मिलान के सौदागर का बेटा : इतालवी लोक-कथा
Milan Ke Saudagar Ka Beta : Italian Folk Tale
एक बार इटली देश के मिलान शहर में एक सौदागर अपने परिवार के साथ रहता था। उस सौदागर के परिवार में उसकी पत्नी और दो बेटे थे। अपने दोनों बेटों में से उसको अपना बड़ा बेटा बहुत प्यारा था।
ऐसा तो नहीं था कि वह अपने छोटे बेटे को प्यार नहीं करता था पर वह क्योंकि छोटा था इसलिये उसको अभी भी वह बच्चा ही समझता था और इसी लिये उसकी तरफ ध्यान भी थोड़ा कम ही देता था।
धीरे-धीरे सौदागर अमीर होता जा रहा था और अब वह केवल वही सौदे करता था जिनमें उसको काफी ज़्यादा फायदा होता था। और ऐसे ही एक बड़े फायदे के लिये वह अब फ्रांस जा रहा था।
वहाँ उसको कुछ खास चीज़ें बनवानी थीं जिसके लिये वह सोचता था कि वे उसके लिये बहुत फायदेमन्द रहेंगी।
उसका बड़ा लड़का अपने पिता के साथ जा रहा था। यह देख कर उसका छोटा लड़का मैनीचीनो भी उसके साथ जाने की जिद करने लगा।
वह बोला — “पिता जी, मुझे भी अपने साथ ले चलिये न। मैं आपके साथ आपका अच्छा बेटा बन कर रहूँगा। बल्कि आपकी सहायता भी करूँगा। मैं यहाँ मिलान में अकेला नहीं रहूँगा।”
सौदागर अपने उस बेटे को अपने साथ ले जा कर परेशान होना नहीं चाहता था इसलिये उसने उसको धमकी दी कि अगर वह चुप नहीं हुआ तो वह उसको थप्पड़ मारेगा।
जब सौदागर और उसके बेटे का जाने का समय आया तो सौदागर और उसके बड़े बेटे ने अपना सामान बाहर निकाल कर गाड़ी में रखा और फिर वे दोनों खुद भी गाड़ी में चढ़ गये।
रात का समय था सो किसी को दिखायी नहीं दिया कि मैनीचीनो उनकी गाड़ी में लगी पीछे वाली सीढ़ी पर बैठ गया और इस तरह छिप कर वह उनके साथ ही चल दिया।
जब गाड़ी पहली जगह रुकी जहाँ उसको घोड़े बदलने थे तो मैनीचीनो उस सीढ़ी पर से हट गया ताकि वे लोग उसको देख न लें और जब तक वह गाड़ी दोबारा चलने के लिये तैयार हो तब तक वह उसका इन्तजार करता रहा।
जब वह गाड़ी दोबारा चली तो वह फिर वहीं बैठ गया और फिर दूसरी रुकने की जगह तक पहुँच गया। दूसरी रुकने की जगह तक पहुँचते पहुँचते दिन निकल आया था सो वह सड़क के एक पास वाले मोड़ के पीछे छिप गया।
पर इस बार जब गाड़ी चली तो इतनी अचानक और तेज़ चली कि वह जल्दी से कूद कर आने के बावजूद उसकी सीढ़ी पर नहीं बैठ सका और गाड़ी चली गयी। वह लड़का सड़क के बीच में वहीं का वहीं खड़ा रह गया।
अपने आपको एक नयी जगह में अकेला पा कर, बिना पैसे के, भूखा, वह लड़का वहाँ रुआँसा सा हो रहा था कि उसने अपने आपको सॅभाला और इधर उधर देखने के लिये घूमने लगा।
वहीं पास में सड़क के किनारे एक बुढ़िया बैठी थी। उसने उस बच्चे को इस तरह अकेला सा खड़ा देखा तो उससे पूछा — “बेटा, तुम यहाँ अकेले क्या कर रहे हो? कहीं जा रहे हो? या खो गये हो?”
मैनीचीनो बोला — “माँ जी मैं यहाँ खो गया हूँ। मैं अपने पिता और बड़े भाई के साथ जा रहा था और गाड़ी मुझे यहाँ से बिना लिये ही चली गयी और मैं यहाँ अकेला रह गया। मुझे अपने घर का रास्ता भी नहीं मालूम कि मैं अपनी माँ के पास पहुँच जाऊँ।
पर मेरे लिये तो घर में भी कोई काम नहीं है क्योंकि मैं तो दुनिया में बाहर घूमना चाहता हूँ और अपनी किस्मत बनाना चाहता हूँ। और मेरे पिता ने तो अब मुझे सड़क पर ही छोड़ दिया है।”
वह कुछ सोचता रहा फिर बोला — “असल में उनको तो पता ही नहीं था कि मैं उनके साथ था। मैं तो गाड़ी के पीछे वाली सीढ़ी पर छिप कर बैठा हुआ था। हमको फ्रांस जाना था।”
बुढ़िया बोली — “अच्छा हुआ। तुम सच बोल रहे हो यह तो और भी अच्छी बात है। मैं एक परी हूँ और मैं तुम्हारी कहानी जानती हूँ। अगर तुम अपनी किस्मत बनाना चाहते हो तो मैं तुम्हें बता सकती हूँ कि तुम क्या करो, अगर तुम होशियार हो और दूसरों की इज़्ज़त करते हो तो।”
मैनीचीनो बोला — “मैं मानता हूँ कि मैं छोटा हूँ पर मुझे लगता नहीं कि 14 साल का हो कर भी मैं इतना बेवकूफ हूँ इसलिये आप मुझ पर विश्वास कर सकती हैं। मैं वह सब करूँगा जो आप मुझसे करने को कहेंगी। अगर आप मुझसे खुश हैं तो मुझे बताइये कि मुझे क्या करना है।”
बुढ़िया परी बोली — “तुम बहुत अच्छे लड़के हो। तो सुनो पुर्तगाल के राजा की एक बहुत ही होशियार बेटी है जो कोई भी पहेली बूझ सकती है। राजा ने यह घोषणा कर रखी है कि वह अपनी बेटी की शादी उस आदमी से करेगा जो उसकी बेटी को कोई ऐसी पहेली देगा जिसको वह बूझ नहीं पायेगी यानी वह उससे हार जायेगी।
