नौ हयीना और शेर : इथियोपिया की लोक-कथा

Nau Hyena Aur Sher : Ethiopia Folk Tale

एक बार नौ हयीना और एक शेर शिकार करने के लिये निकले और दस गायें ले कर घर आये।

जब वे उनका बंटवारा करने लगे तो शेर ने उन नौ हयीना से कहा - "हयीना भाई देख़ो हम दस लोग शिकार के लिये गये थे और वहाँ से दस गाय ले कर लौटे हैं इसलिये अब हम सब जब अलग अलग हों तो तभी भी हमको दस ही होना चाहिए। है न?

तुम लोग नौ हो तो अगर तुम एक गाय ले लोगे तो तुम लोग दस हो जाओगे और मैं क्योंकि अकेला हूँ इसलिये दस होने के लिए मुझे नौ गाय चाहिये सो अगर मैं नौ गाय ले लूँगा तो हम दोनों दस दस हो जायेंगे।"

अब हयीना और शेर का क्या मुकाबला। बेचारे हयीना यह जानते हुए भी कि यह बंटवारा गलत है चुपचाप शेर की बात मान गये और उसको यह जताते हुए कि यही बंटवारा ठीक है वे बेचारे एक गाय ले कर चले आये।

जब बेटे हयीना घर लौटे तो उनके पिता ने अपने उन नौ हयीना बेटों से पूछा - "अरे तुम क्या केवल एक ही गाय ले कर आये हो? यह एक गाय तुम कैसे लाये?"

हयीना बोले - "हम सब आज शेर भाई के साथ मिल कर शिकार करने गये थे। हम सबने मिल कर वहाँ दस गायें पकड़ीं और उनको ले आये।

जब हम उनको ला रहे थे तो शेर भाई बोले "तुम नौ भाई एक गाय ले लो और मैं अकेला नौ गायें ले लूँ तो हम दोनों की गिनती दस दस हो जायेगी। उन्होंने हमसे जैसा कहा हमने वैसा ही किया और इस तरह हम यह एक गाय ले कर आ गये।"

यह सुन कर उनके पिता ने कहा - "उस शेर ने तो तुमको बेवकूफ बनाया है मेरे बच्च़ों चलो तुम मुझे उस शेर के पास ले चलो जिसने तुम्हारे साथ ऐसा किया है। मैं उसे देखता हूँ। मेरा घोड़ा तैयार करो।"

नौ हयीना बेटों ने मिल कर अपने पिता के लिये घोड़ा तैयार किया और पिता हयीना उस शानदार घोड़े पर सवार हो कर अपने बच्चों के साथ उस शेर के पास चल दिये।

जब वे सब शेर की माँद के पास पहॅुचे तो पिता हयीना ने कहा - "वह शेर कहाँ है जिसने तुम्हें बेवकूफ बनाया है? वह इस पहाड़ के किस तरफ रहता है?"

बच्चों ने कहा - "पिताज़ी वह जो पहाड़ आपको दिखायी दे रहा है वही तो शेर है।"

पिता फिर बोला - "तो उस पहाड़ के बराबर में वह लाल लाल आग क्या है?"

इस पर बच्चे बोले - "वे तो शेर की आँखें हैं पिता जी।"

वे थोड़ा और आगे बढ़े तो पिता हयीना ने कहा - "शेर ज़ी नमस्कार।"

शेर ने जवाब दिया - "नमस्कार। कहिये मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ?"

पिता हयीना बोला - "मैं इसलिए आया हूँ सरकार ताकि आपको वह गाय भी दे दूँ जो आपने मेरे बच्चों को दी थी और साथ में अपना यह घोड़ा भी।"

बड़ी मुश्किल से वह इतना ही कह सका और शेर की दी हुई गाय और अपना घोड़ा दोनों ही वहीं छोड़ कर वहाँ से भाग लिया।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि अपने से ज़्यादा ताकतवर आदमी के साथ बहस करने से कोई फायदा नहीं।

(साभार : सुषमा गुप्ता)

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