पैलै का बदला : अमरीकी लोक-कथा

Pele’s Revenge : American Lok-Katha

(Folktale from Native Americans, Hawaii/मूल अमेरिकी, हवाई की लोककथा)

यह लोक कथा उत्तरी अमेरिका के हवाई द्वीप के लोगों में कही सुनी जाती है।

ओहिआ और लेहुआ ने जिस दिन से गाँव के एक नाच में एक दूसरे को देखा था वे उसी दिन से वे एक दूसरे से प्यार करने लगे थे।

ओहिआ एक बहुत ही सुन्दर और ताकतवर आदमी था। वह चालें खेलने वाला आदमी था और सारे नौजवान जितने भी खेल खलते थे उनमें उसका नम्बर पहला था।

लेहुआ बहुत ही नम्र स्वभाव की थी और किसी फूल के समान कोमल थी। सारे टापू में उसकी सुन्दरता के चर्चे थे। उसका पिता अपनी अकेली बच्ची का बहुत ख्याल रखता था।

जब लेहुआ ने सुन्दर और बहादुर ओहिआ को आग के पास अपने पिता से बातें करते देखा वह तो शर्म से गुलाबी हो गयी और उस नौजवान के चेहरे से अपनी आँखें ही नहीं हटा सकी।

उसी समय ओहिआ ने भी बात करते करते ऊपर की तरफ देखा तो उसका मुँह भी उस सुन्दर लड़की को देख कर खुला का खुला रह गया।

आग के उस पार खड़ी लड़की को देख कर वह उसकी सुन्दरता में इतना खो गया था कि उसको पता ही नहीं चला कि वह कब बात करने के बीच में ही चुप हो गया था।

लेहुआ के पिता ने यह देखा तो उसने उसका बातों की तरफ ध्यान खींचा। ओहिआ ने हकलाते हुए उनसे माफी माँगी और फिर अपनी बातचीत शुरू की पर एक आँख से वह फिर भी लेहुआ की तरफ ही देखता रहा।

लेहुआ का पिता ओहिआ का अपनी बेटी के लिये यह प्रेम देख कर बहुत खुश हुआ। उसको भी यह बहादुर चालाक आदमी पसन्द था इसलिये उसने ओहिआ को अपनी बेटी लेहुआ से मिलवा दिया।

ओहिआ तो उससे मिलने के लिये जाते समय करीब करीब गिर ही पड़ा। उस पल से ओहिआ के लिये लेहुआ के अलावा और कोई दूसरी लड़की नहीं थी। वह हमेशा उसी को देखता रहता और उससे दिल से प्यार करता।

दोनों काफी दिनों तक अपने नये घर में जो ओहिआ ने लेहुआ के लिये बनवाया था खुशी खुशी रहे।

एक दिन देवी पैलै सुन्दर ओहिआ के घर के पास जंगल में घूम रही थी और छिप छिप कर उस नौजवान को काम करते देख रही थी। वह भी उसको देखते ही प्यार करने लगी और उससे बात करने चली गयी।

ओहिआ उस सुन्दर लड़की से बहुत ही नम्रता से बात कर रहा था पर वह उसके आगे बढ़ने को बढ़ावा नहीं दे रहा था। इस बात से पैलै नाराज हो गयी।

उसने यह सोच लिया था कि इस नौजवान को वह खुद अपने लिये ले लेगी पर इससे पहले कि वह अपनी बात आगे बढ़ाती लेहुआ वहाँ आ पहुँची जहाँ ओहिआ उसके लिये दोपहर का खाना लाने के लिये इन्तजार कर रहा था।

ओहिआ ने जब अपनी प्यारी पत्नी को देखा तो उसका चेहरा प्यार से चमक उठा। उसने अपने हाथ में लिया हुआ सब कुछ छोड़ दिया और उसके पास चला गया।

इस नौजवान जोड़े को देख कर पैलै बहुत गुस्सा हो गयी। उसने अपना आदमी का रूप तो छोड़ दिया और एक भड़कती हुई आग का खम्भा बन कर ओहिआ को नीचे गिरा दिया।

यही नहीं फिर उसने ओहिआ को अपने प्यार को रोकने का बदला लेने के लिये उसको एक बदसूरत टेढ़े मेढ़े पेड़ में भी बदल दिया।

लेहुआ उस टेढ़े मेढ़े पेड़ के पास घुटनों के बल बैठ गयी जो कभी उसका पति था और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। उसने पैलै की उस पेड़ को फिर से आदमी में बदलने के लिये और नहीं तो उसको भी पेड़ के रूप में बदलने की बहुत पा्रर्थना की क्योंकि वह अपने पति से अलग नहीं रह सकती थी।

पर पैलै ने उस लड़की की बातों पर कोई ध्यान नहीं दिया। उसका गुस्सा अब थोड़ा ठंडा पड़ चुका था। पर दूसरे देवता देख रहे थे कि पैलै ने उन भोले भाले प्रेमियों के साथ क्या किया था। वे उससे बहुत गुस्सा थे।

जब लेहुआ नाउम्मीद हो कर रो रही थी तो देवता नीचे आये और उन्होंने उस लड़की को एक बहुत ही सुन्दर लाल फूल में बदल दिया और उसको उस टेढ़े मेढ़े पेड़ के ऊपर लगा दिया ताकि वह और उसका पति कभी एक दूसरे से अलग न हों।

उस दिन से ले कर आज तक ओहिआ के पेड़ पर सुन्दर लाल लेहुआ फूल खिलते हैं। जब तक फूल पेड़ पर रहते हैं मौसम धूप वाला और साफ रहता है।

पर जब उनमें से एक भी फूल चुन लिया जाता है तो बहुत भारी बारिश होती है जैसे आँसुओं की बरसात हो रही हो क्योंकि लेहुआ अभी भी अपने ओहिआ से अलग होना नहीं चाहती।

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है)

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