मेक्सिकन (अमेरिकी कहानी) : जैक लण्‍डन

Mexican (American Story) : Jack London

एक

उसके पिछले जीवन के बारे में कोई नहीं जानता था-विद्रोही दल के वे नेता तो सबसे कम जानते थे। उनके लिए वह एक रहस्य था पर उनकी नजर में वह देशभक्त भी था और मेक्सिको में आनेवाली क्रान्ति के लिए वह भी उतनी ही कड़ी मेहनत कर रहा था जितनी कि वे। उन्होंने इस बात को देर से पहचाना क्योंकि नेताओं की मण्डली में से कोई भी उसे पसन्द नहीं करता था। जिस दिन वह पहली बार उनके भीड़भरे, व्यस्त कमरों में आया था, उन सबने उस पर जासूस होने का सन्देह किया था-उन्हें लगा था कि वह भी दियाज़ की सीक्रेट सर्विस के भाड़े के लोगों में से एक है। उनके बहुत से साथी अमेरिकाभर में बिखरी सिविल और सैनिक जेलों में कैद थे और उस वक्त भी बहुतेरे अन्य साथी जंजीरों में जकड़े सीमापार ले जाये जा रहे थे जहाँ उन्हें कच्ची र्इंटों की दीवारों के सामने खड़ा करके गोली मार दी जाती थी।

पहली नजर में उस लड़के ने उन पर अच्छा असर नहीं छोड़ा। वह लड़का ही था, वह अठारह से ज्यादा का नहीं होगा और उम्र के लिहाज से उसका शरीर ज्यादा बड़ा नहीं था। उसने कहा कि वह फेलिपे रिवेरा है और क्रान्ति के लिए काम करना चाहता है। बस इतना ही-एक भी फालतू शब्द नहीं, आगे कुछ और बताने की कोशिश भी नहीं। वह खड़ा जवाब का इन्तजार कर रहा था। उसके होंठों पर कोई मुस्कान नहीं थी, न ही आँखों में खुशमिजाजी। लम्बे–तगड़े, तेज–तर्रार पौलिनो वेरा को अपने भीतर हल्की–सी सिहरन महसूस हुई। यह कुछ अशुभ, भयावह, अबूझ–सी चीज थी। लड़के की काली आँखों में कुछ जहरीला और साँप–जैसा था। वे ठण्डी आग की तरह जल रही थीं, जैसे उनमें अथाह, सघन कड़वाहट सुलग रही हो। उसकी नजरें षड्यंत्रकारियों के चेहरों से उस टाइपराइटर तक कौंध गयीं जिस पर दुबली–पतली मिसेज सेदबी बड़ी लगन से जुटी हुई थी। उसकी आँखें एक पल के लिए उन पर टिकीं-उन्होंने उसी वक्त नजर उठाई थी-और उन्हें भी उस अजीब सी चीज का अहसास हुआ; उनकी उँगलियाँ अपने आप रुक गयीं। खत की टाइपिंग जारी रखने के लिए उन्हें एक बार पीछे तक पढ़ना पड़ा।

पौलिनो वेरा ने सवालिया निगाह से अरेलानो और रामोस की ओर देखा और उन्होंने सवालिया निगाहों से उसे और एक–दूसरे को देखा। सन्देह से उपजा अनिर्णय उनकी आँखों में झलक रहा था। यह नाजुक सा लड़का ‘अज्ञात’ था, ‘अज्ञात’ की सारी आशंकाएँ मानो उसमें समाई हुई थीं। उसे पहचाना नहीं जा सकता था, वह ईमानदार, साधारण क्रान्तिकारियों की दृष्टिसीमा से परे की कोई चीज जान पड़ता था। दियाज़ और उसकी तानाशाही से ये क्रान्तिकारी बस ईमानदार और साधारण देशभक्तों के रूप में जबर्दस्त नफरत करते थे। लेकिन यहाँ उनके सामने कुछ और था, वे नहीं जानते थे कि यह क्या है। हमेशा ही सबसे आवेगमय, सबसे जल्दी हरकत में आनेवाले वेरा ने चुप्पी तोड़ी।

“ठीक है”, उसने ठण्डे लहजे में कहा। “तुम कहते हो कि तुम क्रान्ति के लिए काम करना चाहते हो। अपना कोट उतारो। इसे वहाँ टाँग दो। मैं तुम्हें बताता हूँ, आओ-बाल्टी और पोछा कहाँ है? फर्श गन्दा है। तुम यहाँ से शुरू करो और फिर सारे कमरों के फर्श रगड़कर साफ कर डालो। उगलदान भी गन्दे हो गये हैं। इसके बाद खिड़कियाँ साफ करनी हैं।”

“ये सब क्रान्ति के लिए है?” लड़के ने पूछा।
“ये सब क्रान्ति के लिए है,” वेरा ने जवाब दिया।
रिवेरा ने उन सब पर सन्देह से भरी एक ठण्डी नजर डाली, फिर अपना कोट उतारने लगा।
“ठीक है,” उसने कहा।

बस और कुछ नहीं। रोज–ब–रोज वह अपने काम पर आता था-झाड़ू लगाता था, पोछा करता था, सफाई करता था। वह अँगीठियों की राख निकालकर फेंकता था, कोयला और लकड़ी की छिपटियाँ लाता था और उनमें से सबसे ऊर्जावान व्यक्ति के अपनी मेज पर पहुँचने से पहले ही अँगीठियाँ सुलगा चुका होता था।
“क्या मैं यहाँ सो सकता हूँ?” एक बार उसने पूछा।

ओ–हो! तो ये बात है-आखिर दियाज़ का हाथ नजर आ ही गया! जुन्ता¹ के कमरों में सोने का मतलब था उनकी तमाम खुफिया जानकारियों तक सीधी पहुँच-लोगों के नामों की सूचियाँ, मेक्सिकन धरती पर मौजूद तमाम कामरेडों के पते, सब उसके हाथ में पड़ जाते। अनुरोध ठुकरा दिया गया, और रिवेरा ने दुबारा कभी इसका जिक्र नहीं किया। वह कहाँ सोता था इसके बारे में वे नहीं जानते थे और न ही उन्हें मालूम था कि वह कहाँ खाता है और कैसे खाता है। एक बार अरेलानो ने उसे एक–दो डालर देने चाहे। रिवेरा ने सिर हिलाकर पैसे लेने से इनकार कर दिया। जब वेरा ने भी जोर देकर उसे पैसे लेने के लिए कहा, तो उसने कहा :
“मैं क्रान्ति के लिए काम कर रहा हूँ।”

आधुनिक क्रान्ति की तैयारी में पैसों की जरूरत होती है, और जुन्ता के हाथ हमेशा ही तंग रहते थे। सभी सदस्य आधा पेट खाते थे और दिनो–रात काम में जुटे रहते थे, फिर भी ऐसे मौके आते थे जब लगता था कि क्रान्ति का टिके रहना या असफल हो जाना बस चन्द डालरों की बात है। एक बार, और यह पहली बार था, जब मकान का किराया दो महीने से बाकी था और मकानमालिक उन्हें बाहर करने की धमकी दे रहा था, तो इसी फेलिपे रिवेरा, घटिया फटे–चिथड़े कपड़ों में लिपटे पोछेवाले लड़के ने मे सेदबी की मेज पर साठ डालर के सोने के सिक्के लाकर रख दिये थे। फिर और भी मौके आये। हमेशा व्यस्त रहनेवाले टाइपराइटरों पर लिखे तीन सौ खत भेजे जाने के लिए पड़े हुए थे, पर डाक टिकट के पैसे नहीं थे। (इनमें मदद की, संगठित मजदूर ग्रुपों से अनुदान की अपीलें थीं, अखबारों के सम्पादकों के नाम खत और विज्ञप्तियाँ थीं और अमेरिकी अदालतों में क्रान्तिकारियों के साथ निरंकुश बर्ताव के खिलाफ विरोध के पत्र थे।) वेरा की घड़ी बिक चुकी थी-पुराने फैशन की सोने की यह घड़ी उसके बाप की थी। मे सेदबी की तीसरी उँगली से सोने की अँगूठी भी जा चुकी थी। हालात बदहवासी के थे। रामोस और अरेलानो हताशा में अपनी लम्बी मूँछें खींचते रहते थे। चिट्ठियाँ हर हाल में भेजी जानी थीं, और डाकघरवाले उधार पर टिकट देने को तैयार नहीं थे। उस वक्त भी रिवेरा ने टोप सिर पर रखा और बाहर निकल गया। जब वह लौटा तो उसने मे सेदबी की मेज पर दो सेण्टवाले एक हजार टिकट रख दिये।
“मैं सोचता हूँ कि कहीं यह सोना दियाज़ का तो नहीं है?” वेरा ने साथियों से कहा।

उन्होंने त्योरियाँ चढ़ा लीं पर कुछ तय नहीं कर पाये। और क्रान्ति के लिए पोछा लगानेवाला फेलिपे रिवेरा मौका पड़ने पर जुन्ता के इस्तेमाल के लिए सोना और चाँदी लाता रहा।

और फिर भी वे उसे पसन्द नहीं कर पा रहे थे। वे उसे जानते नहीं थे। उसके तौर–तरीके उन जैसे नहीं थे। वह विश्वास नहीं जगाता था। उसके बारे में जानकारी पाने की सारी कोशिशें उसके ठण्डे रुख से नाकाम हो जाती थीं। वह बस लड़का ही था, फिर भी वे उससे पूछताछ करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे।

“शायद वह एक महान और एकाकी आत्मा है; पता नहीं, मैं समझ नहीं पाता, कुछ नहीं समझ पाता,” अरेलानो ने झुँझलाकर कहा।
“वह इनसान नहीं है,” रामोस बोला।

“उसकी आत्मा दाग दी गयी है,” मे सेदबी ने कहा। “हँसी–खुशी तो उसके भीतर जैसे झुलस चुकी है। वह मरे हुओं जैसा है, फिर भी वह इस कदर जिन्दा है कि डर लगता है।”

“वह जहन्नुम से होकर गुजरा है,” वेरा ने कहा। “कोई भी इनसान ऐसा नहीं दिख सकता, अगर वह जहन्नुम से न गुजरा हो-और वह तो अभी लड़का ही है।”

फिर भी वे उसे पसन्द नहीं कर पाते थे। वह कभी बातें नहीं करता था, कभी कुछ पूछता नहीं था, कभी सलाह नहीं देता था। जब वे क्रान्ति पर गर्मजोशी से बातें करते थे, तो वह चुपचाप खड़ा सुनता रहता था; उसका चेहरा भावहीन होता था, जैसे मृत हो, बस उसकी आँखों में ठण्डी आग सुलगती रहती थी। बर्फ के दमकते बर्मों–सी भेदती उसकी नजरें एक–एक वक्ता के चेहरे पर फिरती रहती थीं जिससे वे परेशान और विचलित हो जाते थे।

“वह कोई जासूस नहीं है,” एक बार वेरा ने मे सेदबी से अपने दिल की बात कही। “वह एक देशभक्त है-यकीन मानो, हम सबसे बढ़कर देशभक्त है। मैं जानता हूँ, मैं यह महसूस करता हूँ, यहाँ, अपने दिल में और अपने दिमाग में मैं यह महसूस करता हूँ। लेकिन मैं उसे बिल्कुल समझ नहीं पाता हूँ।”
“वह गर्म मिजाज का है,” मे सेदबी ने कहा।