तुम मुझे एक होशियार लड़के लगते हो इसलिये तुम एक पहेली खोजो जिसको वह बूझ न सके और बस तुम्हारी किस्मत बन जायेगी।”
मैनीचीनो बोला — “वह तो ठीक है पर आप क्या सोचती हैं कि मैं क्या कोई ऐसी पहेली बना सकता हूँ जो इतनी होशियार लड़की को भी चक्कर में डाल दे? मेरे खयाल से तो केवल चतुर लोग ही ऐसा कर सकते हैं, मेरे जैसे अनपढ़ बच्चे नहीं।”
बुढ़िया परी बोली — “मैं तो तुमको सही रास्ते पर ला रही थी। तुम होशियार बच्चे हो। तुम अपने आप सब कुछ संभाल लोगे।
मैं तुमको यह कुत्ता देती हूँ। इसका नाम बैलो है। तुम्हारी पहेली इसी से पैदा होगी। इसको साथ ले जाओ और जा कर राजकुमारी को जीत कर लाओ।”
मैनीचीनो बोला — “बहुत अच्छा माँ जी। अगर आप ऐसा कहती हैं तो मैं आपका विश्वास कर लेता हूँ। आपका बहुत बहुत धन्यवाद। आपकी इतनी मेहरबानी ही मेरे लिये काफी है।”
उसने बुढ़िया परी को विदा कहा, कुत्ते को साथ लिया और आगे चल दिया। हालाकि वह बुढ़िया के कहने से बहुत ज़्यादा सन्तुष्ट नहीं था पर फिर भी इस समय उसके पास इसके अलावा कोई और चारा भी नहीं था सो वह वहाँ से चल दिया।
शाम होते होते वह खेत पर बने एक मकान में आ गया और वहाँ जा कर रात के लिये खाना और रहने की जगह माँगी।
उस स्त्री ने जिसने घर का दरवाजा खोला था उस लड़के से पूछा — “अरे तुम यहाँ अकेले रात को क्या कर रहे हो? केवल एक कुत्ता ही तुम्हारे साथ है। क्या तुम्हारे माता पिता नहीं हैं?”
मैनीचीनो बोला — “मेरे पिता और बड़ा भाई फ्रांस जा रहे थे। मैं भी फ्रांस जाना चाहता था पर वे मुझको अपने साथ नहीं ले जा रहे थे इसलिये मैं उनकी गाड़ी के पीछे छिप कर बैठ गया।
एक बार वह गाड़ी रुकी तो मैं उतर गया पर फिर जब गाड़ी चली तो मैं रह गया और मेरे पिता जी बिना मुझे लिये ही चले गये।
अब मैं एक पहेली के साथ पुर्तगाल के राजा की बेटी को लेने जा रहा हूँ। यह कुत्ता जो एक परी ने मुझे दिया है मेरे लिये पहेली बनायेगा और इस तरह से मैं राजा की बेटी से शादी कर पाऊँगा।”
वह स्त्री बहुत ही बुरी थी उसने सोचा कि अगर यह कुत्ता पहेली बनाता है तो मैं इस कुत्ते को चुरा लेती हूँ और अपने बेटे को इस कुत्ते को ले कर पुर्तगाल भेज देती हूँ तो बजाय इसके मेरे बेटे की शादी पुर्तगाल के राजा की बेटी से हो जायेगी। ऐसा सोच कर उसने उस लड़के को मारने का प्लान बनाया।
उसने उस लड़के के लिये एक जहरीली पेस्ट्री तैयार की और उस लड़के से कहा — “हम इसको पिज़ा कहते हैं। इसे मैंने खास करके तुम्हारे लिये ही बनाया है।
मुझे अफसोस है कि तुम यहाँ रात को नहीं रह सकते क्योंकि मेरे पति अजनबियों को रात को घर में नहीं ठहराते। पर पास के जंगल में हमारा एक केबिन है तुम वहाँ जा कर रात को सो सकते हो।
जैसे ही तुम जंगल में घुसोगे वैसे ही तुमको वह दिखायी दे जायेगा। और यह पिज़ा साथ ले जाओ इसे केबिन में जा कर खा लेना। मैं सुबह आ कर तुम्हें जगा दूँगी और तुम्हारे लिये दूध भी लेती आऊँगी।”
मैनीचीनो ने उसे धन्यवाद दिया और पिज़ा ले कर केबिन की तरफ चल दिया। पर कुत्ते को शायद उस लड़के की बजाय ज़्यादा भूख लगी थी सो मैनीचीनो ने पेस्ट्री का एक टुकड़ा तोड़ा और उसे कुत्ते की तरफ फेंक दिया।
बैलो ने वह टुकड़ा हवा में ही पकड़ लिया और खा लिया। उसे खाते ही वह कांपने लगा और नीचे गिर कर जमीन पर लोटने लगा। उसके पंजे ऊपर की तरफ हो गये और वह मर गया।
उसको मरा देख कर मैनीचीनो का मुँह तो खुला का खुला रह गया। उसने बाकी की बची हुई पेस्ट्री फेंक दी। पर फिर अचानक बोला — “ओह तो पहेली यहाँ से शुरू होती है –
पिज़ा ने बैलो को मारा जबकि बैलो ने मैनोचीनो को बचाया।
बस अब मुझे इस पहेली के बचे हुए हिस्से का पता करना है।
उसी समय वहाँ से तीन कौए उड़े तो उनको वहाँ एक मरा हुआ कुत्ता दिखायी दे गया। बस वे नीचे उतरे और उन्होंने उस कुत्ते के मरे हुए शरीर को खाना शुरू कर दिया। कुछ पल बाद वे तीनों कौए भी मर गये।
मैनीचीनो बोला — “तो इसकी तीसरी लाइन यह है – “एक मरा हुआ तीन को मारता है।”
उसने तीनों कौओं को उस कुत्ते की रस्सी के साथ बांधा और उनको कन्धे पर लटका कर ले चला। वह अभी कुछ ही दूर गया था कि अचानक जंगल में से हथियारबन्द डाकुओं का एक समूह निकल पड़ा।
वे सब डाकू भूखे थे सो उन्होंने मैनीचीनो से पूछा — “खाने के लिये तुम्हारे पास कुछ है क्या?”
