रानी सारस : स्वीडिश लोक-कथा

Queen Crane : Folktale Sweden

एक समय की बात है कि एक बहुत ही गरीब लड़का था। एक बार वह राजा के पास गया और उससे उसके यहाँ नौकरी माँगी कि वह उसके चरवाहे का काम कर लेगा। राजा ने उसको अपना चरवाहा रख लिया। अब लोग उसको भेड़ पीटर कहने लगे।

जब वह अपनी भेड़ चराने ले जाता था तो मन बहलाने के लिये वह अपने तीर कमान से खेलता रहता। एक दिन उसने एक ओक के पेड़ के ऊपर एक मादा सारस बैठी देखी तो उसने उसको मारना चाहा।

यह देख कर मादा सारस वहाँ से कूद गयी और एक नीची डाली पर आ कर बैठ गयी। वह पीटर से बोली — “अगर तुम मुझे न मारने का वायदा करो तो जब भी कभी तुम मुश्किल में होगे तो मैं तुम्हारी सहायता करूँगी। बस तुमको यह कहना है “भगवान मेरी सहायता करो। रानी सारस मेरे पास रहो और मैं सफल हो जाऊँगा।”

इतना कह कर चिड़िया उड़ गयी।

कुछ समय बाद देश में लड़ाई छिड़ गयी और राजा को लड़ाई लड़ने के लिये जाना पड़ा। उस समय भेड़ पीटर राजा के पास आया और उससे पूछा कि क्या वह भी लड़ाई के मैदान में जा सकता था।

उन्होंने उसको एक बूढ़ा सा घोड़ा दे दिया और वह उस पर सवार हो कर बड़ी सड़क के किनारे किनारे चल दिया। बीच रास्ते में उसका घोड़ा मर गया। उसने अपने मुँह से कुछ आवाजें निकालीं पर वह तो हिल कर ही नहीं दिया।

उसके साथ साथ जो लोग चल रहे थे वे उसका मजाक बनाने लगे। उस लड़के ने दुखी होने का बहाना बनाया। जब सारे लोग वहाँ से चले गये तो वह लड़का उस ओक के पेड़ के पास गया जिसमें रानी सारस रहती थी।

यहाँ रानी सारस ने उसको एक काला घोड़ा दिया एक चमकीला जिरहबख्तर दिया और चाँदी की एक तलवार दी। इस सबके साथ वह लड़ाई के मैदान की तरफ चल दिया और वहाँ जितनी जल्दी वह चाहता था पहुँच गया।

वहाँ जा कर उसने कहा “भगवान मेरी सहायता करो। रानी सारस मेरे पास रहो और मैं सफल हो जाऊँगा।” इसके साथ ही उसने बहुत सारे दुश्मन मार दिये और वहाँ से लौट पड़ा।

राजा को लगा कि शायद कोई देवदूत उसकी सहायता के लिये आ गया होगा। वह उसके दुश्मन से लड़ कर उसे जिता गया पर वह नौजवान तो तुरन्त ही ओक के पेड़ के पास लौट आया। उसने तुरन्त ही अपना जिरहबख्तर उतारा और दलदल की तरफ चला गया और फिर से घोड़े के सामने अपने मुँह से आवाज निकालने लगा।

जब लोग उधर से वापस जा रहे थे तो वे उसके ऊपर हँस कर बोले — “आज तुम हम लोगों के साथ नहीं थे। तुमने वह दृश्य नहीं देखा जब हमारे बीच एक देवदूत आया और हमारे सारे दुश्मनों को मार कर चला गया।”

यह सुन कर नौजवान ने बहाना किया कि वह उस दृश्य को न देख पाने के लिये बहुत ही दुखी था।

अगले दिन राजा को फिर से लड़ाई के मैदान में जाना पड़ा तो भेड़ पीटर फिर से उसके पास आया और फिर से उसके साथ लड़ाई पर जाने की विनती की। उसको फिर से एक बूढ़ा घोड़ा दे दिया गया।

वह उस घोड़े पर सवार हो कर उसको सड़क के पास वाली दलदल की तरफ ले गया। वहाँ जा कर वह उस पर सवार हो कर अपने मुँह से आवाज निकाल कर चलाने लगा पर वह चल कर ही न दे।

