मार्या मोरेवना : रूसी लोक-कथा

Marya Morevna : Russian Folk Tale

एक बहुत दूर जगह में एक बहुत दूर देश में एक आदमी रहता था जिसका नाम था इवान ज़ारेविच । उसके तीन बहिनें थीं – मैरी ज़ारेविच, ओल्गा ज़ारेविच और अन्ना ज़ारेविच ।

समय गुजरता गया और उनके माता पिता दोनों मर गये। जब वे मर रहे थे तो उन्होंने अपने बेटे से कहा — “बेटा तुम अपनी बहिनों को उस पहले आदमी को दे देना जो सबसे पहले उनका हाथ माँगे। उनको घर पर बिठा कर मत रखना।” इवान ने अपने माता पिता को दफ़न कर दिया।

एक दिन वह अपनी तीनों बहिनों के साथ बागीचे में घूमने के लिये गया।

अचानक एक काला बादल उनके सिर के ऊपर आ गया और उसके साथ ही बड़े ज़ोर का तूफान भी आ गया। इवान बोला — “जल्दी करो बहिनों हम लोगों को जल्दी ही अन्दर चलना चाहिये।”

जैसे ही वे महल में घुसे तो गरज की आवाज सुनायी दी। कमरे की छत फट गयी और एक चमकीला बाज़ कमरे में आ गया। वह सीधे फर्श पर गया और एक सुन्दर लड़ने वाले में बदल गया।

वह बोला — “गुड डे इवान ज़ारेविच। मैं पहले एक मेहमान की तरह से आया था पर अब मैं एक उम्मीदवार की हैसियत से आया हूँ। मैं तुम्हारी बहिन मैरी ज़ारेविच का हाथ माँगने आया हूँ।”

इवान बोला — “अगर मेरी बहिन चाहती है तो मैं रास्ते में नहीं आऊँगा। भगवान तुम दोनों को सुखी रखे।” मैरी राजी हो गयी। उस बाज़ ने मैरी से शादी कर ली और उसको अपने राज्य ले कर चला गया।

घंटों पर घंटे निकलते गये दिनों पर दिन निकलते गये और फिर एक साल कब निकल गया पता ही नहीं चला।

एक बार फिर इवान और उसकी बहिनें बागीचे में घूमने गये। तो एक बार फिर एक काला बादल आया, एक बार फिर एक तूफान उठा और एक बार फिर बिजली चमकी। और एक बार फिर इवान अपनी बहिनों के साथ अन्दर महल में चला गया।

जैसे ही वे महल के अन्दर घुसे गरज की आवाज आयी और छत फाड़ता हुआ एक गरुड़ उसमें से अन्दर घुसा। वह भी फर्श की तरफ उड़ा और एक बहुत सुन्दर लड़ने वाले नौजवान में बदल गया।

वह बोला — “गुड डे इवान। मैं यहाँ पहले एक मेहमान की तरह आया था और अब एक उम्मीदवार की हैसियत से आया हूँ। मैं तुम्हारी बहिन ओल्गा का हाथ माँगने आया हूँ।”

इवान ने उसको भी वही जवाब दिया जो उसने पहले उम्मीदवार को दिया था — “अगर मेरी बहिन राजी है तो मैं रास्ते में नहीं आऊँगा। भगवान तुम दोनों को सुखी रखे।” ओल्गा राजी हो गयी। उस गरुड़ ने ओल्गा से शादी कर ली और उसको अपने राज्य ले कर चला गया।

इसके बाद तीसरा साल निकल गया। इवान ने अपनी सबसे छोटी बहिन से कहा — “चलो, बागीचे में घूमने चलते हैं।” सो वे दोनों बागीचे में घूमने चले गये। वे लोग थोड़ी ही देर वहाँ घूमे होंगे कि एक बार फिर एक काला बादल आया, एक बार फिर एक तूफान उठा और एक बार फिर एक बिजली चमकी।

एक बार फिर इवान अपनी बहिन अन्ना के साथ अन्दर महल में चला गया। जैसे ही वे महल के अन्दर घुसे गरज की आवाज आयी और छत फाड़ता हुआ एक रैवन अन्दर आया।

वह भी फर्श की तरफ उड़ा और एक सुन्दर लड़ने वाले नौजवान में बदल गया। पहले दो लड़ने वाले भी काफी सुन्दर थे पर वे इसके मुकाबले में कुछ भी नहीं थे।

वह बोला — “गुड डे इवान। मैं यहाँ पहले एक मेहमान की तरह आया था और अब एक उम्मीदवार की हैसियत से आया हूँ। मैं तुम्हारी बहिन अन्ना का हाथ माँगने आया हूँ।”

