मृत्यु से प्रेम शक्तिशाली है (रूसी कहानी) : दमित्री मेरेज़कोवस्की
Love Is Stronger Than Death (Russian Story in Hindi) : Dmitry Merezhkovsky
'अलमेरी' के फ्लोरिनटाइन नागरिक अति प्राचीन काल से दो विभिन्न निगमों से संबद्ध थे। उनमें से कुछ कसाइयों के रक्षक सेंट एंटोनी की पूजा करते थे। दूसरों के झंडे पर मेमने का चित्र था और वे ऊन के व्यापार में रत थे। अपने पूर्वजों की भाँति गियोवन्नी और मेटियो अलमेरी इन निगमों से संबद्ध थे । गियोवन्नी "मर्केटो वेकियो" की पुरानी मंडी में मांस का काम करता था और मेटियो की 'अरनो' में ऊन के कारखाने थे । ग्राहक अपनी इच्छा से गियोवन्नी की मांस की दुकान पर इसलिए नहीं आते थे कि उन्हें हमेशा ताजा मांस, बछड़े का नरम मांस, मोटा कलहंस मिलता था, बल्कि वे दुकानदार को उसके हँसमुख स्वभाव और मीठी बोली के लिए चाहते थे । कसाई अलमेरी के सिवाय कोई नहीं जानता था कि पड़ोसी आने-जानेवाले या ग्राहकों के साथ तीखे मजाक की अदला- बदली इतनी चतुराई से कैसे की जाती थी । सूर्य के तले हर चीज की बाबत कोई भी इतनी आसानी से बात नहीं करता था—फ्लोरिनटाइन प्रजातंत्र की कूटनीति की गहरी भूलों की बाबत, तुर्की के सुलतान के इरादों की बाबत, फ्रांस के राजा के षड्यंत्रों की बाबत...। बहुत कम लोग कसाई के मजाकों का बुरा मनाते थे। जो बुरा मानते थे, वह उनको पुराना मुहावरा सुनाया करता था - 'एक अच्छा पड़ोसी मजाक से बदनाम नहीं होता, हँसी-मजाक ही जबान को उस्तरे की तरह तेज करता है ।'
ऊन के व्यापारी, उसके भाई मेटियो का चरित्र उससे भिन्न था। वह धूर्त, नीति- चतुर आदमी था और कठोर तथा अल्पभाषी था। वह अपने काम को, लापरवाह और अच्छे स्वभाववाले गियोवन्नी की अपेक्षा श्रेष्ठतर ढंग से करता था और हर वर्ष ऊन से लदे उसके दो जहाज लिवोरनो के बंदरगाह से कुस्तुनतुनिया जाते थे । उसकी आकांक्षाएँ बहुत ऊँची थीं और अपने व्यापार को सरकारी पदवी के लिए माध्यम समझता था । वह हमेशा शिष्ट पुरुषों से मिलता था—मोटे आदमियों से जैसा उनको फ्लोरेंस में कहा जाता था— और वह अलमेरी परिवार को ऊँचा उठाने की आशा को उच्च मानता था, संभवतः यहाँ तक कि अपना नाम अमर कीर्ति के पंखों के ऊपर अंकित देखना चाहता था। मेटियो ने कई बार अपने भाई से मांस का धंधा छोड़ देने की विनती की थी, क्योंकि यह पूरी तरह से शिष्ट नहीं था और अपना धन मेटियो की पूँजी में लगाने को भी कहा था, परंतु गियोवन्नी ने उसकी सलाह नहीं मानी, जबकि वह अपने भाई की योग्यता पर विश्वास करता था । वह गुप्त रूप से उससे डरता था; भले ही वह स्पष्ट रूप से न कहे, परंतु सोचता ऐसा ही था – 'मीठी जबान कठोरता का दिल !'
एक दिन गियोवन्नी दुकान से थका हुआ घर आया । उसने आम दिनों की तरह जी भरकर रात को खाना खाया और काफी ठंडी शराब पी । एकाएक उसे मिरगी का दौरा पड़ा । वह तगड़ा और छोटे गलेवाला आदमी था। उसे ईसा मसीह को स्मरण करने या वसीयत करने का समय मिलता, इसके पूर्व वह उसी रात चल बसा। विधवा मोना उर्सुला एक लज्जावान्, दयालु, परंतु सीधी-सादी महिला ने अपने पति के व्यापार संबंधी मामलों को उसके भाई मेटियो को सौंप दिया । मेटियो जानता था कि किस तरह चतुरता और मीठे शब्दों से विधवा को धोखा दिया जा सकता है। उसने सादे स्वभाव की महिला को विश्वास दिला दिया कि उसका मृतक पति अपनी असावधानी के कारण किस प्रकार हिसाब-किताब को अव्यवस्थित रूप में छोड़ गया और वह प्रायः दिवालिया होकर उसी शाम को मर गया था। यदि वह शेष संपत्ति को बचाना चाहती है तो यह जरूरी है कि मर्केटो वेकियो की मंडीवाली दुकान को बंद कर दिया जाए। उस दुष्ट ने उसकी संपूर्ण संपत्ति को अपने व्यवसाय में लगाकर विधवा को निर्दयता से धोखा दिया था। एक बात निश्चित थी कि मेटियो का काम उस समय में अत्यधिक चमक गया और दो जहाजों की बजाय अब वह उत्तम प्रकार की टसकन ऊन से भरे पाँच या छः जहाज कुस्तुनतुनिया भेजने लगा। उसे शीघ्र ही ऊन निगम की लाभदायक और सम्मानित पताका लेकर चलनेवाले के पद "फ्लोरिनटाइन आर्ट डे लाना" दिए जाने का का आश्वासन दिया गया।
मासिक खर्चा, जो वह अपने भाई की विधवा को देता था, इतना कम था कि उसे अभावग्रस्त जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ता था, विशेषकर इसलिए कि वह अकेली नहीं थी । उसकी जिनेवरा नामक एक प्यारी युवा बेटी थी। उन दिनों फ्लोरेंस में दहेजहीन लड़कियों के लिए, आजकल की तरह, विवाह-योग्य लड़कों की कमी थी, परंतु धार्मिक मोना उर्सुला ने साहस नहीं त्यागा । उसने समस्त देवताओं, संतों— विशेषकर लौकिक और अलौकिक दुनिया के थकानरहित और विश्वसनीय संत एंटोनी से उत्सुकतापूर्वक प्रार्थना की; उसने इस आशा को अपनाया कि विधवा और अनाथों के रक्षक परमात्मा उसकी दहेजहीन बेटी के लिए अच्छा और योग्य वर भेजेंगे।