“मैं जानता हूँ,” वेरा ने हल्की–सी सिहरन के साथ कहा। “वह मेरी ओर अपनी उन आँखों से देखता है। उनमें प्यार नहीं होता, वे डराती हैं; वे जंगली बाघ की तरह हिंस्र लगती हैं। मैं जानता हूँ, अगर मैंने लक्ष्य के साथ गद्दारी की, तो वह मुझे मार डालेगा। उसके पास दिल नहीं है। वह फौलाद की तरह निर्मम है, बर्फ की तरह ठण्डा और पैना है। वह सर्दियों की रात में उस चाँदनी की तरह है जिसके देखते कोई इनसान पहाड़ की निर्जन चोटी पर जमकर मर जाता है। मैं दियाज़ और उसके तमाम हत्यारों से नहीं डरता; लेकिन यह लड़का, इससे मुझे डर लगता है। मैं सच कहता हूँ तुम्हें। उससे मौत की गन्ध आती है।”

फिर भी यह वेरा ही था जिसने दूसरों को रिवेरा पर भरोसा करने के लिए राजी किया। लॉस एंजलिस और लोअर कैलिफोर्निया के बीच सम्पर्क सूत्र टूट गया था। तीन साथियों से खुद अपनी कब्र खुदवाकर उन्हें उसी में गोली मार दी गयी थी। दो अन्य लॉस एंजलिस में अमेरिकी सरकार के कैदी थे। संघीय कमाण्डर जुआन अल्वरादो एक राक्षस था। उनकी सारी योजनाएँ वह नाकाम कर देता था। लोअर कैलिफोर्निया के सक्रिय और नये जुड़ रहे क्रान्तिकारियों तक अब उनका पहुँचना मुमकिन नहीं रह गया था।

रिवेरा को कुछ निर्देश दिये गये और दक्षिण रवाना कर दिया गया। जब वह लौटा, तो सम्पर्क सूत्र बहाल हो चुका था और जुआन अल्वरादो मर चुका था। वह अपने बिस्तर में मरा पाया गया था, उसके सीने में मूठ तक चाकू धँसा हुआ था। यह रिवेरा को दिये गये निर्देशों से ज्यादा था, लेकिन जुन्ता के लोग जानते थे कि वह कब–कब कहाँ–कहाँ गया था। उन्होंने उससे पूछा नहीं। उसने कुछ कहा नहीं। लेकिन वे एक–दूसरे की ओर देखते और कयास लगाते रहे।

“मैंने कहा था न,” वेरा ने कहा। “यह लड़का दियाज़ के लिए किसी से भी ज्यादा खतरनाक है। उसे शान्त नहीं किया जा सकता। वह खुदा का हाथ है।”

मे सेदबी ने जिस गर्म मिजाज की बात की थी, और जिसे सब महसूस करते थे, उसके अब शारीरिक प्रमाण मिलने लगे थे। कभी उसका ऊपरी होंठ कटा होता, कभी गाल पर नीला दाग होता या कान सूजा हुआ होता। साफ था कि उस बाहरी दुनिया में वह लड़ता–भिड़ता रहता है जहाँ वह खाता और सोता था, पैसे हासिल करता था और इस ढंग से जीता था जिससे वे अनजान थे। समय बीतने के साथ, वह उनके छोटे–से क्रान्तिकारी साप्ताहिक अखबार के लिए टाइप सेट करने का भी काम करने लगा था। कई बार ऐसे मौके आते जब वह टाइप सेट नहीं कर पाता क्योंकि उसकी उँगलियों की गाँठों पर घाव होते थे, या उसके अँगूठे चोट से बेकार हो जाते या फिर उसकी एक बाँह बेजान–सी लटकी रहती जबकि उसका चेहरा दर्द से खिंचा रहता-यह अलग बात है कि उसकी जुबान से उफ भी नहीं निकलती थी।

“आवारा छोकरा!” अरेलानो ने कहा।
“गन्दी जगहों पर जाता होगा,” रामोस का कहना था।
“लेकिन उसे पैसे कहाँ से मिलते हैं?” वेरा ने पूछा। “आज ही, बल्कि अभी–अभी मुझे पता चला है कि उसने कागज का बिल चुका दिया है-एक सौ चालीस डालर।”
“बीच–बीच में वह गायब रहता है,” मे सेदबी ने कहा। “वह कभी नहीं बताता कि इस बीच कहाँ रहा।”
“हमें उसके पीछे जासूस लगाना चाहिये,” रामोस ने विचार व्यक्त किया।

“मैं तो वह जासूस नहीं होना चाहूँगा,” वेरा ने कहा। “मुझे डर है कि तुम लोग मुझे दुबारा कभी नहीं देख पाओगे, सीधे दफनाने के समय ही देखोगे। उसके भीतर भावनाओं का जबर्दस्त उबाल है। उसकी भावनाओं की राह में आने की इजाजत तो खुदा भी नहीं देगा।”
“उसके सामने मैं खुद को बच्चे–जैसा महसूस करता हूँ,” रामोस ने स्वीकार किया।
“मेरे लिए तो वह साक्षात शक्ति है-वह आदिम शक्ति है, जंगली भेड़िया है, फन मारता रैटलस्नेक है, डंक मारता बिच्छू है,” अरेलानो ने कहा।

“वह साक्षात क्रान्ति है,” वेरा ने कहा। “वह इसकी लौ है, इसकी आत्मा है; बदले की कभी न शान्त होनेवाली पुकार है जो आवाज नहीं करती मगर चुपचाप वध करती है। वह रात की खामोशी में निकलनेवाला मौत का फरिश्ता है।”

“मुझे उस पर रोना आता है,” मे सेदबी ने कहा। “वह किसी को नहीं जानता। वह सबसे नफरत करता है। वह हमें बर्दाश्त करता है क्योंकि हम उसकी मुराद पूरी करने का जरिया हैं। वह अकेला है–––बिल्कुल अकेला।” सिसकी रोकने की कोशिश में उसकी आवाज खो गयी और उसकी आँखें धुँधला गर्इं।

रिवेरा के तौर–तरीके और उसके आने–जाने का समय वाकई रहस्यमय थे। कभी–कभी वह उन्हें एक हफ्ते तक नहीं दिखाई देता था। एक बार, वह पूरे महीने भर गायब रहा। ऐसे मौकों पर उसकी वापसी हमेशा ही सुखद होती थी क्योंकि वह बिना दिखावे के या बिना कुछ बोले मे सेदबी की मेज पर सोने के सिक्के रख देता था। इसके बाद वह कई दिनों और हफ्तों तक अपना सारा समय जुन्ता के साथ गुजारता था। लेकिन फिर, वह बीच–बीच में सुबह से दोपहर बाद तक गायब रहने लगता था। ऐसे मौकों पर वह काफी जल्दी आ जाता था और देर रात तक रुकता था। अरेलानो ने एक बार उसे आधी रात को सूजी हुई उँगलियों से टाइप सेट करते पाया था, या शायद उसका होंठ भी फटा हुआ था जिससे अब भी खून चुहचुहा रहा था।

दो

संकट का समय आ पहुँचा था। क्रान्ति होगी या नहीं यह अब जुन्ता पर निर्भर था और जुन्ता बेहद दबाव में थी। पैसे की तंगी पहले हमेशा से ज्यादा थी, पर पैसे जुटाना और भी मुश्किल हो गया था। देशभक्तों ने अपनी आखिरी कौड़ी भी दे दी थी और अब कुछ नहीं दे सकते थे। रेल मार्गों के सेक्शनों पर काम करनेवाले मजदूर और मेक्सिको से भागकर अमेरिका के दफ्तरों में काम करनेवाले चपरासी अपनी मामूली तनख्वाहों का आधा हिस्सा दे रहे थे। लेकिन इससे कहीं ज्यादा की दरकार थी। बरसों तक हताशा से जूझते हुए, जीतोड़ मेहनत से किये गये गुप्त कामों का नतीजा मिलने का समय आ रहा था। समय बिल्कुल सटीक था। क्रान्ति एक नाजुक सन्तुलन पर टिकी थी। बस एक और धक्का, पूरी ताकत और हिम्मत से की गयी एक कोशिश की जरूरत थी, और यह लहराती हुई जीत की ओर बढ़ जाती। वे अपने मेक्सिको को जानते थे। बस एक बार शुरू हो जाये, उसके बाद क्रान्ति खुद अपना ख्याल रख सकती थी। दियाज़ का पूरा तंत्र ताश के पत्तों की तरह भहरा जायेगा। सीमा के इलाके उठ खड़े होने के लिए तैयार थे। आई.डब्ल्यू.डब्ल्यू.¹ के सौ लोगों के साथ एक यांकी सीमा पार करके लोअर कैलिफोर्निया पर धावा बोलने के लिए तैयार था। लेकिन उसे बन्दूकों की जरूरत थी। और उधर, अटलांटिक तक के पूरे इलाके में ऐसे लोगों की पूरी फौज थी जो इस आततायी हुकूमत से लड़ने को तैयार बैठे थे। इनमें दुस्साहसियों, लूट के लिए लड़नेवाले, बागी डकैत, अमेरिकी यूनियनों के असन्तुष्ट लोग, समाजवादी, अराजकतावादी, आवारागर्द, मेक्सिको से निर्वासित लोग, बंधुआगीरी से भागे हुए कर्मचारी, कोर द’अलान और कोलोराडो की खदानों में कोड़े खानेवाले खान मजदूर-ये सब शामिल थे। जुन्ता उन सबसे सम्पर्क बनाये हुए थी, और सबको बन्दूकों की जरूरत थी। बार–बार यही माँग आती थी-बन्दूकें और गोली–बारूद, गोली–बारूद और बन्दूकें।

प्रतिशोध से भरी, अपना सब कुछ खो चुकी इस ऊबड़खाबड़ भीड़ को सीमा के पार धकेल देना था, और क्रान्ति शुरू हो जाती। कस्टम हाउस, उत्तरी बन्दरगाहों के प्रवेशद्वार पर कब्जा हो जाता। दियाज़ इसे रोक नहीं पाता। वह अपनी सेनाएँ उनके खिलाफ भेजने की हिम्मत नहीं कर सकता था क्योंकि उसे दक्षिण को काबू में रखना था। और पूरे दक्षिण में क्रान्ति की लपटें उसके रोके नहीं रुकेंगी। लोग उठ खड़े होंगे। एक के बाद एक शहर की रक्षापंक्ति ध्वस्त हो जायेगी। एक के बाद एक प्रान्त घुटने टेक देगा। और आखिरकार, हर ओर से क्रान्ति की विजयी सेनाएँ दियाज़ के आखिरी गढ़, मेक्सिको सिटी को घेर लेंगी।

लेकिन पैसा कहाँ से आये! उनके पास बन्दूकों का इस्तेमाल करनेवाले लोग थे, उत्साह से भरे और अधीर। वे उन व्यापारियों को जानते थे जो बन्दूकें बेचने और उन्हें सही जगह पहुँचाने के लिए तैयार थे। लेकिन क्रान्ति को इस मुकाम तक लाने में जुन्ता ने अपने सारे संसाधन खर्च कर दिये थे। आखिरी डालर खर्च हो चुका था, आखिरी स्रोत और भूख से लड़ते आखिरी देशभक्त से जो भी मिल सकता था निचोड़ा जा चुका था, लेकिन निर्णायक कार्रवाई अब भी बारीक सन्तुलन पर टिकी थी। बन्दूकें और गोलीबारूद! खस्ताहाल बटालियनों को हथियारबन्द करना ही होगा। लेकिन कैसे? रामोस को अपनी जब्त हो चुकी जागीरों की याद आयी। अरेलानो ने अपनी जवानी की फिजूलखर्ची का रोना रोया। मे सेदबी सोचने लगी कि अगर जुन्ता अतीत में थोड़ी और किफायतशारी बरतती तो क्या कुछ हो सकता था?
“जरा सोचो कि मेक्सिको की आजादी बस कुछ हजार डालरों की मोहताज है,” पौलिनो वेरा ने कहा।

