नुंग ग्वामा : चीनी लोक-कथा
Nung Gwama : Chinese Folktale
यह बहुत दिनों पहले की बात हे कि चीन में एक स्त्री ने अपने माता पिता के लिये चावल के कुछ केक बनाये। वह उनको उनके घर देने जाना चाहती थी।
उसके माता पिता काफी दूर रहते थे। उनके घर का रास्ता एक अँधेरे घने बाँस के जंगल से हो कर जाता था। लोगों का कहना था कि वहाँ नुंग ग्वामा नाम का एक बड़ा राक्षस रहता था।
वे उसके बारे में यह भी कहते थे कि वह सब तरह के जानवर और आदमी खाता था। पहले वह उनकी हड्डियाँ तोड़ देता था और उन सबको तोड़ कर फिर उनका सब कुछ खा जाता था – बाल, हड्डी हर चीज़।
उस स्त्री ने पहले कभी राक्षस देखा नहीं था पर फिर भी वह जब उस जंगल में से जाने लगी तो उस जंगल में से जल्दी जल्दी चली।
वह वह बाँस का जंगल करीब करीब सारा पार कर गयी थी कि उस जंगल के आखीर में वह राक्षस उसके सामने कूद कर आ खड़ा हुआ।
उसका शरीर बैल का था और उसका सिर इतना बड़ा था जितना कि कोई ओवन। वह अपने दाँत पीस रहा था और अपने भयानक पंजे आगे की तरफ बढ़ा कर चलता चला आ रहा था। चलते समय उसके बड़े बड़े पैर फ्लिप फ्लौप फ्लिप फ्लौप की आवाज कर रहे थे।
वह बोला — “आर्ग आर्ग, मुझे वह चावल की केक दो मुझे वह खाने हैं।”
वह स्त्री डर गयी पर फिर भी बोली — “नहीं ये केक तो मेरे माता पिता के लिये हैं मैं इनको तुमको नहीं दे सकती।”
भयानक नुंग ग्वामा बोला — ठीक है ठीक है। मान लिया कि माता पिता बहुत जरूरी होते हैं पर आज रात मैं तुम्हें खाने आ रहा हूँ।”
वह स्त्री बहुत डरी हुई थी सो उसने उसे वह केक उसे दे दिये और घर वापस चली गयी पर सारे रास्ते वह डर के मारे काँपती ही रही। वह चलती जा रही थी और कहती जा रही थी — ओह यह भयानक नुंग ग्वामा यह भूखा नुंग ग्वामा आज मुझे खाने मेरे घर आ रहा है उसी रास्ते से एक और आदमी जा रहा था। उसने जब यह सुना तो उसके मुँह से निकला — “ओह मेरे भगवान।”
फिर वह उस स्त्री से बोला — “यह भयानक नुंग ग्वामा तो हड्डियाँ तक खा जाता है। तुम ये सुई और पिनें रख लो। तुम इनको अपने दरवाजे के ताले के पास रख देना। हो सकता है कि वह अपनी उंगलियाँ उसमें घुसाये तो शायद इनके चुभने के दर्द की वजह से वह चला जाये।”
स्त्री बोली — “हो सकता है कि वह चला जाये और अगर वह नहीं गया तो।” कह कर वह स्त्री फिर रोने लगी और बोली — ओह यह भयानक नुंग ग्वामा यह भूखा नुंग ग्वामा आज मुझे खाने मेरे घर आ रहा है।”
उधर से एक किसान जा रहा था। यह सुन कर वह भी बोला — “ओह मेरे भगवान वह भयानक नुंग ग्वामा तो हड्डियाँ तक खा लेता है।”
वह अपनी गाड़ी में सूअर की टट्टी की खाद धकेलता चला जा रहा था। उसने अपनी गाड़ी में से सूअर की टट्टी की एक टोकरी खाद उस स्त्री को दी और कहा — “लो तुम यह खाद ले जाओ और इसको अपने दरवाजे के पास रख देना। अगर उसके हाथ इससे गन्दे हो जायेंगे और उनमें बदबू आ जायेगी तो शायद वह चला जाये।”