इसके अतिरिक्त ऐसी चीज की आशा करने का उसका एक दूसरा कारण भी था । जिनेवरा अत्यंत सुंदर लड़की थी। यह विश्वास करना कठिन था कि तगड़े, कुरूप, प्रसन्न गियोवन्नी की ऐसी कोमल, अनूठी, मनोहर बेटी हो सकती थी। जिनेवरा हमेशा सादे और गहरे रंग के कपड़े पहनती थी । वह अपने सुंदर, लंबे, दुबले-पतले गले में मोतियों की माला पहनती थी, जिसमें चंद्रकांत रत्न, जिसपर प्राचीन उमड़ी हुई नक्काशी में धनु राशि की प्रतिमा बनी थी, लटक रहा था। मलमल का टुकड़ा उसके सिर का पहनावा था, जो उसके माथे के केंद्र तक आता था। वह इतना बारीक था कि उसमें से उसके हलके सुनहरे बालों के पुंज देखे जा सकते थे। जिनेवरा का कोमल चेहरा मेडोना से मिलता था, जिसको फ्लीपो लिप्पी ने अपने "इमेक्यूलेट वर्जिन" नाम के चित्र में बनाया था— मेडोना, जो सेंट बरनर्ड को मरुस्थल में मिली थी और अपनी कोमल, लंबी, मोम जैसी अंगुलियों से उसकी पुस्तक के पन्ने पलटे थे। बच्चे के समान उसके होंठों पर वही अनंत भोलेपन की झलक थी; भले ही उसमें मठ में उगी कुमुदिनी की-सी ताजगी थी। वह दुर्बल और थोड़े समय तक रहनेवाली दिखाई देती थी; जैसे उसे इस जीवन के लिए बनाया ही न गया हो। जब कसाई की बेटी लज्जावान्, शांत, नीची नजर किए, हाथ में प्रार्थना पुस्तक थामे फ्लोरेंस की गलियों से होती हुई गिरजा जाती तो विशिष्ट भोज पर जाते या शिकार पर जाते हुए प्रसन्नचित्त युवक अपने घोड़ों को रोक लेते। उनके चेहरों पर हवाइयाँ उड़ने लगतीं। उनकी दिल्लगी एवं हँसी रुक जाती और देर तक उनकी आँखें सुंदर जिनेवरा का पीछा करती रहतीं।
चाचा मेटियो ने अपनी भतीजी की अच्छाइयों के बारे में सुनकर फ्लोरिनटाइन प्रजातंत्र के एक सचिव फ्रांसिस्को डेल एगोलंटी से उसका विवाह करने की बात सोची। वह बड़ी आयु का था, परंतु हर कोई उसका मान करता था और जिसके उस समय के नगर शासकों के साथ घनिष्ठ संबंध थे। फ्रांसिस्को लातीनी भाषा का विद्वान् था। वह अपनी रिपोर्ट और लेख लिवी और सेलस्ट की शैली में बड़े-बड़े शब्दों का प्रयोग करके लिखा करता था । स्वभाव से कुछ कठोर और लोकशत्रु था। वह प्राचीन रोमनों की तरह निर्विवाद रूप से ईमानदार था । कुछ उसका चेहरा भी प्रजातंत्र के दिनों के सांसदों से मिलता-जुलता था और वह जानता था कि फ्लोरिनटाइन अधिकारियों की तरह असली रोमन चोगे जैसा लंबा और गहरे लाल रंग का लबादा कैसे पहना जाता था । वह प्राचीन भाषाओं को इस उत्कंठा से प्यार करता था कि जब टसकेनी में यूनानी भाषा प्रचलित थी तो कुस्तुनतुनिया से बाईजनटाइन के विद्वान् एमेनुअल क्रीजोलोरस ने यूनानी व्याकरण पर स्टूडियो में भाषण देने शुरू कर दिए – स्टूडियो उस समय का विश्वविद्यालय होता था । एगोलंटी ने इस बात का ध्यान न करते हुए कि वह मध्य आयु का पुरुष था और फ्लोरिनटाइन प्रजातंत्र में सचिव था, स्कूल में छोटे बच्चों के साथ बेंच पर बैठने में शर्म महसूस नहीं की। उसने शीघ्र ही यूनानी भाषा में निपुणता प्राप्त कर ली । अतः अरस्तु की मौलिक ओरगेनोन और प्लेटो के संवाद पढ़ लिये। एक शब्द में, ऊन का व्यापारी अपने चतुर और लालसा भरे इरादों से इससे अच्छा संबंध नहीं सोच सका । मेटियो ने अपनी भतीजी के साथ अच्छा दहेज देने का वचन इस शर्त पर दिया कि एगोलंटी अपना नाम और परिवार चिह्न को अलमेरी के नाम और परिवार के चिह्न से जोड़ देगा।
अपने होने वाले पति की इन अच्छाइयों पर ध्यान न देते हुए जिनेवरा ने चाचा के इरादों का देर तक विरोध किया और विवाह को प्रतिवर्ष टालती रही। अंत में जब मेटियो ने तुरंत और निश्चित उत्तर की माँग की तो उसने बताया कि उसे दूसरा लड़का पसंद है, जिसको वह एगोलंटी से अधिक प्यार करती है। धार्मिक मोना उर्सुला की हैरानी और भय को दूर करने के लिए उसने उसका नाम तक बता दिया – एनटोनियो डे रोनडीनेली — एक युवा संगतराश, जिसका कारखाना पोटे वक्यिहो के पास एक तरफ तंग गली में था । एनटोनियो से जिनेवरा की जान-पहचान कुछ महीने पहले उसकी माँ के मकान पर हुई थी । उसने जिनेवरा के सिर का बुत मोम से बनाने के लिए प्रार्थना की थी । उसका विचार था कि वह जिनेवरा की सुंदरता को पवित्र हुतात्मा बारबारा की प्रतिमा की नक्काशी में प्रयोग करेगा। बुत का ऑर्डर नगर के बाहर स्थित एक अमीर धार्मिक संस्था ने दिया था । मोना उर्सुला संगतराश को ऐसे धार्मि मामले में इनकार न कर सकी थी और जबकि काम चल रहा था, कलाकार अपने मॉडल के प्रेम में डूब गया था। फिर वे त्योहारों और सर्दियों की सभाओं में जाने लगे, जहाँ जिनेवरा को बड़े चाव से आमंत्रित किया जाता था, क्योंकि उसकी सुंदरता प्रत्येक त्योहार को सुंदर बना देती थी।