इवान ने उसको भी वही जवाब दिया जो उसने पहले दो उम्मीदवारों को दिया था — “अगर मेरी बहिन राजी है तो तुम उससे शादी कर सकते हो। मैं रास्ते में नहीं आऊँगा। भगवान तुम दोनों को सुखी रखे।”

अन्ना राजी हो गयी और उस रैवन ने अन्ना से शादी कर ली और उसको अपने राज्य ले कर चला गया।

इवान अगले पूरे साल अकेला ही रहा सो वह दुखी हो गया। एक दिन उसने सोचा कि वह अपनी बहिनों से मिल कर आता है। सो वह अपनी बहिनों से मिलने चल दिया। चलते चलते उसको एक बड़ा शानदार कैम्प दिखायी दे गया।उस कैम्प की मालकिन मार्या मोरेवना उससे मिलने के लिये बाहर आयी।

“गुड डे इवान ज़ारेविच। तुम कहाँ जा रहे हो? क्या तुम अपनी मरजी से ऐसे ही जा रहे हो या फिर तुमको किसी चीज़ की जरूरत है?”

इवान बोला — “मैं एक आजाद आदमी हूँ। मैं वही करता हूँ जो मैं चाहता हूँ।”

मार्या बोली — “तब तुम अन्दर आओ और मेरे साथ कुछ समय रहो।”

इवान खुशी से राजी हो गया। वह वहाँ दो रात रहा। मायाको उससे प्रेम हो गया तो उन दोनों ने शादी करली। मार्या उसको अपने राज्य ले गयी। वे वहाँ कुछ समय तक खुशी खुशी रहे। फिर मार्या को लड़ाई को लिये जाना पड़ा। उसने अपना सब कुछ इवान को सौंपा और बस इतना कहा — “तुम जहाँ भी जाना चाहो जाना, तुम जो कुछ भी देखना चाहो देखना पर एक चीज़ तुम कभी नहीं करना और वह यह कि इस भंडारघर का दरवाजा कभी नहीं खोलना।”

अब इवान तो ऐसा ही था जैसे हम सब लोग होते हैं सो जैसे ही मार्या वहाँ से गयी वह तुरन्त ही उस भंडारघर की तरफ भागा गया जिसका दरवाजा मार्या ने उसको खोलने से मना किया था। उसने उसका दरवाजा खोला और अन्दर झाँका।

वहाँ कोशचेव लटका हुआ था जिसे कभी मौत नहीं आती। वह 12 लोहे की जंजीरों से बँधा हुआ था।

कोशचेव उसको देखते ही बोला — “मुझ पर दया करो। मुझे कुछ पीने के लिये दो। मैं यहाँ बिना खाना खाये और बिना पानी पिये 10 साल से लटका हुआ हूँ। मेरा गला तो बिना पानी के बिल्कुल रेगमार हो गया है।”

इवान उसके लिये एक बालटी पानी ले कर आया और उसे पीने के लिये दिया। कोशचेव ने उसे एक ही घूँट में पी लिया और बोला — “मुझे एक बालटी से ज़्यादा पानी चाहिये। मुझे एक बालटी पानी और ले कर आओ।”

इवान उसके लिये एक बालटी पानी और ले आया। कोशचेव उस पानी को भी पी गया। फिर उसने तीसरी बालटी पानी माँगा। इवान ने उसको तीसरी बालटी पानी भी ला दिया।

जैसे ही उसने वह तीसरी बालटी पानी पिया तो उसकी सारी पुरानी ताकत वापस आ गयी। उसने अपना शरीर एक बार हिलाया और अपनी बारहों जंजीरें तोड़ दीं।

कोशचेव बोला — “तुम बहुत दयालु हो। पर मुझे डर है कि अब तुम मार्या को फिर कभी नहीं देख सकोगे। तुम उसको उसी तरह नहीं देख सकोगे जैसे तुम अपने कान नहीं देख सकते।”

फिर वह हवा का एक झोंका बना और खिड़की से बाहर चला गया। उसने मार्या को ढूँढ लिया और उसको उठा कर अपने घर ले गया।

इवान बहुत रोया बहुत रोया। बाद में उसने अपने आँसू पोंछे और अपनी यात्रा पर जाने के लिये तैयार हुआ। दो दिन तक चलने के बाद तीसरे दिन सुबह वह एक बहुत ही बढ़िया महल के पास आया।

उस महल के पास एक ओक का पेड़61 खड़ा था जिस पर एक चमकीला बाज़ बैठा था। इवान को देखते ही उस बाज़ ने उस पेड़ पर से सीधी जमीन की तरफ एक कूद लगायी और एक सुन्दर लड़ने वाला नौजवान बन गया।

आदमी बन कर वह बोला — “भाई साहब, आप कैसे हैं और दुनियाँ में क्या कुछ नया हो रहा है?”

