पेटपाल जोगी : लोककथा (उत्तराखंड)

Petpal Jogi : Lok-Katha (Uttarakhand)

महिपाल राजा की प्रजा अत्यंत सुखी थी। इसका कारण यह था कि वह प्रजा की हर समस्या के समाधान के लिए तत्पर रहता था। प्रजा को दुख था तो इसी बात का कि राजा की मृत्यु के बाद उत्तराधिकारी कौन बनेगा ? पुत्र प्राप्ति के लिए राजा ने व्रत, अनुष्ठान और यज्ञ किए। अंत में वह तीर्थयात्रा पर निकल गया। तीर्थ यात्रा में उसकी भेंट एक जोगी से हो गई। उस जोगी ने राजा से कहा,‘‘ मैं आपके दरबार में आकर रहना चाहता हूं। आपको संतान सुख अवश्य प्राप्त होगा।‘‘ राजा उस जोगी को अपने दरबार में लाया। जोगी के दरबार में आने के कुछ समय बाद रानी गर्भवती हुई। बाद में उसने एक सुन्दर पुत्र को जन्म दिया। राज्य में खुशी मनाई गई। प्रजा जन भी खुश थे किन्तु यह क्या ? जन्म लेने के कुछ दिन के बाद ही उसकी मृत्यु हो गई। राजा और रानी बहुत दुखी हुए। जोगी उन्हें सान्त्वना देते हुए बोला,‘‘ ईश्वर पर विश्वास रखो। वह जो कुछ भी करता है अच्छा ही करता है।‘‘

कुछ समय के बाद रानी फिर गर्भवती हुई। अब की बार भी उसने पुत्र को जन्म दिया। राजा और रानी प्रसन्न हुए किन्तु उनकी खुशी देर तक न रही। जन्म लेने के कुछ दिन के बाद ही उनके इस पुत्र की भी मृत्यु हो गई। जोगी ने राजा और रानी को फिर वही बात बताई, ‘‘ ईश्वर पर विश्वास रखो। वह जो कुछ भी करता है अच्छा ही करता है।‘‘ राजा और रानी बहुत दुखी हुए।

इसी बीच एक दिन राजदरबार के कुछ कर्मचारी जोगी के पास अपना भविष्य जानने को गए। जोगी ने उनसे कहा,‘‘ आप कर्म करते जाइए। विधाता के द्वारा लिखे भाग्य को फलित होना ही होता है। योग और धर्म के मार्ग पर चलने से भाग्य में कुछ परिवर्तन किया जा सकता है।‘‘ राजदरबारियों ने समझा कि यह जोगी उन्हें टालने के लिए ही उपदेश दे रहा है। वे जोगी की निन्दा करने लगे। एक दरबारी बोला,‘‘इस जोगी के यहाँ आने से राजा को भी पुत्र सुख प्राप्त नहीं हुआ। यह तो यहाँ बस अपना पेट पालने आया है।‘‘

‘‘ हाँ! इस जोगी का नाम पेटपाल जोगी ही होना चाहिए।‘‘- दूसरा दरबारी बोला।

अब सभी दरबारी उस जोगी को पेटपाल जोगी के नाम से पुकारने लगे।

कुछ समय के बाद रानी फिर गर्भवती हुई। अबकी बार उसने सुन्दर कन्या को जन्म दिया। राजा और रानी दोनों प्रसन्न हो गए। कुछ दिनों के बाद इस कन्या की भी मृत्यु हो गई। कन्या की मृत्यु के बाद रानी ने एक सुन्दर पुत्र को जन्म दिया किन्तु जन्म लेने के कुछ समय के बाद उसकी भी मृत्यु हो गई। इस प्रकार रानी ने तीन बार पुत्रों को और एक बार पुत्री को जन्म दिया जिनकी कि कुछ समय के बाद मृत्यु हो गई।

एक रात रानी ने राजा से कहा,‘‘ स्वामी ! आपने कहा था इस जोगी के दरबार में आने से हमारा भाग्य सुधर जाएगा। जोगी के आने से पहले हम निसंतान थे। निसंतान होने से भी बड़ा दुख संतानो को जन्म देकर उनका मृत्यु को प्राप्त होना है। आप इस जोगी को दरबार से वापस जाने का आदेश दे दो।‘‘

दूसरे दिन राजा जोगी को दरबार से वापस जाने का आदेश सुनाने ही वाला था तभी वह जोगी राजा से बोला,‘‘ महाराज! मैंने आपके मन की बात पढ़ ली है। मैं राज दरबार छोड़कर चला जाऊंगा लेकिन आप दोनो (राजा और रानी) से निवेदन करता हूं कि इस दरबार को छोड़ने से पहले आप मेरे साथ साधना कक्ष में चलो।‘‘

