महान् धड़ाका (रूसी कहानी) : लियोनिद आंद्रेयेव
Mahaan Dhadaaka (Russian Story in Hindi) : Leonid Andreyev
वे सप्ताह में तीन दिन—मंगलवार, बृहस्पतिवार और शनिवार को ‘विंट' (एक प्रकार का ताश का खेल) खेलते थे। ताश खेलने के लिए रविवार अत्यंत सुविधाजनक था, परंतु उस दिन को दूसरे कामों के लिए छोड़ दिया गया जैसे—किसी के यहाँ आना-जाना हो, थिएटर आदि; जिसके लिए इसको सप्ताह का अत्यंत व्यस्त दिन माना जाता था। फिर भी देहात की गरमियों में रविवार को ही खेलते थे ।
वे इस प्रकार खेलते थे – मोटे और गरम स्वभाववाले मासलेनीकोव के साथ जेकोव इवानोविच खेलता था और इवप्रकशिया वासिल्योना अपने चिड़चिड़े भाई प्रकोपी वासिलाविच का साथ देती थी । यह प्रबंध कई वर्षों से चल रहा था—छह साल या इससे भी अधिक; और यह इवप्रकशिया वासिल्योना के कारण था । इसका कारण था कि उसके भाई के विरुद्ध खेलने में कोई रुचि नहीं लेता था; क्योंकि यदि एक हारता था तो दूसरा जीतता था और दाँव भले ही मामूली होते थे, इवप्रकशिया और उसका भाई आराम से खेल रहे थे। फिर भी वह खेल को खेल की तरह नहीं समझती थी; जब भी जीत जाती तो अति प्रसन्न होती थी। उसका जीता हुआ माल हमेशा अलग रखा जाता था और जो रकम वह घर चलाने या अपने महँगे मकान का किराया चुकाने में खर्च करती थी, उसकी अपेक्षा इसको अधिक महत्त्व देती थी ।
वे हमेशा प्रकोपी वासिलाविच के फ्लैट में एकत्र होते थे; क्योंकि यह काफी बड़ा था और यह अपनी बहन के साथ अकेला रहता था। वहाँ एक बड़ी सफेद बिल्ली भी थी, परंतु वह हमेशा आराम-कुरसी पर सोती थी और कमरों में पर्याप्त शांति रहती थी । प्रकोपी वासिलाविच विधुर था; वह अपनी पत्नी को विवाह के दूसरे वर्ष में ही खो बैठा था और दो महीने तक दिमागी बीमारी के बहाने अस्पताल में पड़ा रहा था । इवप्रकशिया कुँवारी थी, भले ही एक बार एक विद्यार्थी से प्रेम कर चुकी थी । इसे कोई नहीं जानता था और ऐसा लगता था कि यह भी उसे भूल चुकी थी; क्योंकि इसने कभी विद्यार्थी से विवाह नहीं किया था, परंतु प्रतिवर्ष जब दरिद्र विद्यार्थियों के लिए अपील की जाती तो वह एक सौ रुबल का नोट भेज दिया करती थी - 'अनजाने मित्र की ओर से ।' आयु में वह पार्टी में सबसे छोटी थी— तैंतालीस वर्ष की ।
जब सहयोगियों का मौलिक प्रबंध किया गया तो चारों में से मासलेनीकोव इससे विशेषकर नाराज था- इसलिए कि उसे हमेशा जेकोव इवानोविच के साथ खेलना पड़ता था, अर्थात् दूसरे शब्दों में, किसी 'रंग सर' के अवसर पर उसे महान् धड़ाका करने की आशा को खो देना पड़ता था । हर तरह से वह और उसका सहयोगी अयोग्य थे। जेकोव इवानोविच एक नीरस, थोड़ा बूढ़ा आदमी था – वह गरमियों और सर्दियों में काला कोट एवं पतलून पहनता था और शांत तथा कठोर स्वभाववाला था । वह हमेशा ठीक आठ बजे प्रकट होता था—न एक क्षण पहले, न एक क्षण बाद, और तुरंत अपनी नीरस अंगुलियों से ताश के पत्तों को उठाता था । उसकी एक अंगुली में हीरे की अंगूठी रहती थी, परंतु जिस बात पर मासलेनीकोव को अपने सहयोगी पर अत्यंत गुस्सा आता था, वह यह थी कि वह चार सरों से अधिक नहीं बोलता था, भले ही उसके हाथ में अधिक सरों की व्यवस्था होती थी।