इतने में राजकुमारी मैरी भी बाहर दौड़ी आ गयी। वह अपने भाई के गले लग गयी और उसका सारा हाल पूछने लगी कि वह कैसा रहा। फिर उसने उसको अपने बारे में बताया।

इवान उसके घर तीन दिन रहा फिर बोला — “मुझे अफसोस है बहिन कि मैं तुम्हारे घर और ज़्यादा नहीं ठहर सकता क्योंकि मुझे अपनी पत्नी सुन्दर मार्या मोरेवना को ढूँढना है।”

बाज़ बोला — “वह आपको इतनी आसानी से नहीं मिलेगी भाई साहब। आप कम से कम यहाँ अपनी चाँदी की चम्मच छोड़ते जाइये। इससे हम आपको याद करते रहेंगे। भगवान आपको आपकी मार्या को ढूँढने में मदद करे।”

इवान ने अपनी चाँदी की चम्मच वहाँ छोड़ दी और अपनी यात्रा पर आगे चल दिया।

इवान फिर दो दिन चला और तीसरे दिन एक और सुन्दर महल के पास आया। यह महल उस पहले वाले महल से भी ज़्यादा सुन्दर था।

इस महल के पास भी एक ओक का पेड़ था और इस पेड़ पर एक गरुड़ बैठा था। इवान को देख कर उसने भी वहाँ से सीधी जमीन की तरफ एक कूद लगायी और एक सुन्दर लड़ने वाला नौजवान बन गया।

उसने आवाज लगायी — “ओ ओल्गा, जल्दी से बाहर आओ, देखो तुम्हारा भाई आया है।”

ओल्गा तुरन्त ही बाहर दौड़ी आयी और अपने भाई को गले लगा कर उससे उसका हाल पूछा फिर उसने उसको अपने बारे में बताया।

इवान यहाँ भी तीन दिन ठहरा और फिर बोला — “मुझे अफसोस है बहिन कि मैं तुम्हारे घर और ज़्यादा नहीं ठहर सकता क्योंकि मुझे अपनी पत्नी सुन्दर मार्या मोरेवना को ढूँढना है।”

गरुड़ भी वही बोला जो बाज़ ने उससे कहा था — “वह आपको इतनी आसानी से नहीं मिलेगी भाई साहब। आप कम से कम अपना चाँदी का काँटा यहाँ छोड़ते जाइये शायद हमें इसकी कभी जरूरत पड़ जाये। भगवान आपको आपकी मार्या को ढूँढने में मदद करे।”

इवान ने अपना चाँदी का काँटा वहाँ छोड़ा और अपनी यात्रा पर आगे चल दिया।

वह फिर दो दिन चला तो तीसरे दिन की सुबह को उसको फिर एक महल दिखायी दिया। यह महल उस दूसरे महल से भी ज़्यादा सुन्दर और शानदार था। इस महल के पास भी एक ओक का पेड़ खड़ा था और इस ओक के पेड़ पर एक रैवन बैठा था।

रैवन ने इवान को देखा तो उसने भी पेड़ से सीधी जमीन की तरफ एक कूद लगायी और एक सुन्दर लड़ने वाला नौजवान बन गया। वह ज़ोर से बोला — “अन्ना, यहाँ आओ, देखो तुम्हारा भाई आया है।”

अन्ना तुरन्त ही बाहर दौड़ी आयी और भाई को गले लगाया और उससे उसका सारा हाल पूछा और फिर उसको अपना हाल बताया।

इवान यहाँ भी तीन दिन ठहरा और फिर बोला — “मुझे अफसोस है बहिन कि मैं तुम्हारे घर और ज़्यादा नहीं ठहर सकता क्योंकि मुझे अपनी पत्नी सुन्दर मार्या मोरेवना को ढूँढना है।”

रैवन बोला — “वह आपको इतनी आसानी से नहीं मिलेगी भाई साहब। आप कम से कम अपनी चाँदी का सुँघनी वाला बक्सा यहाँ छोड़ते जाइये। इसको देख कर हम आपको याद करते रहेंगे। भगवान आपको आपकी मार्या को ढूँढने में मदद करे।”

इवान ने अपना चाँदी का सुँघनी वाला बक्सा वहाँ छोड़ा और उनको गुड बाई कह कर फिर अपनी यात्रा पर आगे चल दिया।

वह फिर दो दिन चला। तीसरे दिन की सुबह उसको मायामोरेवना मिल गयी। जैसे ही उसने इवान को देखा तो वह बहुत खुश हुई और खुशी के मारे रो पड़ी।

वह बोली — “इवान, तुमने मेरी बात क्यों नहीं सुनी? तुमने उस भंडारघर का दरवाजा खोला ही क्यों और कोशचेव को बाहर निकाला ही क्यों?”

