मिन्दो मेंढकी की कहानी : बुंदेली लोक-कथा
Mindo Mendhaki Ki Kahani : Bundeli Lok-Katha
एक डुकरिया थी । बा एक दिना धूरा में गाँकड़ें बना रई थी । इत्ते में एक मिन्दरिया भाँ आई । बाने डुकरिया से कई, “डुक्को-डुक्को धूरा में गाँकड़ें काय बना रई हे ?” डुक्को बोली, “बिन्ना, मेरे पास लकड़ी कण्डा नईहाँ । ” मिन्दरिया बोली, “बस इत्ती सी बात!" बा जंगल गई ओर भाँ से लकड़ी-कण्डा लान के डुकरिया हे दे दए । डुकरिया ने गॉंकड़ें बनाईं। अब मिन्दरिया डुकरिया की जा गाँकड़ पे कूदे बा गाँकड़ पे कूदे। तो डुकरिया बोली, "मिन्दरिया - मिन्दरिया तू मेरी गाँकड़ों पे काय कूद रई हे ?”
मिन्दरिया बोली,
"जंगल जानी लकड़ी लानी,
लकड़ी मेंने तोहे दीनी,
तू का मोहे एक गाँकड़ न देहे ?”
डुकरिया बोली, “ले बिना रुक, गाँकड़ ले ले।”
मिन्दरिया गाँकड़ लेके आगे जात हे। बाहे गेल में एक कुम्हार दिखो । बो घेला बना रओ थो, उतई बाको मोड़ा बेठो भेंक रओ थो । मिन्दरिया बोली, “दद्दा जो मोड़ा काय रो रओ हे ?" कुम्हार बोलो, “जो भूँको हे।” मिन्दरिया ने बाहे गाँकड़ दे दई। मोड़ा मोंगके गाँकड़ खान लगो । अब मिन्दरिया कुम्हार के जा घेला पे कूदे बा घेला पे कूदे। कुम्हार बोलो, “मिन्दरिया-मिन्दरिया तू मेरे घेलों पे काय कूद रई हे ?”
मिन्दरिया बोली,
"जंगल जानी लकड़ी लानी,
लकड़ी मेंने डुक्को दीनी,
डुक्को मोहे गाँकड़ दीनी,
गाँकड़ मेंने तोहे दीनी,
तू का मोहे एक घेला न देहे ?"
कुम्हार बोलो, "ले बाई, घेला ले ले।”
मिन्दरिया घेला लेके आगे जात हे, आगे गेल में एक गुआला मिलत है। बो छन्नी में भेंस दुह रओ थो। मिन्दरिया ने बा से कई, "भइया - भइया तू छन्नी में दूध काय लगा रओ हे ?” गुआला बोलो, “घेला नइहाँ । ” मिन्दरिया ने बाहे घेला दे दओ । अब बा गुआला की जा भेंस पे कूदे बा भेंस पे कूदे ।
गुआला बोलो, “मिन्दरिया-मिन्दरिया तू मेरी भेंसों पे काय कूद रई हे ?”
मिन्दरिया बोली,
"जंगल जानी लकड़ी लानी,
लकड़ी मेंने डुक्को दीनी,
डुक्को मोहे गाँकड़ दीनी,
गाँकड़ मेंने कुम्हार हे दीनी,
कुम्हार मोहे घेला दीनी,
घेला मेंने तोहे दीनी
तू का मोहे एक भेंस न देहे ?”
गुआला बोलो, "ले, जा भेंस ले ले।”
मिन्दरिया भेंस पे बेठके चल दई । आगे गेल में बाहे आम के नीचे राजा बेठो मिलो। बो सूखो भात खा रओ थो। मिन्दरिया बोली, “राजा-राजा तू सूखो भात काय खा रओ हे ?” राजा बोलो, “घी दूध नईहाँ ।” मिन्दरिया बोली, “ले, जा भेंस ले ले।” अब मिन्दरिया राजा की जा रानी पे कूदे बा रानी पे कूदे । रानिएँ डर के मारे रोन लगीं। राजा बोलो, “मिन्दरिया-मिन्दरिया तू मेरी रानियों पे काय कूद रई हे ?”
मिन्दरिया बोली,
"जंगल जानी लकड़ी लानी,
लकड़ी मेंने डुक्को दीनी,
डुक्को मोहे गाँकड़ दीनी,
गाँकड़ मेंने कुम्हार हे दीनी,
कुम्हार मोहे घेला दीनी,
घेला मेंने गुआला हे दीनी,
गुआला मोहे भैंस दीनी,
भैंस मेंने तोहे दीनी,
तू का मोहे एक रानी न देहे ?"
राजा बोलो, “ले बाई, जा रानी ले जा ।” मिन्दरिया रानी के संगे चल दई। आगे गेल में बाहे बाजा बजाबे बारो मिलो। बो बेठो बेठो रो रओ थो। मिन्दरिया बा से बोली, “काय भइया तू काय रो रओ हे ?” बो बोलो, “मेरी लुगाई नईहाँ ।” मन्दरिया ने बाहे रानी दे दई । अब मिन्दरिया बाके जा बाजे पे कूदे बा बाजे पे कूदे। बाजा बारो बोलो, “मिन्दरिया-मिन्दरिया तू मेरे बाजों पे काय कूद रई हे ?"
मिन्दरिया बोली,
"जंगल जानी लकड़ी लानी,
लकड़ी मेंने डुक्को दीनी
डुक्को मोहे गाँकड़ दीनी,
गाँकड़ मेंने कुम्हार हे दीनी,
कुम्हार मोहे घेला दीनी,
घेला मेंने गुआला हे दीनी,
गुआला मोहे भेंस दीनी.
भेंस मेंने राजा हे दीनी,
राजा मोहे रानी दीनी,
रानी मेंने तोहे दीनी,
तू का मोहे एक बाजो न देहे ?"
बाजा बारो बोलो, "ले बाई, जो बाजो ले जा ।"
मिन्दरिया बाजा लेके चली। आगे गेल में बाहे पीपर को भोत बड़ो पेड़ मिलो। बा उतई सुत्तान लगी । इत्ते में भाँ भड़या आ गए और बे सब चोरी को सामान धरती पे फेलाके हिस्सा बाँटो करन लगे। मिन्दो ने आओ देखो न ताओ जोर-जोर से बाजा बजान लगी। भड़या डर के मारे भग गए। असफेर के गाँओं बारे भगे-भगे आए। जिनके इते चोरी भई थी, बिनको सामान मिन्दो ने लोटा दओ । सबरे गाँओं बारे मिन्दो की जय-जयकार करन लगे! (साभार : प्रदीप चौबे, महेश बसेड़िया)