परी और दादी का चश्मा (बाल कहानी) : अनुराधा प्रियदर्शिनी
Pari Aur Dadi Ka Chashma (Baal Kahani) : Anuradha Priyadarshini
परी आज शाम जैसे ही स्कूल से लौटी तो उसने देखा उसकी दादी अपनी आँखों पर चश्मा लगाए हुए अखबार पढ़ रही हैं।
परी ने चहकते हुए कहा……
“ अरे वाह! दादी, “आपकी आँखों पर तो यह चश्मा बहुत ही अच्छा लग रहा है, यह बहुत सुंदर दिख रहा है लाइए.. लाइए… मैं भी लगाऊँगी।”
बिना देरी किए अपना स्कूल बैग फेंकते हुए भाग कर दादी के पास पहुंच गई और दादी का चश्मा उनकी आँखों से उतारने लगी।
दादी परी को पीछे करते हुए अपना सिर हटाया और उससे बोली, “अरे! रूक…… परी रूक…..!!! मेरा चश्मा तोड़ देगी क्या ? चल पीछे हट ऐसे चश्मे का फ्रेम टूट जाएगा और अगर ग़लती से चश्मा जमीन पर गिर पड़ा तो शीशा भी टूट जाएगा।”
“ दादी प्लीज़ दे दो न मुझे बस एक बार लगा लूँ…… प्लीज़ दादी!.......”
थोड़ा उदास होते हुए जिससे दादी उसे अपना चश्मा दे दें।
दादी परी को समझाते हुए बोलती हैं, “नहीं, बच्चे चश्मा नहीं लगाते हैं। अगर मेरा या किसी और का चश्मा लगाओगी तो आँखें खराब हो जाएँगी।”
परी पलटकर जवाब देती है, “अगर चश्मा लगाकर आँखें खराब हो जाती हैं तो भला आपने क्यों लगा रखा है।”
“अरे! मैं कोई तुम्हारे जैसे बच्ची थोड़ी हूँ देखो मेरे बाल पक गए, कुछ कुछ दाँत भी टूट गए चेहरे और शरीर पर झुर्रियां पड़ गई हैं। मैं बुड्ढी हो गई हूँ और इसी के साथ मेरी आँखें भी कमजोर हो गई हैं। और आज ही मैं डॉक्टर को दिखाकर अपना चश्मा लेकर आयी हूँ।” दादी ने कहा।
“ दादी आपकी आँखे कितनी बड़ी बड़ी हैं कैसे खराब हो सकती हैं आप झूठ बोल रही हैं कि मेरी आँखें कमजोर हो गई हैं।”
“ अरे नहीं बेटा! आँखों की कमजोरी कोई बाहर से थोड़ी ना दिखाई देती है, वह तो अंदर से पता चलती है।”
“अच्छा! तो आप बताइए? आपको कैसे पता चला कि, आपकी आँखें कमजोर हो गई हैं?” ठुनकते हुए परी ने कहा।
“अगर आँखें कमजोर हो जाती हैं तो सभी चीज धुंधली दिखने लगते हैं अखबार या किताब पढ़ने में धुंधला सा दिखाई देने लगता है इसके साथ ही देर तक पढ़ो तो सिर भी दर्द होने लगता है पिछले कुछ दिनों से मुझे ऐसी समस्या हो रही थी और मैं अखबार पढ़ने में दिक्कत महसूस कर रही थी तब मुझे लगा कि शायद मेरी आँखें कमजोर हो रही है इसलिए मैं डॉक्टर के पास गई और जब डॉक्टर ने आँखों को चेक किया तो उन्होंने मुझे चश्मा दे दिया।” दादी ने परी को समझाते हुए कहा।
“ लेकिन आपकी आँखें आखिर का कमजोर क्यों हो गई?”