इवान बोला — “मुझे माफ कर दो मार्या। पर अब उस बीती बात पर रोने से क्या फायदा। अब तुम बस मेरे साथ चलो, जल्दी से, इससे पहले कि कोशचेव आ जाये।”

दोनों तैयार हुए और वहाँ से चल दिये। कोशचेव उस दिन शिकार के लिये गया हुआ था। वह जब शाम को वापस लौट रहा था तो रास्ते में उसका घोड़ा ठोकर खा कर गिर पड़ा।

“अरे तुमको क्या हो गया है? क्या घर में कुछ गड़बड़ है?” घोड़ा बोला — “इवान आया है और वह मार्या को ले गया है।”

कोशचेव ने पूछा — “क्या तुम उनको पकड़ सकते हो?”

घोड़ा बोला — “अगर तुमको कोई खेत बोना हो, जैसे गेंहू का खेत, तो पहले उसके बीज बोने के बाद पौधों के उगने का इन्तजार करो, फिर उसे काटो, फिर उसमें से भूसा निकालो।

फिर उसके दानों का आटा बनाओ, फिर उस आटे की पाँच ओवन भर कर डबल रोटियाँ बनाओ, फिर उन डबल रोटियों को खाओ तब कहीं बाहर जाने के लिये निकलो – तब भी पता नहीं कि हम उनको पकड़ सकें या नहीं।”

कोशचेव ने घोड़े को एड़ लगायी और दौड़ चला। उसने जल्दी ही इवान को पकड़ लिया।

उसने इवान से कहा — “मैं तुमको एक बार माफ कर सकता हूँ क्योंकि तुमने एक बार मुझे पानी पिलाया था। मैं तुमको दोबारा भी माफ कर दूँगा क्योंकि तुमने मुझे दूसरी बार पानी पिलाया था पर तीसरी बार मैं तुम्हारे टुकड़े टुकड़े कर दूँगा।”

कह कर उसने इवान से मार्या को लिया और उसको घर वापस ले आया। इवान बेचारा एक पत्थर पर बैठ गया और रोने लगा। वह वहाँ बैठा बैठा काफी देर तक रोता रहा। कुछ देर बाद वह फिर से मार्या को लाने के लिये चल दिया। कोशचेव उस समय बाहर गया हुआ था।

“चलो मार्या।”

“पर इवान वह हमको बहुत जल्दी पकड़ लेगा।”

“पकड़ लेता है तो पकड़ लेने दो। हम लोग कम से कम एक दो घंटे तो एक साथ गुजार लेंगे।” और वे दोनों वहाँ से फिर चल दिये।

शाम को जब कोशचेव घर लौट रहा था तो उसका घोड़ा फिर से ठोकर खा कर गिर गया।

कोशचेव बोला — “तुमको क्या हो गया है? क्या घर में फिर कुछ गड़बड़ है?”

“इवान आया है और मार्या को ले गया है।”

“क्या तुम उसको पकड़ सकते हो?”

“अगर तुमको जौ का खेत बोना हो, तो पहले उसके बीज बोने के बाद पौधों के उगने का इन्तजार करो, फिर उसे काटो, फिर उसमें से भूसा निकालो।

फिर उससे बीयर बनाओ, फिर उसको पी कर धुत हो जाओ फिर सोओ और तब कहीं बाहर जाने के लिये निकलो – तब भी पता नहीं कि हम उनको पकड़ सकें या नहीं।”

कोशचेव ने फिर अपने घोड़े को एड़ लगायी और दौड़ चला। बहुत जल्दी ही उसने इवान को फिर से पकड़ लिया — “मैंने तुमको पहले ही कहा था इवान कि तुमको मार्या को देखना इतना ही मुश्किल होगा जितना कि अपने कान देखना।”

इतना कह कर उसने मार्या को उठाया और उसको ले कर घर आ गया और इवान वहाँ फिर वहीं अकेला बैठा रह गया। वह फिर वहाँ बैठा बैठा काफी देर तक रोता रहा।

पर एक बार फिर वह मार्या को लेने जा पहुँचा। इत्तफाक से उस बार फिर कोशचेव शिकार के लिये गया हुआ था।

“चलो मार्या।”

“पर इवान इस बार तो वह तुम्हारे टुकड़े टुकड़े कर देगा।”

“करने दो पर मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता।”

सो वे फिर तैयार हुए और फिर वहाँ से चल दिये। पर शाम को लौटते हुए कोशचेव का घोड़ा फिर से ठोकर खा कर गिर पड़ा।

कोशचेव बोला — “तुमको क्या हो गया है? क्या घर में कुछ गड़बड़ है?”

