न्याय में अंतर : इथियोपिया की लोक-कथा

Nyaya Mein Anter : Ethiopia Folk Tale

एक बार एक शेर और एक हयीना दोनों खाना ढूँढने निकले। शेर को एक बैल मिल गया और हयीना ने एक गाय पकड़ ली।

दोनों अपना अपना शिकार ले कर घर आये और दोनों ने उनको अपने अपने घर के सामने वाले पेड़ से बाँध दिया।

जब हयीना ने गाय पकड़ी तो कुछ ही दिनों में उस गाय के बच्चा होने वाला था। जब शेर ने देखा कि उसके पास तो केवल एक ही बैल है परन्तु हयीना के पास दो जानवर होने वाले हैं तो उसे एक चालाकी सूझी।

जब शेर ने देखा कि अब गाय के बच्चा होने वाला है तो उसने हयीना का ध्यान बँटाने के लिये हयीना से कहा "जरा मेरे लिए थोड़ा सा पानी ला दो मुझे बहुत प्यास लगी है।" हयीना बेचारा उसके इरादों से बेखबर उसके लिए पानी लाने चला गया।

इत्तफाक से इसी बीच गाय ने एक बछड़े को जन्म दिया। शेर बछड़े को गाय के पास से उठा लाया और उसे अपने बैल के पास ला कर बिठा दिया।

थोड़ी देर बाद हयीना जब पानी ले कर वापस लौटा तो उसने शेर को पानी दिया और अपने घर की तरफ चला तो शेर बोला "देखो हयीना, मेरे बैल ने एक बछड़े को जन्म दिया है।"

हयीना ने तो कोई ध्यान ही नहीं दिया था परन्तु शेर की यह बात सुन कर उसको बहुत गुस्सा आया। वह बोला - "शेर भाई, तुम मजाक कर रहे हो। बैल थोड़े ही बच्चों को जन्म देते हैं वह तो गाय देती है। यह मेरी गाय का बछड़ा है तुम्हारे बैल का नहीं।"

शेर बोला - "नहीं, यह मेरे बैल का बछड़ा है क्योंकि यह मेरे बैल के पास बैठा है।"

हयीना ने फिर नम्रतापूर्वक कहा - "शेर भाई, किसी के पास बैठने से कोई किसी का बच्चा नहीं हो जाता। यह मेरी गाय का बछड़ा है तुम्हारे बैल का नहीं।" पर शेर अपनी ही बात पर अड़ा रहा।

जब शेर नहीं माना तो हयीना ने फैसले के लिए जंगल के सारे जानवरों को इकठ्ठा कर लिया क्योंकि उसको शेर की बात पर कतई विश्वास नहीं था कि एक बैल एक बछड़े को जन्म दे सकता है।

जंगल के सारे जानवर शेर और हयीना के घरों के पास आ कर इकठ्ठा हो गये पर सभी जानवर शेर से डरते थे इसलिये उन सभी ने एक आवाज में कहा "यह तो बैल का ही बछड़ा है कोई गाय भला बच्चा कैसे दे सकती है?"

तभी एक बन्दर जो जानवरों की भीड़ में सबसे पीछे खड़ा था आगे निकल आया। शेर ने उससे पूछा "अरे तुम कहाँ से आ रहे हो?"

बन्दर सिर खुजलाते हुए बोला "मुझे थोड़ी देर हो गयी सरकार। असल में धरती और आसमान में छेद हो गये थे सो मैं जरा उनमें पैबन्द लगा रहा था।"

शेर को उसकी यह बात सुन कर बहुत गुस्सा आया और वह बोला - "बन्दर, यह तुम क्या बेवकूफी की बात करते हो? धरती और आसमान में भला छेद होने का क्या काम? यह कैसे हो सकता है?"

इस पर बन्दर ने घुड़की मारते हुए कहा - "जैसे बैल के बछड़ा हो सकता है उसी तरह से धरती और आसमान में भी तो छेद हो सकते हैं सरकार।"

यह सुन कर तो शेर और भी ज़्यादा गुस्से में भर गया और बन्दर को पकड़ने दौड़ा पर बन्दर तो पहले ही एक ऊँचे पेड़ पर चढ़ चुका था।

शेर तो गुस्से में था ही। बन्दर को पकड़ने के लिये दौड़ते समय वह एक गड्ढे में गिर गया और मर गया। यह सब देख कर हयीना तो मारे खुशी के वहीं मर गया।

अब बन्दर गाय का अकेला मालिक हो गया। एक हफ्ते तक उसने गाय का गाढ़ा गाढ़ा दूध इकठ्ठा किया और आठवें दिन जंगल के सब जानवरों को उस दूध पीने की दावत दी। बड़े ज़ोर शोर से दूध की दावत का इन्तजाम किया गया।

दावत में सबके साथ बन्दर ने भी दूध पिया। वह दूध पीता गया और पीता गया और पीता गया। उसने इतना दूध पिया कि उसका पेट गले तक भर गया।

कुछ दूध उसके पेट पर भी गिर गया। जब बन्दर उस दूध को चाटने के लिये नीचे झुका तो उसका पेट फट गया और वह भी मर गया।

इस पर जंगल के सारे हयीनाओं ने मिल कर सोचा कि इस बन्दर ने हमको दावत पर बुलाया था इसलिए इसको मरने के बाद जमीन में नहीं बल्कि आसमान में गाड़ना चाहिये।

ऐसा सोच कर वे सभी हयीना एक के ऊपर एक चढ़ते गये और आसमान तक पहुँच गये। तभी सबसे नीचे वाले हयीना के पाँव में एक चींटी ने काट लिया और सारे हयीना नीचे गिर गये। इस तरह उनकी उस बन्दर को आसमान में गाड़ने का प्लान फेल हो गया।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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