मूनाचर और मानाचर : आयरिश लोक-कथा
Moonachar and Manachar : Irish Folktale
यह बहुत समय पुरानी बात है कि एक गाँव में मूनाचर और मानाचर नाम के दो आदमी रहते थे। एक बार वे दोनों रसभरी चुनने गये।
मूनाचर जितनी रसभरी चुनता जाता था मानाचर वह सब रसभरियाँ खाता जाता था। जब मूनाचर को यह पता चला तो वह बहुत नाराज हुआ।
वह लकड़ी का एक डंडा ढूँढने निकला ताकि वह उससे एक रस्सी बना सके और उस रस्सी से मानाचर को फाँसी पर लटका सके क्योंकि उसने मूनाचर की रसभरियाँ खायीं थीं। सो वह एक डंडे के पास पहुँचा।
डंडा बोला — “मूनाचर भाई, कहाँ जा रहे हो?”
मूनाचर बोला — “मुझे एक डंडे की तलाश है जिससे मैं एक रस्सी बनाऊँगा और उस रस्सी से मानाचर को फाँसी लगाऊँगा जिसने मेरी सारी रसभरियाँ खायी हैं।”
डंडा बोला — “तुम मुझे तब तक नहीं ले जा सकते जब तक तुम मुझे काटने के लिये कुल्हाड़ी नहीं लाते।” सो मूनाचर एक कुल्हाड़ी के पास पहुँचा।
कुल्हाड़ी ने पूछा — “मूनाचर भाई, कहाँ चल दिये?”
मूनाचर बोला — “मुझे एक कुल्हाड़ी की तलाश है जो डंडा काटेगी, डंडे से मैं रस्सी बनाऊँगा, रस्सी से फिर मैं मानाचर को फाँसी लगाऊँगा क्योंकि मानाचर ने मेरी सारी रसभरियाँ खा ली हैं।”
कुल्हाड़ी बोली — “मुझे पाने के लिये तुम्हें मेरे डंडे पर एक झंडी बाँधनी होगी।” सो मूनाचर एक झंडी के पास गया।
झंडी ने मूनाचर से पूछा — मूनाचर भाई, इधर कैसे आना हुआ?”
मूनाचर बोला — “मुझे एक झंडी की तलाश है जिसे मैं कुल्हाड़ी पर लगाऊँगा, कुल्हाड़ी डंडा काटेगी, डंडे से मैं रस्सी बनाऊँगा और उस रस्सी से मैं मानाचर को फाँसी लगाऊँगा क्योंकि मानाचर ने मेरी सारी रसभरियाँ खा ली हैं।”
झंडी बोली — “मैं तब तक कुल्हाड़ी के ऊपर नहीं लग सकती जब तक तुम मुझे पानी से गीला नहीं करोगे।” सो मूनाचर पानी के पास पहुँचा।
पानी ने पूछा — “क्या तलाश कर रहे हो मूनाचर भाई?”
मूनाचर बोला — “मैं पानी की तलाश में हूँ। पानी झंडी को गीला करेगा, झंडी मैं कुल्हाड़ी पर लगाऊँगा, कुल्हाड़ी डंडा काटेगी, डंडे से मैं रस्सी बनाऊँगा और उस रस्सी से मैं मानाचर को फाँसी लगाऊँगा क्योंकि मानाचर ने मेरी सारी रसभरियाँ खा ली हैं।”
पानी बोला — “तुम मुझे नहीं ले पाओगे जब तक कि हिरन मेरे अन्दर नहीं तैरेगा।” सो मूनाचर चलते चलते हिरन के पास पहुँचा।
हिरन ने पूछा — “किधर चल दिये मूनाचर भाई?”
मूनाचर बोला — “मैं हिरन की तलाश में हूँ। हिरन पानी में तैरेगा, पानी झंडी को गीला करेगा, झंडी मैं कुल्हाड़ी पर लगाऊँगा, कुल्हाड़ी डंडा काटेगी, डंडे से मैं रस्सी बनाऊँगा और उस रस्सी से मैं मानाचर को फाँसी लगाऊँगा क्योंकि मानाचर ने मेरी सारी रसभरियाँ खा ली हैं।”
हिरन बोला — “तुम मुझको नहीं पा सकते जब तक कोई कुत्ता मेरा पीछा न करे।” सो मूनाचर एक शिकारी कुत्ते के पास पहुँचा।
कुत्ता बोला — “मूनाचर भाई, किधर जा रहे हो?”
