नू वा ने आसमान की मरम्मत की : चीनी लोक-कथा
Nu Wa Repairs the Sky : Chinese Folktale
यह बहुत पहले की बात है जब धरती और आसमान एक हुआ करते थे। उस समय न कोई सूरज था न कोई चाँद। हवा, बारिश और बिजली भी तब तक बनाये नहीं गये थे। पहाड़, नदी, पेड़ भी तब तक कहीं नहीं थे।
पहले आदमी पान कू ने इस दुनियाँ में जान डाली और इस धरती पर सारी चीज़ें पैदा कीं। जैसे ही धरती और आकाश पैदा हुए वे अलग अलग हो गये। और अठारह हजार साल के बाद तो वे इतने अलग हो गये कि वे मुश्किल से ही दिखायी देते थे।
पान कू ने आसमान की चाल को ध्यान से देखा तो वह यह देख कर डर गया कि यह आसमान तो किसी भी दिन धरती पर गिर पड़ेगा।
सो उसने एक पेड़ से उसके रेशे निकाल कर उसकी एक रस्सी बनायी और उसके चार टुकड़े कर के आसमान के चारों कोनों में बाँध दिये।
फिर उसने उन रस्सियों को इतना खींचा इतना खींचा जिससे वह आसमान बिल्कुल सीधा सपाट चौरस हो गया और फिर उसने उन रस्सियों को दुनियाँ के चारों कोनों से बाँध दिया।
और ज़्यादा पक्का करने के लिये कि कहीं आसमान धरती के ऊपर न गिर पड़े उसने लकड़ी के चार मोटे मोटे लठ्ठे जमीन में गाड़ कर उनको आसमान के चारों कोनों के नीचे भी लगा दिया।
उस समय केवल स्वर्ग, धरती और पान कू ही थे। जब पान कू मर गया तो सूरज चाँद, पहाड़ नदी, बारिश धूप और सब चीज़ें उसी के शरीर और साँस से बनायी गयीं।
पान कू ने आखीर में नू वा नाम की एक स्त्री को पैदा किया जो धरती पर एक अकेली स्त्री थी। वह बहुत सुन्दर थी। उसके बाल बहुत काले थे। उसका शरीर दो काले ऐंठे हुए साँपों का बना हुआ था।
उसका काम धरती पर खून और माँस के आदमी बनाना था न कि उसके अपने जैसा कोई आदमी बनाना।
वह रोज नदी की कीचड़ और पानी मिलाती और उसकी मिट्टी से आदमी और स्त्रियों की शक्लें बनाती। जैसे ही उसकी गर्म साँस उन शक्लों को छूती वे शक्लें ज़िन्दा हो जातीं। इस तरह से वह धरती पर आदमी बना रही थी।
एक दिन नू वा नदी के किनारे आराम कर रही थी तो उसको सरकंडे के खेत में एक रस्सी का टुकड़ा दिखायी दे गया। उसने उसको उठा लिया और अपने पास वाले कीचड़ वाले पानी में डुबो दिया। कुछ पल बाद उसने उसको पानी में से निकाल लिया और हिला हिला कर सुखा लिया।
उस रस्सी को हिलाने से उसके पानी की बूँदें इधर उधर घास पर जा गिरीं। पानी की हर बूँद जो भी घास पर गिरी एक पल के लिये तो वह जवाहरात की तरह चमकी पर फिर वह एक आदमी में बदल गयी।
आदमी बनाने का यह आसान तरीका देख कर नू वा ने उसी शाम सैंकड़ों आदमी बना दिये। इस तरीके से आदमी को बनाने ने नू वा की ज़िन्दगी बहुत आसान कर दी। फिर अगले कई सालों में तो उसने वैसी ही पानी के बूँदों से लाखों करोड़ों आदमी और स्त्रियाँ पैदा कर दीं।
पर जो भी आदमी उसके हाथ से पैदा हुए थे वे तो सब बहुत अक्लमन्द, हिम्मत वाले और अमीर थे जबकि जो आदमी इन पानी के बूँदों से पैदा हुए थे वे सब कमजोर थे।
पहले तो नू वा अपने इस काम से सन्तुष्ट थी कि उसने इस धरती पर काफी लोग पैदा कर दिये थे पर बाद में उसको यह महसूस हुआ कि इन सबका ज़िन्दा रहना कितना मुश्किल था। क्योंकि धरती पर बहुत सारे ज्वालामुखी थे। जंगलों में बहुत सारे जंगली जानवर हो गये थे। नदियाँ खतरनाक मछलियों की बहुतायत से रुक गयी थीं।
हालाँकि नू वा भी अब बूढ़ी और कमजोर हो गयी थी फिर भी उसने उन सबको बुलाया जिनको उसने अपने हाथ से बनाया था। उसने उनको चाकू और भाले दिये। वे सब उन चाकू और
भालों को ले कर धरती के कोने कोने में गये। उन जंगली जानवरों को मारा, ज्वालामुखियों को शान्त किया और नदियों और जंगलों की सफाई की।
उन्होंने धरती को उन कमजोर लोगों को रहने के काबिल बनाया जो खुद अपनी रक्षा नहीं कर सकते थे।
वे लाखों करोड़ों आदमी जो नू वा ने बनाये थे उन आदमियों में उसने देखा कि दो आदमी – चुआन सू और कुंग कुंग सबसे ज़्यादा हिम्मत वाले थे। वे दोनों ही बहुत अच्छे लड़ने वाले थे और वे बहुत साल तक आपस में लड़ते भी रहे।