मैनीचीनो उनसे डरा नहीं। उसने जवाब दिया — “मेरे पास तीन चिड़ियें हैं भूनने के लिये।”
डाकू बोले — “उन्हें हमें दे दो।”
मैनीचीनो ने वे तीनों कौए उन डाकुओं को दे दिये और वे डाकू उन तीनों कौओं को ले कर आगे चल दिये। मैनीचीनो यह देखने के लिये एक पेड़ के पीछे छिप गया कि देखें अब क्या होता है।
उसने देखा कि उन डाकुओं ने उन तीनों कौओं को भूना और खाने लगे। कुछ पल में वे भी मर गये।
इस पर मैनीचीनो ने अपनी पहेली में एक लाइन और जोड़ी — पिज़ा ने बैलो को मारा, जबकि बैलो ने मैनीचीनो को बचाया
एक मरा हुआ तीन को मारता है, और फिर तीन छह को मारते हैं
डाकुओं को खाना खाते देख कर उसको अपनी भूख की याद आ गयी। उसने उन डाकुओं में से एक डाकू की बन्दूक उठायी और पेड़ पर बैठी एक चिड़िया मार दी।
वह चिड़िया अपने घोंसले में बैठी थी। सो इत्तफाक से उसकी गोली बजाय चिड़िया के लगने के उसके घोंसले में लग गयी और उसका घोंसला नीचे गिर पड़ा।
उस घोंसले में उस चिड़िया के अंडे थे सो घोंसले के नीचे गिरते ही वे अंडे भी फूट गये। उन अंडों में से चिड़िया के छोटे-छोटे बच्चे निकल पड़े। उन बच्चों के तो अभी पंख भी नहीं निकले थे।
उसने उन बच्चों को उसी आग में रख दिया जिसमें उन डाकुओं ने जहरीले कौए भूने थे और आग जलाने के लिये उसने एक किताब के कागज फाड़े जो उसको एक डाकू के पास से मिल गयी थी। उसने उन चिड़ियों के बच्चों को खाया और फिर वह पेड़ पर चढ़ गया और सो गया।
अब उसकी पहेली पूरी हो गयी थी। अगले दिन उसने अपनी पुर्तगाल की यात्रा शुरू की।
मैनीचीनो पुर्तगाल में
जब मैनीचीनो पुर्तगाल के राजा के महल में पहुँचा तो वह तुरन्त ही राजकुमारी के पास अपनी पहेली पूछने के लिये अपने उन्हीं मैले कपड़ों में चला गया जिनमें वह इतनी लम्बी यात्रा करके आया था।
राजकुमारी उसको देखते ही हँस पड़ी और बोली — “यह मैले कपड़ों वाला मुझसे पहेली पूछने आया है? मेरा पति बनने की यह सोच भी कैसे सका?”
मैनीचीनो बोला — “पहले मेरी पहेली तो सुन लो राजकुमारी जी, उसके बाद ही कुछ कहना क्योंकि आपके पिता की घोषणा के अनुसार सब बराबर हैं। किसी में कोई भेदभाव नहीं है।”
राजकुमारी बोली — “यह तो ठीक है। तुमने ठीक ही कहा पर याद रखो कि तुम्हारे पास अभी भी समय है कि तुम मुझसे पहेली पूछने से पहले ही रुक जाओ और पिटाई से बच जाओ।
मैनीचीनो ने एक पल के लिये सोचा फिर उसे उस परी के शब्द ध्यान आये और उसने हिम्मत बटोर कर कहा — “मेरी पहेली है —
पिज़ा ने बैलो को मारा, जबकि बैलो ने मैनीचीनो को बचाया
एक मरा हुआ तीन को मारता है, और फिर तीन छह को मारते हैं
मैंने उन पर बन्दूक चलायी जिनको मैंने देखा
पर उनको मारा जिनको मैंने नहीं देखा
जो अभी पैदा भी नहीं हुए थे मैंने उनका माँस खाया
जिनको शब्दों और शब्दों और शब्दों के साथ पकाया
और फिर मैं न तो धरती पर और न आसमान में सोया
सो अब बताओ मेरी राजकुमारी। बूझो मेरी पहेली।”
जैसे ही मैनीचीनो ने अपनी पहेली खत्म की राजकुमारी चिल्लायी — “ओह यह तो बड़ी आसान पहेली है। पिज़ा तुम्हारे भाइयों या दोस्तों में से कोई एक है और उसने बैलो को मारा क्योंकि बैलो तुम्हारा दुश्मन है। बैलो मरते मरते तुमको बचा जाता है क्योंकि इस तरह से वह पिज़ा तुमको फिर कभी कोई नुकसान नहीं पहुँचा सकता।
यहाँ तक तो ठीक है न? पर मरने से पहले बैलो ने तीन दूसरे लोगों को मार दिया और वो तीन, और वो तीन।”
इतना कह कर उसने अपनी कोहनी अपने घुटनों पर रख ली और अपनी ठोड़ी अपने हाथों में।
फिर अपनी गरदन के पीछे की तरफ खुजाती हुई बोली — “बिना पैदा हुआ माँस, क्या उसको तुमने वाकई शब्दों के साथ भूना? इसका मतलब है अगर मैं इस पहेली को हल कर पायी . . .।”
पर अन्त में वह हार मान गयी और बोली — “तुमने मुझे पा लिया ओ अजनबी। यह तो बड़ी नामुमकिन सी पहेली है। इसे तो तुमको ही मुझे समझाना पड़ेगा।”
तब मैनीचीनो ने उसे अपनी सारी कहानी सुनायी, शुरू से ले कर आखीर तक, और कहानी सुना कर उससे अपना शाही वायदा निभाने के लिये कहा।
राजकुमारी बोली — “तुम ठीक कहते हो। मैं इस बात को मना नहीं कर सकती कि मैं हार गयी हूँ पर मेरी कोई इच्छा नहीं है कि मैं तुमसे शादी करूँ। सो अगर तुम मेरे पिता से मुझसे शादी करने की बजाय कोई और समझौता कर लो तो मुझे बहुत खुशी होगी।”
मैनीचीनो बोला — “अगर उस समझौते की नयी शर्तें मुझे मंजूर हुईं तब तो मैं राजी हो जाऊँगा नहीं तो नहीं। क्योंकि याद रखो इस दुनिया में मैं केवल इसलिये निकला हूँ ताकि मैं अपनी किस्मत बना सकूँ। और अगर मैं राजकुमारी से शादी न कर सका तो फिर मुझे उसी कीमत का कोई और इनाम चाहिये।”
राजकुमारी बोली — “उसकी तुम चिन्ता न करो। तुमको उससे कहीं ज़्यादा मिल जायेगा। तुम एक करोड़पति हो जाओगे और अपनी हर इच्छा पूरी कर पाओगे।
तुम उस समझौते से इसकी तुलना करो कि अगर एक राजकुमारी जो तुम्हारी ज़िन्दगी का कोई हिस्सा नहीं बनना चाहती, अगर और अगर तुम उससे शादी कर भी लो तो शादी करके तुम्हें कैसा महसूस होगा?