“इवान आया है और मार्या को ले गया है।”

कोशचेव ने फिर अपने घोड़े को एड़ लगायी और उसे दौड़ा कर इवान को बहुत जल्दी ही पकड़ लिया।

वहाँ पहुँच कर उसने इवान के छोटे छोटे टुकड़े किये, उनको एक बैरल में भरा, बैरल के मुँह को गोंद से बन्द किया, बैरल को लोहे के छल्लों से बाँधा और समुद्र में फेंक दिया। और मार्या को ले कर चला आया।

उसी समय इवान अपनी जो चाँदी की चीज़ें अपने तीनों जीजाओं के पास छोड़ आया था वे सब काली पड़ गयीं। उनको काला पड़ते देखते ही वे सब चिल्लाये — “अरे ऐसा लगता है कि इवान के साथ कुछ खराब हो गया है।”

गरुड़ तुरन्त ही नीले समुद्र की तरफ उड़ गया। उसने उसमें से वह बैरल निकाला और उसको किनारे पर ले आया। बाज़ उड़ा और “ज़िन्दगी का पानी” ले आया और रैवन “मौत का पानी” लाने के लिये उड़ गया।

तीनों चिड़ियों ने उस बैरल को तोड़ा, उसमें से इवान के शरीर के सारे टुकड़े निकाले, उनको अच्छी तरह से धोया और फिर से उनको उनकी जगह पर लगा दिया।

रैवन ने उन टुकड़ों पर मौत का पानी छिड़का तो उसके वे सब टुकड़े एक साथ जुड़ गये। बाज़ ने उस शरीर के ऊपर ज़िन्दगी का पानी छिड़का तो इवान ने साँस ली और वह उठ कर खड़ा हो गया और बोला — “ओह मेरे भगवान, मुझे लगता है कि मैं कई दिनों तक सोता रहा।”

उसके तीनों जीजा एक साथ बोले — “तुम तो कई दिनों से भी ज़्यादा दिनों तक सोते रहते अगर हम न होते। तुम्हारी छोड़ी हुई तीनों चीज़ों ने काली पड़ कर हमें बता दिया कि तुम्हारे साथ कुछ गड़बड़ हो गयी है।

बस हम सब तुमको बचाने भागे और तुम्हें बचा लिया। अब तुम हमारे साथ चलो और कुछ दिन हमारे साथ रहो।”

इवान बोला — “नहीं मेरे जीजा लोगों अभी नहीं, मुझे आज ही जाना होगा, मुझे अभी भी मार्या को ढूँढना है।” और वह मायाको लाने के लिये फिर चल दिया।

जब उसने मार्या को ढूँढ लिया तो उसने मार्या से कहा — “तुम पहले कोशचेव को ढूँढो और उससे यह पता लगाओ कि उसको इतना अच्छा घोड़ा कहाँ से मिला।”

मार्या ठीक समय का इन्तजार करती रही और ठीक मौका मिलते ही उसने उससे यह पूछा कि उसको इतना अच्छा घोड़ा कहाँ से मिला।

कोश्चेव बोला — “यहाँ से एक तिहाई जमीन पार करके जमीन के चौथे हिस्से में आग की नदी के उस पार एक बाबा यागा रहती है। उसके पास एक घोड़ी है जो उसको रोज एक बार दुनियाँ घुमाने ले जाती है।

उसके पास और भी बहुत सारे घोड़े घोड़ियाँ हैं। मैंने उसके पास तीन दिन रह कर उसके घोड़े घोड़ियों के चरवाहे का काम किया था। उस समय मैंने उसका एक भी घोड़ा नहीं खोया था। बस इसी बात से खुश हो कर उसने मुझे अपनी यह बच्ची घोड़ी मुझे इनाम में दे दी थी।”

मार्या ने आश्चर्य से पूछा — “पर तुमने वह आग की नदी कैसे पार की?”

