स्वर्ग से चावल : चीनी लोक-कथा

Rice from Heaven : Chinese Folktale

यह बहुत पहले की बात है जब कुछ लिखा नहीं जाता था और चीन की जमीन जंगलों से भरी हुई थी। वहाँ चावल का कोई खेत नहीं था, कोई दूकान नहीं थी, कोई बाजार नहीं थे और कोई सड़कें भी नहीं थीं।

बस सब जगह जंगलों में खानाबदोश और जानवर घूमते रहते थे। वे भी केवल फल और बैरीज़ खा कर ही अपना पेट भरते थे जो जंगलों में बहुतायत से उगती थीं।

एक बार वसन्त के आखीर में हर बार की तरह से बारिश का मौसम शुरू तो हुआ, पर हर बार की तरह से वह खत्म नहीं हुआ जैसा कि लोग उम्मीद कर रहे थे। बल्कि बारिश रुकी ही नहीं, चलती रही और चलती रही और वह दो महीनों से भी ज़्यादा चलती रही।

खानाबदोशों ने पानी से घबरा कर पहाड़ों में बनी हुई गुफाओं में शरण ले ली। जंगल बरबाद हो गये और बहुत सारे जानवर उस पानी में डूब गये।

किसी तरह से धीरे धीरे पानी बरसना रुका। पेड़ दिखायी देने लगे और खानाबदोश भी गुफाओं से निकल कर बाहर आ गये। जानवर जिन्होंने ऊँची जगह शरण ले ली थी वे भी अब दिखायी देने लगे।

सबसे पहले खरगोश दिखायी दिये, फिर गिलहरियाँ और फिर चीते। सब उस गर्म जमीन पर खाने की तलाश में थे पर चीते वहाँ बहुत सारे थे और वे सारे में दिखायी देते थे।

वे जो कुछ भी उनको दिखायी दे जाता था या जो उनके रास्ते में आ जाता था उसी का शिकार कर लेते थे और वही खा जाते थे।

आदमियों को अपना खाना ढूँढने के लिये पहाड़ों की गुफाओं में से निकलना पड़ता था पर सारे जंगल में चीतों के घूमने की वजह से वे बाहर भी सुरक्षित नहीं थे। यहाँ से बहुत दूर पूर्वीय समुद्र में एक टापू था जिस पर जेड बादशाह का राज्य था।

देवता और अमर लोग जो इस टापू पर रहते थे वे आदमियों की मुश्किलों को देख रहे थे। उनको उन लोगों पर दया आ गयी सो उन्होंने एक मीटिंग बुलायी।

सबसे पहले जेड बादशाह बोला — “तुम लोग देख ही रहे हो कि धरती पर क्या हो रहा है। हमको इन आदमियों की सहायता करनी चाहिये। इस बारे में किसकी क्या सलाह है?”

पाँच अन्न का देवता उठा और बोला — “मेरे पास एक सलाह है। मैं चाहता हूँ कि आप उस पर विचार करें। क्यों न हम आदमियों को चावल उगाना सिखायें?

हम लोग तो जबसे यह दुनियाँ बनी है तभी से उसका फायदा उठा रहे हैं। देवताओं की उस खेती का आनन्द उठाने की अब इन आदमियों की बारी है। इसके बाद उनको जंगल में खाना लेने के लिये जानवरों से लड़ने झगड़ने की फिर कभी जरूरत ही नहीं पड़ेगी।”

उस मीटिंग में बैठे सभी लोगों में हाँ की लहर दौड़ गयी और फ़ू सी शी देवता29 ज़ोर से बोला — “हम लोग इससे भी ज़्यादा कर सकते हैं। क्यों न हम उनके बीच में अपने कुछ नौकर भी भेज दें ताकि उनको आगे भी कोई परेशानी न हो।”

एक बार फिर देवताओं ने हाँ में फुसफुसाया तो जेड बादशाह बोला — “मैं उनके लिये एक घोड़ा, एक गाय, एक भेड़, एक कुत्ता, एक मुर्गा और एक सूअर भेजने के लिये सोचता हूँ।

घोड़ा और गाय आदमी को हल चलाने में, गाड़ी खींचने में और चावल तोड़ने में सहायता करेंगे। भेड़ उनको दूध देगी। मुर्गा उनको रोज सुबह सुबह जगाया करेगा। और कुत्ता उनके घर की रखवाली किया करेगा।

सूअर को वहाँ कोई काम करने की जरूरत नहीं है। वह वहाँ जितना चाहे खा सकता है और जितना चाहे सो सकता है। पर उसको आदमी के खाने के लिये अपने आपको बलिदान करना पड़ेगा।”

रात होने से पहले पहले सब कुछ तैयार कर लिया गया पर जैसे ही सारे जानवर वहाँ से जाने के लिये तैयार हुए तो जेड बादशाह ने सबको रुक जाने के लिये कहा और बोला — “यह सब तो ठीक है कि तुम सब जाने के लिये तैयार हो पर हम चावल के खेत के बारे में तो भूल ही गये। हम चावल के खेत उनको इस समुद्र के पार कैसे भेजेंगे?”

