ओ. हेनरी (व्यंग्य) : हरिशंकर परसाई

O. Henry (Hindi Satire) : Harishankar Parsai

उस आदमी का वास्तविक नाम ओ. हेनरी नहीं था । अमेरिका में शिकागो के एक बैंक में एक आदमी काम करता था । वह गबन के अपराध में जेल गया। जेल में वक्त काटने के लिए वह कहानियाँ लिखने लगा। उसने अपना नाम ओ. हेनरी रख लिया। वह मशहूर कहानी - लेखक हो गया।

ओ. हेनरी दुनिया के दूसरे बड़े कहानीकारों से अलग किस्म का लेखक है। उसमें बड़ा बारीक व्यंग्य है। भाषा विलक्षण है। विरोधाभास पकड़ने की क्षमता अद्भुत है। उसके प्रहार बहुत जोरदार होते हैं। उसकी शैली का कमाल यह है कि लिखते-लिखते दो-चार जगह कटाक्ष के बाण छोड़ देता है, जिसे अंग्रेजी में 'टेंजेंट' कहते हैं। मूल विषय जिस पर वह लिख रहा है उसके बहाने दूसरी चीजों, व्यक्तियों और वर्गों पर वह कटाक्ष कर देता है । व्यक्तियों का चित्रण वह अद्भुत तरीके से करता है। जैसे किसी की कंजूसी बताना है तो वह लिखता है कि - ही वाज सो रिच दैट ही कुड अफोर्ड टू वाक ए फ्यू ब्लाक्स बिफोर टेकिंग ए टैक्सी । इसके साथ ही लेखन में बहुत गहरी मानवीय संवेदना है, चेतना है । भाषा की रवानी और मुहावरों की बनावट बहुत मोहक है ।

उसकी एक कहानी है 'जीवन की भँवर' । बहुत मार्मिक है । गाँव में किसान दंपति रहते हैं। उनका आपस में झगड़ा होता रहता है। एक दिन वे तय करते हैं कि चलें तलाक ले लेते हैं। पाँच डालर का नोट लेकर वे पास के कस्बे के रजिस्ट्रार के आफिस में जाते हैं। तलाक की अर्जी पेश करते हैं। अधिकारी और पूछताछ करके तलाक मंजूर कर देता है। अब वे दोनों बाहर आते हैं। एक-दूसरे से बिना बोले बरामदे में खड़े रहते हैं । कभी इधर देखते हैं कभी उधर देखते हैं। इतने साल साथ रहकर एक तरह का जीवन जीने का उन्हें अभ्यास हो गया था । इस नई परिस्थिति में दोनों भौचक थे । उनमें कुछ इस तरह की बातचीत होगी-

पु. : अब तू कहाँ जाएगी ?

स्त्री : मैं कहीं भी जाऊँ तुम्हें हमसे क्या मतलब? अब तो हमारा रिश्ता रहा नहीं । पु. फिर भी बताने में क्या हर्ज है?

स्त्री : मैं अपने मामा के घर जाऊँगी जो इस पहाड़ी के उस पार रहते हैं ।

पु. : चल घोड़ा गाड़ी में, मैं तुझे वहाँ पहुँचा दूँगा ।

स्त्री : पर जब हमारा - तुम्हारा कोई संबंध ही नहीं है तो तुम ऐसा क्यों करोगे ? हम एक-दूसरे के लिए अपरिचित हैं । और देखो गाय को घास समय पर खिला देना ।

पु. : तुम्हें गाय से अब क्या मतलब?

स्त्री : सुबह की बची हुई सब्जी और रोटी मैं सम्हाल कर रख आई हूँ। रात को इससे तुम्हारा काम चल जाएगा।

पु. : पर तुम्हें इससे मतलब क्या जब हम एक-दूसरे के कोई नहीं ?

