पान कू की रचना : चीनी लोक-कथा

Pan Ku’s Creation : Chinese Folktale

जब समय शुरू शुरू ही हुआ था तो वह एक बहुत बड़ा अंडा था – इतना बड़ा अंडा कि उसके साइज़ के बारे में सोचा भी नहीं जा सकता। उसका कोई आकार नहीं था। उसके अन्दर अँधेरा ही अँधेरा था और उसके अन्दर बहुत ही उथल पुथल हो रही थी।

उस अंडे के अन्दर ही पान कू था। पान कू जो सारे आदमियों का पुरखा था – यानी पहला आदमी। वह उस उथल पुथल से ही पैदा हुआ था और अँधेरा खा कर ही उस आकारहीन अंडे के अन्दर बड़ा हो रहा था। बिना बाहर की ज़िन्दगी के बारे में कुछ जाने बूझे वह उस काले कूकून के अन्दर अठारह हजार साल तक रहा।

एक दिन अचानक से लगे एक झटके से वह जाग गया पर वहाँ अँधेरे की वजह से उसे कुछ भी दिखायी नहीं पड़ रहा था। उस अंडे में फँसे रहने पर उसको शुरू शुरू में तो डर लगा पर फिर उसको गुस्सा आ गया।

गुस्से में आ कर वह अपनी मुठ्ठियाँ इधर उधर फेंकता हुआ उस हलचल में से हो कर दौड़ा तो उसने उस अंडे का काला सख्त छिलका तोड़ दिया।

अंडे का छिलका टूटते ही उसमें से पान कू को वह रोशनी दिखायी दी जो कितने समय से उसने नहीं देखी थी। उस अंडे के टूटते ही उसमें से वह सब कुछ जो कीचड़ और काला था ऊपर की तरफ उठ कर नीचे धरती पर गिर पड़ा।

उसी समय से धरती और आसमान दोनों बिल्कुल अलग अलग हो गये। पर पान कू को यह विश्वास नहीं था कि रोशनी और अँधेरा दोनों उस हलचल में एक साथ नहीं रह सकते थे जहाँ से उन दोनों का जन्म हुआ था।

इसलिये उसने अपने सिर से आसमान को ऊपर टिके रहने के लिये सहारा दिया और धरती को अपने पैरों के नीचे दबा कर रखा ताकि वे आपस में मिल न जायें।

जैसे जैसे हर साल निकलता गया धरती और आसमान और ज़्यादा दूर होते गये और पान कू का शरीर भी उनकी दूरी के अनुसार उनको उनकी जगह पर रखने के लिये खिंचता चला गया।

जब अठारह हजार साल बीत गये तो आसमान का सबसे ऊपर का हिस्सा और धरती का तला दोनों ही दिखायी देना बन्द हो गये पर पान कू उन दोनों को बिना थके अपने हाथों पर और पैरों के नीचे दबा कर रखे रहा ताकि कहीं ऐसा न हो कि वह हलचल फिर से वापस आ जाये।

फिर हजारों साल गुजर गये और वह हर चीज़ जो चमकीली थी और साफ थी वह सब चीजें. तो हमेशा के लिये आसमान में रह गयीं और जो कीचड़ वाली और अँधेरी चीज़ें थीं वे सब चीज़ें धरती पर रह गयीं। यह देख कर कि दुनियाँ अब सुरक्षित थी पान कू थकान की वजह से गिर पड़ा और मरने लगा।

उसकी आखिरी साँस हवा और बादल बन गये। उसकी आवाज बिजली की कड़क बन गयी। उसकी बाँयी आँख आसमान में उड़ गयी और सूरज बन गयी। उसकी दाँयी आँख भी उसकी बाँयी आँख के पीछे पीछे आसमान में उड़ गयी और चाँद बन गयी।

पान कू के मरे हुए शरीर का ऊपरी भाग और जोड़ चौरस मैदान और चट्टानी पहाड़ बन गये। उसका खून तुरन्त ही नदियों के रूप में बह निकला। उसके शरीर के दूसरे हिस्से सड़कें बन गये और उसकी माँस पेशियाँ मिट्टी बन गयीं।

उसके घने सफेद बाल और दाढ़ी तारे बन गये। उसकी खाल और रोंए जमीन पर गिर पडे जो घास और फूल बन कर बढ़ने लगे। उसकी हड्डी और दाँत जमीन पर गिरे तो लाल और जेड जैसे खनिज पदार्थ बन गये। उसके शरीर का पसीना ओस और बारिश बन कर गिरे। इस तरह पान कू ने अपना सारा शरीर दुनियाँ को दे दिया जिससे और दूसरे लोगों को ज़िन्दगी मिली।

[This story is about the Creation of the world.]

Pan Ku – the first man according to Chinese Mythology

Ruby and Jade – Ruby is a precious stone and Jade is a kind of semi-precious stone.

(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)

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