हताशा उन सबके चेहरों पर साफ दिख रही थी। उनकी आखिरी उम्मीद, हाल ही में जुड़े जोस अमारिलो, जिसने पैसे देने का वादा किया था, को चिहुआहुआ में अपनी हवेली में पकड़ लिया गया था और उसके अस्तबल की दीवार के सामने उसे गोली मार दी गयी थी। खबर अभी–अभी आयी थी।

घुटनों के बल फर्श पर पोछा लगाते हुए रिवेरा ने उनकी ओर देखा। उसका ब्रशवाला हाथ हवा में उठा था और नंगी बाँहों पर झागदार गन्दा पानी लगा हुआ था।
“पाँच हजार से काम चल जायेगा?” उसने पूछा।

उन्होंने अचरज से उसकी ओर देखा। वेरा ने थूक निगलते हुए सिर हिलाया। वह बोल नहीं सका लेकिन अचानक उसमें अथाह विश्वास जाग उठा।
“बन्दूकों का आर्डर दे दो,” रिवेरा ने कहा। “समय कम है। तीन हफ्ते में मैं तुम्हें पाँच हजार ला दूँगा। यह ठीक रहेगा। तब तक लड़नेवालों के लिए मौसम भी कुछ गर्म हो जायेगा। इससे ज्यादा मैं कुछ नहीं कर सकता।”

वेरा अपने विश्वास को कायम रखने की पूरी कोशिश कर रहा था। यह अविश्वसनीय था। जब से वह क्रान्ति में शामिल हुआ था तब से उसने बहुत सी उम्मीदों को टूटते देखा था। उसे चिथड़े पहने हुए क्रान्ति के लिए पोछा लगानेवाले इस लड़के पर यकीन था, फिर भी वह यकीन करने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था।

“तू पागल है,” उसने कहा।
“बस तीन हफ्ते,” रिवेरा ने कहा। “बन्दूकों का आर्डर दे दो।”
वह उठा, कमीज की बाँहें नीचे कीं और कोट पहन लिया।
“बन्दूकों का आर्डर दे दो,” उसने कहा।
“मैं अभी जा रहा हूँ।”

तीन

काफी भागदौड़, इधर–उधर टेलीफोन करने और गाली–गलौज के बाद केली के दफ्तर में रात को एक बैठक हुई। केली का धन्धा चमका हुआ था, लेकिन वह बदकिस्मत भी था। वह न्यूयार्क से डैनी वार्ड को ले आया था, बिल कार्थी के साथ उसके मुकाबले का सारा इन्तजाम कर लिया था, मुकाबले का दिन बस तीन हफ्ते दूर रह गया था लेकिन पिछले दो दिनों से कार्थी बुरी तरह घायल होकर पड़ा था, हालाँकि खेल पत्रकारों से अब तक यह तथ्य बड़ी सावधानी से छुपाकर रखा गया था। उसकी जगह लेनेवाला कोई नहीं था। केली पूरब के हर सम्भावित लाइटवेट मुक्केबाज को फोन घनघनाता रहा था लेकिन सब के सब अनुबन्धों और पहले से तय तारीखों से बँधे हुए थे। और आखिरकार अब उसकी उम्मीद फिर से जागी थी, हालाँकि यह एक धुँधली–सी ही उम्मीद थी।

केली ने वहाँ आते ही रिवेरा पर एक नजर डाली और कहा, “तू है बड़े जीवटवाला।”
रिवेरा की आँखों में जहरीली नफरत थी, लेकिन उसका चेहरा निर्विकार बना रहा।
“मैं वार्ड को धूल चटा सकता हूँ,” उसने बस इतना कहा।
“तू कैसे जानता है? कभी देखा है उसे लड़ते हुए?”
रिवेरा ने सिर हिला दिया।
“वह दोनों आँखें बन्द करके तुझे एक हाथ से पीट सकता है।”
रिवेरा ने कन्धे उचका दिये।
“तुझे कुछ कहना नहीं है?” फाइट प्रमोटर ने तीखी आवाज में पूछा।
“मैं उसे धूल चटा सकता हूँ।”

“अच्छा? तू अब तक किससे भिड़ा है?” माइकल केली ने पूछा। माइकल प्रमोटर का भाई था और यलोस्टोन जुआघर चलाता था जहाँ वह मुक्केबाजी के मुकाबलों पर सट्टे से अच्छे पैसे बनाता था।
रिवेरा ने उसे कड़वी, सपाट नजर से घूरा।
प्रमोटर के नौजवान, खिलन्दड़े सेक्रेटरी ने खींसे निपोरीं।

“ठीक है, तू राबर्टस् को जानता है,” केली ने शत्रुतापूर्ण चुप्पी को तोड़ते हुए कहा। “उसे अब तक यहाँ आ जाना चाहिए था। मैंने उसे बुलवाया है। बैठकर इन्तजार करो, हालाँकि तुझे देखकर नहीं लगता कि तेरे बस की बात है। मैं इकतरफा मुकाबले से पब्लिक को नाराज नहीं कर सकता। पता है तुझे, रिंग के सामने की सीटें पन्द्रह–पन्द्रह डालर में बिक रही हैं।”

राबर्ट्स आया तो उसे देखते ही लग गया कि वह हल्के नशे में है। वह एक लम्बा, छरहरा, ढीला–ढाला सा आदमी था और उसकी बोली की तरह ही उसकी चाल भी धीमी और सुस्त थी।
केली सीधे मुद्दे पर आया।

“देखो राबर्ट्स, तुम डींग हाँकते रहे हो कि तुमने इस मेक्सिकन छोकरे को ढूँढ़ निकाला है। तुम जानते ही हो कि कार्थी अपनी बाँह तुड़वा बैठा है। अब इस पीले मुँहवाले का जिगर तो देखो, ये आकर मुझसे कहता है कि यह कार्थी की जगह ले सकता है। क्या ख्याल है?”
“सही है, केली,” अपने सुस्त अन्दाज में राबर्टस ने जवाब दिया। “वह मुकाबला कर सकता है।”
“मेरे ख्याल से तुम अब यह कहोगे कि वह वार्ड को पटरा कर सकता है,” केली ने तुर्श लहजे में कहा।
राबर्टस विचार करने की मुद्रा में कुछ देर चुप रहा।

“नहीं, मैं यह तो नहीं कहूँगा। वार्ड ऊँची चीज है, वह रिंग का बादशाह है। लेकिन वह रिवेरा को चुटकियों में ठिकाने नहीं लगा सकता। मैं रिवेरा को जानता हूँ। कोई भी उसे गुस्सा नहीं दिला सकता। मैं उसकी ऐसी कोई कमजोरी ढूँढ़ नहीं पाया। और उसके दोनों हाथ चलते हैं। वह किसी भी स्थिति से, किसी भी रुख से सामनेवाले को ढेर कर देनेवाले मुक्के चला सकता है।”

“उसकी बात छोड़ो। वह कैसा शो पेश कर सकता है? तुम सारी जिन्दगी फाइटरों को तैयार करते रहे हो। तुम्हारी परख की मैं दाद देता हूँ। क्या वह पब्लिक का पैसा वसूल करा सकता है?”

“पक्की बात है। और इतना ही नहीं, वह वार्ड को खासा परेशान कर सकता है। तुम इस लड़के को जानते नहीं हो। मैं जानता हूँ। मैंने उसे ढूँढ़ा है। उसे गुस्सा दिलाना नामुमकिन है। वह शैतान का अवतार है। वह पक्की आफत की पुड़िया है। वह वार्ड को देसी प्रतिभा के कमाल से ऐसा चैंकायेगा कि तुम सब चौंक जाओगे। मैं यह नहीं कहता कि वह वार्ड को धूल चटा देगा, लेकिन वह ऐसा जबर्दस्त मुकाबला करेगा कि तुम सब जान जाओगे कि आनेवाले दिन उसी के हैं।”

“ठीक है।” केली अपने सेक्रेटरी की ओर मुड़ा। “वार्ड को फोन लगाओ। मैंने उसे बता दिया था कि अगर कुछ बात बनी तो उसे यहाँ आना होगा। वह अभी सामने यलोस्टोन में ही है; लोगों को अपने बल्ले दिखा रहा होगा, लोकप्रिय होने का कोई मौका वह नहीं छोड़ता।”
केली फिर ट्रेनर से मुखातिब हुआ। “कुछ पिओगे?”
राबर्ट्स ने लम्बे गिलास से चुस्की ली और अपने सुस्त लहजे में बोलने लगा।

“मैंने कभी तुम्हें बताया नहीं कि यह बदमाश मुझे मिला कैसे। दो साल पहले यह हमारे यहाँ आया था। मैं प्राइने को डेलानी के साथ उसके मुकाबले के लिए तैयार कर रहा था। प्राइने बड़ा दुष्ट है। उसमें रत्तीभर भी दया नहीं है। उसने अपने पार्टनर की बुरी तरह ठुँकाई कर डाली थी और मुझे उसके साथ लड़ने को तैयार कोई लड़का मिल नहीं रहा था। तभी मुझे भूख से बेहाल यह मेक्सिकन छोकरा वहाँ मँडराता दिखाई दिया। मुझे कोई भी नहीं मिल रहा था। इसलिए मैंने उसे पकड़ा, दस्ताने पहनाये और रिंग में उतार दिया। वह चमड़े–सा चीमड़ था लेकिन बेहद कमजोर था। और वह मुक्केबाजी के ककहरे का पहला अक्षर भी नहीं जानता था। प्राइने ने उसकी धज्जियाँ उड़ा दीं। लेकिन वह दो राउण्ड तक टिका रहा, फिर बेहोश हो गया। वह भी भूख से। कैसी मार लगी थी उसे! उसे पहचानना मुश्किल था। मैंने उसे आधा डालर और खाना दिया। तुम्हें उसे भुक्खड़ों की तरह भकोसते देखना चाहिए था। उसने दो दिन से एक निवाला भी नहीं चखा था। मैंने सोचा, यह तो गया काम से। लेकिन अगले दिन वह फिर पहुँच गया। उसका शरीर अकड़ा और सूजा हुआ था लेकिन आधा डालर और भरपेट खाने के लिए वह फिर तैयार था। और समय बीतने के साथ वह बेहतर होता गया। वह जन्मजात फाइटर है, और ऐसा कड़ियल कि विश्वास नहीं होता। उसके दिल नहीं है। वह बर्फ की सिल्ली है। जब से मैं उसे जानता हूँ उसने एक बार में ग्यारह शब्द भी नहीं बोले होंगे। वह बस अपना काम करता है।”

“मैंने देखा है,” सेक्रेटरी ने कहा। “उसने तुम्हारे लिए खूब काम किया है।”

“मेरे सारे बड़े फाइटर उसके साथ आजमाइश कर चुके हैं,” राबर्ट्स ने जवाब दिया। “और उसने उन सबसे सीखा है। मैंने देखा है कि उनमें से कुछ को वह धो सकता था। लेकिन उसका दिल नहीं लगता था। मैं सोचता था कि उसे ये खेल कभी पसन्द नहीं था। उसके हाव–भाव से तो ऐसा ही लगता था।”

“पिछले कुछ महीनों में तो वह छोटे क्लबों में फाइटिंग करता रहा है,” केली ने कहा।

“हाँ। अचानक उसे पता नहीं क्या हुआ। एकदम से वह इसके लिए तैयार हो गया। वह बस एक कौंध की तरह निकला और तमाम लोकल फाइटरों की छुट्टी कर दी। लगता है उसे पैसों की जरूरत है, और उसने ठीक–ठाक कमाई की है, हालाँकि उसके कपड़ों से पता नहीं चलता। वह अजीब ही चीज है। कोई नहीं जानता कि वह क्या करता है। किसी को नहीं पता कि वह अपना समय कैसे बिताता है। जब वह काम पर होता है तब भी काम खत्म होते ही गायब हो जाता है। कभी–कभी वह हफ्तों तक लापता रहता है। लेकिन वह किसी की सुनता नहीं है। उसका मैनेजर बननेवाला भारी कमाई कर सकता है, लेकिन वह इस बारे में सोचने को भी तैयार नहीं है। और तुम देखना कि जब मुकाबले की शर्तें तय होने लगेंगी तो वह पैसे नकद लेने के लिए किस तरह अड़ेगा।”

