रॅपन्ज़ेल : परी कहानी
Rapunzel : Fairy Tale
एक गाँव में जॉन और नैल नाम के पति-पत्नि रहते थे। दोनों अपने जीवन में बहुत ख़ुश थे। उन्हें बस एक ही कमी थी कि उनकी कोई संतान नहीं थी। नैल हर समय संतान की चाह में दु:खी रहती थी। ऐसे में जॉन उसको दिलासा देता कि एक दिन भगवान उनकी ये कामना अवश्य पूरी करेगा।
जॉन और नैल के घर के पास एक सुंदर बगीचा था। उस बगीचे के बीचों-बीच एक दुष्ट बूढ़ी जादूगरनी हेल्गा का घर था। नैल अक्सर अपने घर की खिड़की से उस बगीचे में खिले सुंदर फूलों को निहारा करती थी।
एक दिन नैल को पता चला कि वह गर्भवती है। उसने जब ये बात जॉन को बताई, तो दोनों बहुत ख़ुश हुए और ईश्वर को धन्यवाद दिया। उस दिन के बाद से जॉन नैल का ज्यादा ख्याल रखने लगा। वह उसकी हर इच्छा पूरी करता।
एक दिन नैल अपने घर की खिड़की से जादूगरनी के बगीचे को देख रही थे। उस दिन उसे बगीचे में रॅपन्ज़ेल के पत्ते दिखाई पड़े। वे पत्ते हरे और ताज़ा थे, जिसे देख नैल को उसे खाने का मन हुआ। ऐसा माना जाता था कि रॅपन्ज़ेल के पत्ते खाने से गर्भवती स्त्री स्वस्थ और सुंदर बच्चे को जन्म देती है।
नैल ने अपनी इच्छा जॉन को बताई और उसे उस बगीचे से रॅपन्ज़ेल के पत्ते तोड़कर लाने को कहा। जादूगरनी के डर से पहले तो जॉन हिचका। किंतु वह अपनी पत्नि की बात टाल न सका।
जॉन उस बगीचे में घुस गया। किंतु जैसे ही उसने रॅपन्ज़ेल के पत्ते तोड़े, बूढ़ी जादूगरनी हेल्गा उसके सामने आ गई। वह उस पर बहुत क्रोधित थी। जॉन उसके सामने गिड़गिड़ाने लगा। उसने हेल्गा को बताया कि उसकी गर्भवती पत्नि रॅपन्ज़ेल के पत्ते खाना चाहती है और इसलिए वह इस बगीचे में आया है।
हेल्गा ने उसे रॅपन्ज़ेल के पत्ते ले जाने दिए। लेकिन इस शर्त पर कि जब उसकी पत्नि बच्चे को जन्म देगी, उस दिन वह उसे बच्चे को ले जायेगी। डर के मारे जॉन ने उसकी ये शर्त मान की और रॅपन्ज़ेल के पत्ते लेकर घर आ गया।
उस दिन के बाद से वह रोज़ हेल्गा जादूगरनी के बगीचे से रॅपन्ज़ेल के पत्ते तोड़कर अपनी पत्नि नैल के लिए लाने लगा। नैल उन पत्तों को बड़े ही चाव से खाती।
कुछ महिनों बाद नैल ने एक बहुत सुंदर बच्ची को जन्म दिया। जैसे ही जादूगरनी को ये पता चला, अपनी शर्त के अनुसार वह उस बच्ची को लेने उनके घर पहुँच गई। अपना वचन निभाते हुए जॉन ने उसे वह बच्ची दे दी। नैल रोती रह गई।
जादूगरनी हेल्गा ने उस बच्ची का नाम रॅपन्ज़ेल रखा। बड़ी होकर रॅपन्ज़ेल एक बहुत ही सुंदर लड़की बन गई। उसके १२ वर्ष की होने पर हेल्गा उसे मीनार पर ले गई और वहाँ बंद कर दिया। उस मीनार में न दरवाज़ा था, न ही सीढ़ी। बहुत ऊँचाई पर एक छोटी सी खिड़की थी।
रॅपन्ज़ेल के बाल लंबे और सुनहरे थे। जब भी हेल्गा को उससे मिलने होता, वो मीनार के नीचे से चिल्लाती, “रॅपन्ज़ेल! अपने बाल छोड़ो।”
रॅपन्ज़ेल अपने लंबे बाल नीचे लटका देती और हेल्गा उसके सहारे चढ़कर मीनार की खिड़की तक पहुँच जाती। हेल्गा खाना और पानी देने दोपहर में रॅपन्ज़ेल के पास जाती थी। बाकी समय रॅपन्ज़ेल मीनार में अकेली रहती थी।
रॅपन्ज़ेल को उस मीनार में रहते हुए कई साल बीत गए। मीनार में बंद रहकर वह बहुत दु:खी थी। वह बाहर की दुनिया देखना चाहती थी। कई बार उसने बूढ़ी जादूगरनी हेल्गा से कहा, लेकिन हेल्गा उसे मीनार से बाहर ले जाने को तैयार नहीं हुई।
रॅपन्ज़ेल की आवाज़ बहुत सुरीली थी। वह अक्सर मीनार की खिड़की पर बैठकर गाना गाया करती थी। एक दिन वह हमेशा की तरह मीनार की खिड़की में बैठी गाना गा रही थी, तब एक राजकुमार वहाँ से गुजरा। वह जंगल में शिकार के लिए आया हुआ था। सुरीली आवाज़ सुनकर वह मीनार की ओर गया। लेकिन उसके पास पहुँचते ही गाने की आवाज़ बंद हो गई और एक कर्कश आवाज़ उसके कानों में पड़ी, “रॅपन्ज़ेल! अपने बाल छोड़ो।”