“अरे मेरी माँ! तुम वकीलों की तरह कितने प्रश्न पूछती हो? बुढ़ापे में सभी की आँखें कमजोर हो जाती हैं और मैं भी बुढ़िया हो गई हूँ तो मुझे भी चश्मा पहनना पड़ रहा है। जब तुम्हारे मम्मी-पापा बूढ़े हो जाएंगे तो उनको भी चश्मा लग जाएगा और वह भी चश्मा पहनेंगे समझी……. अब चलो स्कूल बैग अपनी जगह पर रखो, कपड़े उतारो अपना हाथ-मुँह धोकर कुछ खाना-पीना खाओ” और प्यार से दादी ने परी के पीठ पर एक धौंस जमाते हुए कहा।
परी उस समय तो कुछ नहीं बोली लेकिन जब वो खाना खा रही थी तब उसे याद आया कि उसकी गणित की टीचर और भी कुछ टीचर थे जो चश्मा पहने रहते थे।
बस फिर क्या था उसने दादी से फिर पूछ लिया, “दादी! आप तो कह रही थी कि जो बुड्ढे हो जाते हैं केवल वही चश्मा पहनते हैं लेकिन मेरी गणित की टीचर तो बुढ्ढी नहीं है और भी मेरे स्कूल में कुछ टीचर हैं जो स्कूल में पढ़ाते हैं वह भी बुढ्ढे नहीं है लेकिन वह चश्मा लगाते हैं, अब आप बताइए आप मुझसे झूठ क्यों बोल रही थी।”
“मैं तुमसे कब झूठ बोला…. और मैंने तुम्हें कब बुद्धू बनाने का प्रयास किया तुम्हारे टीचर की भी आँखें कमजोर हो गई होंगी इसलिए वह चश्मा पहनती होंगी। जिनकी भी आँखें कमजोर हो जाती हैं वह चश्मा पहनते हैं”, दादी ने कहा।
“देखिए दादी! आप मुझे बहलाने का प्रयास मत करिए मुझे पता है आप मुझे अपना चश्मा नहीं देना चाहती इसीलिए ऐसे बोल रही हैं आपने कहा था कि बुड्ढे लोगों की आँखें कमजोर हो जाती हैं और मैं बुढ़िया हो गई हूँ इसीलिए मुझे चश्मा लगा लेकिन मेरी टीचर की आँखें कमजोर कैसे हो गई वह तो बुढ्ढी नहीं है और उनके सारे बाल भी पके नहीं है।”,परी ने कहा।
“ ओहो! ओहो! तुमसे तो जीत पाना सच में बहुत ही मुश्किल काम है। कोई भी बीमारी कोई उम्र देखकर थोड़ी ना आती है आँखें कमजोर होने के दूसरे कारण भी तो हो सकते हैं। कभी-कभी आंखों में चोट लगने के कारण या फिर ज्यादा देर तक मोबाइल और टीवी देखने से साथ ही लैपटॉप पर देर तक काम करने के कारण भी हमारी आँखें कमजोर हो सकती हैं और हमें चश्मा लग सकता है। आँखों के कमजोर होने का कारण हमारे शरीर में विटामिन ए की कमी का भी हो सकता है जो कम उम्र में आँखों पर चश्मा चढ़ा देता है।”
“ अच्छा! तो अब समझ में आया पढ़ते समय मेरी आँखों से भी कम दिखाई देता है और सिर में भी दर्द होता है दादी…… ऐसा लगता है मेरी भी आँखें कमजोर हो गई हैं और मुझे भी धुंधला-धुंधला सा दिखाई देता है” परी ने बहुत ही भोलेपन से कहा तो दादी की बहुत जोर की हँसी छूट गई।
“ इसीलिए तो तुमसे कहती हूँ कि रोज सुबह-शाम दूध पिया करो हरी-हरी सब्जी खाओ गाजर-टमाटर,पपीता, संतरा पालक आँवला यह सारी चींजे खाया करो जिसमें विटामिन ए होता है और तुम्हारी आँखें हमेशा स्वस्थ रहेंगी। लेकिन तुमको तो दूध पीने को कहो तो तुम बहाने बनाने लगती हो तो आँखें तो कमजोर होंगी न” दादी बोली।
“ नहीं दादी….. अब मुझको भी आपकी तरह चश्मा पहनना पड़ेगा। ऐसा है कि कल से जब मैं स्कूल जाऊँगी तो आप अपना चश्मा मुझको दे देना मैं स्कूल से लौट कर आऊँगी तो आप अपना चश्मा ले लेना और अपना अखबार पढ़ लेना।”, परी ने अपनी आँखें मटकाते हुए कहा।
दादी ने कहा, “नहीं तुमको चश्मा-वश्मा कुछ नहीं मिलेगा तुम आज से ही रोज सुबह-शाम फल खाओगी हरी सब्जियाँ खाओगी इसके साथ ही अंकुरित चने खाना तुम्हारी आँखें एकदम ठीक हो जाएगी।”
दादी समझ चुकी थी की परी का मन उनका चश्मा लेने के लिए ललचा रहा है इसीलिए बहुत सारे तर्क-वितर्क कर रही है। जब वो उसे चश्मा लेने से साफ मना कर रही हैं तो वह चुपके से भी उनका चश्मा ले सकती है और उसे खेल-खेल में तोड़ सकती है। वह अच्छे से जानती थी इसीलिए उन्होंने अपने चश्मे को अलमारी के सबसे ऊपर वाले खाने में रख दिया जहाँ से परी नहीं पा सके।
बार-बार मांगने पर भी जब दादी ने परी को अपना चश्मा नहीं दिया तो परी के मन में शरारत सूझी जब वह शाम को खेलने जा रही थी वह धीरे से अलमारी के ऊपर रखा चश्मा स्टूल पर चढ़कर ले आई और चुपचाप उस चश्मे को पहनकर जैसे ही अपना कदम बढ़ाया उसको धुंधला धुंधला सा देखने लगा और कमरे में ही रखी किसी सामान से टकरा गई और गिरते-गिरते बची।
दादी पीछे से देख रही थी और तब उन्होंने समझाया की बेटा ऐसे चश्मा नहीं लगाते हैं सभी के आँखों के चश्मे का नंबर अलग होता है गलत नंबर का चश्मा लगाने से भी चींजे ठीक नहीं दिखाई देती हैं। इसीलिए कभी किसी का चश्मा मत लगाना।
परी दादी को सॉरी बोलती है और नीचे बच्चों के साथ खेलने निकल जाती है।