चूहे की शादी : चीनी लोक-कथा

Rats’ Wedding : Chinese Folktale

एक बार की बात है कि मिंग साम्राज्य के दिनों में यू पहाड़ पर चुई ली पुल के पास वाह चीयू परिवार एक बहुत बड़े घर में रहता था।

एक बार एक नये साल की शाम को घर के मालिक ने अपने घर के एक ऐसे कमरे से खुशी की कुछ चीखों की आवाजें सुनी जो बरसों से बन्द था।

वह तुरन्त उधर गया और जा कर उस कमरे का जंग लगा दरवाजा जितनी आहिस्ता से खोल सकता था उतनी आहिस्ता से खोला और धीरे से उसके अन्दर घुसा।

वहाँ का दृश्य देख कर तो उसको अपनी आँखों पर विश्वास ही नहीं हुआ। उसने देखा कि दूर एक कोने में एक बहुत बड़ा काला चूहा गाने बजाने वाले, नौकरों और बारात के जुलूस के आगे आगे चल रहा था।

उस बड़े चूहे के पीछे छह छोटे चूहे एक एक बाजा ले कर नाच रहे थे और दुलहा चूहा काला टोप लगाये जिसमें एक सुनहरी फूल लगा था छोटे से घोड़े पर सवार था। उसके दोनों तरफ चार चार चूहे छोटी छोटी भूरे रंग की घोड़ियों पर सवार हो कर चल रहे थे।

घर का मालिक यह देख कर तो और ज़्यादा आश्चर्य में पड़ गया जब उसने देखा कि आठ आदमी दुलहिन की कुर्सी ले कर जा रहे थे और वे आठों आदमी केवल एक एक फुट लम्बे ही थे।

उन सबके पीछे आँखों में आँसू भरे एक बूढ़ा सीडान कुर्सी पर बैठा जा रहा था जिसको दो चूहे उठा कर ले जा रहे थे। बारात के इस जुलूस ने उस घर के मालिक के सामने ही कमरे में एक चक्कर काटा और फिर कमरे के दूर वाले कोने में लकड़ी की बनी एक दरार में गायब हो गये।

उन चूहों के गायब हो जाने के बाद घर का मालिक वहाँ से वापस लौट आया पर उसने अपने घर वालों से इस बारे में इस डर से कुछ नहीं कहा कि कहीं उसके घर वाले यह न समझें कि वह इन सब चीज़ों को केवल सोच ही रहा था। वे सचमुच में नहीं घटी थीं। अगली रात वह फिर वहाँ गया और वहाँ उसने फिर से वे चूहे देखे। उस दिन वे शादी की दावत शुरू करने जा रहे थे।

इस तरह अगले आठ दिन तक वह बराबर उस कमरे में रोज जाता रहा और वहाँ चूहों की शादी के मनाने के तरीके देखता रहा।

दसवीं रात तो उनके नाच से सारा कमरा हिल रहा था क्योंकि वे अमावस्या के आने का त्यौहार मना रहे थे। इसके अगले दस दिन तक उस बूढ़े चूहे ने जो सीडान कुर्सी में बैठा था एक टीचर बुलाया जो उसके नये दामाद को लिखना और हिसाब किताब रखना सिखाये।

बीस दिन तक यह सब छिपे छिपे देखने के बाद घर के मालिक से नहीं रहा गया और उसने अपने घर वालों को वह सब बता दिया जो उसने अब तक देखा था। पर किसी ने उसका विश्वास ही नहीं किया।

सो इक्कीसवें दिन वह उन सबको यह दिखाने के लिये उस कमरे तक ले गया जहाँ यह सब हो रहा था पर वहाँ तो कोई भी नहीं था। वे सारे चूहे और छोटे आदमी गायब हो गये थे।

हालाँकि वह उस कमरे में अगले कुछ हफ्तों तक बराबर जाता रहा पर वह कमरा हमेशा ही खाली रहा और उसका परिवार यह सोचता रहा कि वह नये साल की खुशियों के मनाने के बाद में अपने आप ही कुछ कुछ देख रहा था।

उसके बाद फिर कुछ महीने गुजर गये। एक दिन घर का मालिक अपने घर के सामने के दरवाजे के बाहर बैठा था और अपने पड़ोसियों को माहजौंग64 खेल खेलते और बात करते देख रहा था कि उधर से एक ताओ पुजारी निकला।

वह पुजारी उसके घर के सामने रुक गया और उसके घर की तरफ देख कर उससे बोला — “तुम्हारे घर में एक बहुत ही ताकतवर बुरी आत्मा है और मैं उस आत्मा को तुम्हारे घर में से बाहर निकालने में सहायता कर सकता हूँ।”