हालाँकि नू वा को यह देख कर बहुत दुख होता था कि उनकी लड़ाई में यह धरती कितनी खराब हो गयी थी और कमजोर लोग भी बहुत मारे गये थे पर फिर भी वह उनकी लड़ाई को बड़े चाव से देखती थी।
एक शाम चुआन सू और कुंग कुंग दोनों एक दूसरे के सामने आये और आपस में इतने ज़ोर से लड़ना शुरू किया कि जो भी पेड़ उनके रास्ते में आया उनकी तलवार से उसके दो टुकड़े हो गये।
इसके अलावा रात तक उन दोनों के घावों से इतना सारा खून बह निकला कि जिसकी एक बहुत बड़ी झील बन गयी।
इसके बाद कुंग कुंग अपनी तलवार को और ज़्यादा न चला पाया और इसकी वजह से हार कर अपने घुटनों पर बैठ गया। कुंग कुंग का घमंड चूर हो गया था। वह अब अपने शहर में किसी को अपना मुँह दिखाने के लायक भी नहीं रह गया था।
सो वह अकेला ही चीन के उत्तर पश्चिमी पहाड़ों की तरफ चल दिया। वह वहाँ के दूर दूर के गाँवों में भी पहचान तो लिया गया पर वहाँ के लोगों ने उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।
यह सब देख कर अब उसके पास अपनी जान लेने के अलावा और कोई चारा नहीं रहा। सो वह पू चू शान पहाड़ से बनी खाई में कूद पड़ा और नीचे गिरते ही मर गया।
जब वह नीचे गिरा तो उसके गिरने से वह सारा का सारा पहाड़ हिल गया। पहाड़ के हिलने से पहाड़ टूट गया और उसके बड़े बड़े पत्थर उस खाई में गिर पड़े।
इससे बहुत सारे पेड़ भी टूट टूट कर गिर पड़े। वे पत्थर और पेड़ इतने सारे थे कि वे गिर कर वहाँ तक पहुँच गये जहाँ तक धरती के उत्तरी और पश्चिमी किनारे पर आसमान को सहारा देने वाले लकड़ी के खम्भे खड़े थे।
वे पेड़ जा कर लकड़ी के उन खम्भों से जा टकराये जो आसमान से रस्सियों से बँधे हुए थे। इससे रस्सियाँ टूट गयीं और आसमान उन्हें तोड़ते हुए नीचे गिरने लगा। सूरज भी नष्ट हो गया और दुनियाँ अँधेरे में डूब गयी। यह सब देख कर स्वर्ग में पान कू बहुत दुखी हुआ।
धरती पर नू वा भी बहुत दुखी थी कि जिन लोगों को उसने अपने हाथ से बनाया था वे शान्ति से नहीं रह सके। वह यह देख कर और भी बहुत दुखी थी कि उसका अपना घर भी सब गर्म हो गया था।
हालाँकि किसी और को बदलने के लिये तो अब बहुत देर हो चुकी थी पर कम से कम धरती को बचाने के लिये आसमान की मरम्मत करने के लिये अभी बहुत देर नहीं हुई थी। नू वा ने एक कछुआ पकड़ा, उसको मारा और उसके चारों पैर धरती के चारों कोनों में रख दिये ताकि वह खुद और दूसरे लोग भी हमेशा यह जान सकें कि वे किस दिशा में इशारा कर रहे थे।
फिर उसने एक काला ड्रैगन मारा और उसके शरीर को आसमान के अन्दर जो झिरी खुल गयी थी और उसमें से जो पानी निकल रहा था उसको रोकने के लिये उसे तब तक इस्तेमाल किया जब तक उसको एक ऐसा पत्थर नहीं मिल गया जो उसमें ठीक से लग सके।
वह ऐसे पत्थर को चीन में चारों तरफ कई महीनों तक ढूँढती रही जिसको वह वहाँ आसमान में लगा सके पर उसको वैसा पत्थर कहीं मिल ही नहीं रहा था। जैसे जैसे दिन बीतते जा रहे थे ड्रैगन का शरीर पानी के बोझ से नीचे लटकता जा रहा था। इस बीच आसमान से बारिश भी होने लगी।
आखिर उसको पहाड़ की एक गुफा के अन्दर जा कर वैसा पत्थर मिला जैसा वह चाहती थी। उसको देखते ही वह पहचान गयी कि वही वह पत्थर है जो हमेशा के लिये आसमान की मरम्मत कर सकता था। उसने वह पत्थर ऊपर तक उठाया और पानी को रोकते हुए उसको ठीक जगह पर लगा दिया।
बारिश रुक गयी और आसमान में एक बार फिर से सूरज निकल आया। नू वा जानती थी कि अब उसका मरने का समय आ गया था सो उसने धरती पर एक सबसे बहादुर और सबसे ज़्यादा मजबूत आदमी को ढूँढने की कोशिश की तो उसकी नजर चुआन सू पर ही पड़ी।
अपने मरने से पहले उसने उसको अपना वारिस और बादशाह बना दिया। उस समय के बाद से चीन के बादशाह को यह कहा गया कि वह स्वर्ग और धरती पर रहते हुए लोगों में मेल जोल रखे।
Pan Ku – the first man according to Chinese Mythology.
Nu Wa named woman – the first woman on the Earth according to Chinese Mythology.
Pou Chou Shan Mountain in China
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)