राजगिरि का कमाल : पंजाबी लोक-कथा

Rajgiri Ka Kamaal : Punjabi Lok-Katha

बहुत पुरानी बात है कि किसी देश में एक राजा राज्य करता था। उस राजा की प्रजा में लोग बड़े सशक्त और समझदार थे, जोकि अपनी समझदारी से कई बातें जान लेते थे। उस राज्य में एक बहुत प्रसिद्ध मिस्त्री रहता था। उस मिस्त्री के बारे में यह बात बहुत प्रसिद्ध थी कि उसके जैसा मज़बूत मकान कोई नहीं बना सकता।

एक बार राजा को कमरे की ज़रूरत पड़ी, जिसमें कि राजा ने अपना सारा खज़ाना रखना होता है। राजा ने किसी को बुलाया और कहा कि, "महल के भीतर बहुत ही मज़बूत कमरा बनाना है, उसमें मैं अपना खज़ाना रखना चाहता हूँ।" मिस्त्री ने कहा, “महाराज ! हम तो आप ही के दास हैं, जैसा आप कहेंगे, वैसा ही बन जाएगा।"

मिस्त्री ने कमरा बनाना आरम्भ कर दिया। उसके दिल में आया कि इस कमरे में कोई ऐसा प्रबन्ध होना चाहिए, जिसका पता राजा को न चले, ताकि यदि मुझे धन की आवश्यकता पड़े, तो मैं दीवार के द्वारा भीतर आकर स्वयं कुछ धन ले सकूँ।

मिस्त्री ने कमरा बनाते समय उसमें कई पत्थर लगाए। उनमें एक पत्थर ऐसा भी लगाया, जो भीतर और बाहर से वैसा ही लगता था, जैसे कि बाकी पत्थर, परन्तु उसको इस प्रकार रखा हुआ था कि किसी भी समय उसे किसी ख़ास तरीके से बिना हिलाए बाहर निकाला जा सकता था, जिससे वहाँ एक खोल-सा बन सकता था और एक व्यक्ति उसमें से आसानी से आ-जा सकता था।

निश्चित समय पर कमरा बनकर तैयार हो गया। अब राजा ने अपना सारा धन-दौलत उस कमरे में रख दिया। मिस्त्री ने कभी कोई बेमानी नहीं की थी। वह जीवन भर ईमानदार रहा था। इसका कारण यह था कि वह एक अच्छा मिस्त्री था और उसे अच्छी आमदनी होती थी। जब वह मरणासन्न में था, तो उसने अपने दोनों पुत्रों को यह बात बता दी थी कि किस प्रकार से उस खज़ाने वाले कमरे में चोरी की जा सकती है। मिस्त्री ने कहा कि, “भगवान न करे कि तुम्हें कभी धन की आवश्यकता अनुभव हो। यदि धन की आवश्यकता अनुभव हो जाए, तो बेशक वहाँ से ले आना। परन्तु एक बात हमेशा ध्यान में रखना कि चाहे तुम्हारी जान चली जाए, किसी को यह न बताना कि यह धन कहाँ से आया है।"

एक दिन मिस्त्री की मृत्यु हो गई। बहुत समय बीत जाने पर उसके पुत्रों को धन की आवश्यकता अनुभव हुई। अब उन्होंने राजा के खज़ाने में से चोरी करने की योजना बनाई। वे अँधेरा घिर जाने पर उस ओर चल पड़े। किसी प्रकार महल में जाकर उन्होंने उस कमरे का वह पत्थर बहुत धीरे से हटाया और एक ओर रख दिया। वे भीतर से बहुत-सा धन लेकर वापिस आ गए।

उन्होंने दो-तीन बार ऐसा किया, जिसके कारण उनके पास बहुत-सा धन हो गया, परन्तु राजा को पता चल ही गया कि अवश्य ही यहाँ पर कोई चोरी करने आता है। हर तरफ तो ताले लगे हुए थे, कमरा भी बहुत मज़बूत था, तो फिर चोर कहाँ से आता है। राजा यह सोचकर बहुत दुःखी हुआ। बहुत सोच-विचार करने के उपरान्त राजा ने अपने दरबारी से कह कर एक मशीन बनवा कर उस कमरे में रखवा दी, ताकि जब भी चोर कमरे में आएं, तो मशीन द्वारा वह चोर पकड़ा जाए।

एक दिन दोनों भाई लालच में आकर चोरी करने निकल पड़े।जब एक भाई भीतर गया तो मशीन ने उसे पकड़ लिया और भीतर से उसके भाई ने कहा कि, "मैं तो फंस गया हूँ। राजा को पता चल जाएगा और फिर हमारी बेइज्जती होगी और राजा तो हमारी खाल ही उधेड़ देगा। तुम ऐसा करो कि मेरा सिर काट दो और मेरे वस्त्र भी लेकर भाग जाओ। इससे किसी को कोई शक भी नहीं होगा कि हम यहाँ चोरी करने आए थे। बड़े भाई की बात छोटे भाई ने मान ली और अपने भाई का सिर काट लिया और वह उसके वस्त्र भी लेकर अपने घर भाग आया।

दूसरे दिन राजा ने जब एक शरीर मशीन में पड़ा देखा तो उसकी आँखें चकित-की-चकित रह गईं कि यह शरीर मशीन में कैसे आया और इसका सिर और वस्त्र किसने उतार लिये? और वह कहाँ गया ? छोटे भाई की सावधानी के कारण यह किसी को पता न चला कि सिर को दीवार की तरफ से ले जाया गया है, क्योंकि उसने सिर वाले भाग से एक बूंद रक्त की नीचे गिरने नहीं दी थी। सारा रक्त उसके भाई के वस्त्र में खपत कर दिया गया था।

दूसरे दिन राजा ने ऐलान कर दिया कि, "जो भी व्यक्ति मेरी बेटी को होशियारी की बात बताएगा, उसे पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।” छोटे भाई को शरारत करने की सूझी और उसने एक ओर होशियारी करने की सोची। उसने बड़े ही अच्छे ढंग से अपने हाथ के जैसा एक हाथ बनाया, जिसके बनावटी होने का बिल्कुल भी पता नहीं चलता था। वह अपना बायाँ हाथ अपने चोले के नीचे करके उसके स्थान पर बनावटी हाथ बाहर निकाल कर राजकुमारी के पास आया और उसे अपनी सारी कहानी सुनाई। जब राजकुमारी ने यह सारी बात सुनी तो उसने मिस्त्री के लड़के का वही हाथ पकड़ लिया और सिपाहियों को बुलाने लगी। इतने में मिस्त्री का लड़का भाग गया। राजा की बेटी ने देखा कि उसके हाथ में तो बनावटी हाथ ही रह गया है और लड़का भाग गया था। अब राजा को उसकी होशियारी का पता चल गया तो उसने ऐलान किया कि, "यदि वह राजदरबार में हाजिर हो जाए तो उसे कुछ नहीं कहा जाएगा, बल्कि उसे बहुत-सा धन दिया जाएगा। इस प्रकार लड़का अपनी होशियारी के कारण बच गया और उसको खाना भी राजदरबार में से मिलने लगा और इसके पश्चात् कई कार्यों में उसने राजा की बहुत सहायता की।

साभार : डॉ. सुखविन्दर कौर बाठ

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