जब मोना उर्सुला ने नरमी से क्षमा माँगते हुए मेटियो को बताया कि जिनेवरा एक दूसरे लड़के को प्यार करती है और जब एनटोनियो डे रोनडीनेला का नाम लिया तो ऊन का व्यापारी भले ही बुरी तरह से क्रुद्ध हुआ, पर अपने आपको शांत और हितैषी दिखाते हुए मोना उर्सुला से प्रेमपूर्वक कहा—
"मेडोना, जो कुछ तुमने इस समय बताया है, उसको यदि मैंने अपने कानों से न सुना होता तो मैं कभी विश्वास न करता कि तुम्हारे जैसी सदाचारी और बुद्धिमान महिला एक अनुभवहीन लड़की की क्षणिक चपलता पर इतना ध्यान देगी। मैं नहीं जानता कि आजकल क्या होता है, परंतु मेरे समय में एक युवा लड़की को अपने भावी पति के चयन के बारे में एक भी शब्द कहने का साहस नहीं होता था। हर बात में वह अपने पिता या संरक्षक का कहना मानती थी। इस मामले पर जरा ध्यान दो। कौन है यह एनटोनियो, जिसको मेरी भतीजी ने चुनकर सम्मानित किया है? क्या यह संभव है कि तुम न जानती हो कि संगतराश, कवि, अभिनेता और गलियों में गानेवाले ऐसे लोग होते हैं जिनके पास करने के लिए कुछ और नहीं होता तथा जो अधिक सम्मानजनक एवं लाभकारी काम करने में असमर्थ होते हैं? वे अस्थिर और अविश्वसनीय प्रकार के लोग होते हैं, जो तमाम संसार में पाए जाते हैं । वे शराबी, कामुक, आलसी, नास्तिक और अपना तथा दूसरों का धन लुटानेवाले होते हैं। जहाँ तक एनटोनियो का प्रश्न है, तुमने अवश्य सुन लिया होगा कि सारा फ्लोरेंस उसके बारे में क्या नहीं जानता है! मैं तुम्हें उसकी विलक्षणताओं में से केवल एक बताऊँगा–एक गोल टोकरी, जो रस्सी के साथ उसके कारखाने की कड़ी के आर-पार इस तरह लटक रही है कि एक सिरा तो टोकरी के साथ और दूसरा दीवार में लगी कील के साथ बँधा है। एनटोनियो जो कुछ कमाता है, उसको बिना गिने इस टोकरी में डाल देता है । और कोई भी - शिष्य या जान-पहचानवाला—जो चाहता है, टोकरी को नीचे खींचकर मालिक की आज्ञा बिना जितना जी चाहे निकाल लेता है— ताँबा, चाँदी अथवा सोना। मेडोनो, क्या तुम समझती हो कि मैं अपना धन, जिसको तुम्हारी बेटी के दहेज के रूप में देने का मैंने वचन दिया है, ऐसे पागल को दूँगा?
"परंतु यही सबकुछ नहीं है। क्या तुम जानती हो कि एनटोनियो विषयासक्त दर्शन की भयानक नास्तिकता को प्यार करता है...नास्तिकता, जो शैतान ने बनाई है। वह गिरजा नहीं जाता और पवित्र, धार्मिक विधि का तिरस्कार करता है और परमात्मा में विश्वास नहीं रखता । सज्जनों ने मुझे बताया है कि वह घृणित मूर्ति-पूजकों की आराध्य वस्तुओं के संगमरमर के टुकड़ों की पूजा करता है— उन देवी-देवताओं की जो अभी-अभी भूमि खोदकर निकाले गए हैं। वह आश्चर्य में डालनेवाले संतों के पवित्र स्मारक - चिह्नों की अपेक्षा इनकी आराधना करता है । मुझे दूसरे लोगों ने भी बताया है कि अस्पताल के चौकीदार को अधिक कीमत देकर मुर्दा शरीर खरीदता है; रात को वह और उसके शिष्य उसकी चीर-फाड़ करते हैं। इसलिए, जैसाकि उसका मानना है, वह मानव शरीर की शल्य क्रिया और संरचना से अवगत होना चाहता है; नाडियाँ, मांसपेशियाँ इत्यादि और इस प्रकार की कला में अपने आपको निपुण बनाना चाहता है, परंतु मैं सोचता हूँ कि वह वस्तुतः इसलिए करता है कि वह अपने सहायक और परामर्शदाता तथा हमारी मुक्ति के अति प्राचीन शत्रु शैतान को प्रसन्न करना चाहता है । शैतान उसे काले जादू की शिक्षा देता है। इन्हीं तंत्र-मंत्र, जादू-टोने और पैशाची संकेतों के द्वारा उसने तुम्हारी भोली-भाली बेटी का दिल जीत लिया है।"
ऐसे शब्दों के साथ चाचा मेटियो ने मोना उर्सुला को डराने और यह विश्वास दिलाने का प्रबंध किया कि वह ठीक कह रहा है। जब उसने अपनी बेटी को बताया कि यदि वस्तुतः फ्रांसिस्को डेल एगोलंटी से विवाह नहीं करेगी तो चाचा मेटियो उनका मासिक खर्चा बंद कर देगा । तब जिनेवरा अकथनीय शोक से अपने आपको भाग्य पर छोड़कर चाचा की इच्छा पालन करने के लिए बाध्य हो गई।
