आउ और आउच : चीनी लोक-कथा
Ow and Ouch : Chinese Folktale
एक बार की बात है कि चीन में एक नौजवान जमींदार ने अपने बागीचे में एक बहुत ही खास चिड़िया देखी। उसने देखा कि जब भी वह चिड़िया अपनी चोंच से आवाज करती तो उसके मुँह से एक सोने का सिक्का गिर जाता।
जब उस जमींदार ने यह देखा तो उसको पकड़ने के लिये उसने एक जाल बिछाया। उसने उसे पकड़ लिया और उसको घर के अन्दर एक पिंजरे में ला कर रख लिया।
उसने उस सोने से और बहुत सारी जमीन खरीद ली। फिर अपना काम करने के लिये और कई नौकर रख लिये। अब वह बहुत अमीर हो गया था।
ऐसा होता है कि पैसा मिलने पर कुछ अमीर आदमी अक्लमन्दी से रहना सीख जाते हैं और अपना पैसा भले के लिये लगाते हैं जबकि दूसरे अमीर आदमी लालची हो जाते हैं और जैसे जैसे उनके पास पैसा बढ़ता जाता है उनको और ज़्यादा पैसे की इच्छा होती जाती है।
इस आदमी के साथ यही हुआ। इसके पास जितना ज़्यादा पैसा बढ़ता गया इसको पैसे की इच्छा भी उतनी ही ज़्यादा बढ़ती गयी। इसके लिये उसने अपने नौकरों के साथ भी जो बेचारे अपने खून पसीना एक कर के अपनी रोजी रोटी कमाते थे छल करना शुरू कर दिया।
जब उनको उनकी तनख्वाह देने का समय आता तो वह उनको “आउ और आउच” खरीदने के लिये बाजार भेज देता। वह उनसे कहता — “अगर तुम इनको खरीदे बिना घर लौटे तो मैं तुमको बजाय तुम्हारी तनख्वाह देने के तुमको 100 डंडे मारूँगा।”
अब उनमें से किसी को यही नहीं मालूम था कि यह “आउ और आउच” क्या होता है। इसलिये वे बाजार जाने की बजाय घर चले जाते। और क्योंकि उन्होंने मालिक का हुक्म नहीं माना था इसलिये उनको तनख्वाह भी नहीं मिलती थी।
इस तरह से उसके वे नौकर गरीब से गरीब होते चले गये और वह खुद अमीर होता चला गया।
हुआ यह कि लोगों ने जब यह सुना तो उनमें से एक होशियार लड़का उस कंजूस अमीर के पास काम करने के लिये आया कि वह इसको सबक सिखायेगा।
जब तनख्वाह देने का समय आया तो उस अमीर आदमी ने हर बार की तरह से उस लड़के से भी यही कहा — “इससे पहले कि मैं तुमको तुम्हारी तनख्वाह दूँ तुम बाजार जाओ और मेरे लिये “आउ और आउच” ले कर आओ। अगर तुम नहीं लाये तो मैं तुमको तुम्हारी तनख्वाह देने की बजाय 100 डंडे मारूँगा।”
लड़का बोला — “अगर मैं आपके लिये वह ला दूँ जो आप माँग रहे हैं तो क्या आप मुझे मेरी तनख्वाह और वह जादुई चिड़िया दे देंगे?”
“यकीनन, खुशी से।” क्योंकि उसको मालूम था कि जो वह उससे मँगा रहा था वह तो बाजार में कहीं बिकता ही नहीं था। सो जब वह लड़का वापस आयेगा तो वह उसको 100 डंडे भी मारेगा और उसको तनख्वाह भी नहीं देगा। बल्कि उसके दूसरे नौकर भी फिर उससे अपनी तनख्वाह कभी नहीं माँगेंगे।
उधर वह लड़का तुरन्त ही बाजार भाग गया। उसने बाजार से दो काशीफल खरीदे और उनके अन्दर का गूदा निकाल कर उन्हें खोखला कर लिया।
फिर उसने उसमें से एक में शहद की मक्खी रख दी और दूसरे में ततैया रख दिया और उनको ले कर मालिक के पास भाग लिया। मालिक के पास आ कर वह उन दोनों काशीफलों को उसको देते हुए बोला — “मालिक मैं “आउ और आउच” ले आया।”
सारे नौकर खड़े उसको देखते रह गये कि उसको ये आउ और आउच कहाँ से मिल गये।
वह अमीर आदमी बोला — “मुझे तो यहाँ केवल दो काशीफल ही दिखायी दे रहे हैं। क्या तुम मेरी चीज़ें न लाने के बदले में सजा पाने के लिये तैयार हो?”
लड़का बोला — “मालिक आप पहले अपनी उँगलियाँ इन काशीफलों डाल कर देखें तब मुझसे यह सवाल पूछें।”
यह सुन कर अमीर आदमी कुछ गुस्सा सा हुआ पर फिर उसने अपनी एक सबसे मोटी उंगली एक काशीफल के अन्दर डाल दी। उसको अभी भी यकीन नहीं था कि वह लड़का उसकी बतायी चीज़ें ले आयेगा सो वह अपनी उँगली उसमें से निकाल कर अपना डंडा उठाने ही वाला था कि दर्द से चीखा “आउ”। उसने अपनी उँगली की तरफ देखा।
वह लड़का बोला — “देखा मालिक? इस काशीफल में आउ है। अब आप दूसरे काशीफल में हाथ डाल कर देखिये तो आपको वहाँ आउच मिल जायेगा।”
वहाँ खड़े सारे नौकर हँस पड़े। उन्होंने समझ लिया कि उस लड़के ने मालिक को वह दे दिया है जो वह चाहता था। मालिक को पहली बार में ही इतना दर्द हुआ कि दूसरे काशीफल में अपनी उँगली डालने की उसकी हिम्मत ही नहीं हुई।
उसने उस लड़के को और अपने दूसरे नौकरों को उनकी तनख्वाह दे दी। साथ में उसने उस लड़के को वह जादुई चिड़िया भी दे दी।
अमीर आदमी ने अपना सबक सीख लिया था। उसके पास उसकी अपनी सारी ज़िन्दगी के लिये बहुत पैसा था। उसने उस पैसे को फिर अपने और दूसरों के लिये अक्लमन्दी के साथ खर्च करना शुरू कर दिया।
पर उस लड़के और उस जादुई चिड़िया का क्या हुआ? न तो किसी ने यह पूछा कि वे कहाँ गये और न ही किसी को यह पता कि वे अब कहाँ हैं। हम आशा करते हैं कि वे जहाँ भी होंगे दोनों सुखी होंगे और वह लड़का भी अब खूब अमीर हो गया होगा।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)