घर के मालिक को उस पुजारी की बातों पर विश्वास हो गया और उसने उसको घर में बुला लिया। पुजारी को उस कमरे का रास्ता दिखाने की जरूरत ही नहीं पड़ी। वह अपने आप ही घर के ऊपर बने उस कमरे में चला गया जहाँ चूहों की शादी हो रही थी।

वहाँ पहुँच कर उसने अपनी कमर की पेटी से लटकी एक लम्बी तलवार निकाली जिसके चारों तरफ सिक्के लगे हुए थे। उसने वह तलवार अपने मुँह के सामने रखी और उसको छत की तरफ कर के उसमें एक फूँक मारी।

उसकी फूँक की हवा एक घने धुँए के रूप में ऊपर उठी। उस धुँए ने फट कर घर के देवता को प्रगट किया। उन देवता ने घर के एक कोने की तरफ इशारा किया और गायब हो गये।

जैसे ही वह देवता गायब हुए तो उस कोने की तरफ से वे छोटे आदमी दीवार में से प्रगट हो गये जो उन चूहों के जुलूस में थे और आ कर फर्श पर गिर पड़े।

इससे पहले कि वे आदमी होश में आते पुजारी ने उनके दिलों में अपनी तलवार घुसा कर उनको पकड़ लिया। बाद में घर के नौकरों को उनके शरीरों को और लकड़ी के फर्श से उनका खून साफ करने के लिये बुलाया गया।

घर के मालिक ने पुजारी के सामने इज़्ज़त से सिर झुकाया और उससे पूछा कि वह उस काम के लिये उसको क्या दे।

पुजारी बोला — “तुमको तो मालूम ही है कि मैं ताओ का पुजारी हूँ और मैं दूसरों की सहायता करने के बदले में कुछ नहीं लेता पर क्योंकि मैंने तुम्हारे घर की बुरी आत्मा को निकालने के लिये अपनी सहायता के लिये तुम्हारे घर के देवता को बुलाया था। और मुझे यह भी मालूम है कि उनको धन्यवाद देने के लिये खाने और शराब की जरूरत पड़ेगी।”

घर के मालिक ने हाँ में सिर हिलाया। पर जब वह पुजारी चला गया तो वह सोचता रहा कि उस पुजारी के कहने का क्या मतलब था। क्योंकि उस पुजारी की यह माँग कुछ अजीब सी थी क्योंकि घर के देवता का तो काम ही यह था कि वह घर की बुरी आत्मा को घर में से निकालने में सहायता करे फिर उनको कुछ क्यों देना।

और यह सबको मालूम था कि उनको किसी चीज़ की जरूरत होती नहीं थी। इसके अलावा कोई ताओ पुजारी दूसरे देवता की तरफ से भी कुछ नहीं माँगते थे। यही सोच कर उसने उस पुजारी की माँग पर कोई ध्यान नहीं दिया और अपने घर के देवता को ऐसे ही छोड़ दिया।

पर जैसे ही उसने ऐसा सोचा कि एक गुस्से भरी आवाज घर में गूँज गयी — “मैंने तुम्हारे घर में से एक बुरी आत्मा को बाहर निकालने में तुम्हारी सहायता की और तुम घर के उस देवता के साथ कंजूसी का बर्ताव कर रहे हो जिसने तुम्हारी सहायता की। मैं तुमको शाप देता हूँ कि तुम्हारा परिवार कभी भी शान्ति से नहीं रह पायेगा।”

जब घर के मालिक ने यह धमकी सुनी तो उसको विश्वास हो गया कि ताओ पुजारी के रूप में वह एक शैतान था। पर अब तो अपने परिवार की किस्मत बदलने के लिये उसको बहुत देर हो चुकी थी।

उस दिन के बाद से उसके घर में बहुत सारे चूहे इधर उधर घूमने लगे। वे मेज कुर्सियों के चारों तरफ घूमते, परिवार के कपड़े खाते और उस घर के भंडारघरों में रखी चीज़ें खराब करते। हालाँकि उन्होंने घर की हर चीज़ को आलमारी और डिब्बों में बन्द कर के रखने की कोशिश की पर उनकी कोई भी तरकीब उन चूहों को उनकी किसी भी चीज़ को गर्म करने से नहीं रोक सका। जैसे ही नौकर पहले का सब कूड़ा साफ करते चूहे फिर वापस आ जाते और फिर से चीज़ों को बर्बाद करने में लग जाते।