उस वर्ष फ्लोरेंस पर एक महान् संकट आया । उसके बारे में कई ज्योतिषी पहले ही बता चुके थे, क्योंकि वृश्चिक राशि में मंगल और शनि ग्रह बहुत निकट आ गए थे। कई व्यापारी, जो पूरब से आए थे, अपने भारतीय कीमती कंबलों के गट्ठरों में प्लेग के कीटाणु लाए थे। शोकाकुल माइजरेरे गाती हुई और संतों के चित्र लिये बाजारों से होती हुई एक शोभायात्रा निकली। नगर की सीमा के अंदर गंदगी डालने, चमड़ा रंगनेवालों, बूचड़खानों को अपनी गंदगी ओर्नो नदी में फेंकने से बंद करने के लिए कानून बनाए गए और रोगियों को लोकसमाज से दूर रखने के तरीके अपनाए गए। जुर्माने और कैद तथा विशेष मामलों में मृत्यु के दंड से लोगों को मना किया गया कि दिन में मरे लोगों के शव सूर्यास्त और रात को मरे लोगों के शव सूर्योदय के बाद घर में न रखें, भले ही मृत्यु किसी दूसरे रोग के कारण हुई हो । विशेष निरीक्षक नगर में दिन-रात हर समय घूमते थे और यह पता करने के लिए कि घर में कोई रोगी तो नहीं, दरवाजों को खटखटाते थे; यहाँ तक कि यदि वे चाहते तो घर की तलाशी भी ले सकते थे। यहाँ-वहाँ तारकोल से पुती गाड़ियाँ, मशालों के धुएँ और काले कपड़े पहने तथा घूँघट निकाले लोगों के साथ देवी देखी जा सकती थीं। लोगों ने हाथों में लंबे काँटे पकड़े हुए थे जिनसे प्लेगग्रस्त शवों को दूर से गाड़ी में फेंकते थे, ताकि वे शव के निकट न जा सकें। अफवाह थी कि ये लोग, जिनको "काले शैतान" कहा जाता था—ऐसे लोगों के शरीर भी उठा रहे थे जो अभी मरे नहीं थे, ताकि वे फिर उसी जगह पर लौट न आएँ ।
प्लेग, जिसने गरमियों के अंत में उत्पात शुरू किया था, शरद् ऋतु तक जारी रहा। यहाँ तक कि सर्दियों की ठंडक, जो उस वर्ष जल्दी आ गई थी, भी उसे रोक नहीं पाई। अतः फ्लोरेंस के खाते-पीते लोग, जो किसी विशेष काम से नहीं बँधे थे, बाहर अपने मकानों में चले गए, जहाँ हवा प्लेग के कीटाणुओं से मुक्त थी।
चाचा मेटियो ने डरते हुए कि कहीं उसकी भतीजी अपना इरादा न बदल ले, यह बहाना बनाते हुए शादी की जल्दी की कि मोना उर्सुला और उसकी बेटी को जितनी जल्दी हो सके नगर छोड़ देना चाहिए। फ्रांसिस्को डेल एगोलंटी ने प्रस्ताव रखा कि वह जिनेवरा और उसकी माँ को मोंटे अलबानो की ढलान पर बने अपने सुंदर मकान में ले जाएगा।
मेटियो यही चाहता था और यही निर्णय लिया गया । विवाह कुछ ही दिनों में संपन्न होना था । फिर रस्म को बिना दिखावे के पूरा किया गया, क्योंकि उन दिनों चारों ओर शोक का माहौल था । विवाह के समय जिनेवरा पीली पड़ गई थी और उसका चेहरा पूर्णतया शांत था, परंतु उसके चाचा की धारणा थी इस लड़की की चपलता विवाह के शीघ्र बाद समाप्त हो जाएगी और फ्रांसिस्को जान जाएगा कि प्यार के साथ युवा दुलहन का दिल कैसे जीता जाता है!
परंतु उसकी धारणा को सफलीभूत नहीं होना था। जब युवा दुलहन ने गिरजा को छोड़कर अपने पति के घर में प्रवेश किया तो उसे चक्कर आ गया । शीघ्र ही वह भूमि पर गिर पड़ी, जैसे मर गई हो। पहले तो सभी ने यही सोचा कि वह अचेत हो गई है। उन्होंने उसे होश में लाने का प्रयास किया, परंतु उसकी आँखें बंद हो गईं। उसे साँस लेना कठिन हो गया और उसका चेहरा तथा शरीर मृत्यु की तरह पीले पड़ गए और हाथ-पाँव ठंडे हो गए। कुछ घंटों के बाद डॉक्टर को बुलाया गया। उन दिनों डॉक्टरों को स्वयं नहीं बुलाया जाता था, ताकि यह अफवाह न फैल जाए कि इस घर में कोई प्लेगग्रस्त रोगी है, परंतु जब उसने जिनेवरा के जीवनरहित होंठों के पास शीशा रखा तो उसके ऊपर साँस का जरा भी चिह्न नहीं था।
फिर सब अकथनीय शोक और चिंता में डूब गए। उन्होंने महसूस किया कि जिनेवरा वस्तुतः मर चुकी है। पड़ोसियों ने कहा कि परमात्मा ने अलमेरी को ऐसे समय में विवाह रचाने के लिए दंड दिया है और फ्रांसिस्को की युवा दुल्हन गिरजा से लौटते ही तुरंत प्लेगग्रस्त हो गई और मर गई । यह अफवाह शीघ्र ही फैल गई, क्योंकि लड़की के संबंधियों ने इस डर से कि "काले शैतान" आ जाएँगे, उसकी मूर्च्छा से लेकर मृत्यु तक के रहस्य को गुप्त रखा था, परंतु सायंकाल के समय निरीक्षक आ गए। उनको पड़ोसियों ने वह सारी घटना बता दी थी, जो एगोलंटी के घर में हुई थी। उन्होंने संबंधियों से माँग की कि जिनेवरा का शव उन्हें तुरंत दे दिया जाए अथवा उसी समय दफना दिया जाए। जब उन्हें अच्छी-खासी रिश्वत दी गई तो वे शव को अगले दिन सायंकाल तक फ्रांसिस्को के घर में छोड़ने के लिए राजी होकर चले गए।
किसी भी संबंधी ने शंका नहीं की कि जिनेवरा मर गई थी, सिवाय उसकी पुरानी नर्स के, जिसको हर कोई समझदार समझता था। दुःखी, विलाप करती उस बुढ़िया ने प्रार्थना की कि जिनेवरा को दफनाया न जाए। उसने इस बात पर जोर दिया कि डॉक्टर से गलती हो गई है और जिनेवरा मरी नहीं है, केवल सो रही है। उसने शपथ ली कि जब उसने अपना हाथ अपनी प्यारी बेटी के दिल पर रखा तो महसूस किया कि उसका दिल दुर्बलता से धड़क रहा था—हाँ, दुर्बलता से, तितली के परों से भी अधिक दुर्बलता से !