एक बार जेकोव इवानोविच ने रंग की दुक्की से शुरू किया और तेरह चालें चलता हुआ रंग के इक्के तक चला गया। मासलेनीकोव ने गुस्से में आकर अपने पत्ते मेज पर फेंक दिए, उसके सहयोगी ने जल्दी से उठा लिये और अपनी चार चालें बनाता हुआ अपनी जीत को लिखने लग गया।
“परंतु तुमने महान् धड़ाका घोषित क्यों किया ?" निकोलस डिमीट्रिविच (यह मासलेनीकोव का ही नाम था) चिल्लाया।
"मैं चार से अधिक चाल नहीं चलता," उसके सहयोगी ने नीरसता से उत्तर दिया, "तुम कभी नहीं बता सकते कि क्या होगा । "
इसलिए मासलेनीकोव कभी भी उसे विश्वास नहीं दिला सका। वह हमेशा स्वयं जोखिम उठाता था। चूँकि ताश पर उसकी पकड़ अच्छी नहीं थी, इसलिए वह हमेशा हारता था, परंतु उसने साहस कभी नहीं छोड़ा। बिना हेरा-फेरी वह अगली बार जीतने की आशा करता था । अंत में उसने अपने सहयोगी से संधि कर ली और वे प्रसन्नतापूर्वक खेलते रहे। निकोलस डिमीट्रिविच जोखिम उठाता था, उसका सहयोगी हानि लिखता जाता था और चार चालों तक चलता था।
इस प्रकार वे गरमियों में, सर्दियों में, वसंत एवं पतझड़ ऋतुओं में खेलते रहे। अब रक्त से लाल, आँसुओं से भीगा—नंगे और अयोग्य लोगों के कराहने को अपने रास्ते में छोड़ता, बाजू हिलाता हुआ पुराना संसार अपनी विभिन्न जीवन वृत्तियों का अनुसरण कर रहा था। इन सबके लिए धुँधला - सा सुझाव निकोलस डिमीट्रिविच द्वारा पेश किया गया था। कभी-कभी उसको आने में देर हो जाती थी; जबकि दूसरे लोग मेज पर पहले ही बैठे होते थे। हरे कपड़े पर लाल ताश के पत्ते पंखों की तरह बिछे पड़े थे।
लाल गालोंवाला निकोलस डिमीट्रिविच ताजा हवा का वातावरण लिये, जल्दी से अपने लिए क्षमा माँगते हुए जेकोव इवानोविच के सामने बैठकर बोला, “बुलेवर्ड पर क्या भीड़ जमा है, जैसे लगातार नदी बह रही हो...!" इवप्रकशिया वासिल्योना, मेजबान के नाते अपने मेहमानों की मानसिक प्रवृत्तियों की विशेषावस्था पर ध्यान न देना अपना कर्तव्य समझती थी । अतः अकेली ने ही उत्तर दिया जबकि जेकोव इवानोविच क्रूर चुप्पी में ताश फेंटता रहा। उसके भाई ने चाय की ओर ध्यान दिया ।
“हाँ, संभवतः मौसम सुहावना है, परंतु क्या हम शुरू न करें ? " और उन्होंने खेलना शुरू कर दिया। कमरे की ऊँची आवाज को गृह सामग्री और दरवाजों पर लटके परदों ने नष्ट कर दिया और यह मौन मकबरा बन गया। नौकरानी गरम चाय से भरे गिलासों के साथ नरम कालीन पर चुपचाप चल रही थी । उसके कलफ लगे एप्रेन की फ्रऔं-फ्रऔं, गिनती लिखनेवाले चाक की खुरचन और लंबा जुर्माना देने पर निकोलस डिमीट्रिविच की ठंडी आह के अतिरिक्त कुछ भी सुनाई नहीं देता था । उसके लिए हलकी चाय डाली गई और विशेषकर मेज पर रखी गई; क्योंकि वह रकाबी में डालकर लंबे घूँटों से पीया करता था ।
