साँप दुलहा : बिनीन लोक-कथा
Saamp Dulha : Benin Folk Tale
एक बार की बात है कि एक गाँव में अलाबी नाम का एक आदमी अपनी पत्नी के साथ रहता था। वे बहुत अमीर थे। उनके पास कई एकड़ जमीन थी, बहुत सारे नौकर चाकर थे और उनके बहुत सारे दोस्त थे पर उनके कोई बच्चा नहीं था।
वे रोज भगवान से प्रार्थना करते कि उनके एक बच्चा हो जाये। आखिर एक दिन भगवान ने उनकी प्रार्थना सुन ली और समय आने पर उनके एक सुन्दर सी बेटी हुई।
क्योंकि पति पत्नी बहुत अमीर थे इसलिये उन्होंने अपनी बेटी को बहुत लाड़ प्यार से पाला। उन्होंने उसको वह सब कुछ दिया जो वह चाहती थी। अगर वह कुछ गलती भी करती थी तो उन्होंने उसको उसके लिये कभी डाँटा नहीं।
इस तरह जैसे जैसे उनकी बेटी बड़ी होती गयी वह बिगड़ती चली गयी।
जब वह लड़की शादी के लायक हो गयी तो बहुत सारे आदमी अमीर और गरीब और राजकुमार और भिखारी उससे शादी करने के लिये आये पर उसने उन सबको मना कर दिया।
यह लड़की यह सोचती थी कि वह सबसे कुछ अलग करके जियेगी। उन दिनों उस देश की यह रीति थी कि लड़के का पिता लड़की के पिता से मिल कर शादी तय करता था सो यह कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि यह लड़की किसी से भी सलाह लेना नहीं चाहती थी।
और यह लड़की शादी तो बिल्कुल भी नहीं करना चाहती थी क्योंकि दूसरे लोग यह सोचते थे कि शादी करना अच्छा है।
उसने अपने पिता से कहा — “मैं उस आदमी से शादी कैसे कर लूँ जिसको मैंने देखा तक नहीं। इसके अलावा मेरे लिये कोई भी आदमी इतना सुन्दर और अमीर नहीं है जिससे मैं शादी करूँ। वे तो मेरे नौकर होने के लायक भी नहीं हैं। ”
आदमियों के लिये उसके ऐसे विचार उसके माता पिता को बहुत परेशान कर रहे थे। उन्होंने उसके विचार बदलने की कोशिश भी की पर उसने उनकी एक न सुनी क्योंकि उसने किसी की सलाह लेनी और माननी तो सीखी ही नहीं थी। वह तो बस अपने ही मन की करती थी।
सो कई साल बीत गये और उस लड़की ने शादी नहीं की। वह सुन्दर लड़की सारे गाँव में “वह लड़की जो शादी नहीं करना चाहती” के नाम से मशहूर हो गयी।
गाँव के आदमियों ने तो अब उससे शादी करने का विचार ही छोड़ दिया। सारे गाँव में अब उसकी सुन्दरता की बजाय उसके इसी बरताव के चर्चे होने लगे कि वह शादी नहीं करना चाहती।
किसी से भी उसकी सुन्दरता की बात करो तो वह यही कहता था — “अरे वह लड़की? हाँ, वह सुन्दर तो जरूर है पर वह तो वह मुर्गी है जिसको हम भगवान पर भी नहीं चढ़ा सकते। ”
धीरे धीरे गाँव में अब यह विश्वास हो गया कि यह लड़की वह नहीं है जिससे कोई शादी करना चाहेगा।
जल्दी ही उसकी यह खबर कि वह आदमियों के साथ ठीक से बरताव नहीं करती है दूर और पास सभी जगह फैल गयी। यहाँ तक कि भूतों और शैतानों और जंगली जानवरों की दुनिया में भी फैल गयी।
उस लड़की के बारे में यह सब सुन कर एक दिन एक अजगर अपने साथियों से बोला — “यह लड़की मुझे चाहिये। ”