और लोग जो उसके पास से हो कर गुजर रहे थे उसकी हालत पर हँसने लगे। उसने भी दुखी होने का बहाना किया। जब सब लोग उधर से चले गये तो वह फिर से उसी ओक के पेड़ के पास गया जिसमें वह मादा सारस रहती थी।

इस बार उसको एक सफेद घोड़ा मिला चाँदी का चमचमाता हुआ जिरहबख्तर मिला और सोने की एक तलवार मिली। इस तरह वह लड़ाई के लिये तैयार हो कर लड़ाई के मैदान में चला।

जब वह लड़ाई के मैदान में पहुँचा तो वहाँ जा कर वह बोला-
“भगवान मेरी सहायता करो। रानी सारस ... और मैं सफल हो जाऊँगा।” यह सब तो उसने कहा पर वह यह कहना भूल गया
“मेरे पास रहो।” सो उसकी टाँग में चोट लग गयी।

पर राजा ने तुरन्त ही अपना रूमाल निकाला और उसकी चोट पर बाँध दिया। तब उस नौजवान ने फिर से कहा “भगवान मेरी सहायता करो। रानी सारस मेरे पास रहो और मैं सफल हो जाऊँगा।” और उसने सारे दुश्मनों को मार दिया।

राजा को फिर यही लगा कि वह स्वर्ग से आया कोई देवदूत था जो उसके दुश्मन को रोकना चाहता था पर वह तो वहाँ भाग कर अपने उसी ओक के पेड़ के नीचे आ गया।

वहाँ आ कर फिर से उसने अपना जिरहबख्तर उतारा और दलदल की तरफ चल दिया जहाँ वह अपना बूढ़ा घोड़ा छोड़ गया था।

वहाँ पहुँच कर वह फिर से अपने घोड़े को चलाने में लग गया। उस समय जो बाकी सिपाही उधर से गुजर रहे थे वे उसके ऊपर हँसने लगे और कहने लगे — “तुम आज हमारे साथ नहीं थे वरना तुम देखते कि किस तरह से स्वर्ग से एक देवदूत हमारे बीच आया और कैसे उसने हमारे दुश्मनों को मार डाला।”

नौजवान ने फिर से दुखी होने का बहाना किया कि उसको बहुत अफसोस है कि वह ऐसा दृश्य नहीं देख सका।

तीसरे दिन राजा को फिर से लड़ाई के मैदान में जाना पड़ा तो भेड़ पीटर ने फिर से उसके साथ जाने की प्रार्थना की तो उसको फिर से एक बूढ़ा घोड़ा दे दिया गया।

वह उस घोड़े पर सवार हो कर उसको सड़क के पास वाली दलदल की तरफ ले गया। वहाँ जा कर वह उस पर सवार हो कर अपने मुँह से आवाज निकाल कर चलाने लगा पर वह चल कर ही न दे।

और लोग जो उसके पास से हो कर गुजर रहे थे उसकी हालत पर हँसने लगे। उसने भी दुखी होने का बहाना किया कि उसका घोड़ा नहीं चल पा रहा।

जब सब लोग उधर से चले गये तो वह उसी ओक के पेड़ के पास गया जिसमें वह मादा सारस रहती थी। इस बार उसको एक लाल घोड़ा मिला सोने का चमचमाता हुआ जिरहबख्तर मिला और सोने की एक तलवार मिली। इस तरह वह लड़ाई के लिये तैयार हो कर लड़ाई के मैदान में चला।

फिर से वही सब हुआ। उसने कहा “भगवान मेरी सहायता करो। रानी सारस मेरे पास रहो और मैं सफल हो जाऊँगा।”

कह कर उसने सारे दुश्मनों को मार दिया। राजा ने फिर वही सोचा कि शायद स्वर्ग से कोई देवदूत आ कर उसकी सहायता कर गया है। उसने उसको रोकना भी चाहा पर वह तो तुरन्त ही वहाँ से अपने ओक के पेड़ के पास दौड़ गया।