सर्दियों में वह उन्हें बताया करता था कि प्रातः दस डिग्री तापमान था और इस समय बीस डिग्री है। गरमियों में वह कहा करता, “एक बड़ी पार्टी बाँस की टोकरियों के साथ अभी-अभी जंगल में गई है।" इवप्रकशिया वासिल्योना विनीत भाव से आकाश को देखती - गरमियों में वह छत पर खेलते थे और चाहे आकाश साफ होता तथा देवदार वृक्षों के शिखर धूप से चमक रहे होते, वह कहती – “मुझे आशा है कि वर्षा नहीं होगी ।" और जेकोव इवानोविच ईमानदारी से ताशों को फेंटता था और ईंट की दुक्की का गिरना यह प्रतिबिंबित करता था कि निकोलस डिमीट्रिविच चंचल और असावधान था। एक समय, विशेषकर मासलेनीकोव अपने सहयोगी को परेशान किया करता था। हर बार जब वह आया, उसने ड्राइफस के बारे में एक-दो बार चर्चा की। उसने उदासीन भाव से इन्हें सूचित किया—
'ड्राइफस का मामला बुरी तरह चल रहा है ।" अथवा इसके अतिरिक्त वह मुसकराते हुए कहता कि उसका दंड अनुचित है और निस्संदेह बदल दिया जाएगा । फिर वह समाचार-पत्र निकालता और ड्राइफस के बारे में कुछ अंश पढ़ने लगता।
"पहले पढ़ चुके हैं! " जेकोव इवानोविच नीरसता से कहता, परंतु उसका सहयोगी कोई ध्यान न देता हुआ, जिसे वह रुचिकर और महत्त्वपूर्ण मानता, उसे पढ़ता। एक बार उसने दूसरों को वाद-विवाद के लिए उकसाया और लगभग झगड़े के लिए उत्तेजित कर दिया, जब इवप्रकशिया वासिल्योना ने कार्रवाई के कानूनी पक्ष को मानने से इनकार कर दिया और उसकी तुरंत रिहाई की माँग की; जबकि जेकोव इवानोविच ने इस बात पर जोर दिया कि कुछ औपचारिकताओं को पहले पूरा करना चाहिए । जेकोव इवानोविच याद करनेवाला पहला था; मेज की ओर संकेत करके उसने कहा, "समय नहीं हुआ क्या?"
अतः उन्होंने खेलना आरंभ कर दिया और उसके बाद निकोलस डिमीट्रिविच ने किसी तरह ड्राइफस के बारे में काफी चर्चा की, परंतु उसे केवल चुप्पी से उत्तर दिया ।
इसी तरह वे गरमियों, सर्दियों, वसंत और पतझड़ ऋतुओं में खेलते रहे। कुछ घटनाएँ घटती थीं, परंतु मनोविनोद के लिए कभी-कभी प्रकोपी वासिलाविच बिलकुल भूल जाता था कि उसके सहयोगी ने क्या कहा था। एक बार वह पाँच चाल चलकर एक भी सर नहीं बना पाया था । उस समय निकोलस डिमीट्रिविच उसकी हानि को बढ़ते देखकर जोर से हँसता था, जबकि जेकोव इवानोविच ने नीरसता से कहा था- " यदि तुम चार, केवल चार कहते तो संभवत: तुम जीत के निकट पहुँच जाते।"
बहुत ऊँचे दर्जे की उत्सुकता देखने को मिलती, जब इवप्रकशिया वासिल्योना धड़ाके के लिए बोली लगाती। यह न समझते हुए कि वह कौन सा पत्ता फेंके, लाल हो जाती, काँपने लग जाती और दयालु भाव से अपने अल्पभाषी भाई की ओर देखने लगती, जबकि उसके दो विरोधी उसके स्त्रीत्व और असहायता के लिए अपनी नवाबी नम्रता के साथ कृपापूर्वक अपनी मुसकराहट से उसे प्रोत्साहित करते और धैर्य से प्रतीक्षा करते थे। आमतौर पर वे खेल को गंभीरता से खेलते थे, बहुत समय पहले से ताश ने निर्जीव वस्तु होना बंद कर दिया था। उसके हाथों में प्रत्येक हाथ और पत्ते का अपना विशेष महत्त्व था और अपना जीवन स्वयं जीता था। हाथों को पसंद और नापसंद किया