इसी समय डैनी वार्ड आ पहुँचा। पूरी मण्डली थी। उसका मैनेजर और ट्रेनर पीछे–पीछे थे और वह खुशमिजाजी और विजयी भाव के साथ हवा के झोंके की तरह भीतर आया। आते ही उसने लोगों से हाथ मिलाया, किसी से मजाक किया, किसी को अपनी हाजिरजवाबी की झलक दिखायी, किसी को देखकर मुस्कुराया और किसी की बात पर हँसा। ये उसका अन्दाज था और इसमें आंशिक ही सच्चाई थी। वह एक अच्छा अभिनेता था और उसने पाया था कि दुनिया में आगे बढ़ने के खेल में खुशमिजाजी बड़ा ही कारगर नुस्खा था। लेकिन भीतर से वह एक हिसाबी–किताबी, निर्मम फाइटर और बिजनेसमैन था। बाकी सब बस दिखावा था। एक मुखौटा था जिस पर हमेशा मुस्कान चिपकी रहती थी। उसे जाननेवाले या उसके साथ कारोबार करनेवाले कहते थे कि पैसों के मामले में उसका दिमाग उसके मुक्कों से भी ज्यादा तेज चलता था। लेन–देन सम्बन्धी हर बातचीत में वह जरूर मौजूद रहता था और कुछ लोग कहते थे कि उसका मैनेजर बस डैनी का माउथपीस है, वह वही बोलता है जो उसे कहा जाता है।

रिवेरा का अन्दाज बिल्कुल अलग था। उसकी नसों में स्पेनिश के साथ ही इण्डियन (रेड इण्डियन-अनु.) खून था और वह एक कोने में चुपचाप, बिल्कुल स्थिर बैठा हुआ था, सिर्फ उसकी काली आँखें एक–एक चेहरे पर फिर रही थीं और हर चीज को गौर से देख रही थीं।

“अच्छा, तो यह बन्दा है,” डैनी ने अपने प्रस्तावित प्रतिद्वंद्वी का नजरों से जायजा लेते हुए कहा। “कहो कैसे हो, दोस्त?”
रिवेरा की आँखें जल उठीं, लेकिन उसने अभिवादन स्वीकारने का कोई संकेत नहीं दिया। सारे ग्रिंगो¹ उसे सख्त नापसन्द थे, लेकिन इस ग्रिंगो को देखते ही उसके भीतर ऐसी नफरत उमड़ी थी जो खुद उसके लिए भी अजीब था।

“या खुदा!” डैनी ने मजाकिया अन्दाज में फाइट प्रमोटर से कहा। “तो तुम मुझे एक गूँगे–बहरे से भिड़ाना चाहते हो।” हँसी थमने पर उसने एक और फिकरा कसा। “लगता है आजकल लॉस एंजिलस में लोग चूड़ियाँ पहनने लगे हैं, तभी तुम इससे बेहतर का जुगाड़ नहीं कर सके। किस किण्डरगार्टेन से पकड़कर लाये हो इसे?”

“वह बढ़िया लड़का है, डैनी, मेरी बात मानो,” राबर्ट्स ने उसका बचाव किया। “जैसा कमजोर दिखता है वैसा है नहीं।”

“और आधी सीटें पहले ही बिक चुकी हैं,” केली ने अनुरोध के स्वर में कहा। “तुम्हें उससे भिड़ना ही होगा डैनी। अब इससे बेहतर हमारे लिए मुमकिन नहीं है।”
डैनी ने रिवेरा पर एक और बेफिक्र और उपेक्षापूर्ण नजर डाली और आह भरी।
“मेरे ख्याल से मुझे उसके साथ नरमी बरतनी पड़ेगी; बशर्ते वह बेवकूफी न कर बैठे।”
राबर्ट्स ने नथुनों से फुफकार मारी।

“तुम्हें सावधान रहना होगा,” डैनी के मैनेजर ने चेताया। “ऐसे घुरमुइसों को कोई मौका नहीं देना चाहिए। क्या पता, उसकी किस्मत से एकाध घूँसा तुम तक पहुँच ही जाये।”

“ओह, मैं पूरी सावधानी बरतूँगा, पूरी,” डैनी मुस्कुराया। “प्यारी पब्लिक की खातिर मैं इसे शुरू से धीरे–धीरे खिलाउँगा। पन्द्रह राउण्ड तक-और फिर उसे ढेर कर दूँगा, क्यों, क्या ख्याल है केली?”

“चलेगा,” उसने जवाब दिया। “बस असली दिखना चाहिए।”

“तो अब काम की बात कर लें।” डैनी ने ठहरकर मन ही मन हिसाब लगाया। “टिकट–बिक्री का पैंसठ फीसदी, जैसे कार्थी के साथ तय था। लेकिन इसका बँटवारा अलग होगा। मेरे लिए अस्सी ठीक रहेगा।” उसने अपने मैनेजर से पूछा, “ठीक है?”
मैनेजर ने हामी भरी।

“अरे सुनो, तुम्हारी समझ में आया?” केली ने रिवेरा से पूछा।
रिवेरा ने इनकार में सिर हिलाया।

“देखो, ये ऐसा होता है,” केली ने उसे समझाया। “इनाम की रकम होगी टिकट–बिक्री की पैंसठ फीसदी। तुम नये और अनजान हो। रकम तुम दोनों के बीच बँट जायेगी। बीस फीसदी तुम्हें, अस्सी डैनी को। क्यों, सही है न, राबर्ट्स?”
“बिल्कुल सही है, रिवेरा,” राबर्ट्स ने सहमति जताई।
“देखो, अभी तुम्हारा नाम तो हुआ नहीं है।”
“टिकट–बिक्री का पैंसठ फीसदी कितना होगा?” रिवेरा ने पूछा।
“ओह, शायद पाँच हजार, या, हो सकता है आठ हजार तक पहुँच जाये,” डैनी बोल पड़ा। “लगभग इतना ही होगा। तुम्हारे हिस्से में हजार से सोलह सौ तक आयेंगे। मेरे जैसे नामचीन बन्दे से पिटने के लिए ये खासी रकम है। क्या कहते हो?”

रिवेरा का जवाब सुनकर उनकी साँस गले में अटक गयी। “पूरी रकम जीतनेवाला ले जायेगा,” उसने फैसला सुनाने के अन्दाज में कहा। कमरे में सन्नाटा छा गया।

“वाह, बच्चा हमें टॉफी खिला रहा है,” डैनी के मैनेजर ने कहा।
डैनी ने सिर हिलाया।

“मैं इस खेल में बहुत दिनों से हूँ,” उसने कहा। “मैं रेफरी या आयोजक कम्पनी पर शुबहा नहीं कर रहा हूँ। मैं सट्टेबाजों और धोखाधड़ियों की भी बात नहीं कर रहा हूँ, जैसा कि कई बार होता है। मैं बस यही कह रहा हूँ कि मेरे जैसे फाइटर के लिए यह सौदा ठीक नहीं है। इस मामले में मैं जोखिम नहीं उठाता। तुम कुछ कह नहीं सकते। क्या पता मेरी बाँह टूट जाये, क्यों? या कोई मुझे धोखे से नशा खिला दे?” उसने गम्भीर मुद्रा में सिर हिलाया। “हार या जीत, मेरा हिस्सा होगा अस्सी फीसदी। क्या कहते हो, मेक्सिकन?”

रिवेरा ने फिर इनकार में सिर हिलाया।
डैनी गुस्से से फट पड़ा। अब वह असल रूप में आ रहा था।
“अबे, सड़कछाप गन्दे छोकरे, तू चाहता क्या है? जी तो करता है अभी तुझे चपटा कर दूँ।”
राबर्ट्स धीरे से अपना शरीर दोनों प्रतिद्वन्द्वियों के बीच ले आया।
“पूरी रकम जीतनेवाले को,” रिवेरा ने रूखे ढंग से दोहराया।
“तू इस तरह अड़ा क्यों हुआ है?” डैनी ने पूछा।
“मैं तुम्हें पीट सकता हूँ,” उसका सपाट जवाब था।

डैनी ने कोट उतारने की कोशिश शुरू की। लेकिन, जैसा कि उसका मैनेजर जानता था, यह महज दिखावा था। कोट उतरा नहीं, और डैनी ने लोगों को उसे शान्त करने दिया। सबकी हमदर्दी उसके साथ थी। रिवेरा अकेला खड़ा था।

“सुन, बेवकूफ छोकरे,” केली ने उसे समझाने का जिम्मा अब खुद पर ले लिया। “तू कुछ नहीं है। हम जानते हैं कि पिछले कुछ महीनों में तू क्या करता रहा है-मामूली लोकल फाइटरों को पीटा है तूने। लेकिन डैनी आला दर्जे का है। इस मुकाबले के बाद वह चैम्पियनशिप के लिए भिड़ेगा। और तू बिल्कुल गुमनाम है। लॉस एंजलिस के बाहर किसी ने तेरा नाम भी नहीं सुना है।”

“सुनेंगे,” रिवेरा ने कन्धे झटककर कहा, “इस मुकाबले के बाद वे सुनेंगे।”
“तू सोचता है तू मुझे पीट देगा?” डैनी गुस्से में बोला।
रिवेरा ने सिर हिलाकर हामी भरी।
“अरे छोड़ो; जरा बात समझने की कोशिश करो,” केली ने अपील की। “विज्ञापनों के बारे में सोचो।”
“मुझे पैसे चाहिए,” रिवेरा का जवाब था।
“तू एक हजार साल में मुझसे नहीं जीत सकता,” डैनी ने आश्वस्त भाव से कहा।
“फिर तुम्हें फिक्र काहे की है?” रिवेरा ने पलटकर कहा। “अगर पैसा इतनी आसानी से मिल रहा है तो तुम ले क्यों नहीं लेते?”

