ऊंट का पॉवर हाउस : मनोहर चमोली 'मनु'

Oont Ka Power House : Manohar Chamoli Manu

ये उन दिनों की बात है जब आदमी जंगल में ही रहता था। उसने कई जानवरों को पालतू बना लिया। कुत्ता, बिल्ली, बकरी, भेड़, गधा, घोड़ा, गाय, भैंस उसके साथ रहने लगे थे।

एक दिन की बात है। एक ऊंट भी वहां आ पहुंचा। आदमी ने उसे पैर से लेकर सिर तक घूरा। सोचा फिर कहा-‘‘कद-काठी देखकर नहीं लगता कि तुम मेरे किसी काम आओगे। चलो, जहां इतने सारे जानवर मेरे साथ रह रहे हैं, तुम भी रहो।’’ ऊंट भी आदमी के साथ रहने लगा।
ऊंट अपने में मस्त रहता। अक्सर कुछ न कुछ चबाता रहता। पैर पसारकर जुगाली करता। एक दिन भेड़ ऊंट की ओर देखते हुए बोली-‘‘जाड़ा आ चुका है। मेरी ऊन आदमी के बहुत काम आएगी।‘‘
कुत्ता ऊंट को सुनाते हुए बोला-‘‘मेरा काम रखवाली करना है। मैं हर आहट पर भौंकता हूं। सब सतर्क हो जाते हैं।‘‘
बकरी बोली-‘‘आदमी मेरा दूध दूहता है। मैं भी उसके काम आ रही हूं।’’
गाय और भैंस ने एक साथ कहा-‘‘मैं भी।‘‘
बिल्ली बोली-‘‘मैं चूहे खाती हूं। नहीं तो चूहे कई चीज़ें कुतर देते। चूहे नहीं तो सांप भी यहां नहीं फटकते।‘‘
गधा बोला-‘‘आदमी बोझा उठाने में मेरी मदद लेता है।’’
घोड़े ने कहा-‘‘मेरी पीठ देखो। आदमी मेरी सवारी करता है। देखो, मेरी पीठ में कूबड़ भी नहीं है।’’ सब ऊंट की ओर देखकर हंसने लगे।

ऊंट था कि पैर पसारे आराम कर रहा था। वह चुपचाप सबकी बातें सुन रहा था। गधा ऊंट की ओर देखते हुए बोला-‘‘एक ये हंै, खाली बैठे रहते हैं। बैठे-बैठे डकार लेते रहते हैं।‘‘ अभी बात चल ही रही थी कि आदमी दौड़ता हुआ आया। वह बड़बड़ा रहा था-‘‘जंगली भेड़ियों का दल जंगल में घुस आया है। हमें यह जगह छोड़नी होगी। चलो।’’

गधा और ऊंट सामान ढोने के काम आ गए। आदमी घोड़े पर बैठ गया। सभी जानवर पीछे-पीछे चलने लगे। चलते-चलते काफी समय बीत गया। आदमी हांफते हुए बोला-‘‘अब कोई डर नहीं। हम बहुत दूर निकल आए हैं। अब हमें किसी हरे-भरे जंगल में ठिकाना खोजना होगा।’’

लेकिन यह क्या! भूख-प्यास और थकान के कारण सबकी चाल सुस्त हो गई थी। सब हांफ रहे थे। गधा थककर घुटनों के बल बैठ गया। घोड़ा भी एक जगह पर खड़ा हो गया। आदमी घोड़े की पीठ से उतर गया। उसने गधे का सामान ऊंट पर लाद दिया। आदमी और ऊंट आगे बढ़ते गए। बाकी सब पीछे छूट गए।

जाड़ा बीत गया। अब गरमी आ चुकी थी। आदमी ऊंट के साथ फिर से लौट आया था। उसे रास्ते में एक-एक कर वे सभी जानवर दोबारा मिल गए थे। गधा, घोड़ा, कुत्ता, बिल्ली, बकरी, भेड़, गाय और भैंस आदमी के पीछेे-पीछे चलने लगे। ऊंट शान से आगे-आगे चल रहा था। आदमी ने सपाट घास के मैदान में अपना तंबू लगा दिया। आग जलाकर अब वह भोजन की तैयारी करने लगा। उधर सभी जानवर ऊंट को घेरकर बैठे हुए थे। कुत्ता ऊंट से बोला-‘‘उस दिन तो हम सब बहुत पीछे छूट गए थे। गधा और घोड़ा भी थककर चूर हो गए थे।’’

घोड़ा हिचकते हुए ऊंट से बोला-‘‘आदमी के सच्चे और अच्छे साथी तो आप ही साबित हुए। हमने तो रास्ते में ही साथ छोड़ दिया था।’’
गाय बोली-‘‘वैसे हम सबने बड़ी परेशानियों में दिन काटे। वो तो अच्छा हुआ कि समय रहते बारिश हो गई। जंगली भेड़िए भी कहीं दूर चले गए। वरना, हम सब तो मर ही जाते।’’

बिल्ली ने ऊंट से पूछा-‘‘चलो, जो हुआ सो हुआ। लेकिन तुम्हारा कूबड़ कहां चला गया?’’ ऊंट बोला-‘‘कूबड़ पिचक-सा गया है। जैसे-जैसे मैं भरपेट भोजन करूंगा और छककर पानी पिऊंगा, तो धीरे-धीरे मेरा कूबड़ फिर पहले जैसा हो जाएगा।’’ गधा बीच में ही बोल पड़ा-‘‘मतलब !’’ ऊंट ने बताया-‘‘मतलब ये कि मुझे जब भी मौका मिलता है तो कुछ न कुछ खाता रहता हूं। मैं एक बार में बीस से तीस बाल्टी पानी पी सकता हूं। जानते हो, जब जंगल में आग लगी तो मैं लगातार आदमी के साथ कैसे चलता रहा?’’
भैंस ने कहा-‘‘वहीं तो हम जानना चाहते हैं।’’

ऊंट ने कहा-‘‘जिसे तुम कूबड़ कह रहे हो, वह मेरा चलता-फिरता पावर हाउस है। मेरे इस कूबड़ में वसा जमा रहता है। यह वसा भोजन के पोषक तत्व और पानी से बनकर कूबड़ जैसा दिखता है। उस दिन तुम सब लगातार चलते रहे। चलते रहे। चलने से थक गए। भूख के कारण तुम्हारी हालत बिगड़ गई। वहीं मेरे शरीर में पानी और भोजन की कमी नहीं हुई। मेरे कूबड़ में जमा वसा से मैं भोजन और पानी की भरपाई करता रहा। मुझे लगातार ऊर्जा मिलती रही। और मैं लगातार चलता रहा। चलता रहा। बिना थके-बिना रुके।’’
बिल्ली चैंकी। बोली-‘‘ग़ज़ब! इस कूबड़ की वजह से तुम कितने दिन लगातार चलते रह सकते हो?’’
ऊंट मुस्कराया। कहने लगा-‘‘मुझे दस-बीस या तीस दिन खाने-पीने को न भी मिले तो मैं कूबड़ के सहारे रह सकता हूं। मेरा पॉवर हाउस मुझे जीवित रहने में मदद करता है।’’
यह कहकर ऊंट जाने लगा। कुत्ते ने पूछा-‘‘कहां चल दिए?’’

ऊंट ने चलते-चलते जवाब दिया-‘‘भरपेट भोजन करने। इस पिचके हुए कूबड़ को फिर से बड़ा करना है। मुसीबत में यही पॉवर हाउस मेरे काम आएगा।’’ ऊंट लंबे कदम भरता हुआ उनकी आंखों से ओझल हो गया।

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