पानी और सुई (तमिल कहानी) : संत तिरुवल्लुवर

Paani Aur Sui (Tamil Story Hindi) : Sant Thiruvalluvar

बहुत समय पहले की बात है (ईसा पूर्व २००-३० ) दक्षिण भारत में एक प्रशिद्ध संत रहा करते थे जिनका नाम संत तिरुवल्लुवर था। इन्होंने तमिल व्याकरण सहित तिरुक्कुरल की रचना की। तमिल साहित्य में इससे रामायण माना जाता है। तिरुक्कुरल एक बहुत ही प्रसिद्ध ग्रन्थ है जिसका सम्मान किया जाता है इसी प्रकार के रचनाकार संत का भी दक्षिण में आदर व सम्मान प्राप्त है।

संत तिरुवल्लुवर जब मैं खाना खाने बैठते , अपने पत्नी को एक कटोरा पानी और एक सुई ऱखने को बोलते हैं अपने खाने के समय एक कटोरा पानी और एक सुई रखना उनकी आदत सी बन गई। अत्यधिक पतिव्रता होने के कारण उनकी पत्नी ने कभी इसका कारण नहीं पूछा। अनंत साल बीतने के बाद भी संत का यह नियम नहीं बदला और इस प्रकार तिरुवल्लुवर की पत्नी का अंतिम समय आ गया। वहां पर मृत्यु शय्या पड़ी हुई थी। इनके अंतिम प्रस्थान का समय निकट था।

मैं आपसे एक प्रश्न पूछना चाहती हूं। हर कार्य में आपका साथ दिया है। हर रहस्य से परिचित हूं। परंतु मैं आपके एक घटना से, एक कटोरी पानी और एक सुई वाली बात समझ ना सकी। क्योंकि अपने भोजन के पास उसे रखा हुआ तो देखा और उसका उपयोग करते कभी नहीं देता ? अतः आप मुझे यह बताने का कृपा करें। किस कारण एक कटोरी पानी और एक सुई अपने भोजन के पास रखने को बोलते थे ?

संत तिरुवल्लुवर बोलते हैं, मैं अन्न का बहुत ही सम्मान करता हूं, आदर करता हूं। इसके उत्पादन में होने वाले कठिनाइयों, किसानों के कष्टों तथा प्रकृति में इसकी महत्त्ता से भली-भांति परिचित हूं।

अतः मैं किसी भी तरीके से अन्न को नष्ट होने नहीं देना चाहता। अतः जब तुम भोजन परोसती थी , उस समय अन्न का कोई दाना थाली से बाहर गिर जाए तो उसे मैं उससे सुई के द्वारा उठा लूंगा एवं कटोरी के पानी से धोकर थाली में रखूंगा।

परंतु तुमने इतनी सावधानी से खाना परोसा कि अन्न का एक दाना भी कभी नहीं गिराया जिसके कारण मुझे सुई और कटोरे के पानी का उपयोग करने का अवसर ही नहीं मिला। इसे तो मैं यह समझता हूं कि मैं जितना अन्न का आदर करता हूं उससे कहीं ज्यादा तुम अन्न का आदर करती हो।

फिर पत्नी को इस बात की समझ आई कि उनके पति किस कारण कटोरा और सुई अपने पास रखते थे।

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