सूचना देने पहुँच गया।
धीरे-धीरे सभी सुंदर झील के पास एकत्रित होने लगे।
विशालकाय भीमा हाथी, नन्हा भोलू हाथी,
बिन्नी बिल्ली, अधीरा घोड़ा, चितकबरी धारियों वाला जीशान जेबरा, चीनू लोमड़ी, चतुरा सियार, मिंटू खरगोश, मन्नू मोर, गिन्नू गिलहरी, चीनू कौवा, सोना कबूतर ,डारमन डॉगी आदि जानवर साप्ताहिक कक्षा अटेंड करने हेतु एकदम तैयार थे।
तभी टीचर भोलू दादा अपनी छड़ी लेकर आते दिखे और सभी ने सावधान की मुद्रा में अभिवादन किया।
" नमस्कार! टीचर दादा।"
नमस्कार! नमस्कार ,जय हिंद। सभी अपने- अपने नियत स्थान पर बैठो । कोई भी शैतानी नहीं करेगा"-
दादा ने चेतावनी देते हुए कक्षा का आरंभ किया।
सब की अटेंडेंस ली जाने लगी और पता चला चिंपू भालू अभी तक नहीं आया!
तभी..
अअआ.. मैं आ गया हूँ - डर से हकलाते हुए चिंपू ने कक्षा में प्रवेश किया ।
आ गए मिस्टर लेट लतीफ!! -टीचर भालू दादा ने इस अंदाज़ में कहा कि सभी जोर से हँस पड़े।
हाँ ,तो विद्यार्थियों! मैंने सुना कि शहर और गाँव में बच्चे आजकल अच्छा अनुशासन सीख रहे हैं। साफ - सफाई रख रहे हैं और अपने घर को और परिवेश को चमका रहे हैं।
वहाँ- वहाँ कचरा नहीं फेंकते ।पार्को में भी खेलते हैं, पिकनिक मनाने जाते हैं तो अपने साथ अपना एक थैला लेकर जाते हैं, जिसमें वह कूड़ा -करकट को खाने- पीने के बाद बची हुई व्यर्थ वस्तुओं को डस्टबिन में जाकर डालते हैं।
"अच्छा बताओ... साफ -सफाई हमारे लिए क्यों जरूरी है?
डोरेमोन डॉगी बोला - दादा साफ -सफाई बहुत जरूरी है। मैं जब अपने कजिन से मिलने शहर जाता हूँ तो वह बहुत अच्छे शैंपू से नहाता है और उसकी रोज साफ -सफाई होती है। वह एकदम स्वस्थ रहता है और उसके बाल बहुत चमकते हैं।
बिन्नी बिल्ली बोली- मैं भी अपनी मौसी के यहाँ गई थी। मुझे भी यही दिखाई पड़ा। कितने सुंदर लग रहे थे मौसी के सभी बच्चे ! रोज नहाते हैं साफ होते हैं और अच्छा खाना खाते हैं। उन्हें बीमारी नहीं होती।
तभी नन्हा भोलू हाथी बोला - मैं तो रोज ही नहाता हूँ। अपने पिता भीमा हाथी और सभी कजिंस के साथ, सूंड में पानी भर भर के और बहुत देर खेलता भी रहता हूँ।
और तुम दूसरों पर पानी का फव्वारा छोड़ते हो। सबको तंग करते हो। यह भी तो बताओ- चीनू कौवा शरारत से बोला।
और नन्हा भोलू हाथी अपनी छोटी सी सूँड हिला- हिला कर दिखाने लगा।
सभी हँसते- खिलखिलाते बातें कर रहे थे ।
जीशान जेबरा अपनी गर्दन ऊँची करके बोला - "टीचर दादा मैंने अभी देखा था इको क्लब के बच्चे जंगल सफारी पर आए ,तो उन्होंने जंगल में लापरवाह, लोगों द्वारा चारों तरफ फैलाए कूड़े करकट, पॉलीथिन, प्लास्टिक बॉटल्स, थर्माकोल की प्लेट और गारबेज इकट्ठे करके साफ- सफाई की थी।"
"हाँ, बिल्कुल ठीक कर रहे थे वह सब । हमें भी साफ -सफाई अभियान में उनका साथ देना है ,तभी हमारे जानवर बीमारियों से, रोगों से बचेंगे।
हमारे जानवर अपनी सफाई का बहुत ध्यान रखते हैं वैसे। बिल्लियाँ अपने पूरे शरीर को चाट- चाट कर साफ करती हैं और हमारे खरगोश भी अपने दोनों पंजों से अपने कान, अपना शरीर साफ करते हैं।"
मैं बताऊँ ...मैं बताऊँ! - पंख फड़फड़ा कर सोना कबूतर बोला-
हम सभी अपने पंखों को रेत में लोटपोट करके साफ करते हैं। बड़ा मजा आता है।
"हाँ..बढ़िया बात बतायी तुमने सोना कबूतर। इसी तरह हाथी का तो एक फेसपैक होता है। वो हैं कीचड़।"
और सब जोर से खिलखिला उठे।
भीमा हाथी बोल पड़ा - "हम सभी हाथी कीचड़ में जमकर नहाते हैं और उसके बाद जब कीचड़ सूख जाता है तो हमारी खराब त्वचा भी उसी के साथ निकल जाती है और हम साफ हो जाते हैं।"
"हम्मम!
