सात तारे : कैनेडा की लोक-कथा
Saat Taare : Lok-Katha (Canada)
(इस कहानी में सबसे छोटा भाई चार बार तीर फेंकता है।)
एक स्त्री अपने सात भाइयों के साथ अकेली रहती थी। एक बार उसके छह बड़े भाई कहीं बाहर गये हुए थे केवल सबसे छोटा भाई ही घर में था। उसने उस भाई को भी बाहर भेज दिया क्योंकि वह उन सबको मारने की तरकीब सोच रही थी।
एक दिन जब उसका सबसे छोटा भाई चिड़ियाँ मार कर घर वापस लौटा तो उसने सुना कि उसकी बहिन एक हिरन और एक पंख से कह रही थी — “अगर वे इस पंख को मार सके तभी वे मुझे मार सकेंगे।”
यह सुन कर उसका छोटा भाई वहाँ से भाग लिया। रास्ते में उसे उसके बड़े छहों भाई मिले। उसने उनसे कहा कि उनकी बहिन ने उन सबको मारने का प्लान बना रही है इसलिये उन सबको वहाँ से भाग जाना चाहिये। यह सुन कर वे सारे भाई वहाँ से भाग लिये।
जब उस स्त्री के वे सब भाई घर वापस नहीं लौटे तो उस स्त्री को पता चल गया कि उसके भाइयों को उसके प्लान का पता चल गया है सो वह भी उनके पीछे पीछे भाग ली।
भाइयों ने देखा कि उनकी बहिन तो उनको बहुत जल्दी पकड़ लेगी तो सबसे छोटा भाई बोला — “चलो इस गड्ढे में छिप जाते हैं।”
जब सब उस गड्ढे के पास आ गये तो वह बोला अब सब अपनी अपनी आँखें बन्द कर लो। सबने अपनी अपनी आँखें बन्द कर लीं।
फिर उसने बहुत दूर एक तीर फेंका और उन सबसे अपनी अपनी आँखें खोलने के लिये कहा। सब लोगों ने देखा कि वे सब अब वहाँ खड़े हुए थे जहाँ उनके छोटे भाई का तीर गिरा था।
वहाँ से उन्होंने फिर भागना शुरू किया और जब उन्होंने फिर देखा कि उनकी बहिन उनके बहुत पास आ गयी है तो उनके सबसे छोटे भाई ने फिर वही किया। उसने फिर एक बार तीर फेंका और वे सब एक पल में ही वहाँ से बहुत दूर थे।
ऐसा उन्होंने चार बार किया और अब वे एक घाटी में खड़े हुए थे। वहाँ वे सब एक पेड़ पर चढ़ गये। सबसे छोटा भाई उस पेड़ पर सबसे ऊपर था।
उनमें से सबसे नीचे जो भाई बैठा था उसने अपनी बहिन को मारने की कोशिश की पर वह उसे न मार सका। उसकी बहिन ने उसको एक ही बार में मार दिया।
इस प्रकार उनकी बहिन ने अपने सबसे छोटे भाई ओकीना को छोड़ कर अपने सब भाइयों को मार डाला।
इतने में एक चिड़िया उड़ती हुई आयी और बोली — “ओकीना, वह देख वह पंख।”
ओकीना ने बहुत सँभाल कर उस पंख को मारने के लिये तीर चलाया पर उसका तीर उस पंख को केवल छू ही सका। फिर भी उसके तीर के उस पंख को छूने से ही उसकी बहिन चक्कर खा कर गिर पड़ी।
चिड़िया फिर उड़ती हुई आयी और उसने फिर वही कहा। अब की बार ओकीना ने फिर से तीर चलाया। अब की बार उसका निशाना ठीक लगा और उसने वह पंख तोड़ दिया। पंख टूटते ही उसकी बहिन मर गयी।
ओकीना ने अपनी बहिन का दिल निकाल लिया और उसके छोटे छोटे टुकड़े करके उनको सुखा लिया। जब वे सूख गये तो उसने उनको जला दिया। उसका धुँआ सूँघते ही उसके छहों भाई ज़िन्दा हो गये।
अब वे लोग अपने भविष्य के बारे में सोचने लगे। सबसे बड़ा भाई बोला — “क्यों न हम सात भैंसे बन जायें और एक साथ रहें?”
ओकीना बोला — “नहीं, ऐसे तो लोग हमको मार देंगे।”
दूसरा भाई बोला — “और यदि हम सात हिरन बन जायें तो।”
ओकीना ने उनकी यह सलाह भी नहीं मानी क्योंकि इस तरह भी उनको कोई मार सकता था।
औरों ने सलाह दी कि वे सात झील बन जायें या सात पेड़ बन जायें या सात पत्थर बन जायें पर ओकीना ने सब में कोई न कोई गड़बड़ निकाल दी।
इस पर वे बोले — “तो आखिर तुम चाहते क्या हो?”
ओकीना बोला — “मैं चाहता हूँ कि हम लोग सब एक साथ ऐसे ही पास पास बैठे रहें, पर यहाँ नहीं, आसमान में। और फिर आने वाले समय में लोग हमारे बारे में कहानियाँ कहा करेंगे।”
सबने पूछा “वह कैसे?”
और फिर वे सात तारे बन गये और एक साथ रहने लगे। वे ही सात तारे हमें आज सप्तर्षि मंडल के रूप में आसमान में हमेशा एक साथ दिखायी देते हैं।
(अनुवाद : सुषमा गुप्ता)