कोश्चेव बोला — “ओह वह नदी? उसको पार करने के लिये तो मेरे पास एक जादू का रूमाल है।

बस मुझे उसको अपने दाहिने कन्धे के ऊपर केवल तीन बार हिलाने की जरूरत पड़ती है और फिर वह एक ऊँचा पुल बन जाता है। वह पुल उन आग की लपटों को पार करके वहाँ तक पहुँचने के लिये काफी ऊँचा होता है।”

मार्या ने उसके कहे गये सारे शब्द बखूबी याद कर लिये और फिर उनको इवान को बता दिये।

उसने कोशचेव का रूमाल भी चुरा लिया। इवान ने उस रूमाल के सहारे वह आग की नदी पार की और बाबा यागा की खोज में चल दिया।

वह काफी दूर तक बिना खाये पिये चलता रहा। अब उसको भूख लग आयी थी। वह खाने के लिये इधर उधर कुछ ढूँढ रहा था कि तभी उसको समुद्र के ऊपर एक अजीब सी चिड़िया आती दिखायी दी।

उस चिड़िया के साथ उसके कुछ बच्चे भी थे तो इवान ने सोचा कि वह उनमें से एक बच्चे को खा कर अपनी भूख मिटायेगा। पर वह चिड़िया बोली — “नहीं इवान नहीं। तुम मेरे बच्चे को छोड़ दो एक दिन मैं तुम्हारी सहायता जरूर करूँगी।”

इवान ने उसके बच्चे को छोड़ दिया और आगे बढ़ गया। आगे जंगल में उसको शहद की मक्खियों का एक छत्ता मिला तो वह बोला “मैं थोड़ा सा शहद ही खा लेता हूँ।”

रानी मक्खी बोली — “नहीं इवान नहीं। मेरा शहद तो छूना भी मत। एक दिन मैं तुम्हारी सहायता जरूर करूँगी।”

सो इवान ने शहद भी छोड़ा और आगे बढ़ गया। आगे चल कर उसको एक शेरनी मिली जो अपने बच्चों के साथ खेल रही थी। उसने कहा “मैं एक शेर का बच्चा ही खा लेता हूँ नहीं तो मैं तो अब भूख से मर ही जाऊँगा।”

शेरनी बोली — “नहीं नहीं इवान। मैं एक दिन तुम्हारी सहायता जरूर करूँगी। मेहरबानी करके मेरे बच्चे को मत खाओ।”

“ठीक है मैं तुम्हारे बच्चे को नहीं खाता पर तुम अपना वायदा याद रखना।”

इस तरह वह बेचारा भूखा ही घूमता रहा। काफी देर के बाद वह बाबा यागा के घर तक पहुँच सका। उसके घर के चारों तरफ 12 खम्भे लगे हुए थे। उन 12 खम्भों में से एक खम्भे के सिवा सभी खम्भों पर आदमियों की खोपड़ियाँ लगी हुई थीं। इवान बोला — “गुड डे दादी माँ।”

“गुड डे इवान। तुम यहाँ क्या कर रहे हो? तुम यहाँ अपनी मरजी से आये हो या फिर किसी जरूरत से आये हो?”

“मैं आपके पास काम करने के लिये आया हूँ। मुझे आपकी एक छोटी घोड़ी चाहिये।”

“जैसी तुम्हारी मरजी। पर इसके लिये तुमको ज़्यादा काम करने की जरूरत नहीं है केवल तीन दिन ही काम करने की जरूरत है। अगर तुम मेरी घोड़ियों को ठीक से रखोगे तो तुमको एक घोड़ी मिल जायेगी।

पर अगर तुम मेरी एक घोड़ी को भी खो दोगे तो मैं तुम्हारा सिर काट दूँगी और जो मेरा जो यह आखिरी खम्भा खाली पड़ा है उस पर लगा दूँगी। तैयार हो?”

इवान राजी हो गया। बाबा यागा ने उसको कुछ खाना पीना दिया और उसको काम पर लगा दिया। इवान ने घोड़ियों को बाहर निकाला।

उन्होंने अपनी पूँछ हिलायी और घास के मैदान की तरफ भाग गयीं। इससे पहले कि वह उनको देखता वे तो इधर उधर भाग कर चली गयीं।

वह एक पत्थर पर बैठ गया और रोने लगा। कुछ देर बाद उसको नींद आ गयी। सूरज छिपने वाला था कि तभी वह समुद्र के ऊपर उड़ने वाली अजीब चिड़िया वहाँ आयी और इवान को जगाया।

“उठो इवान उठो। ज़रा देखो तो, तुम्हारी सब घोड़ियाँ तो अपनी घुड़साल में आ भी गयी हैं।”

इवान उठा और वापस घर पहुँचा तो उसने देखा कि उसकी सारी घोड़ियाँ तो घुड़साल में खड़ी हैं।

पर उधर बाबा यागा अपनी घोड़ियों पर चिल्ला रही थी और उनको बुरा भला कह रही थी — “तुम लोग सारी की सारी यहाँ वापस क्यों आ गयीं?”