तो हमारे सभी जानवर साप्ताहिक कक्षा में बहुत अच्छी बातें सीख रहे हैं अपना और अपने प्यारे नंदनवन का ध्यान रख रहे हैं।
नाक पर ऐनक चढ़ाते हुए भालू दादा ने पूछा - साप्ताहिक कार्य जो दिया गया था। किस किस ने पूरा नहीं किया?
क्लास कैप्टन कहाँ है?
अपनी डायरी पेन संभालते हुए
चीनू लोमड़ी झट से खड़ी हुई और सबके नाम बताने लगी।
"टीचर दादा - चिंपू भालू अभी भी मधुमक्खी का छत्ता और बड़ी- बड़ी कँटीली झाड़ियाँ यहाँ- वहाँ फेंक रहा है।
" चलो ..चलो अब तुम यहाँ आओ -भालू दादा ने चिंपू को आगे बुलाया।
चिंपू को लेट आने की सजा मिली और गंदगी फैलाने के लिए भी। दो छड़ी उसके हाथों में पड़ीं।
डायरी के पन्ने पलटती हुई बोली चीनू लोमड़ी - डोरमन डॉगी ने चारों तरफ नंदनवन की चौकीदारी करके सब के कामों की अच्छी तरह रिपोर्टिंग की है , वहीं इस निगरानी के काम में उसका सहयोग किया है कालू कौवे और सोना कबूतर ने।
उन्होंने गंदगी फैलाने वालों को चोंच मारकर चेताया।
मन्नू मोर ने इस बार जगह-जगह साफ -सफाई अभियान चलाया है अपने कजिंस को साथ लेकर बढ़िया काम किया है।
" अच्छा,वैलडन.... ! तो अब सब के सामने मन्नू मोर को "स्वच्छता सिपाही" का ताज पहनाया जाएगा और मिंटू खरगोश ने ताज लाकर टीचर भालू दादा को दिया और उसे पहनाया गया। व्यक्तिगत सफाई के लिए बिन्नी बिल्ली को "सफाई क्वीन" का ताज पहनाया गया। आज कक्षा को सुंदर-सुंदर फूल पत्तियों , हरी बेलों और रंग बिरंगे पंखों से सोना कबूतर और जीशान जेबरा ने मिलकर सजाया था। उन्हें भी शाबाशी दी गई।
कक्षा तालियों की गड़गड़ाहट से गूँज उठी।
भालू दादा ने क्लास की समाप्ति की घोषणा करते हुए कहा कि आज जो हैरी हिरण और अन्य जानवर अनुपस्थित है उनको अगली कक्षा में शामिल होने की सूचना दी जाए, नहीं तो उन्हें जुर्माना भरना पड़ेगा और सजा भी मिलेगी।आप सभी आज के सिखाए गए पाठ से सबक लेंगे और सभी अपनी व्यक्तिगत और नंदनवन की सफाई पर ध्यान देंगे।
अरे हाँ... हैरी हिरण तो दौड़ लगाने गया हुआ होगा। नंदनवन में 15 अगस्त के दिन होने जा रही दौड़ प्रतियोगिता में उसी को तो प्रथम स्थान पर आना है न! - चतुर सियार बोला।
अरे! उसे तो मैं जबरदस्त टक्कर दूंगा- जोश में अधीरा घोड़ा हिनहिनाया।
और सारे के सारे हँस पड़े।