“लूँगा! अब तू देख!” डैनी अचानक फैसलाकुन अन्दाज में चीखा। “मैं रिंग में तुझे पीट–पीटकर मार डालूँगा, बच्चे-तू मेरे साथ खिलवाड़ कर रहा है! अखबारों में लेख छपवाना शुरू कर दो, केली। पूरा पैसा जीतनेवाले को! खेल कालमों में इसे जमकर उछालो। पब्लिक को बताओ कि ये पुराने दुश्मनों की भिड़न्त है। मैं इस नौबढ़ छोकरे को उसकी औकात दिखाउँगा।”

केली के सेक्रेटरी ने लिखना शुरू कर दिया था कि डैनी ने उसे रोक दिया।
“रुको!” वह रिवेरा की ओर मुड़ा।
“वजन?”
“रिंग के बाहर,” जवाब आया।
“सवाल ही नहीं उठता, नौबढ़ छोकरे। अगर पूरा माल जीतनेवाले का, तो वजन सुबह दस बजे होगा।”
“और पूरा माल जीतनेवाले को मिलेगा?” रिवेरा ने पूछा।

डैनी ने हामी भरी। मामला तय हो गया। वह अपनी पूरी ताकत और ताजगी के साथ रिंग में उतरेगा।
“वजन दस बजे होगा,” रिवेरा ने कहा।
सेक्रेटरी का पेन तेजी से चलने लगा।
“इसका मतलब हुआ पाँच पौण्ड और,” राबर्ट्स ने रिवेरा को समझाया।

“तूने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली। तूने हारने का पक्का इन्तजाम कर लिया। डैनी पक्के तौर पर तुझे पीट डालेगा। वह साँड़ की तरह मजबूत होगा। तू एकदम बेवकूफ है। अब तो तेरे पास रत्तीभर भी मौका नहीं है।”
रिवेरा ने नपी–तुली, नफरतभरी नजर से उसका जवाब दिया। वह इस ग्रिंगो से भी नफरत करता था, हालाँकि यह उन सबसे बेहतर गिंग्रो था।

चार

रिवेरा रिंग में उतरा तो शायद ही किसी ने उसकी ओर ध्यान दिया। स्टेडियम में इधर–उधर छितरी और बेमन से बजायी तालियों की आवाज ने उसका स्वागत किया। दर्शकों को उस पर भरोसा नहीं था। वह तो महान डैनी के हाथों बलि चढ़ने के लिए लाया गया मेमना था। इसके अलावा, दर्शकों को हताशा भी हुई थी। उन्हें डैनी वार्ड और बिल कार्थी के बीच जबर्दस्त भिड़न्त की उम्मीद थी और यहाँ उन्हें इस पिद्दी से काम चलाना पड़ रहा था। दर्शकों ने डैनी पर एक के मुकाबले दो, यहाँ तक कि तीन का सट्टा लगाकर इस बदलाव पर अपनी नाखुशी जाहिर कर दी। और सट्टा लगानेवालों का पैसा जिधर होता है, उधर ही उनका दिल भी होता है।

मेक्सिकन लड़का अपने कोने में बैठ गया और इन्तजार करने लगा। समय धीरे–धीरे बीत रहा था। डैनी उससे इन्तजार करा रहा था। यह एक पुरानी चाल थी लेकिन कमउम्र, नये फाइटरों पर इसका हमेशा ही असर होता था। इस तरह बैठे और खुद अपनी आशंकाओं तथा धुआँ उड़ाते निर्मम दर्शकों का सामना करते हुए उनमें डर समाने लगता था। लेकिन इस बार यह चाल नाकाम रही। राबर्ट्स ने ठीक कहा था। रिवेरा को अशान्त करना असम्भव था। वह उन सबसे ज्यादा सन्तुलित था और उसके दिलो–दिमाग की एक–एक नस प्रत्यंचा की तरह खिंची हुई थी और उसमें घबराहट या डर के लिए कोई गुंजाइश नहीं थी। रिंग के उसके कोने में मौजूद हार और निराशा के माहौल का भी उस पर कोई असर नहीं था। उसके सहयोगी ग्रिंगो और अजनबी थे। और उसे इनामी मुक्केबाजी के खेल की तलछट के लोग दिये गये थे, जिनके पास न तो कोई सम्मान था और न कुशलता। ऊपर से, वे पहले ही यह मान बैठे थे कि उनके खिलाड़ी की हार पक्की है।

“होशियार रहना,” स्पाइडर हैगर्टी ने उसे चेताया। स्पाइडर उसका मुख्य सहयोगी था। “जितनी देर टिके रह सको, उतनी देर टिकने की कोशिश करना-केली ने यही कहलाया है। अगर तुमने ऐसा नहीं किया तो अखबारवाले इसे भी मिली–जुली लड़ाई बता देंगे और लॉस एंजलिस में यह खेल और बदनाम हो जायेगा।”

यह सब कतई हौसला आफजाई करनेवाला नहीं था। लेकिन रिवेरा ने जरा भी ध्यान नहीं दिया। उसे इनामी मुक्कबाजी से नफरत थी। यह घृणित ग्रिंगो लोगों का घृणित खेल था। ट्रेनर के अखाड़े में दूसरों के मुक्के खानेवाले के तौर पर वह इसमें शामिल हुआ था, सिर्फ इसलिए क्योंकि वह भूख से मर रहा था। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता था कि वह इस खेल के लिए बहुत बढ़िया ढंग से बना था। वह इससे नफरत करता था। जुन्ता के सम्पर्क में आने के पहले वह कभी पैसे के लिए नहीं लड़ा था, पर उसे इस तरह पैसे कमाना आसान लगता था। वह पहला इनसान नहीं था जिसने खुद को एक ऐसे पेशे में कामयाब पाया था जिससे वह नफरत करता था।

उसने किसी चीज का विश्लेषण नहीं किया। वह बस जानता था कि उसे यह लड़ाई जीतनी ही है। कोई और नतीजा हो ही नहीं सकता। उसके इस विश्वास के पीछे ऐसी विराट शक्तियाँ थीं जिनकी स्टेडियम में खचाखच भरे दर्शक कल्पना भी नहीं कर सकते थे। डैनी वार्ड पैसे के लिए, और पैसे से खरीदे जा सकनेवाले ऐशो–आराम के लिए लड़ता था। लेकिन रिवेरा जिन चीजों के लिए लड़ता था वे उसके दिमाग में सुलग रही थीं-उसके दिमाग में जलते हुए और भयानक दृश्य कौंध रहे थे, जिन्हें रिंग के अपने कोने में अकेले बैठे और अपने तिकड़मी प्रतिद्वन्द्वी का इन्तजार करते हुए वह इतना साफ देख रहा था मानो उन्हें जी रहा हो।

उसने रिओ ब्लांको की सफेद दीवारों से घिरी पनबिजली से चलनेवाली फैक्ट्रियाँ देखीं। उसने छह हजार थके–हारे और भूखे मजदूरों को और सात–आठ साल के छोटे बच्चों को देखा जो रोजाना दस सेण्ट के लिए लम्बी–लम्बी पालियों में खटते थे। उसकी आँखों के सामने से चलते–फिरते शव गुजर गये; ये डाई–रूमों में काम करनेवाले लोग थे। उसे याद आया कि उसने अपने पिता को कहते सुना था कि ये डाई–रूम मौत के कुएँ हैं जहाँ एक साल काम करना मौत को बुलावा देना था। उसे छोटा–सा आँगन दिखायी दिया जहाँ उसकी माँ खाना बनाती थी और घर चलाने के लिए सुबह से रात तक खटती थी, फिर भी उसे दुलारने और प्यार करने का समय निकाल लेती थी। फिर उसने अपने पिता को देखा। लम्बे–ऊँचे, बड़ी–बड़ी मूँछों और गहरे सीनेवाले पिता, जो उन तमाम लोगों से प्यार करते थे और जिनका दिल इतना बड़ा था कि उसमें उमड़ता प्यार उन हजारों लोगों के बीच बँटने के बाद भी माँ और आँगन के कोने में खेल रहे नन्हे छोकरे के लिए बचा रहता था। उन दिनों उसका नाम फेलिपे रिवेरा नहीं था, उसका नाम फर्नांदेज़ था, जो उसे अपने पिता और माँ से मिला था। उसे वे जुआन कहते थे। बाद में उसने खुद इसे बदल लिया था क्योंकि पुलिस, राजनीतिज्ञ और जागीरदारों के आदमी फर्नांदेज़ नाम से नफरत करते थे।

लम्बे–तगड़े, दिलदार जोआक्विन फर्नांदेज! वे हमेशा रिवेरा की आँखों के सामने होते थे। उस वक्त वह उन्हें समझ नहीं पाता था लेकिन अब याद करने पर वह सब कुछ समझ सकता था। वह उन्हें छोटी–सी प्रिण्टिंग प्रेस में टाइपसेट करते हुए, या किताबों और कागजों से अँटी पड़ी मेज पर जल्दी–जल्दी कुछ लिखते हुए देख सकता था। और उसे वे विचित्र–सी शामें दिखाई दे रही थीं जब शहर के मजदूर बुरे काम करनेवालों की तरह अँधेरे में चुपके–चुपके उसके पिता से मिलने आते थे और घण्टों बातें करते रहते थे। उस वक्त वह कोने में लेटा अकसर उनकी अबूझ बातें सुना करता था।

उसे स्पाइडर हैगर्टी की कहीं दूर से आती हुई–सी आवाज सुनाई दी : “शुरू में ही लुढ़क मत जाना। यही कहलाया गया है। थोड़ी मार सह लो, तुम्हें पैसे मिल जायेंगे।”

दस मिनट बीत चुके थे और वह अब भी अपने कोने में बैठा हुआ था। डैनी का कुछ अता–पता नहीं था। साफ था कि वह अपनी चाल को आखिरी सीमा तक खींचना चाह रहा था।

रिवेरा की आँखों के सामने से जलते हुए दृश्य गुजरते रहे। उसे वह हड़ताल, बल्कि तालाबन्दी दिखाई दी जब रिओ ब्लांको के मजदूरों ने प्यूब्ला के अपने हड़ताली भाइयों की मदद करने की सजा पायी थी। भूख, बेरियाँ चुनने के लिए पहाड़ियों में भटकना, जड़ें और बूटियाँ जिन्हें सब खाते थे और जो सब के पेटों में दर्द और ऐंठन पैदा करती थीं-और फिर उसने वह दु:स्वप्न एक बार फिर देखा : कम्पनी के गोदाम के सामने का खाली मैदान; भूख से मरते हजारों मजदूर; जनरल रोज़ालिओ मार्तीनेज़ और पोर्फिरिओ दिआज़ के सिपाही और उनकी मौत उगलनेवाली राइफलें जिनके मुँह कभी बन्द ही नहीं होते थे जबकि मजदूरों के “जुर्म” के निशान उन्हीं के खून से बार–बार धोये जा रहे थे। और वह रात! उसने मालगाड़ी के डिब्बों में लाशों के ढेर देखे जिन्हें वेरा क्रुज़ ले जाया जा रहा था, खाड़ी की शार्क मछलियों का चारा बनने के लिए। खून से सने ढेरों में रेंगते हुए उसने अपने माँ और बाप को ढूँढ़ निकाला था; उनके कपड़े तार–तार थे और शरीर क्षत–विक्षत। उसे खासतौर पर अपनी माँ की याद थी-सिर्फ उसका चेहरा बाहर निकला था, उसका शरीर दर्जनों लाशों के वजन से दबा हुआ था। एक बार फिर पोर्फिरिओ दियाज़ के सिपाहियों की राइफलें कड़कीं और एक बार फिर वह जमीन से चिपक गया और फिर शिकारियों से बचती किसी पहाड़ी लोमड़ी की तरह वहाँ से निकल गया।

समुद्र की गरज जैसा तेज शोर उसके कानों में पहुँचा और उसने देखा कि डैनी वार्ड स्टेडियम के बीच वाले रास्ते से आ रहा है। ट्रेनरों और सहयोगियों का दल–बल उसके पीछे–पीछे था। दर्शक इस लोकप्रिय हीरो का जोर–शोर से स्वागत कर रहे थे जिसका जीतना पहले से तय था। हर कोई उसका नाम पुकार रहा था। हर कोई उसी की ओर था। यहाँ तक कि, जब डैनी बाँके अन्दाज में झुककर रस्सियों के बीच से रिंग में आया तो खुद रिवेरा के सहयोगियों के चेहरे खिल गये। उसका चेहरा कभी खत्म न होनेवाली मुस्कान से फैला हुआ था और जब डैनी मुस्कुराता था तो उसके चेहरे के हर अंग से मुस्कान फूटी पड़ती थी। इतना मिलनसार फाइटर शायद ही कभी रहा हो। उसका चेहरा खुशमिजाजी और दोस्ताने का चलता–फिरता विज्ञापन था। वह जैसे हर किसी को जानता था। वह मजाक कर रहा था, हँस रहा था और रस्सियों के बीच से अपने दोस्तों का अभिवादन कर रहा था। दूर की सीटों पर बैठे हुए लोग भी अपने को रोक नहीं पा रहे थे और जोर–जोर से उसका नाम पुकार रहे थे। स्नेह और सराहना की यह खुशियोंभरी बौछार पूरे पाँच मिनट तक चलती रही।

