राजा की भूल : फ्रेंच/फ्रांसीसी लोक-कथा

Raja Ki Bhool : French Folk Tale

अल्बानिया का राजा एलिनास अपनी पत्नी से बहुत प्रेम करता था। एक दिन उसकी पत्नी अचानक बीमार हो गई और उसकी मृत्यु हो गई। राजा अपनी पत्नी की मृत्यु से बहुत दुखी हो गया था। वह इस दुख से अपना ध्यान हटाने के लिए शिकार खेलने में समय गुजारने लगा।

एक दिन जब वह एक घने जंगल से गुजर रहा था, तभी उसे तेज प्यास अनुभव हुई। तब वह एक झरने पर पानी पीने के लिए चला गया।

वहाँ उसने प्रेसिना नाम की एक सुंदर परी को देखा। उस परी की सुंदरता पर मोहित होकर राजा ने उससे विवाह का प्रस्ताव किया। परी ने उसका प्रस्ताव स्वीकार तो कर लिया, लेकिन उसके सामने एक शर्त भी रख दी कि वह उसके कमरे में पहले से जानकारी दिए बिना नहीं आएगा। राजा ने उसकी यह शर्त मान ली और शीघ्र ही उन दोनों का विवाह हो गया।

कुछ समय बाद प्रेसिना ने तीन पुत्रियों को जन्म दिया, जिनके नाम थे- मेलूसिना, मेलियर और पैलाटिना। राजा अपनी पुत्रियों के जन्म की सूचना पाकर इतना प्रसन्न हुआ कि अपनी रानी की शर्त भूल गया और उसे कोई सूचना दिए बिना ही उसके कमरे में जा पहुंचा। उस समय रानी स्नान कर रही थी। राजा के इस तरह अचानक कमरे में आने पर वह अत्यंत क्रोधित होकर तीनों राजकुमारियों के साथ गायब हो गई। राजा अपनी इस भूल पर बहुत पछताया, लेकिन अब क्या हो सकता था?

प्रेसिना प्रत्येक सुबह अपनी तीनों बेटियों को एक ऊँचे पर्वत पर ले जाकर अल्बानिया की राजधानी दीखती थी। वह उन्हें यह भी बताती थी कि किस प्रकार उनके पिता ने अपना वादा तोड़ कर उसे धोखा दिया था।

जब तीनों बेटियाँ बड़ी हो गई तो उन्होंने अपने पिता से इस भूल का बदला लेने का निश्चय किया। सबसे बड़ी बहन मेलुसिना इस कार्य में अपनी अन्य दो बहनों का नेतृत्व कर रही थी। उन्होंने राजा को ब्रैंडोइस नाम के एक ऊँचे पर्वत पर कैद कर देने की योजना बनाई।

लेकिन इसके पहले की वे तीनों राजा के विरुद्ध कुछ कर पाती, उसे उनकी योजना के विषय में पता चल गया। जब उसे यह ज्ञात हुआ कि उसकी बेटियाँ ही उसे कैद करने की योजना बना रही थी, तो उसके क्रोध का ठिकाना नहीं रहा। उसने मेलूसिना को श्राप दे दिया कि वह प्रत्येक शनिवार को नागिन बन जाया करेगी, लेकिन उसकी दोनों बहनों को उसने केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया।

जब मेलूसिना अपने पिता से दया की भीख मांगने लगी तो उसने कहा, "तुम्हें ऐसे नौजवान से विवाह करना होगा, जो यह वादा करें कि वह तुम्हें शनिवार को नहीं देखेगा। फिर जब तुम्हारा बेटा होगा तो तुम इस श्राप से मुक्त हो जाओगी।"

फिर मेलूसिना उस नौजवान की तलाश में जंगल में भटकने लगी। कुछ समय बाद रेमंड नाम का एक नौजवान अपने एक मित्र के साथ उसी जंगल में आया। जंगल में घूमते-घूमते उसे प्यास लग आई।

वह पानी पीने के लिये एक झरने पर आया तो उसकी दृष्टि मेंलूसिना पर पड़ी। उसकी सुंदरता से अत्यंत प्रभावित होकर उसने उससे विवाह का प्रस्ताव रखा। लेकिन मेलूसिना ने उसके सामने एक शर्त रख दी। उसने कहा कि वह उससे तभी विवाह कर सकती है, जब वह उसे शनिवार को न देखने का आश्वासन दे। रेमंड को उसकी शर्त कुछ अजीब तो लगी लेकिन उसने उसकी शर्त मान ली। फिर वे दोनों विवाह करके एक गुफा में रहने लगे। शर्त के अनुसार शनिवार को रेमंड गुफा से बाहर चला जाता था।

एक दिन रेमंड के एक मित्र ने उसे शनिवार को अपनी पत्नी को छिपकर देखने के लिए उकसाया। रेमंड उसकी बात मान ली। अगले शनिवार को वह गुफा से बाहर तो निकला, लेकिन कहीं जाने की बजाय वही एक पेड़ के पीछे छिपकर मेलूसिना पर नजर रखने लगा। जब उसने मेलूसिना को नागिन बनते देखा तो उसके आश्चर्य और गुस्से का ठिकाना ना रहा। लेकिन उसने उस समय अपना मुँह बंद रखने का निश्चय किया।

एक दिन रेमंड को अपने छोटे भाई के जंगली सूअर से लड़ते हुए मारे जाने का समाचार मिला। उसने सोचा कि मेलूसिना रूपी नागिन के कारण ही उस पर दुर्भाग्य का साया आ पड़ा है। वह क्रोध में भरकर चीखा, "नागिन, तेरे कारण ही आज मुझे यह कष्ट भुगतना पड़ रहा है।"

अपने पति के कड़े शब्दों को सुनकर मेलूसिना बेहोश हो गई। जब उसे होश आया तो उसने वहाँ से चले जाने का निश्चय किया। तभी वहाँ अल्बानिया के राजा अपने पत्नी प्रेसिना के साथ आ पहूँचा। मेलूसिना की बहने भी उनके साथ थी।

प्रेसिना अपनी बेटी मेलूसिना से बोली, "बेटी तुमने बहुत कष्ट सहे है। लेकिन अब उन कष्टों के खत्म होने का समय आ गया है। जल्दी ही तुम्हारा एक बेटा होगा। फिर तुम्हें अपने पिता के श्राप से मुक्ति मिल जाएगी।"

फिर अल्बानिया के राजा ने रेमंड से कहा, "मेरी बेटी मेरे श्राप के कारण ही हर शनिवार को नागिन बन जाती थी। वह तुमसे बहुत प्रेम करती है। उसके प्रेम को समझने की कोशिश करो।"

रेमंड को अपनी गलती समझ में आ गई। मेलूसिना ने भी रेमंड को उसके कड़े शब्दों के लिए क्षमा कर दिया। अल्बानिया के राजा ने रेमंड को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया और उसे अपने साथ अपनी राजधानी ले गया। फिर वे सब एक साथ खुशी-खुशी रहने लगे।

(शैलेश सोलंकी)

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