उसके एक साथी ने कहा — “तुम तो बहुत ही बदसूरत हो। उसने तो बहुत सुन्दर सुन्दर लोगों को मना करके ठुकरा दिया है तुम उन लोगों के सामने क्या चीज़ हो। और तुम क्या सोचते हो कि वह तुमसे शादी कर लेगी? हा हा हा। ” और उसके साथी और भी ज़ोर से हँस दिये।
वह बोला — “देखो तो। ”
अगले दिन सुबह जब सूरज उगा तो वह अजगर उस लड़की से शादी करने के लिये चला। रास्ते में वह अपने एक मन्दिर में रुका और काफी जाप करने के बाद वह एक इतने सुन्दर नौजवान के रूप में बदल गया जितना सुन्दर नौजवान दुनियाँ में कभी किसी ने नहीं देखा था।
फिर उसने एक राजकुमार के जैसे कपड़े पहने और शाही तरीके से गाँव की तरफ चला। वह बहुत ही सुन्दर लग रहा था और अपनी सुन्दरता से किसी को भी अपनी तरफ खींच रहा था। उसका चेहरा सुबह के तारे की तरह चमक रहा था।
वह सोच रहा था कि अब समय आ गया है जब उस लड़की को शादी के बारे में एक दो सबक सिखाने चाहिये।
जब वह उस लड़की के घर पहुँचा तो उसका पिता अपने दोस्तों के साथ शराब पी रहा था। उसने उस लड़की के पिता से कहा — “मैं शादी के लिये आपकी बेटी का हाथ माँगने आया हूँ,। ”
तभी उस लड़की ने भी उस अजनबी को देखा और उसकी तरफ दौड़ी। उसने उसको गले लगा लिया और बोली — “यही वह आदमी है पिता जी जिससे मुझे शादी करनी है। ”
अजनबी बोला — “मैं भी तुमसे शादी करना चाहता हूँ। मगर मुझे तुम्हारे पिता से कुछ रस्मी तौर तरीके पूरे करने हैं। फिर मैं अपने घर के कुछ लोगों को बुलाऊँगा और उसके बाद हम शादी कर लेंगे। ”
पर लड़की को चैन कहाँ? उसको तो इतना भी सब्र नहीं था कि वह यह इन्तजार करती कि उसके अपने लोग उस अजनबी के बारे में कुछ पता कर लें।
उसने अपना सामान बाँधा और अपने माता पिता को धमकी दी कि अगर उन्होंने उसकी शादी उस अजनबी के साथ नहीं की तो वह उसके साथ भाग जायेगी।
उसके पिता ने उससे उस अजनबी की बात सुनने के लिये कहा और उसको समझाया — “अजनबी अक्लमन्द है और हमारे तौर तरीकों को जानता है। उसके लोगों को आ जाने दो तब हम उससे तुम्हारी शादी की बात कर लेंगे। ”
पर लड़की बोली — “नहीं, मैं उसके आदमियों के आने का इन्तजार नहीं कर सकती। मुझे तो अभी जाना है। ”
उसके पिता ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की, उसकी माँ ने भी उसे बहुत समझाने की कोशिश की और फिर उसके परिवार वालों ने भी उसको समझाने की कोशिश की पर उसने किसी की भी एक नहीं सुनी।
उसने उस अजनबी का हाथ पकड़ा, अपनी एक नौकरानी को अपने साथ लिया, अपना सामान साथ लिया और उस अजनबी के साथ चल दी। उसके पिता को यह जानने का मौका ही नहीं मिला कि वह अजनबी था कौन और आया कहाँ से था।
अजनबी ने भी उस लड़की को साथ लिया, उसका कुछ सामान लिया, उसकी नौकरानी को लिया, मुर्गियाँ लीं, एक बकरा लिया और अपने घर की तरफ चल दिया।
वे कई बाजार वाले दिन तक चलते रहे। उन्होंने सात खेत पार किये, सात नदियाँ पार की पर फिर भी उस अजनबी का घर नहीं आया
लड़की ने अजनबी से पूछा — “आपके घर पहुँचने में अभी कितनी देर है?”