रिवेरा की ओर किसी ने ध्यान भी नहीं दिया। दर्शकों के लिए मानो उसका अस्तित्व ही नहीं था। स्पाइडर हैगर्टी का शराब से सूजा हुआ चेहरा उसके चेहरे के पास झुक आया।
“डरना मत,” स्पाइडर ने चेताया।
“और हिदायतें याद रखना। तुम्हें हर हाल में टिके रहना है। लुढ़कना नहीं। अगर तू लुढ़का तो हमें कहा गया है कि ड्रेसिंग रूम में तेरी अच्छी धुलाई करेंगे। समझ गया? तुझे बस लड़ना है।”

दर्शक तालियाँ बजाने लगे थे। डैनी रिंग पार करते हुए उसकी ओर आ रहा था। डैनी झुका, रिवेरा का दाहिना हाथ अपने दोनों हाथों में लिया और बड़े जोर–शोर से हिलाया। मुस्कान में लिपटा डैनी का चेहरा उसके करीब था। दर्शक खेलभावना के इस प्रदर्शन पर खुश होकर चीख रहे थे और सीटियाँ बजा रहे थे। डैनी अपने बैरी से भाई की तरह अपनेपन से मिल रहा था। डैनी के होंठ हिले और दर्शकों ने अनसुने शब्दों को एक भलेमानस खिलाड़ी की बातें समझकर फिर से शोर मचाया। सिर्फ रिवेरा ने नीची आवाज में कहे गये ये शब्द सुने।

“गन्दे मेक्सिकन चूहे,” डैनी के मुस्कुराते होंठों से यह फुफकार निकली, “मैं तेरा मलीदा बना के रख दूँगा।”
रिवेरा खामोश बैठा रहा। वह अपनी जगह से उठा नहीं। बस उसकी आँखों से नफरत बरस रही थी।
“खड़े तो हो जा, कुत्ते!” पीछे की कतारों से कोई चिल्लाया।

उसके इस गैर खिलाड़ियाना बर्ताव पर दर्शक उसके खिलाफ चीखने और हूटिंग करने लगे, लेकिन वह चुपचाप बैठा रहा। वापस अपने कोने में लौटते हुए डैनी का एक बार फिर तालियों की गड़गड़ाहट से स्वागत हुआ।

डैनी के गाउन उतारते ही चारों ओर खुशी से ओह–आह की आवाजें गूँजने लगीं। उसका बदन एकदम नपा–तुला और सुगठित था, उसमें फुर्ती और ताकत दोनों थी और वह भरपूर स्वास्थ्य से दमक रहा था। उसकी त्वचा औरतों की तरह स्निग्ध और गोरी थी। उसके भीतर लय, लोच और शक्ति भरी हुई थी। बीसियों मुकाबलों में उसने इसे साबित किया था। उसकी तस्वीरें खेल और शरीर सौष्ठव की तमाम पत्रिकाओं में छायी रहती थीं।
जब स्पाइडर हैगर्टी ने रिवेरा का स्वेटर उसके सिर के ऊपर से खींचकर निकाला तो स्टेडियम में एक कराह–सी गूँज गयी। उसके साँवलेपन की वजह से उसका बदन और भी दुबला दिखता था। उसकी भी मांसपेशिया थीं लेकिन वे उसके प्रतिद्वन्द्वी की तरह उभरी हुई नहीं थीं। पर दर्शक यह नहीं देख सके कि उसका सीना कितना गहरा था। न ही वे इस बात का अनुमान लगा सकते थे कि उसके बदन का रेशा–रेशा कैसा सख्त था, उसकी मांसपेशियाँ कितनी चपल थीं और उसकी नस–नस में दौड़ रही बिजली ने किस तरह उसे एक शानदार लड़ाकू मशीन में तब्दील कर दिया था। दर्शकों को बस यही दिखायी दिया कि उनके सामने भूरी चमड़ीवाला अठारह साल का एक लड़का खड़ा था जिसका शरीर लड़कों जैसा था। डैनी की बात अलग थी। डैनी चौबीस साल का मर्द था और उसका शरीर परिपक्व आदमी का शरीर था। यह वैषम्य उस वक्त और भी साफ दिखने लगा जब वे रिंग के बीचोबीच खड़े होकर रेफरी की हिदायतें सुन रहे थे।

रिवेरा ने देखा कि राबर्ट्स अखबारवालों के ठीक पीछे बैठा हुआ है। वह आम दिनों से ज्यादा नशे में था और उसकी बोली भी उसी अनुपात में और सुस्त हो गयी थी।

“घबराना मत, रिवेरा,” राबर्ट्स ने अपने खास लहजे में कहा। “वह तुम्हारी जान नहीं ले सकता, यह बात याद रखना। शुरू होते ही वह तुम पर झपटेगा, लेकिन हड़बड़ाना मत। तुम बस उसे रोकना और पकड़ लेना। वह ज्यादा नुकसान नहीं पहुँचा पायेगा। बस खुद को यह यकीन दिला लो कि वह ट्रेनिंग अखाड़े में तुम पर मुक्के आजमा रहा है।”

रिवेरा ने ऐसा कोई संकेत नहीं दिया कि उसने सुना हो।
“मनहूस शैतान,” राबर्ट्स बगल में बैठे व्यक्ति से बड़बड़ाया। “वह हमेशा से ऐसा ही है।”

लेकिन रिवेरा अपनी नफरतभरी नजर उधर डालना भूल गया। उसकी आँखों के सामने अनगिनत राइफलों की तस्वीर कौंध गयी। उसकी नजर जहाँ तक पहुँच रही थी, एक–एक दर्शक का चेहरा राइफल में बदल गया था। उसने बंजर, उजाड़ और धूप से नहाये मेक्सिको के सीमावर्ती इलाके देखे और उसने सीमा के पास उन खस्ताहाल दस्तों को देखा जो सिर्फ बन्दूकों के इन्तजार में रुके हुए थे।

अपने कोने में लौटकर वह खड़ा इन्तजार कर रहा था। उसके सहयोगी कैनवस का स्टूल अपने साथ लेकर रस्सियों के बीच से रेंगकर निकल रहे थे। रिंग के दूसरे कोने पर डैनी उसके सामने खड़ा था। घण्टा बजा और लड़ाई शुरू हो गयी। दर्शक खुशी से चीख रहे थे। उन्होंने अब तक इतनी खुली लड़ाई नहीं देखी। अखबारों का कहना सही था। यह रंजिश से भरा मुकाबला था। डैनी ने तीन–चौथाई दूरी झपटते हुए पार की, मेक्सिकन छोकरे की धज्जियाँ उड़ा देने का उसका इरादा एकदम साफ था। उसने एक घूँसा नहीं चलाया, न दो, न एक दर्जन। वह घूँसों की बौछार कर रहा था, वह बर्बादी के तूफान की तरह था। रिवेरा कुछ नहीं कर पा रहा था। वह बिल्कुल कुचल–सा गया था, मुक्केबाजी की कला के धुरन्धर उस्ताद द्वारा हर कोण और हर दिशा से बरसाये जा रहे मुक्कों की बाढ़ में डूब–सा गया था। उसके पाँव उखड़ गये, वह रस्सियों पर जा गिरा, रेफरी ने उसे अलग किया और वह फिर से रस्सियों पर जा गिरा।

यह मुकाबला नहीं था। यह वध था, कत्लेआम था। इनामी लड़ाइयों के अभ्यस्त दर्शकों के अलावा और कोई भी होता तो इस एक मिनट में ही उसके भावावेगों ने उसे निचोड़ डाला होता। डैनी वाकई दिखा रहा था कि वह क्या कर सकता है-यह एक जबर्दस्त प्रदर्शन था। दर्शक नतीजे को लेकर इतने आश्वस्त थे, और वे इतने एकतरफा और इतने उत्तेजित थे कि इस ओर उनका ध्यान ही नहीं गया कि मेक्सिकन अब भी अपने पैरों पर खड़ा था। वे रिवेरा को भूल ही गये। डैनी के हिंसक आक्रमण में वह इस कदर दबा हुआ था कि वे मुश्किल से ही उसे देख पा रहे थे। इस तरह एक मिनट गुजरा, फिर दो मिनट। और जब रेफरी ने उन्हें अलग किया तभी दर्शकों को मेक्सिकन की साफ झलक दिखायी दी। उसका होंठ कट गया था, उसकी नाक से खून बह रहा था। जब वह मुड़ा और लड़खड़ाते हुए डैनी से गुत्थम–गुत्था हो गया तो रस्सियों की रगड़ से उसकी पीठ पर पड़ी लाल धारियाँ दिखायी दीं जिनसे खून चुहचुहा रहा था। लेकिन दर्शक जो नहीं देख सके वह यह था कि उसकी छाती धौंकनी की तरह नहीं चल रही थी और उसकी आँखों में हमेशा की तरह ठण्डी आग थी। ट्रेनिंग कैम्प के क्रूर अखाड़े में बहुत से उभरते हुए चैम्पियनों ने इस हिंसक आक्रमण का अभ्यास उस पर किया था। रोज के आधे डालर से हफ्ते के पन्द्रह डालर पाने तक वह इसे झेलना बखूबी सीख गया था-अखाड़ा एक सख्त स्कूल था, और उसने बहुत सख्ती से सबक सीखा था।

तभी वह अचम्भा हुआ। तेजी से घूमता, धुँधलाता घालमेल अचानक थम गया। रिवेरा अकेला खड़ा था। डैनी, विश्वसनीय डैनी, चारों खाने चित पड़ा था। उसके होश वापस लौटने की कोशिश कर रहे थे जिससे उसके शरीर में थरथराहट हो रही थी। वह लड़खड़ाकर भहराया नहीं था, और न ही उसके घुटनों ने धीरे–धीरे जवाब दे दिया था। रिवेरा के दाहिने हाथ के नीचे से उठे घूँसे ने उसे बीच हवा में अचानक ढेर कर दिया था। रेफरी ने एक हाथ से रिवेरा को पीछे धकेला और धराशायी ग्लैडिएटर के पास खड़े होकर सेकण्ड गिनने लगा। इनामी मुक्केबाजी देखनेवाले सीधे धराशायी कर देनेवाले ऐेसे प्रहारों पर जमकर तालियाँ पीटते और शोर मचाते हैं। लेकिन इन दर्शकों ने कोई हर्षध्वनि नहीं की। रिंग में जो हुआ, उसकी किसी को जरा भी उम्मीद नहीं थी। वे तनावभरी खामोशी के बीच गिनती देखते रहे, और खामोशी के बीच राबर्टस का उल्लसित स्वर गूँज उठा :

“मैंने कहा था न, उसके दोनों हाथ चलते हैं।”
पाँचवें सेकण्ड पर डैनी ने करवट बदली और सात गिने जाने तक वह एक घुटना जमीन पर टिकाकर बैठ चुका था। वह नौ गिने जाने के बाद और दस गिने जाने के पहले उठ खड़ा होने के लिए तैयार था। उसके घुटने के फर्श छोड़ते ही उसे “उठा” हुआ मान लिया जाता और उसी क्षण रिवेरा को इस बात का हक मिल जाता कि वह फिर से उसे गिराने की कोशिश करे। रिवेरा कोई मौका नहीं देना चाहता था। घुटना फर्श से अलग होते ही वह वार करेगा। वह डैनी के इर्द–गिर्द घूम रहा था, लेकिन रेफरी दोनों के बीच घूमने लगा और रिवेरा जान गया कि वह बहुत धीरे–धीरे गिनती कर रहा है। सारे ग्रिंगो उसके खिलाफ थे, यह रेफरी भी।