वह हमेशा तुमसे नाखुश रहेगी और तुमसे चिढ़ी-चिढ़ी रहेगी। क्या तुम इस तरह से उसके साथ खुश रह पाओगे?
और क्या तुम इस बात का भी अन्दाजा लगा सकते हो कि मैं तुम्हें उस समझौते में क्या देने वाली हूँ – मैं देने वाली हूँ तुमको फूलों वाले पहाड़ के जादूगर का भेद । जब तुम्हारे पास इस जादूगर का भेद होगा तो तुम्हारी सारी चिन्ताएँ दूर हो जायेंगी।”
“और वह भेद है कहाँ?”
“यह तुमको उससे खुद जा कर लेना पड़ेगा। बस तुम उसको मेरा नाम बताना तो वह तुमको सब बता देगा।”
मैनीचीनो सोच में पड़ गया कि वह इस निश्चित चीज़ को उस अनिश्चित चीज़ के लिये छोड़े या नहीं। पर राजकुमारी का पति बनने में उसे खुशी से ज़्यादा डर था क्योंकि राजकुमारी उससे शादी करना नहीं चाहती थी इसलिये उसने उससे उस फूलों वाले पहाड़ का भेद जानना ही ज़्यादा ठीक समझा सो उसने उसका पता पूछा। राजकुमारी ने उसे उसका पता बता दिया।
मैनीचीनो फूलों वाले पहाड़ पर
फूलों वाला पहाड़ एक बहुत बड़ा पहाड़ था जिस पर चढ़ना नामुमकिन सा था। मैनीचीनो उस पहाड़ की चोटी पर पहुँचने के लिये चल दिया। उस पहाड़ की चोटी पर एक किला बना हुआ था और उस किले के चारों तरफ एक बागीचा था।
लोगों ने वहाँ इतने ऊँचे पर वह किला कैसे बनाया होगा यह भी एक भेद की बात थी पर किसी तरह से मैनीचीनो उस पहाड़ की चोटी पर पहुँच गया और जा कर उस किले का दरवाजा खटखटाया।
कई बहुत बड़े साइज़ के लोगों ने मिल कर उस किले का दरवाजा खोला। वे लोग न तो आदमी ही थे और न ही औरत। और देखने में भी ऐसे थे कि डर भी उनको देख कर डर जाये।
मैनीचीनो को उनको देख कर लगा कि वे तो कुछ भी नहीं थे अभी तो उसके साथ इससे भी ज़्यादा बुरा कुछ होने वाला है पर उसने उनकी तरफ शान्ति से देखा और उनसे जादूगर से मिलवाने के लिये कहा।
जादूगर का नौकर जो एक बहुत बड़े साइज़ का आदमी था आगे आया और बोला — “लड़के, तुम्हारे अन्दर हिम्मत की कमी नहीं है इस बात का तो हमको यकीन है पर अच्छा हो अगर तुम हमारे मालिक से मिलने की कोशिश न करो तो।
क्योंकि ईसाई लोग उसकी कमजोरी हैं और वह उनको कच्चा ही चबा जाता है। और हमको लगता है कि तुम ईसाई हो। इसलिये तुम जान बूझ कर अपनी जान के दुश्मन क्यों बनते हो?”
मैनीचीनो बोला — “होने दो उसको जैसा भी है वह। पर मुझे तो उससे बात करनी ही है सो मेहरबानी करके उसको यह बता दो कि मैं उससे मिलना चाहता हूँ।”
यह सुन कर वे उस जादूगर को यह बताने के लिये चले गये कि एक लड़का उससे मिलना चाहता था। जादूगर एक बहुत ही कीमती कालीन और उसके ऊपर रखे गद्दों के ऊपर बैठा था।
जब उसने यह सुना कि एक लड़का उससे मिलने के लिये आ रहा है तो वह अपने मन में कुछ सोचने लगा – “यह तो ईसाई कौर है – नाश्ते के लिये स्वादिष्ट और ताजा।” उसने कहा कि उसको तुरन्त ही अन्दर ले आओ।
तभी मैनीचीनो अन्दर घुसा। जादूगर ने उससे पूछा — “तुम कौन हो और क्या चाहते हो?”
मैनीचीनो बोला — “आप परेशान न हों। मैं आपके पास किसी बुरे मतलब से नहीं आया हूँ। मैं एक बहुत ही गरीब लड़का हूँ और अपनी किस्मत बनाने निकला हूँ और उन्होंने मुझे आपके पास भेज दिया है क्योंकि आप गरीबों और बदकिस्मतों को बहुत दान देते हैं।”
यह सुन कर जादूगर बहुत ज़ोर से हँस पड़ा। उसकी हँसी से उसका पूरा महल कांप गया। वह बोला — “क्या मैं पूछ सकता हूँ कि तुमको यहाँ किसने भेजा है?”