राजा और रानी जोगी के साधना कक्ष में चले गए। जोगी ने राजा और रानी दोनो को आंॅखें बन्द करने को कहा। जोगी की योगमाया से उन्हें उनके मरे हुए तीन पुत्रों और एक पुत्री की प्रेतात्माएं दिखाई दी। वे चारों आपस में बातें कर रहे थे। उनमें से एक बोला,‘‘मैं पिछले जन्म में एक राजा था। मैं राजा महिपाल के राज्य पर आक्रमण कर इसे अपने राज्य में मिलाना चाहता था। जब भी मैंने इस राज्य पर आक्रमण किया , राजा महिपाल ने मुझे हरा दिया। एक लड़ाई में तो इस राजा ने मेरा सिर तलवार से काट दिया था। मैं राजा महिपाल से पूर्व जन्म का बदला लेना चाहता था। इसीलिए राजा के पुत्र के रूप में मैंने जन्म लिया। इस दरबार में जो जोगी आ रखा है, जिसे राजदरबारी मजाक में पेटपाल जोगी कह रहे हैं, वह पहुंचा हुआ योगी है। योग माया से इसे सब पता चल गया था। इसकी योगमाया से जन्म लेने के कुछ दिन बाद ही मेरी मृत्यु हो गई। ‘‘

यह सुनकर प्रेतात्मा के रूप में राजा का दूसरा पुत्र बोला,‘‘ हाँ! तुम ठीक कह रहे हो। इसी पेटपाल जोगी की माया से जन्म लेने के कुछ दिनो के बाद मेरी भी मृत्यु हो गई। मैं राजा महिपाल से पिछले जन्म का बदला लेना चाहता था। मैं पिछले जन्म में एक चोर था। मैंने बहुत चोरियां की थी। एक बार किसी ने मेरी शिकायत इस राजा से कर ली। राजा ने अपने खुफिया तंत्र को मेरे पीछे लगा लिया। अंत में मैं पकड़ा गया। राजा ने मुझे मृत्यु दण्ड दिया। इसी बात का बदला लेने के लिए मैंने राजा के घर पुत्र के रूप में जन्म लिया। बड़ा होने पर मुझे सारा राजकोष समाप्त कर प्रजा और राजा के बीच फूट डलवाने का कार्य करना था। पर हाय! इस पेटपाल जोगी ने मेरी इच्छा पूरी नहीं होने दी।‘‘

राजा का तीसरा मरा हुआ बेटा बोला,‘‘ मैं पिछले जन्म में एक भिखारी था। मैं एक दिन राजदरबार में भीख मांगने गया था। राजा ने मुझसे कहा,‘‘ ईश्वर ने तुम्हें दो हाथ और दो पैर दिए हैं। ईश्वर के दिए इन उपहारों का तुम भीख मांगने में दुरप्रयोग कर रहे हो। तुम कोई काम करो। मुझे दुबारा तुम्हारी भीख मांगने की शिकायत मिली तो मैं तुम्हें मृत्युदण्ड दूंगा।‘‘ राजदरबार से बाहर आने के कुछ दिन के बाद तक मैंने भीख मांगना छोड़ दिया था किन्तु कुछ दिनों के बाद मैंने फिर भीख मांगना शुरू कर दिया। राजा के पास किसी ने मेरी शिकायत की। राजा ने मुझे मृत्युदण्ड दे दिया। मैं पिछले जन्म का बदला लेने के लिए ही इस जन्म में राजा के पुत्र के रूप में आया था। बड़ा होकर मैंने राजा को ही भिखारी बनाकर छोड़ना था लेकिन इस जोगी की योगमाया से जन्म लेने के कुछ दिन के बाद ही मेरी मृत्यु हो गई।‘‘

तीनो प्रेतात्माओं का बात को सुनकर पुत्री के रूप में जन्म ले चुकी प्रेतात्मा बोली,‘‘ मैं पिछले जन्म में पड़ोसी राजा का एक जासूस था। मुझे राजा महिपाल के राज्य की जासूसी करने का काम सौंपा गया था। मैं शरीर बदलने की विद्या को भी जानता था। मैंने राजा महिपाल के दरबार में एक सुन्दर कन्या का रूप धारण कर प्रवेश किया। मैं अपनी सुन्दरता से राजा को प्रभावित कर रानी बनना चाहती थी। इसके बाद राजा को धोखा देकर मारना चाहती थी। राजा को मेरी वास्तविकता पता चल गई थी। राजा ने मुझे मौत की सजा दे दी। इसी बात का बदला लेने के लिए मैंने राजा के घर कन्या के रूप में जन्म लिया। मुझे बड़ा होकर राजा के शत्रु से ब्याह कर राजा को मरवाना था लेकिन इस जोगी की योगमाया से जन्म लेने के कुछ दिन के बाद ही मेरी मौत हो गई।‘‘

इन प्रेतात्माओं का बातें सुनकर राजा और रानी ने जोगी के पैर छुए और उससे क्षमा मांगी। वह जोगी बोला,‘‘ राजन! एक बार फिर रानी गर्भवती होगी। अबकी बार आपके घर पुत्र रूप में पुण्यात्मा का जन्म होगा। वह आपकी ही तरह गुणवान और ऐश्वर्यवान होगा।‘‘

समय बीतता गया। रानी ने एक सुन्दर पुत्र को जन्म दिया। राजा की मृत्यु के बाद वह राजा का उत्तराधिकारी बना। वह भी गुणवान और ऐश्वर्यवान था।

(साभार : डॉ. उमेश चमोला)

  • उत्तराखंड कहानियां और लोक कथाएं
  • मुख्य पृष्ठ : भारत के विभिन्न प्रदेशों, भाषाओं और विदेशी लोक कथाएं
  • मुख्य पृष्ठ : संपूर्ण हिंदी कहानियां, नाटक, उपन्यास और अन्य गद्य कृतियां