जाता था—वे भाग्यशाली थे, वे अभागे थे। पत्ते हमेशा विभिन्नता से आपस में मिलते थे और यह मिलना किसी विश्लेषण या कानून के अधीन नहीं था । और साथ-ही-साथ पूर्णतया न्यायसम्मत था । उस न्यायसम्मतता में खिलाड़ियों के व्यक्तित्व की अपेक्षा ताश के पत्तों का व्यक्तित्व रहता था। खिलाड़ी अपने लक्ष्यों के लिए उसका प्रयोग करते थे और पत्ते अपना हिस्सा प्रदान करते थे; जैसे वे अपनी इच्छाओं, रुचियों, सहानुभूतियों और चपलताओं से सजीव हो गए हों। ईंट के पत्ते प्राय: जेकोव इवानोविच को जाते और इवप्रकशिया वासिल्योना का हाथ हुकम के पत्तों से भरा रहता था, भले ही वे उसे अच्छे नहीं लगते थे। कभी-कभी पत्ते चंचल हो जाते और जेकोव इवानोविच हुकम के पत्तों से बच नहीं पाता था; जबकि इवप्रकशिया वासिल्योना ईंट के पत्तों का आनंद लेती थी और बड़ी-बड़ी चालें चलकर हार जाती थी । निकोलस डिमीट्रिविच को हमेशा बुरे पत्ते हाथ आते थे और वह अपना कोई भी पत्ता बदलने के लिए हमेशा तैयार रहता था । उसके पत्ते होटल में आनेवाले व्यक्ति की तरह उदासीन रहते थे, जो थोड़े समय के लिए वहाँ ठहरता था। कई अवसरों पर अनुक्रम सायंकालों को उसके पास दुक्कियों और तिक्कियों के अतिरिक्त कुछ नहीं आता था और इसी कारण उसे पक्का विश्वास हो गया था कि वह कभी भी महान् धड़ाका नहीं कर पाएगा, क्योंकि पत्ते उसकी इच्छा को जानते थे और उसमें विघ्न डालना चाहते थे। अतः उसने बहाना बनाया कि वह उसके प्रति पूर्णतया उदासीन था और इसको चिढ़ाने के लिए प्राय: छक्के और सत्ते के साथ एक-आध तसवीर को लेकर वह पत्तों का क्रम बदलने का काम करने लगा।
इवप्रकशिया वासिल्योना ने अपनी भावनाओं को छिपाए रखा और जेकोव इवानोविच के हाथ में जो भी पत्ते आते, उनके प्रति दार्शनिक उदासीनता को, चार से अधिक 'न' बोलने के विदेशी उपाय के साथ सच मानना बहुत पहले सीख लिया था। केवल निकोलस डिमीट्रिविच ने पत्तों की चंचलता पर अपनी नाराजगी को छिपाना कभी नहीं सीखा था। जब वह सोता था तो बिना सर के महान् धड़ाका जीतने के सपने देखा करता था। अपने हाथ के पत्ते उठाते ही उसे पहले इक्का, फिर बादशाह, फिर दूसरा इक्का नजर आते थे, परंतु जब वह पुनः खेलने बैठता तो उसका हाथ छोटे पत्तों से भरा हुआ होता और उनमें दुर्भाग्य के कुरूप मनसूबे नजर आते। धीरे-धीरे, सोते-जागते वह महान् धड़ाका बनाने के सपने देखता रहा, जब तक ये सपने उसके जीवन की प्रबलतम इच्छा नहीं बन गए।
इस बीच ताश से असंबंधित घटनाएँ भी घटीं । इवप्रकशिया वासिल्योना की सफेद बिल्ली मर गई। उसके मालिक ने उसे बाग में एक नीबू के पेड़ के पास दफना दिया । फिर निकोलस डिमीट्रिविच दो सप्ताह तक लुप्त रहा। उसके सहयोगी नहीं जानते थे कि वे क्या करें; क्योंकि तीन व्यक्तियों से विंट खेलना उनकी आदत के विरुद्ध और विनोदहीन था। पत्तों ने भी स्वयं इस अनभिज्ञ समुदायता को प्रमाणित कर दिया। जब निकोलस डिमीट्रिविच पुनः प्रकट हुआ तो उसकी सफेद अल्प लटाओं में से नजर आनेवाला उसका