मौन शाश्त्रार्थ : यहूदी लोक-कथा

Maun Shastrarth : Jewish Folk Tale

कई शताब्दियों पहले इटली में पोप ने यह आदेश दिया कि सभी यहूदी कैथोलिक में परिवर्तित हो जाएं अन्यथा इटली छोड़ दें। यह सुनकर यहूदी समुदाय में बहुत रोष व्याप्त हो गया। ऐसे में पोप ने उन्हें समझौते की पेशकश करते हुए शास्त्रार्थ के लिए आमंत्रित किया। यदि यहूदी जीत जाते तो वे इटली में रह सकते थे, और यदि पोप जीत जाता तो यहूदियों को कैथोलिक बनना पड़ता या इटली छोड़ना होता।

यहूदियों के सामने कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने शास्त्रार्थ के लिए उपयुक्त व्यक्ति के नाम पर विचार किया लेकिन कोई इसके लिए आगे नहीं आया। विद्वान पोप के साथ शास्त्रार्थ करना आसान न था। अंततः यहूदियों ने मोइशे नामक एक ऐसे व्यक्ति को चुन लिया जो हमेशा ही दूसरों की जगह पर काम करने के लिए तैयार हो जाता था। बूढ़ा और गरीब होने के नाते उसके पास खोने के लिए कुछ न था इसलिए वह तैयार हो गया। उसने सिर्फ एक शर्त रखी कि शास्त्रार्थ केवल संकेतों के माध्यम से हो क्योंकि वह साफ-सफाई का काम करने का नाते बातें करने का आदी नहीं था। पोप इसके लिए राजी हो गया।

शास्त्रार्थ के दिन पोप और मोइशे आमने-सामने बैठे। पोप ने अपना हाथ उठाकर तीन उंगलियां दिखाईं। मोइशे ने अपने उत्तर में हाथ उठाकर एक उंगली दिखाई। फिर पोप ने अपने सिर के चारों ओर उंगली घुमाई। इसके जवाब में मोइशे ने उंगली से जमीन की ओर इशारा किया। पोप ने भोज प्रसाद और मदिरा का कप उठाया। यह देखकर मोइशे ने एक सेब निकाल कर दिखाया।

यह देखकर पोप अपनी गद्दी से उतर गया और उसने स्वयं को पराजित घोषित करके कहा कि मोइशे वाकई अत्यंत ज्ञानी है। अब यहूदी इटली में निर्बाध रह सकते थे।

बाद में कार्डिनल पादरियों के साथ बैठक में उन्होंने पोप से पूछा कि शास्त्रार्थ में क्या घटा। पोप ने कहा, ‘पहले मैंने तीन उंगलियों से पवित्र त्रिमूर्ति की ओर इशारा किया। मोइशे ने इसके उत्तर में एक उंगली उठाकर बताया कि हमारी आस्था के केंद्र में मात्र एक ही ईश्वर है। फिर मैंने अपने सिर के चारों ओर उंगली घुमाकर बताया कि ईश्वर हमारे चारों ओर है। मोइशे ने जमीन की ओर इशारा करके कहा कि ईश्वर हमारे साथ यहां इसी क्षण मौजूद है। मैंने भोज प्रसाद और मदिरा का कप दिखाकर बताया कि परमेश्वर सारे पापों से हमारा उद्धार करता है, और मोइशे ने सेब दिखाकर सर्वप्रथम आद्य पाप का स्मरण कराया, जिससे मुक्ति संभव नहीं है। इस तरह उसने हर सवाल पर मुझे मात दी और मैं शास्त्रार्थ जारी नहीं रख सका।

उसी दौरान यहूदी समुदाय में लोग बूढ़े मोइशे से यह पूछने के लिए जमा हुए कि वह शास्त्रार्थ में कैसे जीत गया। ‘मुझे खुद नहीं पता,’ मोइशे ने कहा। ‘पहले उसने मुझे बताया कि हमें तीन दिनों में इटली छोड़ना होगा। इसके जवाब मे मैंने कहा कि एक भी यहूदी इटली छोड़कर नहीं जाएगा। फिर उसने इशारे से कहा कि पूरा इटली यहूदियों से रिक्त कर देगा। इसके जबाव में मैंने जमीन की ओर इशारा करके कहा कि हम यहीं रहेंगे और टस-से-मस नहीं होंगे।’

‘फिर क्या हुआ?’, एक औरत ने पूछा।

‘होना क्या था!’, मोइशे ने कहा, ‘उसने अपना भोजन दिखाया और मैंने अपना खाना निकाल लिया।’

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