मेहंदी साजन के नाम की (व्यंग्य रचना) : डॉ. मुकेश गर्ग ‘असीमित’

Menhdi Saajan Ke Naam Ki (Hindi Satire) : Dr. Mukesh Garg Aseemit

रात पूरी तरह गहराई हुई है, लेकिन मेरी आँखों से नींद गायब है। करवटें बदल रहा हूँ। पास में श्रीमती जी दूसरी तरफ करवट लिए खर्राटे भरकर सो रही हैं। रह-रहकर मेरी नजर उसके कोमल हाथों पर पड़ रही है। श्रीमती जी ने मेहंदी लगाई है। कल गणगौर का त्योहार है, और हमारी राजस्थानी परंपराओं में गणगौर के त्योहार पर मेहंदी ,जो की सुहागन का प्रतीक है उसे लगाना एक परंपरा है। वैसे तो मेहंदी लगाना सुहागनों के लिए ही नहीं, कुंवारी लड़कियों के लिए भी अच्छे वर की तलाश का इश्तिहार जैसा है। मेहंदी लगाना शादी-विवाह, त्योहार, दिवाली, होली सभी का अभिन्न अंग है । शादीयों में तो मेहंदी दूल्हे और दुल्हन दोनों को लगाई जाती है।

खैर, मैं चुपचाप, श्रीमती जी के हाथों को अपने हाथों में लेकर निहार रहा हूँ, मन ही मन थोड़ा सा घबराया भी हुआ हूँ। मैंने श्रीमती जी को जगाए बिना किचन में जाकर एक कटोरी में चीनी और नींबू के पानी का मिश्रण बनाया। फिर धीरे से उन्हें जगाया और कहा, "इसके छाबे दे दो ,इससे मेहंदी में चमक आ जाएगी ,मेरा विशवास है इस बार मेहंदी जरूर पक्का रंग लाएगी ।"

दरअसल, आप मेरी व्यथा समझ नहीं सकते। मुझे टेंशन है कि अगर मेहंदी कल वापस पक्का रंग नहीं लाएगी तो मेरा प्यार वापस इस कसौटी में फ़ैल हो जाएगा । मेहंदी वास्तव में मेरी सौतन बन गई है। पता नहीं आजकल के मिलावट के दौर से मेहंदी भी अछूती नहीं रही ,मेहंदी कैसी आ गई है, रंगती ही नहीं। जैसे ही श्रीमती जी का मेहंदी लगाने का समय आता है, वैसे ही मानो मेरे प्यार की कसौटी का लिखित पेपर शुरू हो जाता है और दिल धड़कने लगता है। श्रीमती जी से गुहार करता हूँ कि "आज खाना मैं बना लूँगा, तुम बस आराम करो,लेकिन मेहंदी को कम से कम पूरी रात सूखने दो । “ देख लेना इस बार मेहंदी जरूर पक्का रंग देगी !” और भगवान से प्रार्थना करने लगता हूँ।

कई बार ऐसा हो चुका है कि मेहंदी अगर पक्का रंग नहीं ला पायी तो श्रीमती जी ने तो सारा ठीकरा मेरे प्यार की कमी पर फोड़ दिया और मेरा मेहंदी नकली होने की दलीलें देने का कोई फर्क नहीं पड़ा । मेरी दलीलें उसी प्रकार की है जैसे एग्जाम में फ़ैल होने पर हम ठीकरा बिजली की कटौती ,यार दोस्तों की मटरगश्ती ,एग्जामिनर की व्यक्तिगत दुश्मनी या पेपर कठिन आने की देते हैं !

खैर, श्रीमती जी भी मेरी ललचाई नजरों की व्यथा भांपकर मेरी बेगुनाही साबित करने का मौका दे रही हैं, चीनी और नींबू पानी का छाबा दे रही हैं।हुआ यूँ की इस बार हम हर बार प्यार की इस कसौटी में फ़ैल हो जाने की व्यथा लेकर अपने दोस्त के पास पहुंचा था,उसने मेरी व्यथा से द्रवित होकर मुझे ये फार्मूला बताया था की मेहंदी लगाने के एक घंटे बाद उसमे नीम्बू और चीनी के पानी से छाबा देने से मेहंदी जरूरी पक्का रंग लाएगी ! शायद वो भी इस प्यार की कसौटी का सताया हुआ था ! मैं आज फिर इंतजार कर रहा हूँ ,सुबह मेरे प्यार के मीटर की गहराई का फैसला होना है । तब तक पैरोल के कैदी की भांति जेल में करवटें बदल रहा हूँ। । श्रीमती जी वापस सो गई हैं, हालांकि नींद में से ही उठा दिया था , लेकिन फिर भी श्रीमती जी के गुस्से का पारा फिलहाल तो शांत हो गया था ,देखते हैं कल क्या होगा या तो मुझे मेरी बेगुनाही के सबूतों की टुची दलीलों के निरस्त होने का हश्र मिलेगा या में कल अपने प्यार की गहराई का रंग इस मेहंदी के जरिये दिखा पायूँगा ।

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