स्त्री : तुम अलमारी बंद करना भूल जाते हो और उसमें चूहे घुस जाते हैं इसका ध्यान रखना ।

इस तरह की बातें उनमें देर तक होती हैं।

अंत में वे तय करते हैं कि वे एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते। और तय करते हैं कि फिर से शादी कर लें। पर स्त्री कहती है-कि शादी करने में पाँच डालर लगते हैं और वे अपने पास नहीं हैं। पुरुष कहता है कि उसका इंतजाम मैं कर लूँगा । वह कैसे इंतजाम करता है? विवाह अधिकारी दफ्तर से घर जाने लगता है। धुँधलका हो जाता है। रास्ते में झुरमुट पड़ता है। किसान उसका पीछा करता है और झुरमुट में उसे दबोच कर पाँच डालर का नोट छीन लेता है। दूसरे दिन वे विवाह का आवेदन अधिकारी के सामने पेश करते हैं। किसान पाँच डालर का नोट भी देता है। उस मुड़े हुए नोट को देखकर अधिकारी जान जाता है कि वह उसी से छीना हुआ नोट है। वह अर्थपूर्ण दृष्टि से किसान की ओर देखता है ।

चौबीस घंटे में तलाक और विवाह दोनों हो जाते हैं। किसान और उसकी पत्नी गाड़ी में बैठकर घर आते हैं। मानवीय संबंधों की वह बहुत कोमल और नाजुक कहानी है।

बिलकुल दूसरे प्रकार की कहानी है - 'चेयर ऑफ फिलेन्थ्रो मैथिमेटिक्स' । दो लुटेरे हैं- राबर्ट और स्मिथ । वे लूट का जब बहुत पैसा इकट्ठा कर लेते हैं तो एक शाम को दार्शनिक हो जाते हैं। राबर्ट कहता है- स्मिथ, तुम जरा इस बात पर ध्यान दो कि लूटने वाले जिन्हें लूटते हैं, उनकी भलाई के लिए भी कुछ करते हैं। जैसे ये खदानों के मालिक हैं। ये मजदूरों को लूटते हैं पर उनके लिए अस्पताल भी खुलवाते हैं और उनके बच्चों के लिए स्कूल भी । स्मिथ कहता है कि बात बिलकुल ठीक है, लुटेरों में भी नैतिकता और दानशीलता होनी चाहिए। हम लोगों ने जिनको लूटा है उनकी भलाई के लिए हमें कुछ करना चाहिए। वे सोच-विचार के बाद निष्कर्ष पर पहुँचते हैं कि जिन धनियों को हमने लूटा है, उनके आवारा लड़कों के लिए विश्वविद्यालय खोल देना चाहिए। वे एक कस्बे की तरफ जाते हैं, जहाँ एक इमारत की चार मंजिलें खड़ी हैं, बनवाने वाले के पास पाँचवीं मंजिल बनवाने के लिए पैसा नहीं था । इसलिए उसने चौथी मंजिल से कूदकर जान दे दी। राबर्ट और स्मिथ इसी इमारत में फ्री वर्ल्ड यूनिवर्सिटी खोलने का तय करते हैं ।

दफ्तर खुल जाता है। बड़े शहर के अखबारों में विज्ञापन छप जाते हैं - यह विश्वविद्यालय निःशुल्क होगा और सारे विषय इसमें पढ़ाए जाएँगे। डीन, प्रोफेसर आदि के लिए भी 'आवश्यकता है' के विज्ञापन छप जाते हैं। धीरे-धीरे विश्वविद्यालय में चहल-पहल हो जाती है।

राबर्ट स्मिथ से कहता है- ये मुफ्त में पढ़ने जो लड़के आए हैं, ये कौन के हैं, इस पर तुमने ध्यान दिया? ये उन्हीं धनिक सुअरों और कुत्तों के लड़के हैं। ये पढ़ने नहीं मौज करने आए हैं।

राबर्ट और स्मिथ गाउन पहनकर डीन हो जाते हैं। राबर्ट इजिप्ट की प्राचीन सभ्यता पर भाषण देता है। लड़के मौज-मजा करते हैं। जुआ खेलते हैं।

बैंक में जमा रुपया निकलता जाता है और विश्वविद्यालय चलता जाता है। एक दिन राबर्ट हिसाब देखता है। वह स्मिथ से कहता है कि बहुत कम पैसा बचा है। इसमें तो विश्वविद्यालय आगे चल नहीं सकता। दो-तीन दिन बाद राबर्ट 'न्यूयार्क टाइम्स' में देखता है कि विश्वविद्यालय में 'चेयर आफ फिलेन्थ्रो मैथिमैटिक्स' के लिए एक प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए 'आवश्यकता है' विज्ञापन छपा। राबर्ट स्मिथ से कहता है कि यह विज्ञापन तुमने दिया है? अपने पास पैसा खत्म हो रहा है, और तुम एक नए डीन की नियुक्ति कर रहे हो। ये विषय क्या है? स्मिथ ने कहा कि धीरज रखो, आगे सब मालूम हो जाएगा।

