रम्पिलस्टिल्टस्किन : रूसी लोक-कथा
Rumpelstiltskin : Russian Folk Tale
एक बार की बात है कि रूस के किसी हिस्से में एक गरीब आदमी रहता था जो लोगों का आटा पीस कर अपना और अपनी सुन्दर एकलौती बेटी का पेट भरता था।
एक दिन उस राज्य के राजा ने उसे बुला भेजा। जब वह गरीब आदमी राजा के दरबार में आया तो वह डर के मारे थर थर काँप रहा था। बजाय चुप रहने के घबराहट में उसके मुँह से निकला — “मेरे एक बेटी है जो भूसे को सोने के तारों में कात सकती है।”
“अच्छा? अगर तुम जैसा कह रहे हो वह सच है तो तुम्हारी बेटी तो बड़ी ही होशियार और चतुर है। तुम उसे कल हमारे दरबार में ले कर आओ हम भी उसे देखना चाहेंगे।” राजा ने कहा।
अगले दिन वह आदमी अपनी बेटी के साथ राजा के दरबार में हाजिर हुआ।
राजा उस लड़की को एक कमरे में ले गया जो भूसे से भरा हुआ था। उस कमरे में भूसे के अलावा बैठने के लिये एक चौकी, भूसा कातने के लिये एक चरखा और धागा लपेटने के लिये कुछ लकड़ी की रीलें रखीं थीं।
राजा ने उस लड़की से कहा — “अब तुम अपना काम शुरू कर दो। अगर कल सुबह तक तुमने इस भूसे को सोने में नहीं बदला तो तुमको जान से हाथ धोने पड़ेंगें।” ऐसा कह कर राजा ने कमरे का ताला लगा दिया और चला गया।
वह लड़की चौकी पर बैठ गयी और उस भूसे को देखने लगी। वह उसे सोने में कैसे काते, वह नहीं जानती थी। सुबह का ख्याल आते ही वह और भी अधिक डर गयी। उसे और तो कुछ नहीं सूझा बस वह अपना चेहरा अपने हाथों में छिपा कर रोने लगी।
इतने में एक आश्चर्यजनक घटना घटी। अचानक ही बन्द कमरे का दरवाजा खुला और एक अजीब सी बनावट का छोटा सा आदमी उस कमरे में आया।
ऐसा आदमी उसने अपने ज़िन्दगी में पहले कभी नहीं देखा था। उस आदमी ने आते ही कहा — “नमस्ते, तुम इतनी देर से क्यों रो रही हो? तुम्हें क्या दुख है?”
लड़की ने कहा — “क्या बताऊँ मुझे क्या दुख है। मुझे यह सारा भूसा सोने के तारों में कातना है और मुझे यह काम आता नहीं है।”
उस आदमी ने कहा — “अगर मैं तुम्हारा यह काम कर दूँ तो तुम मुझे क्या दोगी?”
लड़की बोली — “मेरे गले में जो यह माला पड़ी है यह मैं तुम्हें दे दूँगी।” उस आदमी ने वह माला ले ली और चरखे के सामने बैठ गया।
घर्र घर्र घर्र, चरखे के तीन बार घुमाने में ही एक रील सोने के तार से भर गयी। घर्र घर्र घर्र, और चरखे के तीन बार दोबारा घुमाने में ही दूसरी रील भी भर गयी।
रात भर वह आदमी इसी तरह से घर्र घर्र करता रहा और सुबह होने से पहले सारा भूसा उन रीलों पर सोने के तारों के रूप में लिपट चुका था। इस तरह सारा भूसा कात कर सुबह होने से पहले ही वह आदमी वहाँ से गायब हो गया।
सुबह को जब राजा आया तो वह इतना सारा सोना देख कर बजाय खुश होने के आश्चर्यचकित ज़्यादा हुआ। लेकिन वह इतने सोने से ही सन्तुष्ट नहीं था। सोने की झलक ने उसको और ज़्यादा लालची बना दिया था।
अब वह उस लड़की को एक दूसरे कमरे में ले गया जो पहले कमरे से भी बड़ा था और भूसे से भरा हुआ था। राजा ने उस लड़की से फिर वही कहा — “अगर कल सुबह तक तुमने इस भूसे को सोने में नहीं बदला तो तुमको जान से हाथ धोने पड़ेंगे।”
एक बार फिर वह लड़की उस भूसे से भरे कमरे में अकेली रह गयी। वह फिर ज़ोर ज़ोर से रोने लगी।
पल भर में ही दरवाजा खुला और वही अजीब सा छोटा आदमी फिर अन्दर आया। उसने फिर पूछा — “अगर मैं तुम्हारे इस भूसे को सोने में कात दूँ तो तुम मुझे क्या दोगी?”
लड़की ने कहा — “अब मेरे पास यह अँगूठी है। तुम यह ले लेना।”
उस आदमी ने वह अँगूठी उसके हाथ से उतार ली और चरखे के सामने बैठ गया। घर्र घर्र घर्र, रात भर में उसने वह सारा भूसा कात कर सोने के तारों में बदल दिया और पहले की तरह सुबह होने से पहले ही गायब हो गया।
सुबह होते ही जब राजा आया तो वह उस सोने को देख कर बहुत खुश हुआ परन्तु अभी भी वह उतने सोने से सन्तुष्ट नहीं था। वह उस लड़की को एक तीसरे कमरे में ले गया जो पहले दो कमरों से कहीं ज़्यादा बड़ा था और पूरे का पूरा भूसे से भरा हुआ था। इस बार उसने उस लड़की से कहा — “इस भूसे को अगर तुम सुबह तक सोने में बदल दो तो तुम मेरी रानी बन जाओगी।”
जब वह लड़की कमरे में अकेली रह गयी तो वह फिर बड़े ज़ोर ज़ोर से रोने लगी। एक बार फिर वह छोटा आदमी फिर अन्दर आया और बोला — “अबकी बार तुम मुझे क्या दोगी अगर मैं तुम्हारा यह सारा भूसा सोने में कात दूँ?”