चेहरा पीला पड़ चुका था और सिकुड़ा हुआ प्रतीत होता था। उसने बताया कि उसका बेटा किसी अपराध में पकड़ा गया था और उसे सेंट पीटर्सबर्ग भेज दिया गया था। सभी हैरान हुए; क्योंकि वे नहीं जानते थे कि उसका बेटा भी था । संभवतः उसने कभी बताया हो; परंतु वे उसके बारे में भूल गए थे। उसके पश्चात् जल्दी ही उसका आना पुनः बंद हो गया और एक शनिवार को जब वे और दिनों से अधिक समय तक खेलते रहे थे, सबको हैरानी से पता चला कि उसे काफी समय से हृदय रोग था। उसी दिन उसको दिल का गंभीर दौरा पड़ा था, परंतु तत्पश्चात् सबकुछ पहले की तरह चला और खेल अधिक गंभीर और रुचिकर हो गया, क्योंकि निकोलस डिमीट्रिविच उन्हें बाहरी मामलों से पहले से कम प्रसन्न करता था। बृहस्पतिवार को एक चौंका देनेवाला परिवर्तन हुआ। जैसे ही खेल आरंभ हुआ, निकोलस डिमीट्रिविच ने पाँच की आवाज दी और केवल जीत ही नहीं गया बल्कि छोटा धड़ाका भी बनाया; क्योंकि जेकोव इवानोविच के पास इक्का था, जिसके बारे में वह चुप रहा था । कुछ समय तक सामान्य पत्ते हाथ में आते रहे, परंतु बाद में अच्छे पत्तों का क्रम शुरू हो गया। मानो पत्ते यह देखना चाहते हों कि यह कितना प्रसन्न होगा! वह खेलने के लिए दाँव लगाता था। जेकोव इवानोविच के साथ-साथ सभी हैरान थे। निकोलस डिमीट्रिविच, जिसकी मोटी अंगुलियाँ काँप रही थीं, की उत्तेजना ने दूसरे खिलाड़ियों को भी छूत का रोग लगा दिया।
"आज तुम्हारे साथ क्या बात है? " उद्विग्न प्रकोपी वासिलाविच ने कहा, जो दुर्भाग्य के अग्रदूत सौभाग्य से डर रहा था। इवप्रकशिया वासिल्योना यह सोचकर खुश थी कि निकोलस डिमीट्रिविच के पास अंततः अच्छे पत्ते थे। वह अपने भाई को उसके दुर्भाग्य से दूर करने के लिए भूमि पर तीन बार थूककर चिल्लाई — "फि, फि ! इसमें कुछ भी विशेषता नहीं, पत्ते हर एक को उसकी बारी देते हैं।"
पत्ते बाँटते समय निकोलस डिमीट्रिविच को क्षणिम छोड़ता हुआ प्रतीत हुआ और कुछ दुक्कियाँ आ गई, फिर इक्के और बादशाह तथा बेगमों ने पीछा किया । उसको पत्ते उठाने और खेल शुरू करने का समय ही नहीं मिला और अपनी व्याकुलता में वह दो बार धोखा खा गया, जिस कारण उनको पुनः पत्ते बाँटने पड़े। उसके सारे दाँव सफल रहे, भले ही हठी जेकोव इवानोविच अपने इक्कों के बारे में चुप रहा। उसके सहयोगी के भाग्य में परिवर्तन के कारण हैरानी ने शंका को स्थान दिया और वह अपने नियत कर्तव्य में निरंतर लगा रहा — चार से अधिक नहीं बोलना! उसने अब अपनी अग्रता की ओर ध्यान नहीं दिया; परंतु साहसपूर्वक यह विचार करके कि बदले में उसको इच्छित पत्ते मिल जाएँगे, महान् धड़ाके का दाँव लगा दिया।
जब प्रकोपी वासिलाविच पत्ते बाँट चुका, मासलेनीकोव ने अपने पत्ते उठाए । उसके दिल ने धड़कना लगभग बंद कर दिया और आँखों के सामने धुंध छा गई —— उसके हाथ में विश्वस्त बारह सर थे, चिड़ी और पान के इक्के से
दहले तक और ईंट का इक्का और बादशाह । यदि वह बदले में हुकम का इक्का ले सके तो समझो बिना सर के महान् धड़ाका!