मूनाचर बोला — “मैं एक कुत्ते की तलाश में हूँ जो मेरे लिये हिरन लायेगा। हिरन पानी में तैरेगा, पानी झंडी को गीला करेगा, झंडी मैं कुल्हाड़ी पर लगाऊँगा, कुल्हाड़ी डंडा काटेगी, डंडे से मैं रस्सी बनाऊँगा और उस रस्सी से मैं मानाचर को फाँसी लगाऊँगा क्योंकि मानाचर ने मेरी सारी रसभरियाँ खा ली हैं।”
कुत्ता बोला — “तुम मुझे तब तक नहीं पा सकोगे जब तक तुम मेरे पंजों में मक्खन नहीं लगाओगे।” सो मूनाचर मक्खन ढूँढने चल दिया।
आगे जा कर उसे मक्खन मिला तो उसने पूछा — “मूनाचर भाई, कहाँ चल दिये?”
मूनाचर बोला — “मैं मक्खन की तलाश में हूँ। मैं मक्खन कुत्ते के पंजों में लगाऊँगा, कुत्ता मेरे लिये हिरन ले कर आयेगा, हिरन पानी में तैरेगा, पानी झंडी को गीला करेगा।
झंडी मैं कुल्हाड़ी पर लगाऊँगा, कुल्हाड़ी डंडा काटेगी, डंडे से मैं रस्सी बनाऊँगा और उस रस्सी से मैं मानाचर को फाँसी लगाऊँगा क्योंकि मानाचर ने मेरी सारी रसभरियाँ खा ली हैं।”
मक्खन बोला — “मुझे पाने के लिये तुम्हें एक बिल्ली लानी पड़ेगी जो मुझे खुरचेगी।” सो मूनाचर एक बिल्ली के पास पहुँचा।
बिल्ली ने पूछा — “कैसे आना हुआ मूनाचर भाई?”
मूनाचर बोला — “मुझे एक बिल्ली चाहिये जो मेरे लिये मक्खन खुरचेगी। मैं मक्खन कुत्ते के पंजों में लगाऊँगा, कुत्ता मेरे लिये हिरन ले कर आयेगा, हिरन पानी में तैरेगा, पानी झंडी को गीला करेगा।
झंडी मैं कुल्हाड़ी पर लगाऊँगा, कुल्हाड़ी डंडा काटेगी, डंडे से मैं रस्सी बनाऊँगा और उस रस्सी से मैं मानाचर को फाँसी लगाऊँगा क्योंकि मानाचर ने मेरी सारी रसभरियाँ खा ली हैं।”
बिल्ली बोली — “तुम मुझे नहीं पा सकते जब तक तुम मुझे दूध नहीं पिलाओगे।” सो मूनाचर एक गाय के पास आया।
गाय बोली — “तुम सुखी रहो मूनाचर भाई, किधर चल दिये?”
मूनाचर बोला — “मैं एक गाय की तलाश में हूँ जिसका दूध बिल्ली पियेगी। बिल्ली मेरे लिये मक्खन खुरचेगी, मैं मक्खन कुत्ते के पंजों में लगाऊँगा, कुत्ता मेरे लिये हिरन ले कर आयेगा, हिरन पानी में तैरेगा, पानी झंडी को गीला करेगा।
झ्ंडी कुल्हाड़ी पर लगेगी, कुल्हाड़ी डंडा काटेगी, डंडा रस्सी बनायेगा और उस रस्सी से मैं मानाचर को फाँसी लगाऊँगा क्योंकि मानाचर ने मेरी सारी रसभरियाँ खायी हैं।”
गाय बोली — “मेरा दूध पाने के लिये तुमको भूसे वालों से भूसा लाना पड़ेगा।” सो मूनाचर भूसे वालों के पास पहुँचा।
भूसे वाले बोले — “किसकी तलाश में घूम रहे हो मूनाचर भाई?”
