म्यान और तलवार : हिमाचल प्रदेश की लोक-कथा
Myan Aur Talwar : Lok-Katha (Himachal Pradesh)
नौजवान युवक और युवती नदी पार करने लगे थे। नदी गहरी थी इसलिए युवती ने अपना पायजामा उपर समेटा और नदी पार करने लगी। युवक की निगाहें उस की नंगी पिंडलियों और जांघों पर पड़ी तो वह अपनें में न रह पाया। वह भी पीछे से नदी पार करता गया। दूसरे किनारे पहुंचते ही उसनें युवती का हाथ पकड़ लिया। युवक की आंखों में तैर आए लाल डोरे और उसकी तेज-तेज, उपर-नीचे चलती सांस को देखकर युवती नें बहुत प्यार से कहा
“जवान, हाथ में पकड़ी यह तलवार मेरे पास दें।”
कुछ सोचते युवक ने तलवार तो नहीं दी पर म्यान दे दिया। युवती मुस्कराई। उसने बड़े स्नेह से उसका मन घुमाते हुए कहा- “यह तलवार पानी में डाल कर बाहर निकालो।” युवक ने वैसा ही किया।
“कितना पानी तलवार से चुआ?” युवती ने कहा। “कुछ ही बून्दें।” युवक बोला।
युवती ने अब म्यान पानी में डाला। फिर बाहर निकाल कर उल्टा किया तो खूब पानी निकला।
“कितना पानी निकला? बहुत सारा, तलवार से कई गुणा।”
“तुम तलवार हो और मैं म्यान। इसे समझ भैया।” अब गम्भीर स्वर में युवती ने कहा।
युवक सन्न रह गया। उसके भीतर का काम नौ दो ग्यारह हो गया। म्यान और तलवार का अर्थ समझ कर, वह युवती अब उसकी निगाह में पूजन योग्य हो गई थी। युवक ने उसके पांव पकुड़ लिए। वह बहुत शर्मिन्दा तो था पर सदा के लिए चैतन्य हो गया था।
(साभार : कृष्ण चंद्र महादेविया)