मुर्गे और लोमड़े की कहानी : अलिफ़ लैला
Murge Aur Lomade Ki Kahani : Alif Laila
एक बार एक गाँव में एक शेख रहता था। उसकी अपने गाँव में बहुत अच्छी साख थी और वह एक बहुत ही समझदार आदमी था। उसके अपने पास बहुत सारे मुर्गे मुर्गियाँ थे।
वह उनको बढ़ाने के लिये उनकी बहुत अच्छी देखभाल करता था और उनके अंडे अपने खाने के लिये इस्तेमाल करता था। उन बहुत सारे मुर्गों में उसके पास एक बूढ़ा मुर्गा भी था जो बहुत ही हाजिरजवाब था। वह अपनी किस्मत से काफी दिनों तक लड़ चुका था सो वह अब दुनियाँ के मामलों में बहुत होशियार हो गया था।
एक दिन ऐसा हुआ कि यह बूढ़ा मुगार् कहीं बाहर दूसरे खेत पर घूमने गया। रास्ते में उसको जो कुछ मिल गया वह उसे उठा उठा कर खाता भी गया जैसे गेंहू, जौ, तिल के दाने आदि आदि। पर क्योंकि वह बहुत ही लापरवाही से घूम रहा था इसलिये घूमते घूमते वह अपना घर बहुत पीछे छोड़ आया और वहाँ से बहुत दूर निकल आया। उसको पता ही नहीं चला कि वह कितनी दूर आ गया था। अचानक उसको लगा कि वह तो किसी जंगल में अकेली जगह आ गया था। उसने अपनी दाहिनी तरफ देखा अपनी बायीं तरफ देखा, अपने पीछे की तरफ देखा अपने चारों तरफ देखा पर उसे वहाँ कोई भी ऐसा दिखायी नहीं दिया जो उसका दोस्त हो या फिर जिसको वह जानता हो।
अब वह यह सोचता हुआ वहीं का वहीं खड़ा रह गया कि वह अब करे तो क्या करे। उसकी कुछ समझ में नहीं आ रहा था। वह यह सब सोच ही रहा था कि उसने एक लोमड़े को अपनी तरफ आते देखा। उसको देख कर तो वह डर के मारे काँपने लगा।
तभी उसको अपने पास एक ऊँची सी दीवार दिखायी दे गयी। वह तुरन्त उड़ा और उस दीवार पर जा कर बैठ गया। वहाँ पहुँच कर उसकी साँस में साँस आयी क्योंकि अब उसका दुश्मन उस तक नहीं पहुँच सकता था। तभी लोमड़ा भी उस दीवार के नीचे तक आ गया। उसने मुगेर् को उस दीवार पर बैठे देखा तो उसके मुँह में पानी तो आ गया पर उसको यह भी पता चल गया कि वह उस दीवार पर नहीं चढ़ सकता था।
अब वह क्या करे। सो उसने ऊपर की तरफ देख कर मुगेर् से कहा — “अल्लाह करे तुम शान्ति से रहो। तुम एक बहुत ही अच्छे दोस्त और भाई हो।” पर मुर्गे ने न तो उसकी तरफ मुँह फेर कर ही देखा और न ही उसकी बात का कोई जवाब दिया।
लोमड़ा फिर बोला — “भाई यह क्या बात हुई कि न तो तुम मेरे सलाम का ही जवाब दे रहे हो और न ही तुम मुझसे बात कर रहे हो।” पर फिर भी मुर्गे ने उसको कोई जवाब नहीं दिया।
लोमड़ा फिर बोला — “क्या तुमको याद नहीं कि एक बार तुमने मुझे बड़ी होशियारी की सलाह दी थी। तुमने मुझे गले लगाया था और मेरे मुँह पर चूमा भी था।”
पर फिर भी मुर्गा उससे कुछ नहीं बोला। वह चुपचाप ही रहा।
लोमड़ा फिर बोला — “ओ मेरे भाई और चिड़ियों का राजा चील अभी एक ऐसी जगह के सफर से वापस आये हैं जहाँ बड़े बड़े घास के मैदान हैं, बहुत सारी घास उगती है, खूब सारा पानी है और खूब सारे फूल खिलते हैं। वहाँ बहुत सारे किस्म के जानवर और चिड़ियें अपने अपने साथियों के साथ घूम रहे हैं। उन दोनों यानी जानवरों के राजा शेर ओर चिड़ियों के राजा चील ने वहाँ सब जानवरों और चिड़ियों के बीच शान्ति, सुरक्षा, इज़्ज़त और एक दूसरे के लिये दया बना कर रखी हुई है।
और अगर वहाँ कोई एक दूसरे को घायल करता है तो उसको मौत की सजा मिलती है। वहाँ उन्होंने सबको प्यार से और आपस में मिल जुल कर रहने के लिये और एक ही जगह बैठ कर खाने के लिये कह रखा है।