स्त्री बोली — “हो सकता है कि वह चला जाये और अगर वह नहीं गया तो।” कह कर वह स्त्री फिर रोने लगी और बोली — ओह यह भयानक नुंग ग्वामा यह भूखा नुंग ग्वामा आज मुझे खाने मेरे घर आ रहा है तभी वहाँ से एक साँप बेचने वाला जा रहा था। उस स्त्री की आवाज सुन कर वह भी बोला — “ओह मेरे भगवान वह भयानक नुंग ग्वामा तो हड्डियाँ तक खा लेता है।”
उसकी झोली में कई साँप थे। उसने उनमें से दो साँप निकाले और उस स्त्री को देते हुए कहा — “लो तुम ये दो साँप ले जाओ और इनको अपने हाथ धोने के बर्तन के पास रख देना। हो सकता है कि नुंग ग्वामा अपने खाद लगे हाथ धोना चाहे तो ये साँप उसको काट लेंगे। तो शायद वह चला जाये।”
स्त्री बोली — “हो सकता है कि वह चला जाये और अगर वह नहीं गया तो।” कह कर वह स्त्री फिर रोने लगी और बोली — ओह यह भयानक नुंग ग्वामा यह भूखा नुंग ग्वामा आज मुझे खाने मेरे घर आ रहा है तभी वहाँ से एक मछियारा जा रहा था। उस स्त्री की आवाज सुन कर वह भी बोला — “हे भगवान वह भयानक नुंग ग्वामा तो हड्डियाँ तक खा लेता है।”
उसने अपने पास से उस स्त्री को दो काटने वाली मछलियाँ दे कर कहा — “इन मछलियों को किसी हलके गर्म पानी की बालटी में रख देना। अगर नुंग ग्वामा को साँप काटेगा तो हो सकता है कि वह गर्म पानी में अपने हाथ रखना चाहे तब यह मछली उसे काट लेगी। इससे शायद वह चला जाये।”
स्त्री बोली — “हो सकता है कि वह चला जाये और अगर वह नहीं गया तो।” कह कर वह स्त्री फिर रोने लगी और बोली — ओह यह भयानक नुंग ग्वामा यह भूखा नुंग ग्वामा आज मुझे खाने मेरे घर आ रहा है तभी वहाँ से एक अंडा बेचने वाला जा रहा था। उस स्त्री को सुन कर उसके मुँह से भी निकला — “हे मेरे भगवान वह भयानक नुंग ग्वामा तो हड्डियाँ तक खा जाता है।”
उसने उस स्त्री से कहा — “लो तुम मेरे ये कुछ अंडे ले लो और इनको गर्म राख में रख देना। अगर साँप और मछली उसको काटेंगे तो उसकी उँगलियों में से खून निकल आयेगा।
उस समय शायद वह अपना खून रोकने के लिये उनको गर्म राख में रखना चाहे तो ये अंडे फूट कर उसके चेहरे पर बिखर जायेंगे जो उसके चेहरे को तकलीफ पहुँचायेंगे। तब शायद वह चला जाये।”
स्त्री बोली — “हो सकता है कि वह चला जाये और अगर वह नहीं गया तो।” कह कर वह स्त्री फिर रोने लगी और बोली — ओह यह भयानक नुंग ग्वामा यह भूखा नुंग ग्वामा आज मुझे खाने मेरे घर आ रहा है तभी एक आदमी उधर से चक्की के बड़े बड़े पाट ले कर जा रहा था जो अनाज पीसने के काम आते हैं।
उसने जब उस स्त्री को यह कहते सुना तो उसके मुँह से भी निकला — “ओह मेरे भगवान वह भयानक नुंग ग्वामा तो हड्डियाँ तक खा जाता है।”
