मेरा पड़ोसी : फ्रांज काफ्का
(काफ्का (1883-1924) जर्मनभावी चेक यहूदी थे। उन्होंने अपनी तमाम जिन्दगी अकेलेपन, आन्तरिक संघर्ष और विश्वास की तलाश में गुजार दी।)
मेरा कारोबार पूर्णतया मेरे अपने कन्धों पर चलता है। टाइपराइटरों और बहियों सहित दो क्लर्क लड़कियाँ, मेरा अपना कमरा, डेस्क, तिजोरी, मेज, आरामकुर्सी और टेलीफोन : यह है मेरे काम का साज-सामान।
साल के शुरू से मेरे ऑफिस के बगलवाले हिस्से में, जिसे मैंने मूर्खतावश अनुपयोगी मान लिया था, एक युवक आकर टिक गया है। उस हिस्से में दो कमरे और एक रसोई है - कमरे तो निश्चित रूप से मेरे लिए उपयोगी रहे होते - पर रसोई मेरे किस काम की थी? बस यही वह छोटी-सी चीज थी, जिसने मेरी आँखों के सामने ही उस जगह को छिन जाने दिया। अब वह युवक वहाँ बैठता है। हैरस उसका नाम है। वह करता क्या है, मुझे कुछ पता नहीं। दरवाजे पर एक तख्ती टँगी हुई है : ‘हैरस ब्यूरो।’ पता चला है कि उसका कारोबार मेरे जैसा ही है।
कभी-कभी मैं हैरस को सीढ़ियों में मिल जाता हूँ। वह हमेशा असाधारण जल्दी में दिखाई देता है, क्योंकि वह मेरे पास से गोली की तरह गुजर जाता है। चूहे की पूँछ की तरह वह कमरे में फिसल जाता है और मैं ‘हैरस ब्यूरो’ की तख्ती के सामने अटका रह जाता हूँ, जिसे मैं जरूरत से कहीं ज्यादा बार पढ़ चुका हूँ।
मेरा टेलीफोन उस दीवार पर लटका हुआ है, जो मुझे मेरे पड़ोसी से अलग करती है। पर मैं इस परिस्थिति को मात्र व्यंग्य-स्थिति के तौर पर ही बता रहा हूँ। क्योंकि अगर वह दूसरी दीवार पर भी टँगा हुआ होता, तो भी साथ वाले कमरे में सारी बातें सुनाई दे जातीं। टेलीफोन पर बात करते समय अपने ग्राहकों का नाम न लेने की मैंने आदत-सी बना ली है। लेकिन बातचीत के सिलसिले में नामों का अनुमान लगा लेना कठिन काम नहीं है। कई बार तो रिसीवर को कान से लगाकर सन्देह और भय के मारे नाचने-सा लगता हूँ और फिर भी रहस्य को खोलने से स्वयं को रोक नहीं पाता।
इन सब कारणों से, स्वाभाविक है, मेरे कारोबार सम्बन्धी फैसले अनिश्चित हो गये हैं, मेरी आवाज काँपने लगी है। जब मैं टेलीफोन कर रहा होता हूँ, तब हैरस क्या करता है? कहूँगा कि हैरस को टेलीफोन की जरूरत ही नहीं पड़ती, वह मेरा टेलीफोन ही इस्तेमाल करता है। वह अपने सोफे को दीवार के निकट खींच लेता है और सुनता रहता है जबकि मैं कूदकर टेलीफोन तक जाता हूँ, अपने आसामियों की गुजारिशें सुनता हूँ, कठिन और गम्भीर फैसलों तक पहुँचता हूँ, लम्बी-चौड़ी तफसीलें बनाता हूँ - पर सबसे बुरी बात यह कि इस दौरान, दीवार के पीछे से हैरस को अमूल्य सूचनाएँ देता रहता हूँ।
वह तो शायद बातचीत के अन्त का इन्तजार भी नहीं करता और उसी क्षण उठ जाता है, जब मामला उसकी समझ में आ जाता है। तब वह अपनी आम सरगरमी के साथ शहर में से भागता हुआ गुजरता है और इससे पहले कि मैं रिसीवर रखूँ, वह उद्दिष्ट स्थान पर पहुँचकर मेरे खिलाफ कार्रवाई शुरू कर चुका होता है।