“दो, कोई ट्रंप नहीं!” अपनी आवाज को संभालते हुए उसने कहा।
“तीन हुकम!” इवप्रकशिया वासिल्योना, जो उतनी ही उत्तेजित थी; क्योंकि उसके पास बादशाह से नीचे हुकम के सारे पत्ते थे।
"चार पान।'' जेकोव इवानोविच ने नीरसता से प्रत्युत्तर दिया । निकोलस डिमीट्रिविच ने उसी समय छोटा धड़ाका घोषित कर दिया, परंतु इवप्रकशिया वासिल्योना ने उत्तेजना से प्रभावित होकर हुकम में महान् धड़ाका बोल दिया, भले ही उसको महसूस हुआ कि वह बना नहीं पाएगी। निकोलस डिमीट्रिविच ने एक क्षण के लिए सोचा और विजय की हवा से अपनी उत्तेजना को छिपाने के लिए बोल दिया, “महान् धड़ाका, कोई ट्रंप नहीं ।"
निकोलस डिमीट्रिविच ने 'नो ट्रंप महान् धड़ाके' की घोषणा करके सबको चकित कर दिया और अतिथि सत्कार करनेवाली के भाई ने पुकारा, “ओह!”
निकोलस डिमीट्रिविच ने पत्ता लेने के लिए हाथ बढ़ाया; परंतु एक ओर झुककर मोमबत्ती को गिरा दिया । इवप्रकशिया वासिल्योना ने उसको उठा लिया । निकोलस डिमीट्रिविच एक क्षण के लिए बैठ गया और अपने पत्ते मेज पर रख दिए। फिर धीरे से बाईं ओर गिर गया। गिरते ही उस मेज से टकराया, जिसपर चाय रखी थी; वह भूमि पर गिर गई।
जब तब डॉक्टर आया तब तक निकोलस डिमीट्रिविच दिल के दौरे से मर चुका था । जीवित लोगों को सांत्वना देने के लिए डॉक्टर ने मृत्यु की अस्पष्टता के बारे में कुछ शब्द कहे। मृतक को खेल के कमरे में सोफे पर लिटा दिया गया। चादर से ढका हुआ वह बड़ा भयावना लगता था। चादर से एक टाँग नहीं ढकी थी और ऐसे लगती थी कि वह किसी दूसरे आदमी की हो। कागज का एक बड़ा टुकड़ा उसके काले जूते के तलुवे से चिपका हुआ था। ताश खेलनेवाली मेज अभी साफ नहीं की गई थी। पत्ते उसके ऊपर उलटे पड़े हुए थे और निकोलस डिमीट्रिविच के ढेर के रूप में पड़े थे, मानो उसने रखे थे।
जेकोव इवानोविच शव को न देखने का अथवा कालीन से लकड़ी की छत पर न जाने का प्रयत्न करता हुआ अनिश्चित छोटे कदमों से कमरे में घूम रहा था—लकड़ी की छत पर उसकी एडियाँ भयानक शोर करती थीं। मेज के पास से कई बार गुजरते हुए वह खड़ा हुआ । उसने निकोलस डिमीट्रिविच के पत्तों को उठाया, उन्हें देखा और उसी तरह पुनः ढेर में रख दिया। फिर उसने अपने पत्तों को देखा, जो डिमीट्रिविच उससे माँग रहा था । यह हुकम का इक्का था, जो उसे महान् धड़ाका दे सकता था। बार-बार ऊपर-नीचे घूमता हुआ जेकोव साथवाले कमरे में चला गया, बैठा और रोया; क्योंकि मृतक व्यक्ति का भाग्य उसे दयनीय लगा। अपनी आँखें बंद करके उसने निकोलस के चेहरे के चित्र को देखने का प्रयत्न किया; जैसे वह जीवित अवस्था में था और जीत से प्रसन्न होता। यह सोचकर उसे विशेष खेद हुआ कि उसकी इच्छा बिना सर महान् धड़ाका करने की थी। शाम की घटनाएँ उसकी आँखों के सामने से गुजर गईं— ईंट की पंजी से मृतक के जीतने को लेकर अच्छे पत्तों तक। यह सब विशेष अपशकुन का प्रतीक था । यहाँ निकोलस मरा हुआ पड़ा था, जबकि वह महान् धड़ाका जीत सकता था।