वहाँ जा कर उसने अपना जिरहबख्तर उतारा और फिर दलदल में उसी जगह चला गया जहाँ उसके तीनों घोड़े थे। राजा का बाँधा हुआ रूमाल उसने छिपा लिया था।

जब लोग उधर से जाना शुरू हुए तब वह अपने घोड़ों के पास बैठा हुआ उनको मुँह से आवाज निकाल कर चलाने की कोशिश कर रहा था।

राजा की तीन बेटियाँ थीं। उन तीनों को तीन मीर स्त्रियाँ उठा कर ले जाने वाली थीं। सो राजा ने यह मुनादी पिटवा रखी थी कि जो कोई भी उसकी बेटियों को उनसे बचायेगा उसकी शादी उनमें से एक राजकुमारी से कर दी जायेगी।

जिस दिन उसकी बड़ी बेटी को उठाया जाने वाला था उस दिन भेड़ पीटर अपने ओक के पेड़ के पास गया और उससे एक जिरहबख्तर एक तलवार और एक घोड़ा लिया और किले की तरफ चल दिया।

वहाँ जा कर उसने बड़ी राजकुमारी को अपने आगे अपने घोड़े पर बिठाया और समुद्र के किनारे सोने के लिये लेट गया। उसके पास एक कुत्ता भी था। जब वह सो गया तो राजकुमारी ने अपने बालों में से एक रिबन निकाल कर उसके बालों में लगा दिया।

अचानक मीर स्त्री वहाँ प्रगट हुई तो राजकुमारी ने नौजवान को जगाया और उससे अपने घोड़े पर चढ़ जाने के लिये कहा। वहाँ बहुत सारे लोग खड़े हुए थे पर जब मीर स्त्री वहाँ प्रगट हुई तो वे सब डर गये और वहाँ पास में लगे ऊँचे ऊँचे पेड़ों पर चढ़ गये।

पर हमारे नौजवान भेड़ पीटर ने कहा “भगवान मेरी सहायता करो। रानी सारस मेरे पास रहो और मैं सफल हो जाऊँगा।” कह कर उसने मीर स्त्री को मार दिया। उसके बाद वह तुरन्त ही ओक के पेड़ के पास भाग गया जिरहबख्तर वापस किया और फिर से अपनी भेड़ें चराने लगा।

पर देखने वालों में एक कुलीन आदमी भी था जो राजकुमारी को धमकियाँ देने लगा और उसे मजबूर किया कि वह राजा से यह कहे कि उस कुलीन आदमी ने उसे मीर स्त्री से बचाया है। भेड़ पीटर ने कुछ नहीं कहा।

अगले दिन मीर स्त्री को राजा की दूसरी बेटी को उठा कर ले जाना था। भेड़ पीटर फिर से रानी सारस के पास गया जिसने उसको फिर से एक जिरहबख्तर एक तलवार और एक घोड़ा दिया। उनको पहन कर उसने दूसरी राजकुमारी को लिया और समुद्र के किनारे आ गया। तब तक मीर स्त्री वहाँ नहीं आयी थी सो वह वहीं सोने के लिये लेट गया।

उसने राजकुमारी से कहा — “जब मीर स्त्री आये तो मुझे जगा देना। और अगर तुम मुझे न जगा सको तो मेरे घोड़े को बोल देना वह मुझे जगा देगा।” यह कह कर वह सो गया।

जब मीर स्त्री आयी तो राजकुमारी ने भेड़ पीटर को जगाने की बहुत कोशिश की पर वह तो उठ ही नहीं पाया सो उसने उसके घोड़े से कहा कि वह उसे जगा दे। घोड़े ने उसे जगा दिया।

बड़े बड़े लौर्ड जो वहाँ आस पास में खड़े हुए थे उस स्त्री को देखते ही डर के मारे पेड़ों पर चढ़ गये। भेड़ पीटर ने राजकुमारी को अपने घोड़े पर चढ़ाया और बोला “भगवान मेरी सहायता करो। रानी सारस मेरे पास रहो और मैं सफल हो जाऊँगा।” यह कह कर उसने उस मीर स्त्री को मार दिया।