घोड़ियाँ बोलीं — “हम क्या करतीं। सारी दुनियाँ की बहुत सारी चिड़ियें वहाँ आ गयीं थीं और अगर हम वहाँ से न भागते तो वे तो अपनी चोंचों से हमारी आखें ही निकाल लेतीं।”

“कोई बात नहीं कल तुम लोग जंगल की तरफ चली जाना।”

इवान रात को चैन की नींद सोया। सुबह को बाबा यागा ने उससे कहा — “तुम अपने आपको ठीक से देखना इवान। अगर आज रात एक घोड़ी भी वापस नहीं आयी तो कल तुम्हारा यह खूबसूरत सिर मेरे एक खम्भे पर सजा होगा।”

अगले दिन इवान ने सब घोड़ियों को घुड़साल से बाहर निकाला। घोड़ियों ने बाहर निकलते ही अपनी अपनी पूँछें हिलायीं और फिर से जंगल में काफी अन्दर तक भाग गयीं।

इवान फिर एक पत्थर पर बैठ गया और फिर रोने लगा। रोते रोते वह फिर वहीं सो गया।

वह सारा दिन सोता रहा। जब शाम हुई तो वहाँ एक शेर आया और बोला — “इवान उठो। देखो तुम्हारी घोड़ियाँ घुड़साल में सुरक्षित पहुँच गयी हैं।”

इवान उठा और फिर घर वापस आया। बाबा यागा अपनी घोड़ियों पर फिर से चिल्ला रही थी। वह अपनी घोड़ियों पर पहले दिन से भी ज़्यादा गुस्सा थी — “तुम लोग घर वापस क्यों आयीं?”

बेचारी घोड़ियाँ बोलीं — “हम क्या करतीं? सारी दुनियाँ के जंगली जानवर हमको फाड़ खाने के लिये वहाँ आ गये थे।”

बाबा यागा बोली — “ठीक है ठीक है। कल तुम लोग नीले समुद्र की तरफ भाग जाना।”

रात को इवान चैन की नींद सोया। सुबह को बाबा यागा ने इवान से कहा — “इवान इन घोड़ियों का ध्यान रखना। अगर तुमने एक भी घोड़ी खोयी तो तुम्हारा यह सुन्दर सिर मेरे उस बारहवें खम्भे पर टँगा होगा।”

इवान ने फिर घोड़ियाँ घुड़साल से बाहर निकालीं। बाहर निकलते ही उन्होंने सबने अपनी अपनी पूँछें हिलायीं और नीले समुद्र की तरफ भाग गयीं। वहाँ जा कर वे नीले समुद्र में गायब हो गयीं।

इवान फिर एक पत्थर पर बैठ गया और रोने लगा। रोते रोते वह फिर सो गया।

जब शाम हो गयी तो वहाँ एक शहद की मक्खी भिनभिनाती आयी और इवान से बोली — “इवान, जाओ घर जाओ। हमने तुम्हारी तुम्हारी सब घोड़ियाँ घुड़साल में भेज दी हैं।

पर ध्यान रखना कि अब तुम बाबा यागा के सामने नहीं आना। वह तुमको देख नहीं पाये। तुम घुड़साल में घोड़ियों के चारे के बरतन के पीछे छिप जाना।

वहाँ पर एक बहुत ही गन्दी सी खाल की बीमारी वाली बच्ची घोड़ी है जो हमेशा गोबर में लेटी रहती है। तुम उस घोड़ी को चुरा लेना, और वह भी आधी रात के बाद और उसको ले कर भाग जाना।”

इवान उठा और घुड़साल की तरफ चल दिया और घोड़ियों के खाने के बरतन के पीछे जा कर छिप गया।

उधर बाबा यागा अपनी घोड़ियों को फिर से डाँट रही थी — “तुमको फिर से वापस आने की क्या जरूरत थी?”

घोड़ियाँ बोली — “हम कुछ भी नहीं कर सके। वहाँ उतनी सारी शहद की मक्खियाँ थी जितनी कभी तुमने ज़िन्दगी भर में नहीं देखी होंगी। वे हमारे ऊपर सब तरफ से उड़ उड़ कर आ रही थीं और हमारी हड्डियों तक काटने की कोशिश कर रही थीं।”

यह सुन बाबा यागा सोने चली गयी। आधी रात को इवान ने वह गन्दी सी खाल की बीनारी वाली बच्ची घोड़ी उठायी और उस पर चढ़ कर आग की नदी की तरफ दौड़ गया।