इस पर मैनीचीनो ने उसको अपनी सारी कहानी सुना दी। जादूगर अपनी कोहनी एक तरफ रख कर उस पर झुक गया और उस लड़के को अच्छी तरह देखने लगा।
फिर बोला — “तुम वाकई एक बहुत ही हिम्मत वाले लड़के हो और तुम सच भी बोलते हो तो तुमको इसका इनाम तो तुम्हें मिलना ही चाहिये।
मेरा भेद है यह जादुई छड़ी। यह मैं तुमको देता हूँ। पर अगर कभी यह गलत जगह रखी गयी या खो गयी तो फिर बस भगवान ही तुम्हारी सहायता करे।
तुम जब कभी भी इसे जमीन पर मारोगे और अपनी इच्छा बोलोगे तो वह तुरन्त ही पूरी हो जायेगी। यह लो और अब खुशी खुशी घर चले जाओ।”
मैनीचीनो ने जादूगर से उसकी वह जादुई छड़ी ली और फूलों के पहाड़ से नीचे चल दिया। वह सोचता चला आ रहा था कि अब बस अच्छा तो यही होगा कि वह अपने घर वापस लौट जाये, एक भले आदमी जैसे कपड़े पहने और घर जा कर देखे कि उसके पिता और भाई अभी भी उसको याद करते हैं या नहीं। सो वह अपने घर चल दिया।
मैनीचीनो वापस अपने घर
रास्ते में ही मैनीचीनो ने अपने मन में सोचा मैं अपनी जादू की छड़ी का पहला इम्तिहान यहीं लेता हूँ। उसने अपनी जादू की छड़ी जमीन पर मारी तो एक बहुत धीमी सी पतली सी आवाज सुनायी दी “मालिक, हुकुम।”
मैनीचीनो बोला — “मुझे चार घोड़े वाली एक बग्घी और भले आदमियों के पहनने वाले कपड़े चाहिये।”
और उसके सामने एक बहुत सुन्दर बग्घी खड़ी थी जिसमें चार शानदार घोड़े जुते हुए थे। कुछ नौकर उसको कपड़े पहनाने और तैयार करने के लिये आये। उन्होंने उसको बिल्कुल नये फैशन के कपड़े पहना दिये।
यह सब कुछ जादू का था। वे घोड़े भी जादू के थे। तैयार हो कर जैसे ही मैनीचीनो गाड़ी में बैठा तो वे घोड़े हवा से बातें करते हुए मिलान की तरफ चल दिये। वे वहाँ पहुँचने तक बीच में एक बार भी नहीं रुके।
वह जब मिलान पहुँचा तो उसको पता चला कि उसके माता पिता तो वहाँ से कहीं और चले गये हैं। उसके पिता जिस काम के लिये फ्रांस गये थे उससे तो वे बजाय अमीर हो कर लौटने के काफी पैसा खो कर लौटे सो वे अपना मकान आदि बेच कर शहर के बाहर एक बहुत छोटे से घर में किराये पर रहने लगे थे।
मैनीचीनो तब अपने पिता के नये घर में गया तो इतनी बढ़िया बग्घी में से उसको उतरता देख कर तो उसके माता पिता उसको देखते के देखते ही रह गये।
उसने अपने माता पिता को उस जादू की छड़ी के बारे में कुछ नहीं बताया बल्कि कहा कि उसको अपने काम में बहुत फायदा हुआ और आज से वही उनकी देखभाल करेगा।
सबसे पहले तो उसने अपनी जादू की छड़ी से एक बड़ा सा महल बनवाया। उसके बारे में उसने उनको बताया कि वह मकान उसने अपने उन्हीं नौकरों से बनवाया है जो लोग उसके नौकरों में सबसे जल्दी मकान बना सकते थे।
मकान क्या था वह तो एक बहुत बड़ा महल था। उसका परिवार अब उस महल में चला गया। उस महल में उन सबके लिये बहुत सारे कपड़े, नौकर और घर की देखभाल करने वाले मौजूद थे। और पैसे की तो कोई कमी ही नहीं थी।
वे सब बहुत खुश थे सिवाय मैनीचीनो के भाई के। उसका भाई तो उससे जल-जल कर खाक हुआ जा रहा था। क्योंकि वह इस घर का बड़ा बेटा था और अपने पिता का बहुत लाड़ला था। अब उसके पास कुछ नहीं था और उसको हर चीज़ के लिये अपने छोटे भाई का मुँह तकना पड़ता था जो उसको बिल्कुल अच्छा नहीं लग रहा था।
वह इस बात को सोच-सोच कर ही बहुत परेशान था कि मैनीचीनो को इतना सारा पैसा मिला कहाँ से? सो तबसे उसने उसके ऊपर नजर रखनी शुरू कर दी। मैनीचीनो जब तक अपने कमरे के अन्दर रहता तब तक वह उसके कमरे से उसकी चाभी के छेद से उसमें झांकता रहता।
उसने देखा कि मैनीचीनो हमेशा एक छड़ी लिये रहता था। उसको लगा कि शायद उस छड़ी में ही कुछ भेद है सो उसने उसकी वह छड़ी चोरी करने का निश्चय किया।
मैनीचीनो अपनी उस जादू की छड़ी को अपनी एक कई ड्रौअर वाली आलमारी में रखता था। सो एक दिन जब वह घर में नहीं था तो उसका बड़ा भाई उसके कमरे में घुसा और उसकी वह छड़ी चुरा ली।
छड़ी चुरा कर वह उसको अपने कमरे में ले आया। वहाँ उसने उसको जमीन पर मारा पर कुछ नहीं हुआ क्योंकि उसके हाथ में वह छड़ी बिल्कुल बेजान थी, एक सामान्य छड़ी जैसी, जादू की छड़ी नहीं।
वह बोला — “लगता है मुझसे कहीं गलती हो गयी। यह वह जादू की छड़ी है ही नहीं जो मैं सोच रहा था। लगता है कि वह कोई दूसरी छड़ी है जो शायद किसी दूसरी ड्रौअर में रखी होगी।”
