नमक और पत्थर : हिमाचल प्रदेश की लोक-कथा
Namak Aur Patthar : Lok-Katha (Himachal Pradesh)
नमक और पत्थर पानी में गोता खाते-खाते पानी में डूब गए थे। पत्थर तो पत्थर था परन्तु नमक पानी में गलने लग गया था। नमक को गलता देख पत्थर जोर-जोर से आवाज देने लगा।
‘गल गया, ओए…गल गया। ….नमक गल गया।’
उसे जोर से बोलता देखकर लोगों ने कहा- “तुम तो ठीक-ठाक हो, क्यों ऊंचे चिल्लाता है। अपनी जान देख, और शोर बन्द कर।”
पत्थर के मन में ठन-ठनक हुई। सब समझ कर वह चुप हो गया। वह जान गया था कि नमक गंगा गया गंगादास और जमुना गया जमुनादास है।
(साभार : कृष्ण चंद्र महादेविया)