पादरी के गायकों की अन्यमनस्कता (कहानी) : थॉमस हार्डी
Padri Ke Gayakon Ki Anyamanaskata (English Story in Hindi) : Thomas Hardy
यह क्रिसमस के बाद रविवार को हुआ–पिछले रविवार उन्होंने लोंगपुडल के गिरजे के गलियारे में बाजा बजाया, जैसाकि पता चला, भले ही तब वे इसे नहीं जानते थे। जैसा तुम्हें मालूम होगा, श्रीमान्, उन गानेवालों का बहुत ही अच्छा समुदाय था-लगभग मेलस्टोक के पादरी के गायकों की तरह अच्छा; जिसका नेतृत्व डेवीस करता था, बस इतना कहना ही बहुत है। निकोलस पुडिंगकम पहली सारंगी का नेता था, पीतल की सारंगीवाला टिमोथी थॉमस था और जॉन बिलेस सबसे ऊँचे स्वरवाला बेला बजाता था। डेनियल हॉर्नहैड के पास साँप के आकार का वाद्य था। रॉबर्ट डाऊडल के पास शहनाई थी और मोटी शहनाई मिस्टर निक्स के पास। तमाम ध्वनियाँ वे लोग बजाते थे। क्रिसमस के सप्ताह में नाच पार्टियों में उनकी बहुत माँग थी, क्योंकि वे जिग और हॉर्नपाइप नाच को तुरंत बदल सकते थे, जैसे धार्मिक गीत को बदलते थे। संक्षेप में, वे औरतों और पुरुषों के लिए चौराहे के एक बड़े कमरे में डेढ़ घंटे तक क्रिसमस का आनंद गीत बजाते थे और लज्जावान संतों की तरह उनके साथ चाय और कॉफी पीते थे और फिर टिंकरज आर्म पर 'डैशिंग ह्वाइट सारजेंट' बजाकर नौ जोड़ों या उनसे अधिक को नचवाकर जंगली घोड़ों की तरह चमकते हुए ज्वाला की तरह गर्म रम और सेब की शराब पीते थे।
ठीक है, इस क्रिसमस में हर रात वे एक शोर-शराबे से दूसरे शोर-शराबे में गए और रात भर बिलकुल सो नहीं पाए। फिर क्रिसमस के बाद का कष्टकर रविवार आया। उस वर्ष इतनी भयंकर सर्दी थी कि उनके लिए गलियारे में बैठना कठिन था; क्योंकि गिरजा में बैठे जनसमूह के पास तो तुषार को रोकने के लिए भले ही अँगीठी थी, परंतु इन गायकों के पास कुछ नहीं था। अत: निकोलस प्रात:कालीन प्रार्थना में उस समय बैठा जब बर्फ एक इंच प्रतिघंटा से जम रही थी—"हे परमात्मा, सुन्न करनेवाले इस मौसम को मैं और ज्यादा समय तक सहन नहीं कर पाऊँगा; अपने आपको गर्म करने के लिए आज दोपहर को हम अपने अंदर कुछ-न-कुछ जरूर डालेंगे, भले ही हमें राजा का मुक्तिदान क्यों न देना पड़े।"
तदनुसार वह एक गैलन बीयर मिश्रित गरम ब्रांडी अपने साथ दोपहर को गिरजे में लाया और मर्तबान को लपेटकर टिमोथी थॉमस के पीतल की सारंगी वाले थैले में रख दिया, ताकि जब वह पीना चाहे तब तक वह पीने योग्य गरम रहे, जो ठंड से मुक्ति के लिए बहुत थोड़ी थी। दूसरी मत-स्वीकृति के पश्चात् और बाकी उपदेश शुरू होते समय जब उन्होंने अंतिम चूंट पी लिया तो अपने आपको सुखी और गरम महसूस किया। उपदेश चलता रहा और दुर्भाग्य से उनमें से कई को वह दोपहर बहुत ही लंबी लगी। वे सो गए-हर एक छोटा-बड़ा-और वे वहाँ चट्टान की तरह सोते रहे।
यह बहुत अँधेरी दोपहर थी और उपदेश की समाप्ति पर जो कुछ तुम देख सकते थे वह अपने आसन पर बैठा हुआ केवल पादरी था और दो मोमबत्तियाँ उसके आसपास जल रही थीं तथा उनके बीच उसका बोलनेवाला चेहरा था। अंततः उपदेश समाप्त होते ही पादरी ने सायंकालीन भजन गाया, परंतु वाद्यवृंद ने कोई धुन बजाकर साथ नहीं दिया। लोगों ने कारण जानने के लिए अपने सिर घुमाए तो गलियारे में बैठे लेवी लिंपेड नामक लड़के ने टिमोथी और निकोलस को कोहनियाँ मारकर कहा-"शुरू करो, शुरू करो!"