उसके बाद वह जल्दी से अपने ओक के पेड़ के पास चला गया अपना जिरहबख्तर वापस किया और अपनी भेड़ें निकाल कर उन्हें चराने के लिये घास के मैदान में ले गया।

पर देखने वालों में एक काउन्ट था जिसने राजकुमारी को धमकी दी कि वह राजा से जा कर यह कहे कि उस काउन्ट ने उसको मीर स्त्री से बचाया है।

अगर उसने उससे इस बात का वायदा नहीं किया तो वह अपनी तलवार उसके शरीर में घोंप देगा। बेचारी राजकुमारी को डर के मारे यह बात अपने पिता से कहनी पड़ी पर भेड़ पीटर कुछ नहीं बोला।

तीसरे दिन फिर से वही हुआ। भेड़ पीटर को रानी सारस से एक जिरहबख्तर मिला एक तलवार मिली और एक घोड़ा मिला। उसने घोड़े पर सबसे छोटी राजकुमारी को बिठाया और समुद्र के किनारे ले आया। वहाँ आ कर वह सो गया।

उसने राजकुमारी से कहा कि जब मीर स्त्री आये तो वह उसे जगा दे। अगर उसके जगाने से वह न जागे तो वह उसके घोड़े को उठाने के लिये बोल दे और अगर वह घोड़े के उठाने से भी न उठे तो वह उसके कुत्ते को उठाने के लिये बोल दे।

यह कह कर वह सो गया। जब मीर स्त्री आयी तो राजकुमारी ने उसे जगाया पर वह नहीं उठा। फिर उसने उसके घोड़े से उसे उठाने के लिये कहा पर वह उससे भी नहीं जागा। फिर उसने उसके कुत्ते से उसे जगाने के लिये कहा।

आखिर वह जाग गया। उसने राजकुमारी को अपने घोड़े पर बिठाया और बोला “भगवान मेरी सहायता करो। रानी सारस मेरे पास रहो और मैं सफल हो जाऊँगा।” कह कर उसने उस मीर स्त्री को भी मार दिया।

वहाँ से वह रानी सारस के वापस गया और अपना जिरहबख्तर लौटाया और अपनी भेड़ें ले कर घास के मैदान में उन्हें चराने ले गया।

जल्दी ही राजकुमारियों को बचाने वालों को उन राजकुमारियों से शादी करने के लिये किले में आना था। पर पहले राजा ने अपनी बेटियों से पूछना ठीक समझा कि वे किससे शादी करना चाहती थीं। उसकी सबसे बड़ी बेटी ने कहा “दरबार के कुलीन आदमी से।”

उसकी दूसरी बेटी ने कहा “काउन्ट से।”

पर तीसरी ने कहा “भेड़ पीटर से।”

यह सुन कर राजा अपनी तीसरी बेटी से बहुत नाराज हुआ क्योंकि एक पल के लिये तो वह यह विश्वास ही नहीं कर सका कि उसकी बेटी को मीर स्त्री से भेड़ पीटर ने छुड़ाया है। पर राजकुमारी ने उससे कहा कि अगर वह शादी करेगी तो उसी से किसी और से नहीं।

तब राजा ने कुलीन आदमी और काउन्ट को एक एक सोने का सेब दिया पर भेड़ पीटर को कुछ नहीं दिया।

अब उन तीनों को तीन दिन की निशाने बाजी का एक मुकाबला जीतना था। इससे राजा यह देखना चाहता था कि उन तीनों में से किसका निशाना सबसे अच्छा था। राजा को यह पूरा विश्वास था कि इस मुकाबले में लोग भेड़ पीटर पर जरूर ही हँसेंगे क्योंकि वह अपने साथियों से बहुत पीछे रह जायेगा।

पर भेड़ पीटर तो बहुत अच्छा निकला। उसने उन सारे निशानों पर बहुत अच्छे से निशाना लगाया जिन पर भी उसने निशाना साधा। पहले दिन ही उसने बहुत सारे निशाने लगा लिये जबकि दूसरों ने बहुत ही कम निशाने लगाये।