अजनबी ने जवाब दिया — “अब ज़्यादा दूर नहीं है बस हम अब घर पहुँचने ही वाले हैं। ”
वह लड़की फिर बोली — “आपका घर काफी दूर है। ”
अजनबी बोला — “हाँ, तुम यह कह सकती हो। पर वे सब मेरे रिश्तेदार हैं, हैं न? क्योंकि जैसा कि हमारे बड़े कहते हैं “किसी के लिये कोई गाँव दूर हो सकता है और किसी और के लिये वही गाँव पास हो सकता है। मेरे लिये वह गाँव दूर नहीं है। ”
पर वे उस अजनबी के गाँव फिर भी नहीं पहुँच सके जब तक कि उन्होंने ज़िन्दा और मरे हुए लोगों की दुनिया के बीच की हद पार नहीं कर ली। अब तक वह लड़की और उसकी नौकरानी दोनों थक कर चूर हो चुके थे।
खैर, जल्दी ही वे लोग एक बहुत ही घने जंगल में आ पहुँचे। लड़की को लगा कि वहाँ तक अभी तक कोई भी आदमी नहीं पहुँचा होगा। पर फिर भी वे दोनों उस अजनबी के पीछे पीछे चलती रहीं और वे सब उस जंगल के बीच में आ गये।
जैसे जैसे वे उस घने जंगल में आगे बढ़ रहे थे कि लड़की को रोना आ गया। अजनबी ने उसको धीरज बँधाया — “चुप हो जाओ, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ और यह काफी है। ” पर लड़की का रोना जारी रहा क्योंकि अब उसको उस अजनबी से डर लगने लगा था।
जब वे जंगल के बीच में आ गये तो वहाँ उनको एक गुफा मिली। अजनबी आगे बढ़ा और उसने लड़की और उसकी नौकरानी को उनका बोझा वहीं पास में रख देने के लिये कहा।
दोनों ने अपना अपना बोझा रख दिया और वह अजनबी उस गुफा में घुस गया। वह लड़की और उसकी नौकरानी आश्चर्य से खड़ी देखती रहीं। अन्दर जा कर उस नौजवान ने अपने आपको एक अजगर में बदल लिया।
यह सब देख कर वह लड़की और उसकी नौकरानी दोनों ही बहुत ज़ोर से चिल्ला पड़ीं।
अजगर बोला — “मुझे कुछ खाना चाहिये मुझे भूख लगी है। ” और इससे पहले कि वह लड़की कुछ कर सके वह अजगर उस लड़की की नौकरानी को निगल गया और खा गया।
फिर उस अजगर ने अपनी पत्नी को पकड़ा और उसे उस गुफा के एक कमरे में बन्द कर दिया। उसने उस गुफा का ताला लगाया और उसकी चाभी को निगल गया।
अगले कई दिनों तक वह अजगर वे मुर्गियाँ और बकरा खाता रहा जो वह लड़की अपने साथ ले कर आयी थी। उतने दिन वह लड़की उस गुफा के कमरे में भूखी रही।
अजगर ने उसे जान बूझ कर भूखा रखा था ताकि वह थोड़ी कमज़ोर हो जाये और वह उसे आसानी से निगल सके।
इस बीच में लड़की का पिता बहुत डरा हुआ था। उसका डर और भी ज़्यादा हो गया था जब उसको अपनी लड़की के बारे में बहुत दिनों तक कोई खबर नहीं मिली।
सो वह एक पंडित के पास गया और उससे अपनी लड़की और अपने दामाद के बारे में पूछा।
पंडित बोला — “तुम्हारी बेटी नदी के बीच में है और अभी भी रो रही है। लगता है कि जैसे साबुन से उसकी आँखें जल रहीं हैं। वह एक बड़े खतरे में है और केवल कुछ दिनों की मेहमान है। ”