“नौ” पर रेफरी ने रिवेरा को पीछे की ओर तेज धक्का दिया। यह एकदम गलत था, लेकिन इसने डैनी को उठने का मौका दे दिया। उसके चेहरे पर मुस्कान लौट आयी। अपनी बाँहों से चेहरे और पेट को ढँके हुए, वह लड़खड़ाते हुए बड़ी चतुराई से आकर रिवेरा से चिपट गया। खेल के नियमों के मुताबिक रेफरी को उसे अलग करना चाहिए था, पर उसने नहीं किया, और डैनी जोंक की तरह चिपका रहा और हर बीतते पल के साथ अपनी ताकत वापस पाता गया। राउण्ड का आखिरी मिनट तेजी से बीत रहा था। अगर वह अन्त तक टिक गया तो उसे अपने कोने में पूरे एक मिनट का समय मिल जायेगा। और वह अन्त तक टिका रहा-बदहवासी और बेहाली के बावजूद मुस्कुराते हुए।

“क्या मुस्कान चिपकायी है, गिरती ही नहीं!” कोई जोर से चिल्लाया, और राहत महसूस कर रहे दर्शक जोर से हँस पड़े।

“सुअर का बच्चा, हाथ है या हथौड़ा,” डैनी ने अपने कोने में ट्रेनर से हाँफते हुए कहा। उसके सहायक पागलों की तरह उसे पोंछने और मालिश में जुटे थे।

दूसरे और तीसरे राउण्ड में कुछ खास नहीं हुआ। डैनी चालाक और घुटा हुआ खिलाड़ी था। वह रिवेरा के मुक्कों से बचता और उन्हें रोकता रहा और किसी तरह बस अखाड़े में जमा रहा। उसका सारा ध्यान पहले राउण्ड की सन्न कर देनेवाली चोट से उबरने पर था। चौथे राउण्ड में वह फिर अपने रंग में आ चुका था। उसे तगड़ा झटका लगा था, लेकिन अपने अच्छे खाये–पिये शरीर की बदौलत उसकी शक्ति और ऊर्जा लौट आयी थी। लेकिन अब उसने प्रतिद्वंद्वी पर एकदम से हावी होने का दाँव आजमाने की कोशिश नहीं की। यह मेक्सिकन तो एकाएक टूट पड़नेवाला क्रुद्ध तातार साबित हुआ था।

डैनी ने मुक्केबाजी का अपना सारा कौशल झोंक दिया। दाँव–घात, तकनीकी कुशलता और अनुभव के मामले में वह उस्ताद था, और हालाँकि वह कोई जोरदार चोट नहीं कर पाया लेकिन उसने प्रतिद्वन्द्वी को बड़े योजनाबद्ध ढंग से थकाना और कमजोर करना शुरू कर दिया। रिवेरा के एक के मुकाबले उसके तीन घूँसे निशाने पर बैठते थे, लेकिन वे बस चोट पहुँचानेवाले थे, घातक नहीं। पर ऐसी कई चोटें मिलकर घातक बन सकती थीं। वह इस दोहत्थे लड़ाके को अब पूरा मान दे रहा था, जिसके दोनों मुक्कों में गजब की तेजी थी।

बचाव में रिवेरा ने प्रतिद्वन्द्वी को विचलित कर देनेवाले सीधे बाएँ घूँसे का सहारा लिया। बार–बार, हर हमले के जवाब में, उसके दाएँ हाथ का सीधा घूँसा डैनी के मुँह और नाक पर आकर लगता। लेकिन डैनी के तरकश में बहुत से तीर थे। इसीलिए उसे भावी चैम्पियन माना जा रहा था। वह जब चाहे, लड़ने की शैली बदल लेने में माहिर था। अब उसने नजदीक रहकर लड़ने की शैली अपनायी। इससे वह सामनेवाले के सीधे बाएँ घूँसे से बच सकता था और अपनी सारी धूर्तता का बखूबी इस्तेमाल कर सकता था। उसकी नई चाल पर दर्शक खुशी से पागल हो उठे और फिर उसने फुर्ती से खुद को रिवेरा की पकड़ से अलग किया और नीचे से उठते हुए एक जबर्दस्त घूँसा लगाया जिससे मेक्सिकन हवा में उछल गया और चारों खाने चित मैट पर गिर गया। रिवेरा जल्दी ही उठ गया और एक घुटने पर टिककर गिनती के समय का पूरा फायदा उठाने की कोशिश कर रहा था, हालाँकि उसका दिल कह रहा था कि रेफरी के सेकण्ड अब छोटे हो रहे हैं।

सातवें राउण्ड में, डैनी एक बार फिर अपना शैतानी इनसाइड अपरकट लगाने में कामयाब रहा। इस बार रिवेरा गिरा नहीं, बस लड़खड़ा गया लेकिन असहायता के उसी एक क्षण में डैनी ने एक और ताकतवर वार किया जिससे वह रस्सियों के बीच से रिंग के बाहर बैठे अखबारवालों के ऊपर जा गिरा। उन्होंने उसे हाथ लगाकर रिंग के चबूतरे पर वापस पहुँचा दिया। वहाँ, रस्सियों के बाहर, वह एक घुटने पर इन्तजार कर रहा था और रेफरी तेजी से सेकण्ड गिने जा रहा था। उसे झुककर रस्सियाँ पार करनी होंगी, और सामने डैनी उसके इन्तजार में था। रेफरी ने न तो दखल दी, न डैनी को पीछे धकेला।
दर्शक खुशी से बौराये जा रहे थे।
“मार दे, डैनी, मार दे इसे!” कोई जोर से चीखा।
बीसियों आवाजों ने फौरन इसे लपक लिया और थोड़ी ही देर में यह भेड़ियों का युद्धनाद बन गया।

डैनी ने पूरी कोशिश की, लेकिन रिवेरा अप्रत्याशित ढंग से नौ के बजाय आठ की गिनती पर ही रस्सियों के बीच से निकलकर उससे लिपट गया। अब रेफरी हरकत में आया और उसे खींचकर अलग कर दिया ताकि उस पर वार किया जा सके। वह डैनी को हर वह लाभ देने की कोशिश कर रहा था जो एक बेईमान रेफरी दे सकता है।

लेकिन रिवेरा टिका रहा, और उसके दिमाग की चकराहट दूर हो गयी। सब के सब मिले हुए थे। ये सब घृणित ग्रिंगो थे और सबके सब बेईमान थे। और इस सबके बीच उसके दिमाग में तस्वीरें कौंधती रहीं, चमकती रहीं-रेगिस्तान में झिलमिलाती लम्बी रेल–लाइनेंय जनरल के सिपाही और अमेरिकी पुलिसिए, जेलें और काल–कोठरियाँ, तालाबों के किनारे बेघर–बेरोजगारों की भीड़-रिओ ब्लांका और हड़ताल के बाद की लम्बी यात्रा के तमाम तकलीफदेह और दर्दभरे मंजर उसकी आँखों के सामने आ–जा रहे थे। और फिर उसने देखा देदीप्यमान और तेजस्वी महान लाल क्रान्ति को अपने देश पर छाते हुए। इसके लिए जरूरी थी बन्दूकें, जो उसके सामने थीं। हर घृणित चेहरा एक बन्दूक था। वह लड़ रहा था बन्दूकों के लिए। उसे लगा वह बन्दूकों का जखीरा है। वह क्रान्ति है। वह सारे मेक्सिको के लिए लड़ रहा था।

रिवेरा पर दर्शकों का गुस्सा अब भड़कने लगा था। वह पिटकर हार क्यों नहीं मानता, जिसके लिए उसे रखा गया है? उसे पिटना तो है ही, फिर वह इतना अड़ियलपना क्यों दिखा रहा है? बहुत कम लोगों की उसमें दिलचस्पी थी, और वे हर जुआड़ी भीड़ का वह छोटा–सा, पर निश्चित हिस्सा थे जो दूर का दाँव खेलती है। वे भी मानते थे कि डैनी जीतेगा, पर उन्होंने 4–10 और 1–3 के भाव से मेक्सिकन पर दाँव लगाया था। काफी पैसा इस बात पर भी लगा था कि रिवेरा कितने राउण्ड तक टिक सकेगा। रिंग के बाहर इस बात पर धड़ाधड़ पैसे बटोरे गये थे कि वह छह या सात राउण्ड पार नहीं कर पायेगा। इसके विजेता, खुशी–खुशी अपना पैसा वसूल कर लेने के बाद अब सबके पसन्दीदा मुक्केबाज का हौसला बढ़ाने में जुट गये थे।

रिवेरा हार मानने को तैयार नहीं था। पूरे आठवें राउण्ड के दौरान उसका प्रतिद्वन्द्वी अपने घातक अपरकट को दोहराने की नाकाम कोशिश करता रहा। नवें राउण्ड में, रिवेरा ने एक बार फिर दर्शकों को स्तब्ध कर दिया। डैनी उसे दबोचे हुए था कि उसने एक तेज, फुर्तीली हरकत से उसकी पकड़ तोड़ी और दोनों शरीरों के बीच की संकरी जगह में उसका दाहिना मुक्का कमर से एकदम ऊपर उठा। डैनी फर्श पर छितरा गया और रेफरी की धीमी गिनती फिर उसका सहारा बनी। भीड़ भौचक थी। डैनी अपने ही दाँव से मात खा रहा था। उसका प्रसिद्ध राइट अपरकट उसी पर आजमाया गया था। “नौ” पर उसके उठने पर रिवेरा ने वार करने की कोशिश नहीं की। रेफरी ऐसा करने का रास्ता रोके हुए था, हालाँकि जब हालात उलट थे और रिवेरा उठना चाह रहा था तो वह किनारे खड़ा था।

दसवें राउण्ड में रिवेरा ने दो बार राइट–अपरकट जड़ा, कमर से उठता हुआ मुक्का सीधे प्रतिद्वन्द्वी की ठोड़ी पर। डैनी बदहवास हो गया। मुस्कान अब भी उसके चेहरे पर चिपकी थी, लेकिन वह फिर हावी होने की कोशिश में रिवेरा पर झपटने लगा। वह बेतहाशा मुक्कों की बौछार कर रहा था, पर रिवेरा को नुकसान नहीं पहुँचा पा रहा था जबकि उसकी तमाम फूं–फां और चकरघिन्नी नाच के बीच रिवेरा ने उसे एक के बाद एक, तीन बार ढेर कर दिया। डैनी अब इतनी जल्दी चोट से उबर नहीं पा रहा था और ग्यारहवें राउण्ड तक उसकी दशा गम्भीर हो गयी। लेकिन तब से लेकर चौदहवें राउण्ड तक उसने अपने कैरियर का बेहतरीन प्रदर्शन किया। वह बचता और मुक्के रोकता रहा, खुद बड़ी किफायतशारी से मुक्के चलाये और अपनी ताकत फिर से हासिल करने की कोशिश करता रहा। और इसके साथ ही वह जमकर ‘फाउल’ खेला, जिसमें हर कामयाब मुक्केबाज माहिर होता है। उसने हर चाल, हर तिकड़म का इस्तेमाल किया। कभी पकड़ने के दौरान इस तरह धक्का मारना जैसे अनजाने में हुआ हो, कभी रिवेरा का दस्ताना अपनी बाँह और शरीर के बीच दबा लेना तो कभी अपना दस्ताना इस तरह रिवेरा के मुँह पर दबाना कि वह साँस न ले सके। अकसर, उससे चिपटने के दौरान अपने कटे और मुस्कुराते होंठो के बीच से फुफकारते हुए वह रिवेरा के कानों में ऐसी घटिया और अपमानजनक बातें कहता था जिन्हें बयान नहीं किया जा सकता। रेफरी से लेकर दर्शकों तक, हर कोई डैनी के साथ था और डैनी की मदद कर रहा था। और वे जानते थे कि उसके दिमाग में क्या चल रहा है। इस अनजान छुपे रुस्तम से पछाड़ खाये डैनी की सारी उम्मीदें एक जबर्दस्त घूँसे पर टिकी थीं। कभी वह रिवेरा को वार करने का मौका देता, कभी लड़खड़ाने का नाटक करता, कभी जानबूझकर गलती करता, उसे करीब आने के लिए ललचाता-वह बस एक मौके की ताक में था कि अपनी पूरी ताकत लगाकर ऐसा घूँसा जड़ सके जिससे पासा पलट जाये। इसके बाद, वह ताबड़तोड़ दाएँ और बाएँ मुक्के लगा सकता था, एक सौर जालिका पर और एक जबड़े पर, जैसाकि उससे पहले एक महान मुक्केबाज ने किया था। वह ऐसा कर सकता था, क्योंकि वह इस बात के लिए मशहूर था कि जब तक वह अपने पैरों पर टिका रहता था, तब तक उसकी बाँहों में भी वार करने की ताकत रहती थी।