यह सोच कर वह उस छड़ी को मैनीचीनो के कमरे में वापस रखने के लिये और उसकी दूसरी छड़ी ढूँढने के लिये उसकी दूसरी ड्रौअरों को देखने के लिये गया पर जैसे ही वह उसके कमरे में घुसा तो उसने मैनीचीनो को सीढ़ियों से ऊपर आते सुना।
इस डर से कि अब वह पकड़ा जायेगा उसने वह छड़ी दो हिस्सों में तोड़ दी और उसको मैनीचीनो के कमरे की खिड़की से बाहर की तरफ फेंक दिया जो बाहर बागीचे की तरफ खुलती थी।
अब मैनीचीनो वह छड़ी रोज तो इस्तेमाल करता नहीं था। वह तो उसका तभी इस्तेमाल करता था जब उसको उससे किसी चीज़ की जरूरत होती थी। इसलिये उसको यह बात उसी समय पता नहीं चली कि उसकी जादू की छड़ी का यह हाल हुआ।
पर इस घटना के बाद जब वह पहली बार अपनी जादू की छड़ी लेने गया और वहाँ वह उसको नहीं मिली जहाँ उसने उसको रखा था तो उसका माथा ठनका और वह तो पागल सा हो गया। उसको लगा कि न केवल उसकी सारी दौलत पल भर में ही खो गयी है बल्कि उसका तो सब कुछ खो गया है।
नाउम्मीद और दुखी हो कर वह घर से बाहर चला गया और बागीचे में परेशान सा इधर से उधर घूमता रहा। तभी उसको एक पेड़ की शाख में अपनी जादू की छड़ी टूटी हुई अटकी दिखायी दे गयी। यह देख कर तो उसके दिल की तो धड़कन ही रुक गयी।
उसने पेड़ की वह शाख हिलायी तो उस जादू की छड़ी के दोनों डंडे नीचे गिर पड़े। जैसे ही वे जमीन पर गिरे एक आवाज आयी “मालिक, हुकुम।” इन शब्दों को सुन कर मैनीचीनो की जान में जान आयी।
इसका मतलब यह था कि यह उसी की जादू की छड़ी थी और टूट जाने के बाद भी काम कर रही थी। उसने तुरन्त ही उन दोनों टुकड़ों को उठा कर रख लिया और आगे से उसको और ज़्यादा सावधानी से रखने का निश्चय किया।
मैनीचीनो स्पेन में
उन्हीं दिनों स्पेन के राजा ने सब देशों में यह खबर भिजवायी कि उसकी अकेली बेटी अब शादी के लायक हो गयी है सो सब देशों से बहुत बहादुर नाइट्स को वहाँ तीन दिन की लड़ाई के लिये बुलाया जाता है और उनमें से जो कोई भी जीतेगा उसी के साथ राजकुमारी की शादी की जायेगी।
मैनीचीनो ने सोचा कि यह मौका तो उसके लिये बहुत ही अच्छा मौका है इस तरह वह पहले युवराज और फिर राजा बन सकता है। सो उसने अपनी जादू की छड़ी निकाली और उससे चमकता हुआ जिरह-बख्तर, घोड़े, ढाल माँगी और स्पेन चल दिया।
अपना नाम और आने की जगह को छिपाने के लिये वह शहर के बाहर एक सराय में ठहर गया और लड़ाई के लिये तय किये हुए दिन का इन्तजार करने लगा।
यह लड़ाई एक बड़े से साफ मैदान में होने वाली थी जिसके चारों तरफ बड़े बड़े लौर्ड और उनकी पत्नियाँ बैठी हुई थीं। एक छाते लगे चबूतरे पर राजा और राजकुमारी बैठे थे जो अपने खास लोगों से बात कर रहे थे।
अचानक कई बिगुल बजने की आवाज हुई और भीड़ नाइट्स को उस खुले मैदान में आते देखने लगी। वे सब अपने अपने हाथों में चमकदार भाले लिये हुए थे। तुरन्त ही लड़ाई शुरू हो गयी। सब एक दूसरे को मारने लगे। सब बहादुर थे। सब ताकतवर थे।
तभी मैदान में एक नया नाइट आया। उसका चेहरा ढका हुआ था उसकी पोशाक के निशानों को कोई नहीं जानता था। उस नये नाइट ने एक एक करके सबको चुनौती दी।
पहला नाइट आया तो वह उसके एक ही वार में नीचे गिर पड़ा। दूसरा आया तो वह कांप गया और तीसरे का तो भाला ही टूट गया। चौथे के सिर का टोप टूट गया।
इस तरह इस नये नाइट्स से सारे नाइट्स हार गये। इसके बाद बजाय इसके कि यह नया नाइट जीत की खुशी में मैदान में चारों तरफ चक्कर काटता यह नाइट मैदान के चारों तरफ लगी चहारदीवारी के ऊपर से कूद कर मैदान से बाहर भाग गया।
सारे लोग आश्चर्य से उसका यह तमाशा देखते रह गये और किसी को भी यह पता नहीं चल सका कि यह नाइट कौन था, कहाँ से आया था और कहाँ चला गया।
वहाँ बैठे लोगों ने सोचा — “अगर यह नाइट कल भी आया तो कल हम इसके बारे में सब कुछ पता कर लेंगे।”
अगले दिन वह नाइट फिर आया और एक बार फिर उसने अपनी बहादुरी दिखा कर सबको आश्चर्य में डाल दिया। वह पिछले दिन की तरह से जीत कर फिर वहाँ से भाग गया और एक बार फिर वहाँ के लोग यह पता ही नहीं कर सके कि वह कौन था, कहाँ से आया था और कहाँ चला गया।
राजा इस बात से कुछ परेशान भी हुआ और इससे उसको अपना अपमान भी लगा कि एक अनजान नाइट इस तरह से उसके जानने वाले नाइट्स को हरा कर वहाँ से भाग गया। सो अगले दिन उसने अपने नौकरों को हुकुम दिया कि अब की बार जब वह आये तो वे उसको पकड़ लें।
इसके लिये उस दिन मैदान की चहारदीवारी दोहरी कर दी गयी।