उन्होंने मुझे अपना दूत बनाया और कहा कि मैं चारों तरफ जा जा कर सबको इकट्ठा करूँ और उनको यह बताऊँ कि जो कोई उनका यह हुकुम नहीं मानेगा तो उसको सजा मिलेगी। इसलिये तुम आराम से नीचे उतर आओ तुम्हें मुझसे डरने की जरूरत नहीं है।” पर इस सबको सुनने के बाद भी मुर्गे ने उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जैसे उसने यह खबर सुनी ही न हो। वह चुपचाप वहीं बैठा दूर देखता रहा।
इतना सब कुछ कहने के बाद भी जब मुर्गे ने उसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया तो लोमड़े का धीरज छूट गया।
वह तो मुर्गे को पकड़ना चाहता था सो वह मुर्गे से बोला — “तुम मुझे जवाब दे कर यह क्यों नहीं बताते कि तुमने मेरी बातें सुन भी ली हैं या नहीं। बल्कि तुम तो उस दूत से भी अपना चेहरा दूसरी तरफ फिरा रहे हो जिसको शेर और चील ने भेजा है।
मुझे तुम्हारे लिये डर लगता है मुर्गे भाई। क्योंकि अगर तुमने मेरे साथ आने से मना कर दिया तो वे सब जानवर और चिड़ियें जो वहाँ घास के मैदान में इकट्ठे हुए हैं वे सब तुमको बुरा भला कहेंगे।”
जब मुर्गे ने लोमड़े की इस बात का भी कोई जवाब नहीं दिया तो लोमड़ा बोला — “अगर तुम मेरे साथ नहीं आ रहे तो न सही कम से कम मुझे अपना जवाब तो बता दो।”
अब मुर्गा बोला — “लोमड़े भाई, मुझे मालूम है कि तुम मुझे अच्छी बात बता रहे हो। अपने राजा के दूत की हैसियत से मैं तुम्हारी बहुत इज़्ज़त करता हूँ पर अब मेरे हालात बदल गये हैं।”
यह सुन कर लोमड़ा आर्श्चय से बोला — “वह कैसे मुर्गे भाई ? और अब क्या हालात हो गये हैं तुम्हारे?”
मुर्गा बोला — “क्या तुम वह देख पा रहे हो जो मैं देख रहा हूँ?”
“वह क्या है?”
“मैं नीचे तो उड़ता हुआ धूल का बादल देख रहा हूँ और उस धूल के बादल के ऊपर गोले में उड़ती हुई चीलें देख रहा हूँ।”
यह सुन कर लोमड़ा डर गया। वह बोला — “ज़रा सँभल कर रहना मुर्गे भाई कहीं कोई गड़बड़ न हो जाये तुम्हारे साथ।”
मुर्गे ने अपना देखना जारी रखते हुए कहा — “मुझे एक चिड़िया भी उड़ती हुई दिखायी दे रही है।”
यह सुन कर तो लोमड़ा और भी परेशान हो गया। उसने डर कर मुर्गे से पूछा — “ज़रा देख कर तो बताओ मुर्गे भाई कि कहीं वह गे्रहाउंड कुत्ता तो नहीं है?”
मुर्गा बोला — “सच तो केवल अल्लाह ही जानता है क्योंकि मैं अभी उसको साफ साफ नहीं देख पा रहा हूँ पर हाँ उसकी लम्बी लम्बी टाँगें मुझे दिखायी दे रही हैं और वह इधर ही की तरफ को चला आ रहा है।”
जैसे ही लोमड़े ने यह सुना तो वह मुर्गे से चिल्ला कर बोला — “मुझे अब यहाँ से जाना चाहिये मुर्गे भाई।” और यह कह कर वह वहाँ से जितनी जल्दी हो सकता था भाग लिया।
उसको भागते देख कर मुर्गा चिल्लाया — “तुम क्यों भाग रहे हो लोमड़े भाई तुमने तो किसी को कोई नुकसान नहीं पहुँचाया?”
लोमड़ा बोला — “मुझे तो ग्रेहाउंड से बहुत डर लगता है क्योंकि वह मेरा दोस्त नहीं है और मैं तो उसको जानता भी नहीं हूँ।”
मुर्गा बोला — “पर तुमने तो अभी जानवरों और चिड़ियों के राजा शेर और चील के दूत की हैसियत से मुझसे यह नहीं कहा था क्या कि जानवरों और चिड़ियों के राजा ने जंगल में शान्ति कर दी है और जो कोई एक दूसरे को घायल करेगा उसको मौत की सजा मिलेगी?”
अब लोमड़ा तो बहुत चालाक होता है सो वह तुरन्त बात बना कर बोला — “जिस समय यह सब वहाँ हो रहा था तो यह ग्रेहाउंड कुत्ता वहाँ नहीं था इसलिये इसको यह बात मालूम नहीं है।” कह कर वह लोमड़ा वहाँ से तुरन्त ही उड़न छू हो गया और मुर्गा अपने दुश्मन से बच गया।
लोमड़े के जाने के बाद मुर्गा दीवार पर से उतर आया और अपने अल्लाह का शुक्रिया करते हुए कि उसने उसको हिफाजत से अपने लोगों के पास पहुँचा दिया अपने मालिक के घर की तरफ चल दिया।