मूनाचर बोला — “मुझे थोड़े से भूसे की तलाश है। यह भूसा मैं गाय को खिलाऊँगा। गाय मुझे दूध देगी, मैं वह दूध बिल्ली को पिलाऊँगा, बिल्ली मेरे लिये मक्खन खुरचेगी, मैं मक्खन कुत्ते के पंजों में लगाऊँगा, कुत्ता मेरे लिये हिरन ले कर आयेगा, हिरन पानी में तैरेगा, पानी झंडी को गीला करेगा।
झ्ंडी कुल्हाड़ी पर लगेगी, कुल्हाड़ी डंडा काटेगी, डंडा रस्सी बनायेगा और उस रस्सी से मैं मानाचर को फाँसी लगाऊँगा क्योंकि मानाचर ने मेरी सारी रसभरियाँ खा ली हैं।”
भूसे वाला बोला — “मूनाचर भाई, हम तुमको भूसा तब तक नहीं दे सकते जब तक तुम उस चक्की वाले से हमको केक बनाने का सामान न ला दो।” सो मूनाचर चक्की वाले के पास चल दिया।
चक्की वाले ने पूछा — “मूनाचर भाई इधर कैसे आना हुआ?”
मूनाचर बोला — “मुझे केक बनाने के सामान की तलाश है। यह सामान मैं भूसे वालों को दूँगा।
भूसे वाले मुझे भूसा देंगे, भूसा मैं गाय को खिलाऊँगा, गाय मुझे दूध देगी, दूध बिल्ली पियेगी, बिल्ली मेरे लिये मक्खन खुरचेगी, मैं मक्खन कुत्ते के पंजों में लगाऊँगा, कुत्ता मेरे लिये हिरन ले कर आयेगा, हिरन पानी में तैरेगा, पानी झंडी को गीला करेगा।
झंडी कुल्हाड़ी पर लगेगी, कुल्हाड़ी डंडा काटेगी, डंडा रस्सी बनायेगा और उस रस्सी से मैं मानाचर को फाँसी लगाऊँगा क्योंकि मानाचर ने मेरी सारी रसभरियाँ खा ली हैं।”
चक्की वाला बोला — “जब तक तुम मुझे इस चलनी में उस नदी से पानी भर कर नहीं लाते तब तक मैं तुमको केक बनाने का सामान नहीं दे सकता।”
मूनाचर चलनी ले कर नदी पर पहुँचा। वहाँ उसने चलनी में पानी भरने की बहुत कोशिश की पर जैसे ही वह चलनी में पानी में भर कर उसे ऊपर उठाता सारा पानी उसके छेदों में से निकल जाता। ऐसा उसने कई बार किया और हर बार उसका पानी चलनी के छेदों से हो कर नीचे बह गया।
इतने में एक कौआ ऊपर से उड़ा जा रहा था। मूनाचर को चलनी में पानी भरते देख कर बोला — “पोतो, पोतो।” मूनाचर को उसकी बात समझ में आ गयी।
उसने पास पड़ी लाल मिट्टी उठायी और नदी के किनारे लगी घास उखाड़ी और दोनों को ठीक से मिला कर चलनी के ऊपर पोत दिया। कुछ देर में चलनी के छेद बन्द हो गये और चलनी में पानी भर गया।
पानी ला कर उसने चक्की वाले को दिया,
चक्की वाले ने उसको केक बनाने का सामान दिया,
केक बनाने का सामान ले जा कर उसने भूसे वालों को दिया,
भूसे वालों ने उसे भूसा दिया, भूसा उसने गाय को खिलाया,
गाय ने उसे दूध दिया, दूध उसने बिल्ली को पिलाया,
बिल्ली ने मक्खन खुरचा, मक्खन उसने कुत्ते के पंजों पर लगाया,
कुत्ता हिरन के पीछे भागा, हिरन पानी में तैरा,
पानी ने पत्थर को गीला किया, पत्थर ने कुल्हाड़ी तेज की,
कुल्हाड़ी ने डंडा काटा, डंडे से मूनाचर ने रस्सी बनायी
और जब तक यह सब हुआ तब तक तो मानाचर बहुत दूर निकल गया था। बेचारा मूनाचर।
कई और देशों में भी ऐसी कहानियाँ मिलती हैं।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)