दिन व्यतीत हो गया। जिनेवरा में जीवन का कोई चिह्न दिखाई नहीं दिया तो कपड़े में लपेटकर और कफन में डालकर उसे गिरजा ले जाया गया। शुष्क और विशाल शवस्थल, जिसका फर्श साफ टसकन ईंटों का बना था, गिरजा के दो दरवाजों के बीच स्थित था । कब्रिस्तान के मैदान में, सरो के वृक्षों की छाँव तले, फ्लोरेंस के श्रेष्ठ परिवारों की कब्रों के मध्य में गिरजा बना हुआ था । मेटियो ने कब्र के स्थान के लिए बड़ी रकम दी, परंतु यह रकम दहेज की राशि से निकाली गई। दफनाने की रीति बड़े धार्मिक ढंग से की गई । वहाँ बहुत सी मोमबत्तियाँ थीं और जिनेवरा की याद में प्रत्येक गरीब आदमी को जौ और जैतून का तेल आधे सोलडो में दिया गया। सर्दी के मौसम और प्लेग के भय पर ध्यान न देते हुए अंत्येष्टि क्रिया पर लोगों की बड़ी भीड़ इकट्ठी हो गई थी। कुछ अनजाने लोग भी युवा दुल्हन की कहानी सुनकर आँसू बहाने से अपने आपको रोक नहीं पाए और पैटरार्क की मधुर लाइनों को दोहराने लगे—
मृत्यु प्रतीत होती है सुंदर, उसके सुंदर चेहरे पर फ्रांसिस्को ने उसकी कब्र पर न केवल लातीनी उद्धरणों का प्रयोग किया बल्कि प्लूटो और होमर की यूनानी भाषा में भी प्रवचन किया, जो उन दिनों कुछ नई चीज थी। कई सुननेवाले प्रसन्न हुए, भले ही वे यूनानी भाषा नहीं समझते थे।
जब कफन को गिरजा से लाकर शवस्थल पर रखा गया था तो अंत्येष्टि क्रिया में कुछ गड़बड़ हो गई । सि का मातमी लबादा पहने एक पीला आदमी मृत लड़की के पास गया और उसके चेहरे पर पड़े कपड़े को हटाकर उसको अचल दृष्टि से देखने लगा। उसको चले जाने के लिए कहा गया और बताया गया कि एक अजनबी के लिए उचित नहीं है कि संबंधियों के अलविदा कहने से पहले वह जिनेवरा के पास जाए। जब पीले आदमी ने यह सुना कि उसे "अजनबी" कहा गया है और मेटियो तथा फ्रांसिस्को को संबंधी बताया गया तो वह मुसकराया, मृत लड़की के होंठों को चूमा, चेहरे पर कपड़ा डाला और बिना एक शब्द कहे वहाँ से चला गया। भीड़ में उसकी ओर संकेत करके कानाफूसी होने लगी। एनटोनियो डे रोनडीनेला का नाम लिया गया, जो जिनेवरा को प्यार करता था और जिसके लिए उसने अपनी जान दे दी थी।
गोधूलि का समय हो रहा था । ज्यों ही अंत्येष्टि की रस्म समाप्त हुई, भीड़ लुप्त हो गई। मोना उर्सुला चाहती थी कि रात भर कफन के पास रहे, परंतु मेटियो ने इसका विरोध किया, क्योंकि शोक ने उसको इतना दबोच लिया था कि हर कोई उसके जीवन के लिए भयभीत था । केवल फ्रा मेरियानो, परमात्मा का एक प्यारा, शवस्थल पर रहा, जहाँ उसने मृतक के लिए प्रार्थना की थी।
कुछ घंटे बीत गए। संन्यासी की नपी-तुली आवाज और कभी-कभी ग्योटो के घंटाघर की घड़ी का धीमे-धीमे बजना ही रात के मौन में प्रतिध्वनित होते थे। आधी रात के बाद फ्रा मेरियानो को प्यास महसूस हुई। उसने अपनी शराब की कुप्पी निकाली, सिर पीछे की ओर किया और प्रसन्नतापूर्वक कुछ घूँट पिए । एकाएक उसे एक सिसकी सुनाई दी। उसने ध्यान से सुना; सिसकी एक बार पुनः सुनाई दी। इस बार उसे लगा कि मृतक लड़की के चेहरे पर पड़ा हलका कपड़ा हिला । भय की ठंडी लहर -सी उसके सारे शरीर में फैल गई। वह ऐसे मामलों में अनुभवहीन था और अच्छी तरह जानता था कि अनुभवी लोग भी रात को अकेले मृतकों के साथ कई प्रकार की बातें सोचते हैं। उसने निश्चय किया कि वह इस ओर ध्यान नहीं देगा । उसने क्रॉस का चिह्न बनाया और ऊँची आवाज में प्रार्थनाएँ पढ़नी शुरू कर दीं।
एकाएक संन्यासी की आवाज टूट गई। वह पत्थर का बुत बना रहा। उसकी आँखें मृतक लड़की के चेहरे पर गड़ी थीं। अब वह सिसकी नहीं थी, परंतु कराहट थी, जो उसके होंठों से आ रही थी । फ्रा मेरियानो ने अधिक देर तक शंका नहीं की, क्योंकि उसने देखा कि मृतक लड़की की छाती धीरे-धीरे ऊपर-नीचे हो रही थी और मुँह पर पड़े कपड़े को हिला रही थी । वह साँस ले रही थी । क्रॉस बनाता और काँपता हुआ वह दरवाजे की ओर भागा और शवस्थल से कूद गया। बाहर ताजा हवा में उसने अपने आपको संभाला और एक बार फिर सोचते हुए कि यह उसकी केवल कल्पना थी, उसने आवे मारिया को याद किया और दरवाजे पर जाकर शवस्थल को देखा। भय की चीख उसके मुँह से निकली। मृतक लड़की आँखें खोले कफन में बैठी थी । फ्रा मेरियानो बिना पीछे देखे कब्रिस्तान से बाहर बपटिसरिया सान ग्योन्नी के स्कवेयर से वाया रिकासोली की ओर भाग गया। केवल उसकी लकड़ी की खड़ाऊँ बर्फ से ढकी ईंटों के पैदल रास्ते पर टकराकर रात की शांति भंग कर रही थीं।
जिनेवरा अलमेरी ने नींद से जागकर या मौत जैसी मूर्च्छा से सचेत होकर व्याकुलता से कफन का परीक्षण किया। इस विचार से कि वह जीवित दफना दी गई थी, वह भयभीत हो गई । निराशाजनक प्रयत्न के साथ वह कफन से बाहर कूदी और कपड़े से अपने आपको ढककर दरवाजे से बाहर निकल आई। दरवाजा पहले ही संन्यासी ने खुला छोड़ा था।
वह कब्रिस्तान में गई और गिरजा के सामने स्क्वेयर पर पहुँची । शीघ्रता से चल रहे बादलों में से चाँद की रोशनी पड़ रही थी। हवा ने बादलों को दूर-दूर कर दिया था और चाँदनी में ग्योटो की संगमरमर की मीनार साफ तौर पर खड़ी नजर आ रही थी । जिनेवरा के विचार गड़बड़ा गए थे; उसका सिर चकरा रहा था । उसे ऐसा लग रहा था कि वह और मीनार—दोनों चाँदनी से चमकते बादलों में ले जाए जाएँगे। वह समझ नहीं पाई कि वह जीवित है या मृतक, यह सपना है या वास्तविकता!