यह आवाज़ बूढ़ी जादूगरनी हेल्गा की थी। उसके ऐसा कहने के तुरंत बाद सुनहरे बाल नीचे आये और हेल्गा बाल पकड़कर मीनार के ऊपर चढ़ने लगी। यह देखकर राजकुमार दंग रह गया।
वह यह सब एक पेड़ की ओट में छिपकर देख रहा था। हेल्गा के जाने के बाद उसके मन में सुनहरे बालों और सुरीली आवाज़ वाली लड़की को देखने की इच्छा जाग गई। वह मीनार के नीचे पहुँचा और चिल्लाया, “रॅपन्ज़ेल! अपने बाल छोड़ो।”
तुरंत ही सुनहरे बाल नीचे आये। राजकुमार उसे पकड़कर मीनार की खिड़की तक पहुँच गया। राजकुमार जब अंदर आया, तो रॅपन्ज़ेल घबरा गई। लेकिन राजकुमार ने उससे बहुत प्यार से बात की और रॅपन्ज़ेल का सारा डर चला गया।
राजकुमार के कहने पर उसने उसे गाना सुनाया। उस दिन के बाद से राजकुमार रोज़ रॅपन्ज़ेल से मिलने आने लगा। राजकुमार को रॅपन्ज़ेल से प्यार हो गया था। एक दिन उसने रॅपन्ज़ेल के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा, जिसे रॅपन्ज़ेल ने स्वीकार कर लिया।
राजकुमार रॅपन्ज़ेल को अपने साथ ले जाना चाहता थे। उसने रॅपन्ज़ेल से मीनार से बाहर निकलने का रास्ता पूछा, तो रॅपन्ज़ेल बोली, “मुझे नहीं पता। जादूगरनी हेल्गा मेरे बालों के सहारे ही यहाँ आती है।”
दोनों वहाँ से निकलने का उपाय सोचने लगे। तब रॅपन्ज़ेल ने राजकुमार से कहा कि वह उसके लिए रेशम के धागे लेकर आये, जिससे वो यहाँ से नीचे उतरने के लिए सीढ़ी बना लेगी। तबसे राजकुमार रोज़ रेशम के धागे लाने लगा और रॅपन्ज़ेल उससे सीढ़ियाँ बुनने लगी।
इस बीच रॅपन्ज़ेल गर्भवती हो गई। अब वह जल्द से जल्द उस मीनार की कैद से बाहर निकलना चाहती थी। एक दिन रॅपन्ज़ेल को खाना देकर जाने के बाद बूढ़ी जादूगरनी हेल्गा फिर से वापस लौट आई और उसने राजकुमार को मीनार पर चढ़ते हुए देखा लिया। रॅपन्ज़ेल के धोखे से वह क्रोधित हो गई।
अगले दिन जब खाना देने वह रॅपन्ज़ेल के पास आई, तो उसने उसके बाल काट दिए और उसे रेगिस्तान में छोड़ दिया। शाम को रोज़ की तरह राजकुमार रॅपन्ज़ेल से मिलने आया और मीनार के नीचे से चिल्लाया, “रॅपन्ज़ेल! बाल छोडो।”
जादूगरनी हेल्गा ने रॅपन्ज़ेल के बाल नीचे लटका दिए। राजकुमार जब उसे पकड़कर मीनार पर पहुँचा, तो बूढ़ी जादूगरनी हेल्गा को देखकर चौंक गया। उसके पूछा, “रॅपन्ज़ेल कहाँ है?”
हेल्गा बोली, “अब वो तुम्हें कभी नहीं मिलेगी।” और राजकुमार को मीनार से धक्का दे दिया।
राजकुमार कंटीली झाड़ियों पर गिरा, जिसके कांटे उसकी दोनों आँख में चुभ गए और उसे दिखाई देना बंद हो गया। वह इधर-उधर भटकने लगा। ऐसे ही कई साल बीत गए।
एक दिन भटकते-भटकते वह उसी रेगिस्तान पहुँच गया, जहाँ बूढ़ी जादूगरनी ने रॅपन्ज़ेल को छोड़ा था। वहाँ उसे गाने की सुरीली आवाज़ सुनाई पड़ी। वह उस आवाज़ को पहचान गया। वो रॅपन्ज़ेल की आवाज़ थी। वह आवाज़ की दिशा में चिल्लाते हुए दौड़ने लगा, “रॅपन्ज़ेल…। रॅपन्ज़ेल”।
रॅपन्ज़ेल ने भी राजकुमार को देख लिया। दोनों की मुलाक़ात हुई। राजकुमार की हालत पर रॅपन्ज़ेल को रोना आ गया। उसके आंसू जब राजकुमार की आँखों में गिरे, तो राजकुमार की आँखें ठीक हो गई।
बूढ़ी जादूगरनी के द्वारा रेगिस्तान में छोड़े जाने के कुछ महीने बाद रॅपन्ज़ेल ने एक लड़का और एक लड़की को जन्म दिया था। राजकुमार से मिलने के बाद उनका परिवार एक हो गया। वे राजकुमार के महल आ गये और वहाँ ख़ुशी से रहने लगे।
(ग्रिम्स फेयरी टेल्स में से)