फिर उसने उस स्त्री से कहा — “लो इनमें से चक्की का एक पाट तुम लुढ़काती हुई अपने घर ले जाओ। घर ले जा कर इसको एक रस्सी के सहारे अपने बिस्तर के ऊपर लटका देना। जब वह तुम्हारे घर आये तो उसको इस पत्थर के नीचे खड़े होने के लिये कहना और जब वह इसके नीचे खड़ा हो जाये तो इसकी रस्सी काट देना। बस यह पत्थर उसके ऊपर गिर पड़ेगा और वह मर जायेगा।”
उस स्त्री ने सोचा शायद नुंग ग्वामा इस पत्थर के नीचे दब कर मर जाये। पर अगर वह इसके नीचे भी आ कर न मरा तो। पर फिर भी वह उस पत्थर को अपने घर ले आयी।
घर आ कर उसने सुइयाँ अपने घर के दरवाजे के पास रखीं। बदबूदार खाद सुइयों के पास डाला। साँप उसने अपने हाथ धोने वाले टब में डाले और मछली गर्म पानी में डालीं। अंडे उसने गर्म राख में रखे और वह चक्की का पाट उसने अपने बिस्तर के ऊपर रस्सी से लटका दिया।
यह सब कर के उसने अपना लैम्प बुझा दिया और नुंग ग्वामा का इन्तजार करने लगी।
फ्लिप फ्लौप फ्लिप फ्लौप। उसने नुंग ग्वामा के बड़े बड़े पैरों की आवाज सुनी।
“आर्ग, ओ औरत तू तो बड़ी नीच है। तूने ये सुइयाँ यहाँ इसलिये रखी हैं ताकि वे मेरी उँगलियों में चुभ जायें।”
वह फिर बोला — “उँह, तूने मेरे सूँघने के लिये यह बदबूदार भी कुछ बिखेरा है। पर मैं तुझे आज छोड़ने वाला नहीं मुझे तो आज तुझे खाना ही है। मैं ज़रा इस हाथ धोने वाले टब में पहले अपने हाथ धो लूँ।”
सो जैसे ही उसने अपने हाथ धोने के लिये उस टब में डुबोये तो वह चिल्लाया — “अरे मुझे तो साँप ने काट लिया।”
सो वह अपने दर्द भरे हाथों को गर्म पानी के बर्तन में डुबोने के लिये गया तो वहाँ गर्म पानी में हाथ डुबोते ही वह चिल्लाया — “अरे यहाँ तो मुझे मछली ने काट लिया। ओ औरत तू बड़ी नीच है पर फिर भी मैं तुझे खाऊँगा। मैं ज़रा अपने इन हाथों को गर्म राख में थोड़ा सा आराम दे दूँ।”
लेकिन ऐसा करते ही उस राख में रखे अंडे फूट कर उसके चेहरे पर जा पड़े सो वह फिर चिल्लाया — “उफ़ इस सबके लिये मैं तेरी हड्डियाँ तक कुचल कर खा जाऊँगा। तू है कहाँ। मेरे सारे चेहरे पर अंडा पड़ा हुआ है मुझे तो तू दिखायी ही नहीं दे रही।”
स्त्री बोली — “मैं यहाँ हूँ तू आ कर मुझे ज़रा खा कर तो दिखा।”
फ्लिप फ्लौप फ्लिप फ्लौप। स्त्री ने फिर उसके पैरों की आवाज सुनी और अब तो नुंग ग्वामा बिल्कुल उसके सोने वाले कमरे में था। कुछ न दिखायी देने की वजह से वह उसके पलंग से टकरा गया और उसके बिस्तर पर गिर पड़ा बस उसी समय उसने उस पत्थर की रस्सी काट दी और वह राक्षस मर गया।
उसके बालों और हड्डियों के उसको बहुत अच्छे पैसे मिले। उतने पैसे में वह और उसके माता पिता बहुत अच्छी तरह से बहुत दिनों तक रहे।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)