यह आभास न करते हुए कि वह किधर जा रही थी, वह कई उजाड़ गलियों में से गुजरी। उसे एक जाना-पहचाना घर नजर आया। यह उसके चाचा मेटियो का घर था । वह रुकी, दरवाजे तक गई और उसे खटखटाया।
ऊन का व्यापारी इतनी रात होने पर भी अभी तक सोया नहीं था । वह अपने दो जहाजों के बारे में सूचना की प्रतीक्षा कर रहा था— जहाज कुस्तुनतुनिया से लौट रहे थे। अफवाहें फैली हुई थीं कि लिवोरनो के तट से बहुत दूर कहीं, तूफान से कई जहाज क्षतिग्रस्त हो गए थे। चाचा मेटियो को डर था कि उसके जहाज भी उनमें थे। संदेशवाहक की प्रतीक्षा करते-करते उसे भूख लग आई और अपनी नौकरानी नैनशिया को मुर्गा भूनकर लाने के लिए कहा। नैनशिया सुंदर, लाल, लंबे बालोंवाली, बिना धब्बे के दूधिया सफेद दाँतोंवाली लड़की थी। चाचा मेटियो प्रौढ़ कुँवारा था। इस रात वह रसोईघर में अँगीठी के पास बैठा था, जैसे अन्य कमरों में सर्दी अधिक हो। नैनशिया लाल चेहरे के साथ, कमीज के बाजू चढ़ाए मुर्गा भून रही थी और आनंद से झूमती उसकी आँखें आग की लपटें डाट पर रखे, सफाई से धुले बरतनों और रकाबियों की चमकीली मिट्टी पर रही थीं।
"नैनशिया, तुम कुछ सुन रही हो क्या ? " मेटियो ने ध्यान से सुनकर पूछा ।
"यह हवा है, मैं नहीं जाऊँगी । तुम पहले ही मुझे तीन बार वहाँ भेज चुके हो। नहीं?"
"यह हवा नहीं, कोई खटखटा रहा है । वह हरकारा है, जाओ और तुरंत दरवाजा खोलो।"
पुष्ट नैनशिया ने लकड़ी की गहरी सीढ़ियों पर सुस्ती से चलना शुरू कर दिया और मेटियो ने सीढ़ियों के सिरे पर खड़े होकर उसे रास्ता दिखाने के लिए लालटेन को अपने सिर सेऊपर कर लिया ।
"कौन है?" नौकरानी ने पूछा।
"मैं हूँ, जिनेवरा अलमेरी!" दरवाजे के पीछे से धीमी आवाज ने उत्तर दिया।
"जेसू ! जेसू ! हमारे यहाँ दुष्ट आत्मा आई है ! " नैनशिया बड़बड़ाई । उसके पैर काँपने लगे और अपने आपको गिरने से बचाने के लिए उसने कटघरे को पकड़ा। मेटियो पीला पड़ गया और उसके हाथों से लालटेन गिर गई।
"नैनशिया! नैनशिया! जल्दी दरवाजा खोलो!" जिनेवरा ने प्रार्थना की- "मुझे अपने आपको गरम करने दो। मैं ठंडी हो रही हूँ, चाचा को बताओ कि यहाँ मैं हूँ । "
नौकरानी लड़की अपनी दृढ़ता का ध्यान न रखते हुए इतने जोर से सीढ़ियों पर चढ़ी कि वे उसके पाँव के नीचे चरमरा गईं।
"वहाँ तुम्हारा हरकारा है! मैंने तुम्हें कहा है कि अच्छा रहेगा कि तुम एक सच्चे ईसाई की तरह जाकर सो जाओ। ओह! ओह! दरवाजे पर खटखट, क्या तुम सुनते हो? विनीत आत्मा कराह रही है - वह किस कष्ट से कराह रही है ? हे ईश्वर, हमें इससे मुक्त करो, हम पापियों पर दया करो। "
“सुनो, नैनशिया!” मेटियो ने अधीरता से कहा, "मैं नीचे जाऊँगा और देखूँगा कि वहाँ क्या है? कौन जानता है कि संभवतः...
"तुम और करोगे भी क्या ? " अपने हाथों को पकड़कर नैनशिया चिल्लाई – " जरा देखो तो, कितने बहादुर हो! क्या तुम सोचते हो कि मैं तुम्हें जाने दूँगी ? तुम दूसरी दुनिया में जाना चाहते हो, नहीं? तुम्हें कहीं भी जाने की जरूरत नहीं; यहीं ठहरो और धन्यवाद दो कि हमारे साथ कुछ भी बुरा नहीं हुआ । "
अलमारी से पवित्र पानी की कुप्पी लेकर नैनशिया ने घर के दरवाजे पर, रसोई में और मेटियो के ऊपर पानी के छींटे लगाए। उसने बुद्धिमान नौकरानी से वाद-विवाद नहीं किया और उसके कहने को माना, क्योंकि वह भूतों से निपटना अच्छी तरह जानती थी। नैनशिया ने ऊँची आवाज में शपथ ली -
“पुण्य आत्मा, परमात्मा के पास जाओ – मृतक, मृतक के पास । परमात्मा तुम्हें धर्मपरायण संसार में शांति दे।” जब जिनेवरा ने यह सुना कि वह मरी हुई मान ली गई है तो उसने जान लिया कि अब यहाँ कोई आशा नहीं है। वह दहलीज से उठी और आश्रय स्थान की खोज में लड़खड़ाकर चली गई।
अपने जमे हुए पाँव को कठिनाई से बढ़ाते हुए वह पासवाली गली में गई, जहाँ उसका पति फ्रांसिस्को डेल एगोलंटी रहता था।
फ्लोरिनटाइन प्रजातंत्र का सचिव उस समय मिलान में अपने मित्र को लातीनी भाषा में एक लंबा दार्शनिक संदेश लिख रहा था—उसका मित्र, मूसियो डेल उबर्टी प्राचीन कलाओं की देवी का प्रशंसक था। वह धार्मिक लेख था, जिसका शीर्षक था - 'मेरी प्यारी पत्नी जिनेवरा अलमेरी के संबंध में आत्मा की अमरता पर वार्त्तालाप ।' फ्रांसिस्को ने थॉमस एक्वीनस की राय का खंडन करके अरस्तु और प्लूटो के सिद्धांतों की परस्पर तुलना की। थॉमस एक्वीनस ने इस बात की पुष्टि की कि अरस्तु के दर्शन से कैथोलिक चर्च की स्वर्ग, नरक और पाप-शोधन के बारे में धार्मिक नीति मेल खाती है, जबकि फ्रांसिस्को ने कई बार प्रखर और तथ्यपूर्ण तर्कों से यह साबित कर दिया कि यह कभी भी अरस्तु का दर्शन नहीं था । अरस्तु गुप्त रूप से धार्मिक सिद्धांतों में विश्वास नहीं करता था और नास्तिक था, परंतु परमात्मा के महान् प्रशंसक प्लूटो का सिद्धांत ही ईसाई मत से मेल खाता है।