सबसे अधिक दयनीय बात यह थी कि निकोलस नहीं जानता था कि हुकम का इक्का उसकी माँग की प्रतीक्षा कर रहा था और उसके हाथ में महान् धड़ाका था— कभी नहीं । उसे आभास होता जान पड़ता था कि उसने पहले महसूस नहीं किया था कि मृत्यु क्या होती है, परंतु अब उसने देखा कि यह कितनी विवेक - रहित, भयावनी और अनिवार्य होती है—कभी नहीं जानेगा! यद्यपि जेकोव को उसके कान में जोर से कहना पड़ता और पत्तों को दिखाता तो भी इन्हें नहीं जान पाता; क्योंकि इस पृथ्वी पर अब वह जीवित नहीं था । केवल एक क्षण और रहता तो हुकम के इक्के को देख लेता, परंतु वह इसे जाने बिना ही मर गया।
'क...भी...न...हीं!'' इसकी सत्यता और अर्थ से अपने आपको आश्वस्त करने के लिए उसने शब्दों के टुकड़े करके धीरे से उच्चारण किया । शब्द था और उसका अर्थ भी था - इतना भयानक और कड़वा कि जेकोव पुनः कुरसी पर गिर गया और रोने लगा। उसने निकोलस का हाथ खेला, उसकी सरों को एक-एक करके इकट्ठा किया, जब तक तेरह सर पूरी नहीं हो गईं; और जो उसने सोचा था, कितनी बड़ी जीत होती, जिसको मृतक कभी नहीं जानेगा। यह पहला और अंतिम अवसर था जब जेकोव अपने चार से अधिक बोला था और मित्रता के नाम पर महान् धड़ाका जीता था।
“तुम यहाँ हो, जेकोव इवानोविच?" इवप्रकशिया ने कमरे में प्रवेश करते हुए पूछा और मेज पर बैठकर आँसुओं से फूट पड़ी - "ओह, कितना भयंकर!"
उन्होंने एक-दूसरे को देखा और यह सोचकर कि साथवाले कमरे में सोफे पर मृतक ठंडा, भारी और गूँगा पड़ा है, चुपचाप रोते रहे।
“क्या तुमने समाचार भेज दिया है?" जेकोव ने पूछा।
“हाँ, मेरा भाई नौकरानी को साथ लेकर गया है, परंतु मैं नहीं जानती कि वे उसका फ्लैट कैसे ढूँढ़ेंगे—हमें पता मालूम नहीं ।"
"क्या वह उसी फ्लैट में नहीं रहता था जहाँ पिछले साल था?" जेकोव ने विस्मित होकर पूछा।
"नहीं, वहाँ से चला गया था। नौकरानी ने बताया था कि वह बुलवर्ड से छोटी गाड़ी पकड़ा करता था । "
“तुम पुलिस के द्वारा पता कर सकते हो!” जेकोव ने शांत होते हुए कहा, “उसकी पत्नी नहीं है क्या?" इवप्रकशिया वासिल्योना ने बिना उत्तर दिए जेकोव इवानोविच की ओर ध्यानपूर्वक देखा। उसने अनुभव किया कि उसके मन में कोई विचार था। उसने एक बार नाक छिनकी, रूमाल से नाक पोंछी, रूमाल को जेब में डाला और फिर अपनी सूजी हुई आँखों की भौंहों को पूछताछ की मुद्रा में उठाते हुए पूछा, "हमें चौथा अब कहाँ से मिलेगा ?"
इवप्रकशिया वासिल्योना ने उसे नहीं सुना। उसका अभ्यासिक मन काम कर रहा था। एक क्षण की चुप्पी के बाद उसने पूछा, “क्या तुम भी उसी जगह पर रहते हो?"
(अनुवाद : भद्रसैन पुरी)