बीमारियों का संदूक : यूनानी लोक-कथा
Pandora's Box : Greece/Greek Folk Tale
एक था इपीमिथियस । एक दिन उसकी सुंदर स्त्री पंडोरा से भेंट हुई। पंडोरा और इपीमिथियस ने एक-दूसरे को पसंद किया और साथ रहने लगे। एक दिन एक बूढ़ा आदमी उनके घर पर आया। वह अपनी कमर पर एक भारी संदूक लादे हुए था। बूढ़ा इपीमिथियस से बोला, 'बेटा, मेरा यह संदूक अमानत के तौर पर रख लो। मुझे किसी जरूरी काम से जाना है। जब मैं लौटूंगा तो अपना संदूक ले लूँगा।' इपीमिथियस बोला, 'हाँ-हाँ बाबा, आप अपना काम करके आ जाइए। आपको आपका संदूक मिल जाएगा। हम इसको सँभालकर रखेंगे।'
उस समय पंडोरा घर से बाहर थी। घर लौटने पर उसकी नजर संदूक पर पड़ी तो वह बोली, 'यह संदूक किसका है? इसे कौन लाया है?" इपीमिथियस बोला, 'एक वृद्ध इस संदूक को छोड़ गए हैं, वे कुछ समय बाद इसे आकर ले जाएँगे।' पंडोरा उत्सुकता से संदूक की ओर देखते हुए बोली, 'आखिर इसमें ऐसा है क्या? भला वह इस संदूक को यहाँ छोड़कर क्यों गया है?' पंडोरा की संदूक में दिलचस्पी देखकर इपीमिथियस बोला, ' छोड़ो भी ये सब बातें हम अपना काम करते हैं, बूढ़ा व्यक्ति अपना संदूक ले जाएगा। तुम कभी इस संदूक को खोलने की कोशिश न करना। यह उस बूढ़े की अमानत है।' लेकिन पंडोरा पर तो जैसे उस संदूक को खोलने का भूत सवार हो गया था। उसने इपीमिथियस से उसे बार-बार खोलने को कहा, लेकिन इपीमिथियस ने सख्ती से मना कर दिया। अब पंडोरा उस दिन का इंतजार करने लगी, जब इपीमिथियस घर से बाहर जाए और उसे उस संदूक को खोलने का मौका मिले। आखिर वह दिन भी जल्दी ही आ गया। एक दिन इपीमिथियस को जरूरी काम से दूसरे शहर जाना पड़ा। वह पंडोरा को संदूक न खोलने की हिदायत देकर यात्रा पर चला गया।
इपीमिथियस के जाते ही पंडोरा सब काम छोड़कर संदूक खोलने में लग गई। सबसे पहले उसने संदूक के ऊपर लिपटी सुनहरी डोरी की गाँठ को खोला। बस अब संदूक का ढक्कन उठाना ही शेष रह गया था। पंडोरा ने सोचा कि संदूक के अंदर झाँककर वह उसे पहले की तरह डोरी से बाँध देगी। इस तरह इपीमिथियस को कुछ भी पता नहीं चलेगा। पंडोरा संदूक का ढक्कन खोलने जा ही रही थी कि तभी उसे संदूक से अजीब सी आवाजें सुनाई दीं। वे आवाजें एक साथ कह रही थीं, 'हमें आजाद कर दो। ' संदूक से आती उन आवाजों को सुनकर पंडोरा चौंक गई। फिर उसने कुछ सोचकर उन आवाजों को देखने का निश्चय किया । जैसे ही उसने संदूक का ढक्कन उठाया, वैसे ही उसे अपने चेहरे पर गरम व विषैली हवा के झोंके महसूस हुए और फिर संदूक के अंदर से अनेक विचित्र आकारवाले छोटे-छोटे जीव निकलकर बाहर उड़ने लगे। यह देखकर पंडोरा भय से जड़ हो गई। पंडोरा ने ढक्कन बंद कर दिया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी; बुराइयाँ पहले ही बाहर दुनिया में भाग चुकी थीं । तभी उसकी नजर बाहर पड़ी तो वह यह देखकर और डर गई कि इपीमिथियस लौट आया था। उन विचित्र जीवों ने इपीमिथियस और पंडोरा पर हमला कर दिया। अब इपीमिथियस सारी बात समझ गया था। उसने अपना माथा पीटते हुए कहा, 'पंडोरा, तुमने यह क्या अनर्थ कर डाला? पता नहीं ये जीव कौन हैं? ये तो पूरे वातावरण में फैल गए हैं।'
दरअसल उस संदूक में बीमारी के रोगाणु बंद थे। पंडोरा ने गलती से उन्हें आजाद करके पूरी पृथ्वी पर उन बीमारी के रोगाणुओं को फैला दिया था। पहले किसी को कोई रोग नहीं होता था, लेकिन इस घटना के बाद से पृथ्वी पर रोग व महामारियाँ फैल गईं। लोग बीमारी से मरने लगे।
अभी भी संदूक के अंदर एक छोटी सी आवाज सुनाई दे रही थी, जो छोड़ देने की गुहार लगा रही थी। एपिमिथियस और पंडोरा ने सोचा जो भयावहता पहले ही रिलीज़ हो चुकी है, उससे बुरा कुछ नहीं हो सकता, इसलिए उन्होंने संदूक खोला। एक खूबसूरत सोने की ड्रैगनफ्लाई के रूप में फड़फड़ाती आशा निकली, जो कुछ बीमारी और दुःख. को ठीक कर रही है ।
(साभार : रेनू सैनी)