तांबे का लैंप उसकी कई दराजोंवाली, नक्काशी की हुई लकड़ी से बनी लिखनेवाली मेज के चिकने तख्ते से बँधा था और बत्तियाँ एक समान शोले के साथ जल रही थीं। लैंप का आकार टरीटोन और ओशनिडेस के आलिंगन को दर्शाता था, क्योंकि वह जीवन के तमाम मामलों में प्राचीन मॉडलों की नकल करने का प्रेमी था। कामदेव या स्वर्ग के पुष्पहारों के साथ देवदूतों के नाच को दर्शाती सुनहरी आकृतियाँ, सिल्क की तरह चिकने और हाथी-दाँत की तरह कठोर, कीमती चमड़े के कागज पर चमक रही थीं।
फ्रांसिस्को पुनर्जन्म के सिद्धांत का धार्मिक दृष्टि से विश्लेषण आरंभ करने जा रहा था । उसने पाइथागोरस के अनुयायी की ओर संकेत किया, फलियाँ खाने से इसलिए इनकार करता था कि उनमें उसके पूर्वजों की आत्माएँ थीं। एकाएक उसने दरवाजे पर ठक-ठक की आवाज सुनी। उसने अपनी भौंहें सिकोड़ीं, क्योंकि काम करते समय वह शोर सहन नहीं कर सकता था । फिर भी वह अटारी की खिड़की पर गया, उसे खोला, चाँद की पीली रोशनी में नीचे देखा कि जिनेवरा— मृतक जिनेवरा अपने इर्दगिर्द कपड़ा लपेटे खड़ी थी।
फ्रांसिस्को प्लूटो और अरस्तु को भूल गया और खिड़की इतनी जल्दी बंद कर दी कि जिनेवरा को एक शब्द भी बोलने का समय नहीं मिला। तब वह आवा मारिया पढ़ने लगा और भावी भय से नैनशिया की तरह क्रास बनाने लगा।
परंतु उसने शीघ्र ही अपने आपको संभाल लिया; जो कुछ सिकंदरिया के प्लूटोवलंबी प्रॉकलस और प्रॉकरी ने मृतक के प्रकट होने के बारे में कहा था, उसे याद करके, उसे अपनी शिथिल साहसहीनता पर बड़ी शर्म आई। फ्रांसिस्को ने शीघ्र ही अपने आपको नियंत्रित कर लिया और खिड़की को पुनः खोलते हुए ठोस आवाज में बोला, “जो कोई भी तुम हो, स्वर्ग या पृथ्वी की आत्मा हो, चली जाओ! जहाँ से आई हो, वहीं लौट जाओ, क्योंकि जिसका मन सच्चे दर्शन की ज्योति से प्रकाशित हो चुका है उसे डराना व्यर्थ है । तुम मेरी भौतिक आँखों को धोखा दे सकती हो, परंतु मेरी आध्यात्मिक आँखों को धोखा नहीं दे सकतीं। शांति से चली जाओ - मृतक मृतकों में । "
और उसने खिड़की बंद कर ली। अब वह पुनः खिड़की नहीं खोलेगा, भले ही तमाम दयापूर्ण कल्पनाओं का दल आकर खटखटाए ।
जिनेवरा वहाँ से चल दी। अभी वह पुरानी मंडी से दूर नहीं गई थी, तभी उसने अपनी माँ के घर को ढूँढ़ लिया।
मोना उर्सुला क्रॉस के सामने झुकी हुई थी और कठोर संन्यासी फ्रा ग्योकोमो, जो व्रत रखकर दुर्बल और पीला पड़ गया था, उसके पास खड़ा था। उसने अपनी भयग्रस्त आँखें उसकी ओर ऊपर उठाईं।
"मुझे क्या करना चाहिए, पिता ? मेरी सहायता करो। मुझमें नम्रता नहीं है, मेरी आत्मा में प्रार्थना नहीं है। ऐसा प्रतीत होता है कि परमात्मा ने मुझे त्याग दिया है और मेरी आत्मा अनंत मृत्यु को पहुँच चुकी है।"
"अंत तक हर चीज में परमात्मा की आज्ञा का पालन करो। " संन्यासी ने उसे परामर्श दिया – “ असंतोष से मत ओ, विद्रोही शरीर को शांत करो, क्योंकि लड़की के प्रति तुम्हारा प्यार शारीरिक था, आत्मिक नहीं। शोक मत करो, क्योंकि उसका शरीर मरा है, परंतु इसलिए कि वह पश्चात्ताप के लिए उच्चतम न्यायाधीश के सामने खड़ी है -एक महान् पापी! ”
उसी समय दरवाजे पर खटखट हुई । “माँ, माँ, मैं यहाँ हूँ — मुझे जल्दी अंदर आने दो।"
"जिनेवरा!” मोना उर्सुला ने पुकारा और अपनी लड़की से दौड़कर मिलना चाहती थी कि संन्यासी ने उसे रोक दिया।
"तुम कहाँ जा रही हो?" तुम्हारी लड़की कब्र में पड़ी है— मृतक । वह प्रलय तक भी नहीं उठेगी। यह शैतानी आत्मा है, जो तुम्हारी बेटी की आवाज में तुम्हें द्रवित कर रही है—तुम्हारे जैसे शरीर और आवाज में। पश्चात्ताप करो, प्रार्थना करो - पूर्व इसके कि देर हो जाए; अपने लिए प्रार्थना करो और जिनेवरा की पापी आत्मा के लिए, ताकि तुम दोनों नरक में न जाओ।"
"माँ, क्या तुम मेरी पुकार नहीं सुन रही हो? क्या तुमने मेरी आवाज नहीं पहचानी ? यहाँ मैं हूँ। मैं मरी नहीं, जीवित हूँ।”
"मुझे उसके पास जाने दो, पिता – जाने दो मुझे...।"
फिर संन्यासी फ्रा ग्योकोमो ने अपना हाथ ऊपर उठाया और धीरे से बोला, " जाओ और याद रखो कि अब तुम अपने लिए ही नहीं, वरन् जिनेवरा के लिए भी नरक का इंतजाम कर रही हो । परमात्मा तुम्हें इस दुनिया में और दूसरी दुनिया में भी शापित करेगा।"