लड़की सिसकियाँ भरते हुए बोली — “अब तो मेरे पास तुम्हें देने के लिये कुछ भी नहीं है।”
“अच्छा, तो वायदा करो कि जब तुम रानी बन जाओगी तो अपना पहला बच्चा मुझे दे दोगी।”
“न तो मैं रानी बनूँगी न मेरे बच्चा होगा” यही सोच कर उसने उस आदमी से वायदा कर लिया कि वह रानी बनने के बाद अपना पहला बच्चा उसको दे देगी।
हर बार की तरह इस बार भी उस छोटे आदमी ने सारा भूसा फिर से सोने के तारों में कात दिया और सुबह होने से पहले ही चला गया।
जब राजा सुबह आया तो इतने सारे सोने को देख कर फूला न समाया। उसने सोचा कि लड़की सुन्दर है और उसने उसे धन भी बहुत दिया है सो उसने अपना वायदा निभाते हुए उससे शादी कर ली।
अब वह लड़की रानी बन गयी थी सो वह बहुत खुश थी और उस आदमी के बारे में सब कुछ भूल चुकी थी जिसने उसे सोना कात कर रानी बनाया था। एक साल बाद रानी के एक सुन्दर बच्चे को जन्म दिया। रानी और राजा फूले न समाये।
कुछ दिनों बाद वह अजीब आदमी अचानक ही रानी के कमरे में आया और बोला — “अपना वायदा पूरा करो और यह बच्चा मुझे दे दो।” रानी ने डर के मारे अपने बच्चे को अपनी छाती से चिपटा लिया।
रानी ने अपने बच्चे के बदले में उसे राज्य का सारा खजाना देने को कहा परन्तु उस आदमी ने साफ मना कर दिया और बोला — “मुझे तो खजाने के बदले में आदमी का बच्चा ज़्यादा पसन्द है।”
इस बात को सुन कर रानी बहुत रोयी, बहुत चिल्लायी। उसका रोना चिल्लाना सुन कर उस आदमी को उस लड़की पर दया आ गयी।
उसने कहा — “ठीक है, मैं तुमको तीन दिन का समय देता हूँ, अगर तुमने मेरा नाम बता दिया तो यह बच्चा तुम्हारे ही पास रहेगा नहीं तो फिर इसे मैं ले जाऊँगा।” और यह कह कर वह वहाँ से चला गया।
उस रात रानी उन सब नामों को याद करती रही जो उसने कभी सुने थे। सुबह रानी ने एक आदमी बुलवाया और उससे देश के सभी लड़कों के नाम इकठ्ठे करने को कहा।
जब वह छोटा आदमी अगले दिन आया तो उस लड़की ने नामों की एक लम्बी लिस्ट पढ़ दी पर उस आदमी का नाम उस लिस्ट में कहीं नहीं था।
अगले दिन फिर रानी ने उस आदमी को दूसरे देश में लड़कों के नाम मालूम करने भेजा। वह शाम तक फिर एक लम्बी लिस्ट ले कर आ गया।
शाम को जब वह छोटा आदमी आया तो रानी ने वे सब नाम उसको बताये जो कि उसकी लिस्ट में थे कि उस लिस्ट में उसका नाम था या नहीं पर उस लिस्ट में भी उसका नाम नहीं था। रानी बहुत निराश हुई।
तीसरा दिन आखिरी दिन था। अगर आज रानी उस छोटे आदमी का नाम मालूम नहीं कर पायी तो वह छोटा आदमी उसके बच्चे को ले जायेगा। दिन भर रानी बहुत परेशान रही और अपने भेजे आदमी के वापस आने का बड़ी बेसब्री से इन्तजार करती रही।
उस दिन रानी का आदमी बहुत देर से लौटा और बोला —
“आज मुझे कोई और नया नाम तो मालूम नहीं पड़ा रानी जी परन्तु
जब मैं जंगल के किनारे एक ऊँचे पहाड़ से आ रहा था तो वहाँ मैंने
एक घर देखा।
उस घर के सामने आग जल रही थी और उस आग के चारों
तरफ एक अजीब सा छोटा सा आदमी नाच रहा था और गा रहा था
— “आज मैं रोटी बना रहा हूँ। कल मैं रानी का बच्चा ले लूँगा।
मेरा नाम वह कभी नहीं जान पायेगी इसलिये वह शर्त जीत भी नहीं
पायेगी क्योंकि मेरा नाम रम्पिलस्टिल्टस्किन है।”
रानी बहुत खुश हुई। जब वह छोटा आदमी आया तो उसने ऐसा बहाना किया जैसे वह उसका नाम जानती ही न हो। कई नाम लेने के बाद उसने कहा रम्पिलस्टिल्टस्किन।
अपना नाम सुन कर वह आदमी बहुत गुस्सा हुआ और गुस्से में भर कर उसने अपना पैर फर्श पर दे मारा। इससे उसका पैर फर्श में धँस गया।
इस पर वह और भी अधिक गुस्सा हुआ और किसी तरह अपना पैर फर्श से निकाल कर वहाँ से भागता नजर आया और फिर उसको कभी किसी ने नहीं देखा।
इसके बाद रानी अपने बच्चे के साथ निडर हो कर रही।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)