पाइलेट : इतालवी लोक-कथा
Pilate : Italian Folk Tale
ऐसा कहा जाता है कि यह सब एक समय में रोम में हुआ था। एक बार पत्थरों से भरी एक गाड़ी देश में एक अकेली जगह से गुजर रही थी कि उसका एक पहिया जमीन में धँस गया।
कुछ देर के लिये तो उसे कोई निकाल ही नहीं सका पर अन्त में उसको निकाल लिया गया पर उसको निकालने के बाद वहाँ एक बहुत बड़ा गड्ढा बन गया जिसके नीचे एक बहुत ही अँधेरा कमरा था।
लोगों ने पूछा — “इस गड्ढे में कौन उतरना चाहता है?”
“इस गड्ढे में मैं उतरूँगा।”
सो उन्होंने जल्दी ही एक रस्सी ढूँढ ली और उस आदमी को उस रस्सी की सहायता से उस अँधेरे गड्ढे में उतार दिया। इस आदमी का नाम मास्टर फ्रान्सिस था।
जब यह आदमी नीचे उतर गया तो यह अपने दाँये हाथ की तरफ घूमा तो इसको उधर एक दरवाजा दिखायी दिया। उसने दरवाजा खोला तो अपने आपको अँधेरे में पाया।
फिर वह अपने बाँये हाथ की तरफ मुड़ा तो उसने उधर भी वैसा ही पाया। फिर वह सामने की तरफ गया तो उसने उधर भी वैसा ही पाया।
वह एक बार फिर घूमा और उसने उस तरफ का दरवाजा खोला तो उसने क्या देखा कि एक आदमी एक मेज के सामने बैठा है। उस मेज पर उसके सामने एक कलम, स्याही और एक लिखा हुआ कागज रखा है और वह उसे पढ़ रहा है।
जब उसने उसे पढ़ना खत्म कर लिया तो वह उसे फिर से पढ़ने लगा। पर उसने उस कागज पर से अपनी आँख ऊपर नहीं उठायी।
मास्टर फ्रान्सिस एक बहुत ही बहादुर आदमी था। वह उस आदमी के पास गया और उससे पूछा — “तुम कौन हो?”
उस आदमी ने कोई जवाब नहीं दिया और अपना पढ़ना जारी रखा। मास्टर फ्रान्सिस ने उस आदमी से फिर पूछा — “तुम कौन हो?” फिर भी वह आदमी कुछ नहीं बोला।
पर मास्टर फ्रान्सिस भी उसको छोड़ने वाला नहीं था। उसने उससे तीसरी बार पूछा — “तुम कौन हो?”
इस बार वह बोला — “घूम जाओ और अपनी कमीज खोलो तो मैं तुम्हारी पीठ पर लिख दूँगा कि मैं कौन हूँ। जब तुम यहाँ से जाओ तो तुम सीधे पोप के पास जाना और उसको यह पढ़वाना कि मैं कौन हूँ। पर याद रखना कि इसे अकेले पोप को ही पढ़वाना और जरूर पढ़वाना।”
मास्टर फ्रान्सिस घूम गया और उसने अपनी कमीज खोल दी। उस आदमी ने उसकी पीठ पर कुछ लिखा और फिर अपनी कुरसी पर जा कर बैठ गया।
यह तो ठीक था मास्टर फ्रान्सिस एक बहुत ही बहादुर आदमी था पर वह लकड़ी का बना हुआ तो नहीं था। उस समय तो वह तो डर के मारे बस मर सा ही गया।
फिर जब वह होश में आया तो उसने अपनी कमीज ठीक की और उससे पूछा — “तुम यहाँ कब से हो?” पर उसे इसका भी कोई जवाब नहीं मिला।
यह देख कर कि उससे सवाल पूछना अपना समय खराब करना था उसने बाहर के लोगों को इशारा किया कि वे उसे ऊपर खींच लें सो उन्होंने उसे ऊपर खींच लिया।
जब उन्होंने उसे देखा तो वे तो उसे पहचान ही नहीं सके क्योंकि वह तो सारा सफेद हो गया था और 90 साल की उम्र का बूढ़ा लग रहा था।
एक बोला — “वहाँ क्या था? वहाँ क्या हुआ?”
वह बोला — “कुछ नहीं कुछ नहीं। तुम लोग मुझे पोप के पास ले चलो मुझे उससे कुछ कहना है।”
सो उनमें से दो आदमी उसको पोप के पास ले गये। पोप के पास जा कर उसने उसको वह सब कुछ बताया जो उसके साथ उस अँधेरे कमरे में हुआ था। फिर उसने अपनी कमीज उतारते हुए कहा — “योर होलीनैस, इसे पढ़िये।”
पोप ने उसे पढ़ा — “मैं पाइलेट हूँ।”
और जैसे ही पोप ने मुस्कुराते हुए ये शब्द पढ़े तो वह आदमी तो बिल्कुल ही बुत बना खड़ा रह गया।
और यही कहा जाता है कि वही आदमी पाइलेट था जिसको वहाँ गुफा में रहने की सजा मिली थी।
वह हमेशा ही उस कागज पर से आँखें हटाये बिना ही वह वाक्य पढ़ता रहता था जो उसने जीसस क्राइस्ट के ऊपर पढ़ा था।
यही पाइलेट की कहानी है जिसको न तो बचाया ही जा सका और न सजा ही मिली।
(साभार : सुषमा गुप्ता)