वह नाइट तीसरे दिन भी आया और उस दिन भी जीत गया। फिर वह राजा के सामने सिर झुकाने गया। राजकुमारी ने खुश हो कर उसके ऊपर अपना कढ़ा हुआ रूमाल फेंका। उसने वह रूमाल लपक लिया और फिर से मैदान के दरवाजे की तरफ बढ़ गया।
वहाँ के चौकीदारों ने हथियारों की सहायता से उसको रोकने की कोशिश की पर उसने अपनी तलवार की कुछ चालों से ही मैदान की चहारदीवारी में अपना रास्ता बना लिया और भाग गया। पर इस भागने में एक भाला उसकी एक टॉग में लग गया।
राजा ने अपने सारे शहर में उस नाइट की खोज का हुकुम दे दिया – घरों के अन्दर भी और बाहर भी।
अन्त में लोगों को वह शहर के बाहर की एक सराय में मिला, और वह भी बिस्तर में क्योंकि उसकी एक टांग जख्मी हो गयी थी।
पहले तो वे उसको पहचान नहीं सके कि वह वही नाइट था या कोई और क्योंकि जो बड़े नाइट होते थे वे ऐसी साधारण सी जगह नहीं ठहरते थे। पर जब उन्होंने उसकी जख्मी टांग पर राजकुमारी का कढ़ा हुआ रूमाल बॅंधा देखा तब उनका सारा शक जाता रहा।
वे उसको राजा के पास ले गये जहाँ उससे उसकी पहचान पूछी गयी क्योंकि लड़ाई में जीत जाने की वजह से उसको राजकुमारी का पति और राजा का वारिस बनना था। इसके लिये उसका चरित्र साफ होना जरूरी था।
मैनीचीनो बोला — “मेरा चरित्र बिल्कुल साफ है पर मैं जन्म से नाइट नहीं हूँ। मैं तो मिलान के एक सौदागर का बेटा हूँ।”
वहाँ बैठे लोग राजकुमार और कुलीन लोगों ने अपने गले साफ करने शुरू कर दिये। जैसे-जैसे मैनीचीनो अपनी कहानी सुनाता गया वहाँ शोर बढ़ता ही गया।
जब उसकी कहानी खत्म हो गयी तो राजा बोला — “तो तुम नाइट नहीं हो बल्कि एक सौदागर के बेटे हो और तुम्हारी सारी दौलत एक जादू का फल है। अगर यह जादू खत्म हो जाये तो तुम्हारा और तुम्हारे इस सबका क्या होगा?”
राजकुमारी अपने पिता से बोली — “पिता जी, आप देख रहे हैं न कि मैं आपकी इस लड़ाई की वजह से किस खतरे में फंस गयी हूँ।”
कुछ कुलीन लोग बोले — “क्या हम अपने से नीचे परिवार में जन्मे आदमी को अपना राजा स्वीकार कर लेंगे?”
राजा चिल्लाया — “चुप रहो चुप रहो। यह सब क्या शोर मचा रखा है। जो कुछ भी मैंने, यानी राजा ने कहा उसमें यह नौजवान बिना किसी शक के सबसे अच्छा निकला इसलिये अब यही मेरी बेटी से शादी करने के लायक है और फिर मेरे राज्य का वारिस भी बनने के लायक है। अगर वह राजी हो तो।
इसके अलावा, क्योंकि मेरी बेटी इसको अपना पति स्वीकार नहीं करती और यह भी नहीं कहा जा सकता कि और लोग इस बात को कैसे लेंगे, इसलिये मैं इसको यह सलाह देता हूँ कि यह मेरी बेटी को छोड़ कर मुझसे इसकी जगह कोई और इनाम ले ले।”
मैनीचीनो बोला — “मैजेस्टी, आप इसके लिये मुझे क्या सलाह देते हैं? अगर आपकी उस सलाह से मुझे कोई फायदा होता होगा तो मैं उसे स्वीकार कर लूँगा।”
राजा बोला — “मैं सोचता हूँ कि मैं तुम्हारे लिये तुम्हारी सारी उम्र के लिये 1000 लीरा सालाना की पैन्शन तय कर दूँ।”
मैनीचीनो बोला — “मुझे मंजूर है।”
एक नोटरी बुलाया गया और उससे एक समझौता लिखवाया गया जिस पर दस्तखत करने के बाद मैनीचीनो तुरन्त ही मिलान के लिये रवाना हो गया।
मैनीचीनो को मारने का प्लान
जब मैनीचीनो फिर अपने घर पहुँचा तो उसका पिता बीमार पड़ा हुआ था। वह जल्दी ही मर गया। अब दोनों भाई अपनी बूढ़ी माँ के साथ अकेले रह गये थे।
मैनीचीनो का बड़ा भाई हमेशा से ही उससे जला करता था, खास करके अब जबकि वे बहुत अमीर हो गये थे और अब उनको उस जादू की छड़ी की कोई जरूरत भी नहीं रह गयी थी सो उसने मैनीचीनो को मार डालने की सोची। इसके लिये उसने दो मारने वाले किराये पर लिये।
मैनीचीनो अक्सर मिलान के बाहर अपने दोस्तों से मिलने जाया करता था और अभी भी वह अपनी जादू की छड़ी हमेशा अपने साथ ही रखता था।
एक दिन जब मैनीचीनो अपने दोस्तों से मिलने मिलान से बाहर जा रहा था तो उसके भाई ने उन दोनों मारने वालों को उसी सड़क पर खड़ा कर दिया।
इधर जब मैनीचीनो शहर से बाहर निकला तो उसने अपनी जादू की छड़ी जमीन पर मारी तो आवाज आयी — “मालिक, हुकुम।”
वह बोला — “मैं हुकुम देता हूँ कि मेरे घोड़े बिजली की तेज़ी से दौड़ जायें।” यह कहते ही उसके घोड़े बिजली की सी तेज़ी से दौड़ पड़े।
रास्ते में खड़े उन दोनों मारने वालों ने अपने सामने जाती हुई किसी चीज़ की जाती हुई की आवाज तो सुनी पर क्योंकि वे घोड़े बहुत तेज़ भाग रहे थे कि उनको यह भी पता नहीं चला कि उनके सामने से क्या चला गया।