"हे? क्या है?" निकोलस ने चौंककर कहा। गिरजे में अँधेरे और सिरदर्द की व्याकुलता के कारण उसने सोचा कि उस समय वह उस पार्टी में था, जो पिछली रात बाजा बजाती रही थी, और वह सारंगी तथा कमान को लेकर 'दि डैवल एमंग दि टेलरज' बजाने के लिए गया। यह जिग नृत्य था, जो उस समय पड़ोसियों में बहुत लोकप्रिय था। समुदाय के बाकी सदस्यों ने कोई संदेह न करते हुए, अपनी सारी शक्ति से अपने नेता का पीछा किया। उन्होंने 'दि डैवल एमंग दि टेलरज' धुन तब तक मूसलधार बरसाई जब तक पीतल के वाद्यों के हलके स्वरों ने छत पर लगे मकड़ी के जाले को भूत की तरह कंपायमान नहीं कर दिया; फिर निकोलस यह देखते हुए कि कोई भी व्यक्ति नहीं हिला, अपनी कमान को चमकाते हुए चिल्लाया (जैसे नृत्यों में अपनी रोबदार आवाज में तब चिल्लाता था जब उसके साथी स्वर भूल जाते थे।)-"ऊपरवाले जोड़े अपने हाथों को एक-दूसरे के ऊपर रखो और जब मैं अंत में सारंगी बजाऊँ तो हर व्यक्ति तरुरोहिणी के नीचे अपने-अपने साज को चूमे।"
एक लड़का लैवी इतना भयभीत हो गया कि गलियारे के सीढ़ीघर की सिटकिनी लगाकर बिजली की तरह घर भाग गया। जब गिरजे से आती तीखी ध्वनि पादरी ने सुनी तो उसके रोंगटे खड़े हो गए और यह सोचकर कि गायकों का समुदाय पागल हो गया था, उसने अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर कहा-"बंद करो, बंद करो! बंद करो! यह क्या हो रहा है?" परंतु उन्होंने अपने साजों की आवाज में इसे नहीं सुना और जितना उसने मना किया उन्होंने उससे अधिक ऊँचे साज बजाए।
फिर अपने-अपने स्थानों को छोड़कर लोग सिर से पैर तक हैरान होते हुए और यह कहते हुए बाहर आए–'इस प्रकार की दुष्टता से उनका क्या अभिप्राय है? हम सोडोम और गोमोरात की भाँति नष्ट हो जाएँगे।'
फिर हरा ऊनी वस्त्र ओढ़े ठाकुर अपने स्थान से बाहर आया, जहाँ कई नवाब और महिलाएँ उपासना के लिए उसके साथ आए थे। वह गलियारे में गया और गायकों के सामने अपना घूसा हिलाते हुए उनसे कहा-"क्या है? इस पवित्र भवन में ऐसी दुष्टता? यह सब क्या है?"
और अंतत: उन्होंने गाने के बीच सुना और रुक गए।
"ऐसी अपमानित और लज्जाजनक बात! कभी नहीं, कभी नहीं!" ठाकुर ने कहा, जो अपने गुस्से को दबा नहीं पाया था।
"कभी नहीं।" पादरी ने भी कहा। वह नीचे आकर उसके पास ही खड़ा हो गया था।
"नहीं, यदि आकाश के देवदूत भी, " ठाकुर ने कहा (ठाकुर दुष्ट व्यक्ति था, भले ही अब उसने परमात्मा की शरण ले ली थी)-"नहीं, यदि आकाश के देवदूत भी नीचे उतर आएँ, " उसने कहना जारी रखा-"क्या तुम उपद्रवी गायकों में से कोई भी इस गिरजे में पुनः स्वर बजाएगा? तुमने मेरा, मेरे परिवार और मेरे मिलनेवालों का तथा सर्वशक्तिमान् परमात्मा का अपमान किया है क्योंकि आज दोपहर तुमने पाप किया है।"
तब गिरजा के गायकों के समुदाय को होश आया और याद आया कि वे कहाँ थे और निकोलस पुडिंगकम, टिमोथी थॉमस तथा जॉन बिलेस को अपनी बगलों में साज दबाए सीढियों से रेंगने का दृश्य देखते ही बनता था और विनीत डेनियल हॉर्नहैड अपने साँप जैसे साज के साथ तथा रॉबर्ट डाऊडल अपनी शहनाई के साथ, छोटी-छोटी गोलियों की तरह नजर आते थे; और वे सभी बाहर चले गए। पादरी को जब इस सचाई का पता चला तो संभवतः उसने उनको क्षमा कर दिया, परंतु ठाकुर ने नहीं किया। उसी सप्ताह उसने पीपा-बाजा मँगवाया, जो बाईस धार्मिक धुनें बजा सकता था; इतना ठीक और विशेष रूप से बजा सकता था कि तुम्हारी पापवृत्ति भी उन धार्मिक धुनों को सुनने के अतिरिक्त और कुछ भी सुनना नहीं चाहेगी। वह घिरनी को मोड़ देनेवाला वास्तव में माननीय व्यक्ति था, जैसाकि मैंने कहा-"पुराने गायक अब गान नहीं करते।"
(अनुवाद: भद्रसेन पुरी)