मेहनती लड़की : ब्रिटिश लोक-कथा
Mehnati Ladki : British Folk Tale
इंग्लैंड के एक गांव में मार्शल नामक फलों का व्यापारी रहता था । उसका व्यापार बहुत अच्छा था । मार्शल का बेटा थामस पढ़-लिख कर अपने पिता के व्यवसाय में हाथ बंटाने लगा था । वह खूब मेहनती और होशियार था । पिता को अपने पुत्र की काबिलियत पर गर्व था ।
मार्शल की इच्छा थी कि उसके बेटे के लिए एक ऐसी लड़की मिले जो खूब मेहनती हो और उसे काम करने में आलस्य न आता हो ।
मार्शल का मानना था कि ऐसी लड़की उसके बेटे और घर का ध्यान बहुत अच्छी तरह रख सकेगी । परंतु समस्या यह थी कि ऐसी लड़की को कहां से ढ़ूंढ़ कर लाया जाए । वह किसी दूसरे के बताने का यकीन भी नहीं करना चाहता था ।
मार्शल ने मन ही मन एक योजना बनाई । उसने एक रेहड़ी पर ढेर सारे फल रखे और उसे लेकर स्वयं एक मोहल्ले में चला गया ।
वहां जाकर मार्शल ने आवाज लगाई "ले लो, ले लो धूल-मिट्टी के बदले संतरे, सेब, केले ले लो । ले लो, बिना पैसों के फल लो ।"
वह जिधर से निकलता, वहीँ स्त्रियां घरों से बाहर निकलकर देखने लगतीं कि कौन मुर्ख है जो बिना पैसों के फल बेच रहा है । अनेक स्त्रियां आपस में खुसर-फुसर करने लगीं कि शायद यह लोगों को बेवकूफ बना रहा है । हो सकता है कि इसका कोई और मकसद हो ।
उन स्त्रियों ने आपस में तय किया कि उनमें से एक को जाकर फल वाले को आजमाना चाहिए । एक स्त्री ने फल वाले के पास जाकर पूछा - "भाई यह धूल-मिट्टी का क्या चक्कर है ? कितनी धूल-मिट्टी में कितने फल दोगे ?"
मार्शल बोला - "तुम जितनी ज्यादा धूल-मिट्टी लाओगी, उतने ही ज्यादा फल ले सकती हो ।"
स्त्री को यकीन नहीं हुआ । वह फल वाले को रुकने को कहकर कर अपने घर में चली गई । उसने जल्दी-जल्दी घर में झाड़ू लगाई, कोनों में से मिट्टी निकाली और फल वाले के पास पहुंच गई । फल वाले ने उसे ढेर सारे फल दे दिए ।
अन्य स्त्रियों ने देखा तो उनमें फल लेने की होड़ मच गई । सभी स्त्रियां अपने-अपने घरों में झाड़ू लगाने लगीं । खूब धूल-मिट्टी उड़ने लगी ।
कोई थैला भर मिट्टी लेकर पहुंची तो कोई बोरा भर । सभी स्त्रियां व लड़कियां खुश थीं कि कोई बेवकूफ उन्हें धूल के बदले मुफ्त में फल दे रहा था ।
तभी एक लड़की फल वाले के पास पहुंची । फल वाले ने देखा कि वह खाली हाथ आई है तो उसने पूछा - "क्या तुम्हें फल नहीं चाहिए ।"
उस लड़की ने सकुचाते हुए अपने हाथ में से एक रूमाल निकाला जिसमें मुश्किल से दो चुटकी धूल थी । वह बोली - "श्रीमान जी, क्या इतनी धूल में भी आप कोई फल दे सकते हैं ?"
मार्शल बोला - "हां हां, क्यों नहीं, तुम जो फल चाहे ले सकती हो । पर यह बताओ कि क्या तुम्हारे घर में सिर्फ इतनी ही धूल निकली ?"
लड़की शरमाते हुए बोली - "दरअसल, मेरे घर में तो बिल्कुल भी धूल नहीं थी । पड़ोस की आंटी ने मुझसे अपने घर की धूल इकट्ठी करने को कहा था ताकि मैं उनके लिए यदि कोई फल मिल सके तो ले लूं । आप इतनी धूल के बदले जो फल दे सकें, वह दे दीजिए ।"
मार्शल ने उस लड़की से कहा - "यह सारे फल तुम ले जा सकती हो । मैं तुम्हारे पिता से मिलकर तुम्हारा हाथ मांगना चाहता हूं । मैं तुम्हें अपनी बहू बनाना चाहता हूं ।"
लड़की ने अपने घर की ओर इशारा किया और शरमाती हुई घर में घुस गई । मार्शल ने उस लड़की को अपनी बहू, स्वीकार कर लिया । इतने बड़े व्यापारी के घर में रिश्ता तय करके लड़की का पिता बहुत खुश थे । इधर, मार्शल बहुत खुश था कि उसे इतनी मेहनती और होशियार लड़की बहू के रूप में मिल रही थी जिसके घर में एक चुटकी धूल भी नहीं मिल सकी ।
(रुचि मिश्रा मिन्की)