क्रिसमस की छुट्टियाँ आती हैं। एक हफ्ते तक विश्वविद्यालय में मनोरंजन मेला चलता है। आखिरी रात को राबर्ट और स्मिथ दफ्तर के कमरे में बैठे हैं। इतने में एक आदमी दो बड़े-बड़े थैले लेकर आता है। वो थैले खोलता है, और उनमें भरे नोट उड़ेलकर कहता है - यह आज की कमाई है। स्मिथ राबर्ट से कहता है-यही डीन चेयर आफ फिलेन्थ्रो | मैथिमैटिक्स है। यह जुए का बहुत बड़ा उस्ताद है। लड़कों को जुए में लूट लेता है। यह प्रोफेसर विश्वविद्यालय को चलाता रहेगा ।

मनुष्य के अहं को - उच्चता की भावना को लेकर अच्छी कहानी लिखी गई है- 'प्राइड आफ सिटीज' । एक शिकागो शहर का रहने वाला न्यूयार्क आ जाता है। वहाँ उसे एक न्यूयार्क वाला मिलता है। दोनों में दोस्ती हो जाती है। न्यूयार्कवासी उसे कॉफी पिलाने होटल में ले जाता है। दोनों बैठते हैं। उनमें परस्पर बड़ी सद्भावना है। बातचीत चलती है। न्यूयार्कवासी कहता है- न्यूयार्क के अमुक बाजार से अच्छा बाजार अमेरिका में नहीं है। शिकागो वाला कहता है कि हमारे शिकागो का अमुक बाजार तुम्हारे इस बाजार से अच्छा है। इस तरह 'मेरा अच्छा' और 'तेरा घटिया' होने लगता है। न्यूयार्कवासी कहता है कि हमारे सिटी पुलिस सुपरिंटेंडेंट से अच्छा अफसर कहीं और नहीं है। शिकागोवासी कहता है कि हमारे पुलिस आफीसर सुपरिंटेंडेंट राबर्ट को तुमने नहीं देखा। तुम्हारा अफसर उसके सामने कुछ नहीं है। वे इस तरह अपने-अपने शहर का अहंकार बताते हैं । और उनकी | बातचीत कटु होती जाती है। आखिर शिकागो का निवासी यह कहकर कि तुमसे हमारी पट नहीं सकती, दूसरी टेबल पर चला जाता है।

ओ. हेनरी की कहानियों की बड़ी विशेषता यह है कि उनमें व्यंग्य और विनोद मिले रहते हैं । फिर, वे मनुष्य के बाहरी जीवन तथा मनोजगत् का अध्ययन करती हैं। तीसरे, उनमें मानवीय संवेदना गहरी होती है ।

एक कहानी है जिसमें एक लड़का है, जो बहुत ऊधमी है । घर और मुहल्ले के लोग उससे परेशान हैं। वह धनवान आदमी का लड़का है । उसे फिरौती के लिए डाकू उठा ले जाते हैं। लड़का डाकुओं के पास रहता है और उन्हें भी तंग करता है। घोड़े की तरह उन पर सवारी करता है, उन पर कूदता है, नींद में उन्हें चिकोटी काटता है। डाकू उसके पिता |को खबर भेजते हैं कि एक लाख डालर देकर अपने लड़के को छुड़ा लें। लड़के का पिता |जवाब देता है कि मैं कुछ नहीं दूंगा। तब वे डाकू पचास हजार और पच्चीस हजार डालर | की खबर भेजते हैं। पर लड़के का पिता नामंजूर कर देता है। तब डाकू खबर भेजते हैं कि हम बिना कुछ लिये ही लड़का तुमको दे जाएँगे ।

लड़के का बाप खबर करता है कि ठीक है, आधी रात को आना। दिन में लड़के | को लेकर मत आना। मुहल्ले के लोग तुमको मार डालेंगे ।

ओ. हेनरी ने बहुत कहानियाँ नहीं लिखीं, पर जो भी लिखी हैं वे बहुत अच्छी हैं।

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