रिवेरा के सहायक राउण्ड के बीच के अन्तराल में उसका बहुत ही कम ख्याल रख रहे थे। वे तौलिए चलाने का दिखावा तो करते थे लेकिन इससे हाँफते रिवेरा के फेफड़ों में बहुत कम हवा आती थी। स्पाइडर हैगर्टी उसे सलाह देता था, लेकिन रिवेरा जानता था कि यह सलाह गलत होती थी। हर कोई उसके खिलाफ था। वह कपटियों से घिरा हुआ था। चौदहवें राउण्ड में उसने फिर डैनी को धूल चटाई और रेफरी की गिनती के दौरान चुपचाप विश्राम की मुद्रा में खड़ा रहा। पिछले कुछ समय से रिवेरा का ध्यान दूसरे कोने में चल रही खुसर–पुसर की ओर भी था। उसने माइकल केली को राबर्ट्स के पास जाते और झुककर फुसफुसाती आवाज में कुछ कहते देखा। रेगिस्तानी इलाके में पले रिवेरा के कान बिल्ली जैसे तेज थे और बातचीत के कुछ टुकड़े उसने सुन लिए थे। वह और सुनना चाहता था, इसलिए जब उसका प्रतिद्वंद्वी उठा तो वह लड़ते–लड़ते उसे दूसरे कोने में ले आया और उससे चिपटकर रस्सियों से जा लगा।

“करना ही पड़ेगा,” उसने माइकल को कहते सुना और राबर्ट्स ने सिर हिलाया।
“डैनी को जीतना ही होगा-मेरा तो दिवाला निकल जायेगा-मैंने बेहिसाब पैसा लगा रखा है-मेरा अपना पैसा। अगर वह पन्द्रहवाँ राउण्ड पार कर गया तो मैं गया काम से! लड़का तुम्हारी बात मानेगा-समझाओ उसे।”

और इसके बाद रिवेरा की आँखों में और कोई दृश्य नहीं कौंधा। वे उसका सौदा कर रहे थे। एक बार फिर उसने डैनी को ढेर किया और दोनों बाजू लटकाये आराम से खड़ा रहा। राबर्ट्स अपनी सीट से उठा।
“बस निपट गया,” उसने कहा। “अपने कोने में जाओ।”

वह अधिकारपूर्वक बोला था, जिस लहजे में वह अखाड़े में रिवेरा से अकसर ही बोलता था। लेकिन रिवेरा ने उसे नफरत से देखा और डैनी के उठने का इन्तजार करता रहा। एक मिनट के अन्तराल में प्रमोटर केली रिवेरा के पास आया।

“हार जा तू, समझा,” उसने तीखी, पर धीमी आवाज में कहा। “तुझे हारना ही होगा, रिवेरा। मेरी बात मान, मैं तेरी तकदीर बदल दूँगा। मैं तुझे अगली बार डैनी को पटरा कर लेने दूँगा। पर यहाँ तुझे चित होना पड़ेगा।”

रिवेरा ने आँखों से यह दिखा दिया कि उसने सुन लिया है, लेकिन उसने सहमति या असहमति का कोई संकेत नहीं दिया।
“तू बोलता क्यों नहीं?” केली ने गुस्से से पूछा।
“तू हर हाल में हारेगा,” स्पाइडर हैगर्टी ने बीच में जोड़ा। “रेफरी तुझे जीतने नहीं देगा। केली की बात सुन और लम्बलेट हो जा।”
“इस बार छोड़ दे, मेरे बच्चे,” केली ने बड़ी आजिजी से कहा। “मैं तुझे चैम्पियनशिप तक पहुँचा दूँगा।”
रिवेरा ने जवाब नहीं दिया।
“मैं वाकई ऐसा करूँगा; अभी मेरी मदद कर दे, बच्चे।”

घण्टा बजते ही रिवेरा को लगा कि कुछ होनेवाला है। दर्शकों को कुछ पता नहीं लगा। जो भी होना था, वह रिंग के भीतर था और बहुत करीब था। डैनी का पहलेवाला यकीन जैसे लौट आया था। जिस आत्मविश्वास से वह उसकी ओर बढ़ा उससे रिवेरा डर गया। कोई चाल चली जानेवाली थी। डैनी झपटा, लेकिन रिवेरा ने भिड़ने से इनकार कर दिया। वह किनारे हट गया। सामनेवाला उसे दबोचना चाहता था। उसकी चाल के लिए यह किसी रूप में जरूरी था। रिवेरा पीछे हटता और गोल दायरे में घूमकर अलग हटता रहा, लेकिन वह जानता था कि देर–सबेर वह पकड़ और फिर वह चाल आनी ही है। कोई चारा न देख उसने तय किया कि वह खुद ही इसका मौका देगा। अगली बार डैनी के झपटने पर उसने ऐसा दिखाया मानो पकड़ना चाहता हो। इसके बजाय, आखिरी पल में, ठीक उस वक्त जब उनके शरीर एक–दूसरे से टकराते, रिवेरा फुर्ती से उछलकर पीछे हट गया। और उसी पल डैनी के कोने से ‘फाउल–फाउल’ का शोर उठा। रिवेरा ने उन्हें चकमा दे दिया था। रेफरी असमंजस में रुक गया। पर उसके होंठों पर थरथराता फैसला सुनाया नहीं गया क्योंकि दर्शक दीर्घा से किसी लड़के की तीखी आवाज गूँज उठी, “कमाल कर दिया!”

डैनी ने अब खुलेआम रिवेरा को गाली बकी और उसे लड़ने के लिए मजबूर करने की कोशिश की, पर रिवेरा ने थिरकते हुए उससे दूरी बनाये रखी। रिवेरा ने यह भी मन बना लिया कि वह शरीर पर कोई वार नहीं करेगा। ऐसा करके वह जीतने का आधा मौका तो ऐसे ही गँवा दे रहा था, लेकिन वह जानता था कि अगर उसे जीतना है तो उसके पास बस दूर रहकर लड़ने का ही मौका है। जरा–सा मौका मिलते ही वे उसे फाउल करार देंगे। डैनी ने अब हर तरह की सावधानी ताक पर धर दी। दो राउण्ड तक वह लड़के पर झपटता रहा, उसे ठोंकता रहा जो उसके करीब आने की हिम्मत नहीं कर रहा था। रिवेरा पर बार–बार चोटें पड़ रही थीं; उसने डैनी की उस खतरनाक पकड़ से बचने के लिए दर्जनों वार झेले। डैनी की इस शानदार वापसी ने दर्शकों को दीवाना कर दिया। लोग अपनी जगहों पर खड़े हो गये थे। उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। वे बस यही देख पा रहे थे कि आखिरकार उनका प्रिय खिलाड़ी जीत रहा था।
“तू लड़ता क्यों नहीं?” वे नफरतबुझे लहजे में रिवेरा पर चिल्ला रहे थे।
“ओय पीली चमड़ीवाले!” “लड़ पिल्ले, लड़!” “मार डाल साले को, डैनी! मार इसे!” “अब वो तेरा है! मार साले को!”

पूरे स्टेडियम में, रिवेरा अकेला इनसान था जिसके होशोहवास काबू में थे। मिजाज में वह उन सबसे गर्म था; लेकिन वह इतनी बार इससे कहीं ज्यादा गर्म हालात से गुजर चुका था कि दस हजार कण्ठों से फूटता और एक के बाद एक लहरों की तरह चढ़ता सामूहिक उन्माद उसके लिए गर्मियों की ढलती शाम की सुहानी ठण्डक से ज्यादा कुछ नहीं था।

डैनी ने सत्रहवें राउण्ड में भी घूँसों की बौछार जारी रखी। एक जोरदार वार खाकर रिवेरा गिरते–गिरते बचा; वह झूल–सा गया, उसके बाजू बेजान से लटक गये और वह लड़खड़ाता हुआ पीछे हटा। डैनी ने सोचा, यही मौका है। लड़का अब उसकी दया पर था। रिवेरा ने इस स्वांग से उसे एकदम असावधान कर दिया और फिर सीधे मुँह पर एक करारा मुक्का जड़ दिया। डैनी पसर गया। जब वह उठा तो रिवेरा ने गर्दन और जबड़े पर दाहिने हाथ के घूँसे से उसे फिर ढेर कर दिया। तीन बार यही चीज दोहराई गयी। किसी भी रेफरी के लिए इन मुक्कों को ‘फाउल’ घोषित करना नामुमकिन था।
“अरे बिल! कुछ करो बिल!” केली रेफरी से गिड़गिड़ाया।
“मैं कुछ नहीं कर सकता” उसने मुँह लटकाकर जवाब दिया। “वह कोई मौका ही नहीं देता।”

बुरी तरह पिटा हुआ डैनी बहादुरी से उठने की कोशिश करता रहा। केली और रिंग के पास खड़े दूसरे लोग इसे रोकने के लिए पुलिस को आवाज देने लगे, हालाँकि डैनी का कोना हार मानने को तैयार नहीं था। रिवेरा ने मोटे पुलिस कप्तान को अटपटे ढंग से रस्सियों से होकर ऊपर आने की कोशिश करते देखा। वह ठीक से समझ नहीं पा रहा था कि इसका क्या मतलब है। गिंग्रो लोगों के इस खेल में धोखाधड़ी के कितने ही तरीके थे। डैनी अब अपने पैरों पर था और उसके सामने असहाय और चकराया हुआ–सा लड़खड़ा रहा था। रेफरी और कप्तान रिवेरा को पकड़ने के लिए हाथ बढ़ा ही रहे थे कि उसने आखिरी वार किया। मुकाबला रोकने की अब कोई जरूरत नहीं थी क्योंकि डैनी अब उठा नहीं।
“गिनो!” रिवेरा भर्राई आवाज में रेफरी पर चीखा।
गिनती पूरी हो जाने पर डैनी के सहायक उसे बटोरकर उसके कोने में ले गये।
“कौन जीता?” रिवेरा ने जोर से पूछा।
रेफरी ने हिचकिचाते हुए उसका हाथ थामा और ऊपर उठा दिया।

रिवेरा को किसी ने बधाई नहीं दी। वह अकेला चलकर अपने कोने में आया, जहाँ उसके सहायकों ने अब तक उसका स्टूल नहीं रखा था। वह रस्सियों के सहारे पीछे झुक गया और अपनी आँखों की नफरत उन पर उड़ेल दी, फिर उसकी नफरतभरी नजर उसके चारों ओर घूम गयी, उन सारे के सारे दस हजार ग्रिंगो को उसने चपेट में ले लिया। उसके घुटने काँप रहे थे और वह बेहद थकान के कारण सुबक रहा था। मितली और चकराहट के बीच उसकी आँखों के सामने वे घृणित चेहरे आगे–पीछे तैर रहे थे। फिर उसे याद आया कि ये बन्दूकें थीं। ये बन्दूकें उसकी थीं। क्रान्ति अब आगे बढ़ सकती थी।

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