दो हफ्ते की इस बरर्बादी के बाद उस परिवार ने अपना घर छोड़ दिया। वे चाँग तीन शी से मिलने के लिये किआंग्सी चले गये। चाँग तीन शी उस समय का चीन का सबसे अच्छा ताओ पुजारी था। उसने जब घर के मालिक की कहानी सुनी तो उसको बड़ा आश्चर्य हुआ।

वह खुद अपने कुछ शिष्यों को साथ ले कर वाह चीयू के परिबार के साथ उन चूहों को देखने के लिये उसके घर चल दिया। जब वाह चीयू का परिवार अपने घर में नहीं था तो वहाँ तो हर कमरे में चूहों ने खूब ऊधम मचाया हुआ था पर जब उनको लगा कि एक बहुत ताकतवर ताओ पुजारी आ रहा है तो वे एक दूसरे के ऊपर गिरते पड़ते वहाँ से छिपने के लिये भाग गये।

चूहों के शाप को नष्ट करने के लिये चाँग तीन शी पुजारी ने पहले घर की रक्षा के लिये पाँच डंडे घर के चारों तरफ गाड़े। फिर अपनी जामुनी पोशाक से टोटकों का एक थैला निकाला और उन टोटकों को घर के मालिक को दे कर उन्हें उन डंडों के ऊपर रखने के लिये कहा।

उसके बाद वह अकेला ही घर के उस कमरे में गया जिसमें घर के मालिक ने चूहों की शादी देखी थी।

उसने खूबानी की लकड़ी का एक टुकड़ा निकाला जिस पर कुछ लिखा हुआ था और उससे उस झिरी को बन्द कर दिया जिसमें नये साल की शाम को चूहे गायब हो गये थे।

उसके बाद उसने खूबानी की लकड़ी की ही दो तलवारें निकालीं और उनको भी वहीं उसी झिरी के सामने गाड़ दिया। जब वह यह सब कर रहा था तो वह साथ में कुछ पढ़ता भी जा रहा था।

जब उसकी यह रस्म पूरी हो गयी तो वह वाह चीयू के परिवार और अपने शिष्यों के पास आया। वहाँ वाह चीयू के परिवार ने उसकी खातिरदारी की और फिर वे सब ताओ पुजारी लोग किआंग्सी वापस चले गये।

महीनों बाद वह वाह चीयू परिवार उस घर में शान्ति से सोया। पर पाँच दिन बाद परिवार को हर कमरे में से बदबू आने लगी। यहाँ तक कि वह बदबू उनके कपड़ों में भी बस गयी थी। उस बदबू से सब लोग बहुत परेशान थे।

घर का मालिक डर गया। उसको लगा कि शायद चूहे फिर से आ गये हैं। वह घर के ऊपर वाले कमरे में देखने गया जहाँ कि वह बदबू सबसे ज़्यादा तेज़ थी।

उसने अपने नौकरों को वह खूबानी की लकड़ी की डाट68 जो वह पुजारी लगा कर गये थे तोड़ने के लिये और फिर उस छेद में घुसने के लिये कहा।

पर वह बदबू इतनी तेज़ थी कि उसके कुछ नौकर तो उस छेद में घुसने से पहले ही बेहोश हो गये। पर जो उस छेद में घुस पाये वे खुशी से चिल्ला पड़े।

चाँग तीन शी के टोटकों और खूबानी की लकड़ी के टुकड़ों ने सब चूहों को मार डाला था। असल में वह बदबू उन्हीं मरे हुए चूहों की थी।

सबसे पहले हटाये जाने वाले चूहों में वे दो बहुत बड़े बड़े चूहे थे जिन्होंने वाह चीयू के घर को शापित किया था।

उस दिन के बाद से जो भी यू पहाड़ के आस पास और याँगट्ज़ी नदी के उत्तर और दक्षिण में रहता है वह शादी के मौके पर शादी की भेंटों के रूप में नमक और चावल घर के हर कोने में रखता है। और वह नये साल की शाम को भी जल्दी सोने चला जाता है ताकि वहाँ चूहे आजादी से आनन्द मना सकें।

चीन के दूसरे हिस्सों में भी नये साल के मनाने के समय एक दिन होता है जिस दिन रात में घर में चूहे आजादी से घूमने दिये जाते हैं और खाने पीने दिये जाते हैं कि ताकि आने वाले साल में परिवार आराम और शान्ति से रह सके।

The Wah Chiyu family lived in a very large house near Chui Li Bridge on Yu Mountain during the period of Ming Dynasty (1368-1644 AD) – 276 years.

Eve of 31st December is called New Year’s Eve.

Tao priest – Tao is a Chinese religious practice

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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