नाक कटी देवी : हिमाचल प्रदेश की लोक-कथा
Naak Kati Devi : Lok-Katha (Himachal Pradesh)
बहुत पुरानी बात है कि एक पति और उसकी पत्नी आपस में झगड़ रहे थे। पत्नी बोले कि उसे पिता के घर जाना है पर उसका पति बोले कि नहीं जाना है। पर पत्नी भी जिद्द पर अड़ी रही। वह अपने पिहर अवश्य जाना चाहती थी। भला पिहर किसे प्यारा नहीं होता। सयाने कहते हैं कि औरत धन-कमियां सह लेती है किन्तु अपने पिहर को गाली बर्दाश्त नहीं कर सकती।
हुआ यह कि दोनों पति-पत्नी बहस करते-करते धार के उपर एक छोटे से मैदान पर खड़े हो गए। खड़े-खड़े भी झगड़ने लगे थे। वहां पानी का स्त्रोत भी था। पति ने पुनः कहा कि पिहर न जाए। पत्नी ने कहा वह अवश्य जाएगी। पति को गुस्सा चढा और उसने पत्नी का नाक काट दिया। वह बेचारी नाक कटी हो गई। वह जालिम मर्द वहां से लौट गया। पर वह औरत स्वाभिमानी थी। वह पति के पास कभी नहीं लौटी। बाद में लोग उस मर्द को देवता मान कर पूजने लगे। किन्तु जी उस औरत को भी पुरूष-स्त्रियां देवी मानकर पूजने लगे। आज भी सुनते हैं कि उस धार का नाम उस नाक कटी औरत के नाम पर नकटी धार के नाम पर जाना जाता है। उसे नकटी देवी कह कर पूजा करते हैं। यह भी कहा जाता है कि इस धार पर नंगे होने की भी बिल्कुल मनाही है। हमारा भी नाक कटी देवी को प्रणाम है।
(साभार : कृष्ण चंद्र महादेविया)