उन्होंने सोचा कि हम उसको शाम को पकड़ लेंगे जब वह अपने घर लौटेगा पर वह तो शाम को भी अपनी उसी तेज़ी से भागा चला गया जिस तेज़ी से वह सुबह गया था सो वे उसको शाम को भी नहीं पकड़ सके।
बड़े भाई ने फिर उन मारने वालों को अपने महल में बुला लिया और उनको मैनीचीनो के कमरे के पास ले गया और वहाँ उनको उसको मारने के लिये तैनात कर दिया।
पर मैनीचीनो को कुछ शक सा हो गया सो उसने अपनी जादू की छड़ी को कहा कि वह उसके दरवाजे को ऐसा कर दे कि कोई दूसरा उसे खोल ही न सके।”
इस तरह उन मारने वालों ने रात भर उसके कमरे में घुसने की कोशिश की पर वे उसका दरवाजा ही नहीं खोल सके। सुबह होने पर वे वहाँ से चले गये।
एक दिन मैनीचीनो से बहुत बड़ी गलती हो गयी। एक बार उसको शिकार के लिये जाना था तो उसने सोचा कि अगर मैं इस जादू की छड़ी को अपने साथ ले जाऊँगा तो मैं बेमौत मारा जाऊँगा सो इससे तो अच्छा यह है कि मैं इसको यहीं अपने कमरे में ही रख देता हूँ।
यही सोचते हुए उसने अपनी जादू की छड़ी अपने कमरे में रख दी और अपने दोस्तों के साथ शिकार खेलने के लिये बिना उस छड़ी के ही चला गया।
पर उसके भाई की आँखें तो हमेशा खुली रहती थीं। सो जब उसने देखा कि मैनीचीनो ने अपनी जादू की छड़ी अपने कमरे में रख दी है तो उसने फिर मैनीचीनो के कमरे में रखी आलमारी की ड्रौअर खोजीं और वह टूटी हुई जादू की छड़ी निकाल ली।
“तो यह है वह छड़ी। लगता है कि यह अभी भी काम करती है नहीं तो मेरे भाई ने इसको वहाँ से उठायी ही नहीं होती जहाँ मैंने इसको फेंका था। पर अब बस इसका काम खत्म।”
यह कह कर उसने छड़ी के दोनों टुकड़ों को रसोईघर में ले जा कर उनको आग में डाल दिया।
छड़ी के वे दोनों टुकड़े कुछ पल में ही जल कर राख हो गये और उसके साथ राख हो गया वह महल, दौलत, पैसा, घोड़े, कपड़े और भी सब कुछ जो उसकी वजह से उनको मिला था।
जिस समय मैनीचीनो के भाई ने उसकी वह जादू की डंडी जलायी उस समय मैनीचीनो घने जंगल में था। उस समय वह जो बन्दूक लिये हुए था, वह जिस घोड़े पर चढ़ा हुआ था और उसके वे कुत्ते जो खरगोशों के पीछे भाग रहे थे वे सब हवा के साथ उड़ गये।
उसको लगा कि उसकी सारी खुशकिस्मती हमेशा के लिये चली गयी। और यह सब उसकी अपनी बेवकूफी से ही हुआ। वह तो वहीं बहुत ज़ोर से रो पड़ा। मैनीचीनो की मौत
अब मिलान वापस जाना बेकार था। उसने सोचा कि अब उसको स्पेन जाना चाहिये जहाँ उसकी 1000 लीरा सालाना की पेन्शन अभी भी थी जो राजा ने उसके लिये तय की थी। सो वह पैदल ही स्पेन चल दिया।
जब वह नाव से स्पेन जा रहा था तो उसको एक आदमी मिला जो बैल बेचता था। जैसा कि अक्सर साथ यात्रा करने वाले करते हैं उन दोनों की नाव में आपस में बात हुई। फिर बल्कि नाव से उतरने के बाद भी वे सड़क पर बात करते करते चलते रहे।
इस बीच मैनीचीनो ने उस बैल के व्यापारी को अपने बारे में सब कुछ बताया।
जब उस बैल के व्यापारी को मैनीचीनों की बदकिस्मती के बारे में पता चला तो उसने उससे कहा कि क्या वह उसके बैलों को वहाँ ले जा सकता है जहाँ उनकी जरूरत है। मैनीचीनो राजी हो गया और दोनों अपने अपने कामों में लग गये।
कुछ ही दिनों में मैनोचीनो के पास कुछ पैसे जमा हो गये। एक शाम जब वह अपने साथियों के साथ एक सराय में ठहरा हुआ था तो वहाँ कुछ मारने वालों ने उनके ऊपर हमला कर दिया।
वे मारने वाले काफी थे। मैनीचीनो ने हथियार उठाये भी पर क्योंकि वे कई थे इसलिये वह अकेला ज़्यादा कुछ नहीं कर सका और उन्होंने उसको मार दिया।
इस तरह से मैनीचीनो के साहसिक कामों और बदकिस्मती सबका अन्त हो गया। पर इसके मरने से इसके भाई का कोई भला नहीं हुआ क्योंकि मैनीचीनो की जादू की डंडी जलाते ही उसकी सारी दौलत और जायदाद का तो अन्त हो गया था। और उनके जाने के बाद अब वह फिर से गरीब हो गया था।
उसके बाद उसने सौदागरी का धन्धा भी शुरू किया पर वह चला नहीं और फिर उसकी हालत बुरी और बुरी से भी और ज़्यादा बुरी होती चली गयी। इसके बाद वह डाकुओं के एक गिरोह में शामिल हो गया।
और यह तो सभी जानते हैं कि दस में से नौ बार तो डाकू बच ही जाते हैं पर दसवीं बार पकड़े भी जाते हैं। उसके साथ भी यही हुआ।
एक बार सिपाहियों ने उन डाकुओं को पकड़ने के लिये जाल बिछाया और इत्तफाक से वे सब डाकू पकड़े गये।
उनको हथकड़ी बेड़ी लगा कर जेल में डाल दिया गया और फिर उनको फाँसी पर चढ़ा दिया गया। उसी में मैनीचीनो को भी फाँसी चढ़ा दिया गया।
(साभार : सुषमा गुप्ता)