उसने जितने भी शिकार मारे थे उसके दोनों साथियों ने वे सब शिकार उससे एक सेब दे कर खरीद लिये। वे सब उन्होंने राजा के सामने पेश किये। ऐसा ही दूसरे दिन भी हुआ। दूसरे दिन भी उन्होंने उससे उसके मारे हुए शिकार एक और सोने का सेब दे कर खरीद लिये।

पर जब पहले और दूसरे दिन भेड़ पीटर शाम को घर आया तो अपने घर में उसने केवल एक कौआ ही लटका हुआ पाया। वह जब उसने राजा को ला कर दिया तो राजा ने उसका कौआ जमीन पर फेंक दिया और कहा — “ऐसे कौए तो मेरे पास थैला भर कर हैं।”

तीसरे दिन भी उसने जितने शिकारों पर निशाना साधा उतने ही शिकार मारे पर दूसरों ने एक भी शिकार नहीं मारा। तो भेड़ पीटर ने उनसे वायदा किया कि वह उनको वे सब शिकार दे देगा जो उसने मारे हैं अगर वे उसको अपनी गर्दनों पर वह लिखने देंगे जो वह चाहेगा। वे इस बात पर राजी हो गये।

सो उसने उन दोनों की गर्दनों पर लिखा “गधा और चोर”। उसके बाद वे तीनों घर चले गये। इस तरह पीटर के पास उस दिन भी एक कौए के सिवा कुछ और नहीं था दिखाने के लिये।

तीनों उस रात एक ही कमरे में सोये। जब वे सुबह उठ गये तो राजा उनसे मिलने आया तो उसने उन सबको “गुड मौर्निंग” की और पूछा कि वे लोग कैसे थे। उसको यह देख कर बड़ा आश्चर्य हुआ कि भेड़ पीटर उनके साथ था।

तब भेड़ पीटर ने कहा — “मैं लड़ाई में गया और मैंने सारे दुश्मनों को मारा।”

राजा बोला — “ऐसा क्या? नहीं नहीं। तुमने यह नहीं किया। वह तो स्वर्ग का एक देवदूत था क्योंकि उस समय तुम तो दलदल में बैठे हुए थे।”

इस पर भेड़ पीटर ने राजा का अपनी टाँग पर बँधा हुआ रूमाल निकाल कर उसे दिखाया तब कहीं जा कर राजा ने उसको पहचाना।

इसके बाद उसने राजा से यह भी कहा कि उसी ने तीनों राजकुमारियों को मीर स्त्री से छुड़ाया है। राजा को इस बात पर भी विश्वास नहीं हुआ बल्कि वह हँस पड़ा। तब सबसे छोटी राजकुमारी आयी और उसने राजा को सारी बातें खोल कर बतायीं।

उसके बाद भेड़ पीटर ने दोनों बड़ी राजकुमारियों ने जो उसके बालों में अपने अपने रिबन बाँध दिये थे वे दिखाये। तब राजा को विश्वास करना पड़ा कि यह भी सच था।

उसके बाद भेड़ पीटर बोला कि सारे शिकार मैंने ही किये थे पर राजा फिर से उसका विश्वास नहीं कर रहा था। वह बोला — “पर फिर तुम सिवाय एक कौए के कुछ और क्यों नहीं लाये।”

तब भेड़ पीटर ने उसको सोने के सेब पेश किये और बोला —
“यह सेब मुझे अपने शिकारों के बदले में पहले दिन मिला था और यह दूसरा सेब दूसरे दिन के लिये।”

“और तीसरे दिन दिन के लिये तुम्हें क्या मिला।”

तब उस चरवाहे ने राजा को वह दिखाया जो उसने उन दोनों आदमियों की गर्दन पर लिख दिया था – “गधा और चोर”।

जब राजा ने वह देखा तब उसको विश्वास आया। उसने अपनी सबसे छोटी बेटी की शादी भेड़ पीटर से कर दी और उसको आधा राज्य दे दिया। राजा के मरने के बाद उसको सारा राज्य मिल गया जबकि दूसरे दोनों उम्मीदवारों को अपनी बदमाशी के लिये बहुत मुसीबतें उठानी पड़ीं।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है)

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