देवताओं की जमीन पर तो चावल के खेत बहुतायत में थे और चावल का हर पौधा जड़ से ले कर चोटी तक बहुत सारे चावल से लदा हुआ था। पर उनको आदमियों की जमीन पर कैसे भेजें। उनको गठ्ठर में बाँध कर समुद्र में तैरा कर वहाँ भेजने का तो कोई मतलब ही नहीं था क्योंकि वे तेज़ लहरों में बह कर किसी दूसरी दिशा में भी जा सकते थे। तो फिर वह चावल भेजा कैसे जाये।

सो वह पाँच अन्न वाला देवता एक बार फिर बोला — “क्यों न हम कुछ चावल किसी जानवर की पीठ से बाँध दें और वह जानवर उनको वहाँ ले जाये।”

सब देवताओं को यह बात ठीक लगी तो जेड बादशाह ने सबसे पहले गाय से पूछा कि क्या वह चावल ले जा सकती थी पर गाय ने एक लम्बी साँस भरी और मना कर दिया — “मुझे मालूम है कि मुझे बहुत सारी ताकत दी गयी है और बहुत सुन्दर शरीर भी, पर मैं इस काम में ज़्यादा अच्छी नहीं हूँ। मुझे लगता है कि आपको घोड़े से पूछना चाहिये।”

पर इससे पहले कि जेड बादशाह घोड़े से कुछ पूछते घोड़े ने भी ज़ोर से बोल कर मना कर दिया — “मैं इस काम के लिये बहुत खराब हूँ। मेरे बाल इतने अच्छे और मुलायम हैं कि चावल के दाने मेरे बालों पर से फिसल जायेंगे। आप लोग मुर्गे से क्यों नहीं पूछते?”

सो जेड बादशाह ने मुर्गे की तरफ देखा पर मुर्गे ने तो चावल न ले जाने की पहले से ही तरकीब सोच रखी थी। वह बोला — “योर हाईनैस, मुझे ज़रा देखिये तो, मैं तो बहुत ही छोटा सा हूँ और कमजोर भी। मैं तो शायद उसका बोझा भी नहीं उठा पाऊँगा।”

इस समय तक भेड़ और सूअर ने भी चावल न ले जाने की अपनी अपनी तरकीबें सोच ली थीं। अब तक कुत्ता बिना कुछ बोले सबको बोलते सुन रहा था।

यह सब सुनने के बाद वह जेड बादशाह से बोला — “मुझे मालूम है कि आदमी लोग सब इस समय बहुत ही खराब हालत में हैं इसलिये उनके लिये चावल पूर्वीय समुद्र पार कर के मैं ले कर जाऊँगा।”

कुत्ते को वहाँ के तालाब में नहलाया गया और फिर उसको अनाजघर भेजा गया ताकि वहाँ वह चावल के दानों को अपने शरीर पर चिपका सके। जब वह उस अनाजघर में से बाहर निकला तो उसकी आँखों को छोड़ कर उसके पूरे शरीर पर चावल के दाने लगे हुए थे।

सारे जानवर समुद्र के किनारे इकठ्ठे हुए और फिर जमीन पर जाने के लिये एक एक कर के समुद्र में कूद पड़े। कुत्ते ने लहरों से बचने के लिये और तैरने के लिये अपनी पूरी ताकत और होशियारी लगा दी पर फिर भी जब तक सारे जानवर जमीन पर पहुँचे वह तब भी समुद्र में जमीन से बहुत दूर था।

जेड बादशाह ने पूर्वीय समुद्र का एक राजकुमार भी उसकी सहायता के लिये भेजा पर वह भी उसके शरीर पर लगे चावल के दाने समुद्र में बहने से न बचा सका।

क्योंकि समुद्र की जो भी लहर आती वह उसके शरीर से कम से कम एक मुठ्ठी भर चावल के दाने तो बहा कर ले ही जाती। जेड बादशाह अपने चावल के दाने समुद्र में बहते देख कर बहुत दुखी हो रहे थे।

आखिर जब कुत्ता थका हारा जमीन के किनारे पहुँचा तो उसके शरीर पर केवल वही चावल के दाने बचे थे जो उसकी पूँछ पर लगे हुए थे। और वे दाने जमीन के केवल एक छोटे से टुकड़े में बोने के लिये ही काफी थे।

खेत में हल चलाया गया और धरती के लोगों ने उसमें चावल बोया पर देवताओं ने देखा कि धरती पर ज़िन्दगी आसान नहीं थी क्योंकि चावल के पौधे वहाँ उतना चावल नहीं दे रहे थे जितना कि वे देवताओं की जमीन पर देते थे।

वहाँ उन पौधों के केवल ऊपर की तरफ ही चावल के दाने लगे हुए थे। इसलिये लोगों को चावल की फसल निकालने के लिये दोगुनी मेहनत करनी पड़ती थी।

उस समय के बाद से चावल ही चीन के लोगों का मुख्य खाना हो गया और उसके बाद उनको खाने के लिये जानवरों का शिकार नहीं करना पड़ा।

सारे जानवर जो धरती तक तैर कर आये थे वे सब आदमी के लिये काम करने लगे पर कुत्ता उन सबमें आदमी का सबसे अच्छा साथी रहा क्योंकि वही तो उनके लिये स्वर्ग से चावल ले कर आया था।

शुरू शुरू में उसने आदमी की जो सेवा की थी उसके बदले में आज भी उसको कभी कभी चावल खिलाया जाता है। चीन के कुछ प्रान्तों में तो चावल की नयी फसल बाजार में बेचने के लिये ले जाने से पहले कुत्तों को खिलायी जाती है।

पर घोड़े गाय भेड़ों को केवल उसकी डंडियाँ ही खिलायी जाती हैं और मुर्गों और सूअरों को तो केवल उसका भूसा ही मिलता है।

Jade Emperor – the God of Sky. A picture of his is given above.

Fu Hsi Shih god

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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