वहाँ जा कर उसने अपना रूमाल अपने दाँये कन्धे के ऊपर तीन बार हिलाया तो वहाँ एक बहुत ऊँचा पुल खड़ा हो गया।

इवान ने वह पुल पार किया फिर दो बार उस रूमाल को अपने बाँये कन्धे के ऊपर हिलाया तो वह पुल तो वहीं रहा पर वह बहुत ही पतला हो गया था।

अगली सुबह बाबा यागा ने देखा कि उसकी एक बच्ची घोड़ी गायब थी। वह गुस्से में आग बबूला हो कर तुरन्त ही अपनी लोहे की ओखली में कूदी, अपने मूसल से उसको चलाया और अपनी झाड़ू से अपना रास्ता साफ करती हुई दौड़ गयी।

वह आग की नदी पर आयी तो सामने उसको पुल दिखायी दिया। उसने सोचा — “कितना शानदार पुल है।” और यह कह कर वह उस पुल के ऊपर दौड़ गयी। पर यह क्या, वह पुल तो बीच में ही टूट गया। बाबा यागा उस आग की नदी में सिर के बल गिर पड़ी और एक बहुत ही ददभरी मौत मारी गयी। इवान ने उस बच्ची घोड़ी को घास के मैदान में घास खिला कर मोटा किया। कुछ ही दिनों में वह बहुत ही बढ़िया घोड़ी हो गयी।

इवान एक बार फिर मार्या के पास गया। वह तुरन्त ही बाहर निकल कर आयी और खुशी से बोली — “ओह इवान, तुम अभी ज़िन्दा हो?”

इवान ने फिर उसको वह सब कुछ बताया जो उसके साथ वहाँ हुआ था और कहा — “चलो यहाँ से चलें।”

मार्या बोली — “पर इवान मुझे डर लगता है। अगर कहीं कोशचेव हम लोगों को फिर से पकड़ ले तो। और तुम्हारे टुकड़े टुकड़े कर दे तो।”

इवान बोला — “नहीं इस बार वह ऐसा नहीं कर सकेगा। मेरी घोड़ी हवा की रफ्तार से भागती है।”

सो वे दोनों उस घोड़ी पर चढ़े और वहाँ से भाग लिये।

शाम को कोशचेव जब घर वापस लौट रहा था तो उसका घोड़ा फिर से ठोकर खा कर गिर पड़ा।

“अरे तुमको क्या हो गया है? क्या घर में फिर कुछ गड़बड़ है?”

घोड़ा बोला — “इवान आया है और वह मार्या को ले गया है।”

कोशचेव ने पूछा — “क्या तुम उनको पकड़ सकते हो?”

घोड़ा बोला — “पता नहीं। इस बार इवान के पास एक नया घोड़ा है जो मुझसे भी ज़्यादा तेज़ दौड़ता है।”

कोशचेव चिल्लाया — “नहीं। मैं इस बात को सहन नहीं कर सकता।”

यह तो मुझे पता नहीं कि कोशचेव अपने घोड़े पर कितने घंटे या कितने दिन तक उसके पीछे भागा पर आखीर में उसने इवान को पकड़ ही लिया।

कोशचेव अपने घोड़े से जमीन पर कूदा और इवान को अपनी तलवार से मारने ही वाला था कि इवान की घोड़ी ने उसको बहुत ज़ोर से लात मारी और उसका सिर छोटे छोटे टुकड़े हो कर बिखर गया। इवान ने उसको फिर अपना एक मोटा सा डंडा मार कर खत्म कर दिया।

फिर उसने एक बहुत बड़ी आग जलायी, कोशचेव का शरीर उसमें जलाया और उसकी राख को चारों तरफ बिखेर दिया। मायाकोशचेव की घोड़ी पर चढ़ी, इवान अपनी घोड़ी पर चढ़ा और दोनों वहाँ से चल पड़े।

पहले वे रैवन के घर गये, फिर गरुड़ के घर गये और फिर बाज़ के घर गये। तीनों महलों में उनका ज़ोर शोर से स्वागत हुआ। उसकी बहिनों ने कहा — “इवान, हमको तो लगा था कि अब हम तुमको देख ही नहीं पायेंगे। पर अब हमको पता चल गया कि तुमने यह यात्रा क्यों की थी। सारी दुनियाँ में तुम्हारी पत्नी जैसी सुन्दर और कोई लड़की तो हो ही नहीं सकती।”

वह अपनी इन तीनों बहिनों के साथ कुछ कुछ दिन रहा। बहुत सारी दावतें खायीं और फिर अपने राज्य की तरफ चल दिया वहाँ उसने मार्या के साथ बहुत दिनों तक खुशी खुशी राज किया।

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