नारियल का जन्म : लोक-कथा (अंडमान निकोबार)
Nariyal Ka Janm : Lok-Katha (Andaman & Nicobar)
पुराने समय में कार-निकोबार के एल्कामेरो में दो मित्र रहते थे। एक का नाम असोंगी और दूसरे का
एनालो था। दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे। वे साथ-साथ काम करते, जो कुछ वे कमाते उससे
साथ-साथ खाते और दुःख-सुख में साथ रहते। दोनों पूरे दिन काम में लगे रहते थे।
कार-निकोबार में एक बार सूखा पड़ा। हालांकि निकोबार चारों ओर समुद्र से घिरा था लेकिन पूरे साल
पानी की एक बूँद भी नहीं बरसी थी। सारे कुएँ सूख गए थे। मनुष्य, जानवर, पक्षी बिना पानी के मर रहे थे।
असोंगी एक अच्छा जादूगर था। उसके गाँव वाले ही नहीं दूर-दूर से दूसरे लोग भी उसका जादू देखने
को आते थे। एक दिन दोनों दोस्त घास काटने को गए। असोंगी को अपनी छुरी तेज करनी थी, लेकिन
आसपास कहीं पानी नजर नहीं आ रहा था। ऐसे में असोंगी जंगल में घुस गया और जादू के बल पर जमीन
से पानी निकाल लिया। उसे लेकर वह अपने मित्र एनालो के पास आया। एनालो को बड़ा आश्चर्य हुआ।
“यह पानी तुम कहाँ से ले आए?” उसने असोंगी से पूछा।
“जंगल के भीतर से ।” असोंगी ने संक्षिप्त-सा उत्तर दिया।
“देखो, मैं तुम्हारा सबसे गहरा दोस्त हूँ।” एनालो लालचपूर्वक बोला, ''मुझे भी यह जादू सिखाओ न!"
“एनालो, मेरे दोस्त, मुझे तुम्हारी दोस्ती पर कोई शक नहीं।” असोंगी ने सपाट आवाज में बोलना शुरू
किया, “लेकिन, मेरे गुरुजी का कहना था कि हर विद्या हर आदमी को नहीं सिखाई जा सकती।
इसलिए... ।"
“अच्छा! तो मैं जादू सीखने के योग्य नहीं हूँ ?” उसकी बात सुनकर एनालो क्रोधपूर्वक चीखा। इस
नाराजगी में उसने अपने मित्र का सिर धड़ से उड़ा दिया। असोंगी के धड़ को उसने वहीं दफन कर दिया
और सिर को लेकर घर आ गया। घर पर उसने असोंगी के सिर को एक खम्भे पर लटका दिया।
रात में वह सिर एनालो से बहुत-सी बातें किया करता था। इससे डरकर एनालो गाँव छोड़कर भाग
गया। वह दूसरे गाँव में जा पहुँचा। वहाँ उसने शादी की और आराम से रहने लगा। कुछ समय बाद उसके
घर एक पुत्री का जन्म हुआ। वह एक खूबसूरत लड़की थी। सभी उसे प्यार करते थे।
एक बार अचानक लड़की बीमार पड़ गई। एनालो ने उसका बहुत इलाज कराया लेकिन किसी भी
दवा से उसे आराम नहीं हुआ।
दुःखी और थका-हारा एनालो एक रात जल्दी सो गया। गहरी नींद में उसने एक स्वप्न देखा। सपने में
उसके दोस्त असोंगी के कटे हुए सिर ने उससे यह कहा :
“इस सिर को जमीन में दबा दो। उससे एक पेड़ उगेगा। जब उस पर फल आ जाएँ तब उस फल को
तोड़ना। उस फल को काटने पर उसके भीतर पानी निकलेगा। वह पानी अपनी बेटी की पिलाओ। वह
ठीक हो जाएगी।” एनालो की नींद टूट गई। वह मूँह-अँधेरे ही उठ बैठा और दौड़ता हुआ अपने पुराने
गाँव में पहुँचा। घर में खम्भे पर लटके असोंगी के सिर को उसने उसके बताए अनुसार जमीन में दबा दिया।
कुछ समय बाद उस सिर से एक पेड़ पैदा हुआ। उस पर फल लगे। एनालो ने फलों को बीच से काटा
और पानी निकालकर बेटी को पिलाया। कुछ ही दिनों में लड़की बिल्कुल चंगी हो गई। एनालो उसे स्वस्थ
देखकर बहुत खुश हुआ। उसे दुःख हुआ कि उसने असोंगी जैसे भला चाहने वाले मित्र के साथ घात किया।
निकोबार के लोग आज भी नारियल को असोंगी के सिर से पैदा हुआ फल मानते हैं।
(प्रस्तुति: बलराम अग्रवाल)