यह सुन कर अलाबी बहुत दुखी हुआ। उसने अपने सब होशियार कलाकारों को बुलाया और उनमें से सबसे अच्छे पाँच कलाकारों को चुना।
पहला कलाकार था मास्टर देखने वाला जो दीवार के पार भी देख सकता था और जिसकी नजर किसी भी आदमी की नजर से ज़्यादा दूर तक देख सकती थी।
दूसरा आदमी था मास्टर रोग जो एक खाते हुए शेर के मुँह में से भी खाना छीन सकता था। तीसरा आदमी था मास्टर शौट जो एक उड़ते हुए तोते को बिना गोली के भी मार सकता था।
चौथा आदमी था मास्टर बढ़ई जो पलक झपकते बिना किसी सामान के नाव बना सकता था। और पाँचवा आदमी था मास्टर नाविक जो नाव को बिना किसी पतवार आदि के नाव खे सकता था।
उसने उन लोगों से कहा — “तुम लोगों का काम मेरी बेटी को ढूँढना है और उसको मेरे पास ज़िन्दा वापस लाना है। अगर तुम ऐसा करोगे तो मैं तुमको इतना इनाम दूँगा जितना कि तुम सपने में भी नहीं सोच सकते।
सो वे सब अपने इस काम पर चल दिये। मास्टर देखने वाला उनका गाइड था।
जब वे नदी पर पहुँचे तो मास्टर बढ़ई ने एक नाव बनायी और मास्टर नाविक उसे खेने लगा। घने जंगल में पहुँचने से काफी पहले मास्टर देखने वाले ने एक अजगर नदी के किनारे धूप सेंकता हुआ देख लिया।
आगे देखने पर उसको एक लड़की एक गुफा के कोने में बैठी हुई दिखायी दे गयी जहाँ वह ताले में बन्द थी और उसकी चाभी उस अजगर के पेट में थी।
अब मास्टर रोग का काम था। जब अजगर ने करवट बदली तो वह मास्टर रोग के असर से जम सा गया जैसे किसी ने उसके ऊपर कोई जादू डाल दिया हो।
मास्टर रोग ने अजगर का मुँह खोला और उसके पेट में से उस गुफा के कमरे की चाभी निकाल ली, गुफा के उस कमरे को खोला, लड़की को बाहर निकाला और वह चाभी फिर से अजगर के पेट में डाल दी। यह सब उसने अजगर के हिलने से पहले ही कर दिया।
लोगों ने उस लड़की को नाव में बिठाया और मास्टर नाविक नाव खे कर उसे आदमियों की दुनिया की तरफ ले कर चल दिया।
जब अजगर अपनी नींद से जागा तो वह लड़की को खाने के लिये गुफा की तरफ चल दिया। वहाँ जा कर उसने उस लड़की को ढूँढा तो वह लड़की तो उसको कहीं दिखायी नहीं दी।
लड़की को वहाँ न देख कर वह बहुत गुस्सा हो गया और गुस्से में भर कर उसने गुफा का बहुत बड़ा हिस्सा तोड़ फोड़ दिया।
जब वह गुफा के बाहर आया तो उसने आदमियों के पैरों के निशान और उनके कुछ और दूसरे निशान देखे। उसने नदी की लहरों पर भी कुछ देखा जिससे उसको पता चल गया कि कोई उसकी सबसे ज़्यादा कीमती चीज़ ले गया है।
उसने नदी की लहरों पर उसका पीछा ऐसे किया जैसे कि कोई जादू किया हुआ आदमी करता है। बहुत जल्दी ही उसने उन पाँचों लोगों को पकड़ लिया और उन पर कूद पड़ा।
