मधुमक्खी और मेंढक : कैनेडा की लोक-कथा
Madhumakhi Aur Mendhak : Lok-Katha (Canada)
जब भगवान ने सूरज़ धरती, चाँद और तारे बनाये तो उसने धरती पर नदी नाले पेड़ और फल भी बनाये। फिर उसने आदम और ईव भी बनाये जो इन सबमें राजा और रानी की तरह रह सकें। उनके पास वह सब कुछ मौजूद था जो उनको खुश रहने के लिये चाहिये था। हजारों सुन्दर चीज़ों में मधुमक्खी को कैसे भूला जा सकता है। यह छोटा सा कीड़ा तो कितना सारा मोम और शहद बनाता है।
एक दिन जब आदम और ईव शहद का आनन्द ले रहे थे तो शैतान उनका यह आनन्द सहन न कर सका और उसने इस आनन्द को जड़ से ही नष्ट करने की योजना बना डाली।
वह धीरे से उनके बागीचे में पहुँचा और मधुमक्खी के एक छत्ते के पास पत्तियों में छिप कर बैठ गया।
वहाँ उसने एक ऐसा जीव बनाना शुरू कर दिया जो मधुमक्खी को खा सके। क्योंकि भले भगवान ने मधुमक्खी बनायी थी जो ताकतवर थी, मेहनती थी, और बड़ों की इज़्ज़त करती थी इसीलिये शैतान उसे मारना चाहता था।
शैतान ने अपने हाथों में थोड़ी सी मिट्टी ली और उसे अपने हाथों में काफी देर तक इधर उधर घुमाता रहा।
जब उसकी कुछ शक्ल सूरत सी बन गयी तो उसने उसमें तीन बार फूँक मारी और मधुमक्खी के छत्ते की तरफ देख कर कुछ अजीब से शब्द बुड़बुड़ाये। फिर उसने अपना बनाया वह जीव मधुमक्खी के छत्ते की तरफ फेंक दिया।
परन्तु क्योंकि शैतान की जीव पैदा करने की जानकारी अभी अधूरी ही थी इसलिये अपने इस जीव को वह पंख लगाना भूल गया।
वह जीव छत्ते से टकरा गया और छत्ते की सारी मधुमक्खियाँ उड़ कर पेड़ की एक दूसरी शाख पर चली गयीं और वह जीव बेचारा छत्ते से टकरा कर नीचे गिर पड़ा।
शैतान का बनाया यह जीव मेंढक था। वह कुछ पल तो धरती पर ऐसे ही पड़ा रहा जैसे मर गया हो पर फिर वह धीरे धीरे हिला और उसकी जान में जान आयी। बाद में उसकी साँस भी ठीक से आनी शुरू हो गयी।
कुछ मधुमक्खियाँ जो छत्ता छोड़ कर भाग गयी थीं अब उस मेंढक के आस पास उड़ने लगीं। और दूसरी मक्खियाँ भी उस अजीब जीव को देखने के लिये वहाँ आ पहुँची।
मेंढक जो इन मक्खियों को खा जाने के इरादे से बनाया गया था भूख से परेशान उठा और उसने कूदना शुरू कर दिया। कुछ मक्खियाँ तो उसने खा लीं पर बहुत सारी उड़ भी गयीं।
उस दिन से आज तक जहाँ भी शहद की मक्खी के छत्ते होते हैं वहाँ दो चार मेंढक जरूर ही दिखायी दे जाते हैं। वे हमेशा उनके ऊपर हमला करने और उनको खाने की ताक में लगे रहते हैं। आज भी यह मेंढक बहुत ही भद्दा जानवर होता है जिससे साफ पता चलता है कि वह शैतान का बनाया हुआ है, भले भगवान का नहीं।
(अनुवाद : सुषमा गुप्ता)