पर मास्टर देखने वाले ने उसको पहले से ही आते हुए देख लिया था और मास्टर शौट को उसके बारे में बता दिया था। मास्टर शौट ने उसको मारने की कोशिश की पर जब तक मास्टर शौट ने उसको मारा तब तक अजगर ने नाव को सैंकड़ों टुकड़ों में तोड़ दिया।
उसका यह नाव को तोड़ना उन आदमियों के लिये बहुत ही घातक था और जब तक कि मास्टर बढ़ई ने दूसरी नाव नहीं बना ली तब तक सारे लोग पानी में तैरते रहे। उसके बाद मास्टर नाविक उस नयी नाव को खे कर आदमियों की दुनिया में ले आया।
जब वे लोग लड़की को ले कर वापस आ गये तो अलाबी ने उन सबको बहुत इनाम दिया। अब उनमें से हर एक अपने लिये सबसे ज़्यादा इनाम रखना चाहता था।
मास्टर देखने वाला बोला — “अगर मैं न होता तो सबसे पहले तो हमें वह लड़की ही दिखायी नहीं देती। ”
मास्टर बढ़ई बोला — “पर वह मैं था जिसने वह नाव बनायी और जिसमें बैठ कर हम वहाँ तक गये। और जब हम करीब करीब डूबने वाले थे तब फिर मैंने ही दूसरी नाव बनायी जो हमको बचा कर यहाँ ले कर आयी। ”
मास्टर शौट बोला — “और मैं? अगर मैंने उस अजगर को न मारा होता तो वह हम सबको खा जाता। मुझे इस इनाम में से सबसे बड़ा हिस्सा मिलना चाहिये। ”
मास्टर रोग बोला — “यह मत भूलो कि मैंने अपनी ज़िन्दगी दाँव पर लगा कर उस अजगर के पेट से चाभी निकाली और उस लड़की को उस गुफा से बाहर निकाल कर लाया। अगर मैं यह सब नहीं करता तो आज हम यहाँ बैठ कर इस इनाम पर नहीं लड़ रहे होते। ”
आखीर में मास्टर नाविक बोला — “अब अपने बारे में मैं क्या कहूँ। मैं तो एक मामूली सा नाविक हूँ। मुझे कोई इनाम नहीं चाहिये सो मैं अपने हिस्से का इनाम तुम लोगों को देता हूँ। तुम लोग इस इनाम के ज़्यादा हकदार हो। ”
ऐसा कह कर वह जाने को तैयार हुआ तो बाकी लोगों को लगा कि वे तो बहुत ही मतलबीपन से बात कर रहे थे। उन्होंने सोचा कि सभी लोगों ने इस काम में अपना अपना काम किया है इसलिये सबका बराबर का हिस्सा है, न कोई कम और न कोई ज़्यादा।
तो मास्टर रोग बोला — “ओ साथी, वापस आओ। हम लोग एक पहेली के बहुत सारे टुकड़े हैं जिनको साथ रखने पर ही वह पहेली यानी कि खोयी हुई लड़की की पहेली सुलझी है।
हममें से न तो कोई ज़्यादा है और न कोई कम। आओ हम अपना इनाम बराबर बराबर बाँट लेते हैं क्योंकि बन्दूक के जब तक सारे हिस्से काम न करें उससे गोली नहीं छूटती। ”
हालाँकि उस लड़की ने “जो कभी शादी नहीं करना चाहती थी” अपना सबक सीख लिया था और अपना तरीका भी बदल लिया था पर फिर भी गाँव वाले उसके बारे में अपना विचार नहीं बदल पाये थे।
दूसरे यह कि वह लड़की अब इतनी बड़ी हो गयी थी कि उसकी सुन्दरता भी अब ऐसे मुरझा गयी थी जैसे किसी गरमी के फूल को पाला मार जाये।
सो जैसा उसका नाम था वह फिर अपनी सारी ज़िन्दगी वैसी की वैसी ही रही यानी फिर उसकी शादी नहीं हुई।
(साभार : सुषमा गुप्ता)