संन्यासी का चेहरा घृणा से इतना भर गया था और उसकी आँखें ऐसी अद्भुत आग से जल रही थीं कि उन्हें देखकर मोना उर्सुला रुक गई। वह भयग्रस्त होकर प्रार्थना करती हुई हाथ मलने लगी और उसके पाँवों पर गिर पड़ी।
फ्रा ग्योकोमो दरवाजे की ओर मुड़ा, क्रॉस का चिह्न बनाया और कहने लगा, “पिता और उसके बेटे के नाम पर और पवित्र भूत के नाम पर ! मैं तुमसे आग्रहपूर्वक प्रार्थना करता हूँ, उसके रक्त के नाम पर, जो सूली पर चढ़ाया गया, ओ, शापित! चली जाओ। यह पवित्र स्थान है । हे ईश्वर, हमें लालसाओं की ओर मत ले जाओ, परंतु हमें बुरों से बचाओ।"
"माँ, माँ, मुझपर दया करो! मैं मर रही हूँ । "
माँ एक बार फिर चली और अपनी लड़की की ओर हाथ बढ़ाए, परंतु मृत्यु की भाँति निष्ठुर संन्यासी दोनों के बीच खड़ा हो गया।
जिनेवरा भूमि पर गिर गई। सर्दी के कारण उसने अपने हाथों को घुटनों पर लपेट लिया, सिर को झुका दिया और निश्चय कर लिया कि वह पुन: नहीं उठेगी, हिलेगी भी नहीं, जब तक माँ न आ जाए।
'मृतकों को जीवित लोगों में नहीं आना चाहिए ।' उसने विचार किया और उस क्षण उसने एनटोनियो को याद किया।‘यह समझते हुए कि वह भी मुझे इसी तरह दूर कर देगा?' वह उसकी बाबत पहले ही सोच चुकी थी, परंतु लज्जा ने रोक लिया था, क्योंकि किसी दूसरे से विवाह हो जाने के बाद वह रात को उसके पास जाना नहीं चाहती थी, परंतु अब उसने देखा कि वह जीवित लोगों के लिए मर चुकी है।
चाँद लुप्त हो चुका था। बर्फ से ढके पर्वत प्रभात के आकाश के विपरीत पीले-से खड़े थे। जिनेवरा अपनी माँ के घर की दहलीज से उठी। अपनों में आश्रय न पाकर वह अजनबी के यहाँ चल दी।
जिनेवरा के बुत पर एनटोनियो रात भर काम करता रहा था । उसे पता नहीं चला कि समय कैसे व्यतीत हो गया था; सर्दियों की नीली प्रातः की ठंडी रोशनी खिड़की के गोल शीशों में आ रही थी । संगतराश की सहायता उसका प्रिय शिष्य बरटोलीनो साफ बालोंवाला सत्रह वर्षीय युवक था, जो कर रहा था, वह लड़की की तरह सुंदर था ।
एनटोनियो का चेहरा शांत था । उसे ऐसा प्रतीत हुआ कि वह मृतक को पुनः जीवित कर रहा है और उसे नया अमरत्व दे रहा है। झुकी पलकें काँपने और खुलने के लिए तैयार थीं । उसका सीना उभरता और नीचे होता दिखाई दे रहा था और उसकी कनपटियों पर महीन नाडियों में गरम रक्त संचरित हो रहा था । उसने अपना काम समाप्त किया। वह जिनेवरा के होंठों पर भोली सी मुसकान लाने का प्रयत्न कर रहा था। तभी दरवाजे पर खटखट सुनाई दी।
"बरटोलीनो!” एनटोनियो ने बिना काम को छोड़े कहा, शिष्य दरवाजे पर गया और पूछा, "कौन है?"
"दरवाजा खोलो।"
"मैं जिनेवरा अलमेरी।" कठिनाई से सुनी जानेवाली आवाज में उत्तर मिला। वह आवाज सायंकाल की खड़खड़ाती मंद पवन - सी लगी।
बरटोलीनो कूदकर कमरे के कोने में चला गया – पीला और काँपता हुआ। "मृतक!" उसने क्रॉस बनाते हुए धीरे से कहा ।
परंतु एनटोनियो ने अपनी प्रेमिका की आवाज पहचान ली। वह उछल पड़ा, बरटोलीनो के पास जल्दी से गया और उसके हाथों से चाबी छीन ली।
" एनटोनियो, होश में आओ । क्या कर रहे हो, तुम?" उसका शिष्य बड़बड़ाया, जिसके दाँत डर के मारे बज रहे थे।
एनटोनियो दौड़कर दरवाजे पर गया, ताला खोला और जिनेवरा को दहलीज पर लगभग मुर्दे की तरह पड़ा पाया। उसके खुले बाल बर्फ से जम गए थे।
परंतु वह भयभीत नहीं हुआ, क्योंकि उसका हृदय महान् दया से भरा हुआ था । वह प्यार के शब्द कहता हुआ उसके ऊपर झुक गया । अपने हाथों से उठाकर उसे अपने घर के अंदर ले आया।
उसने उसे सिरहाने पर लिटा दिया और अपने सर्वोत्तम कंबल से ढक दिया। बरटोलीनो को उस बुढ़िया के पास भेजा, जिससे उसने कारखाना किराए पर ले रखा था। उसने अँगीठी में आग जलाई और थोड़ी शराब गरम करके उसको पीने के लिए दी। अब उसे आसानी से साँस आने लगी, चाहे वह अभी बोलने की हालत में नहीं थी। उसने अपनी आँखें खोलीं तो एनटोनियो का दिल प्रसन्नता से भर गया ।
“बुढिया अभी जल्दी आ जाएगी।" कमरे में जल्दी-जल्दी काम करते हुए उसने कहा, "हम चीजें जल्दी ही ठीक-ठाक कर लेंगे, तुम इस अव्यवस्था के लिए क्षमा करना, मेडोना जिनेवरा ! "
व्याकुल और प्रफुल्लित एनटोनियो ने टोकरी को छत से नीचे खींचा, उसमें से कुछ पैसे निकाले और बरटोलीनो को देते हुए उसे बाजार से नाश्ते के लिए मांस, डबलरोटी एवं सब्जियाँ लाने को कहा तथा बुढ़िया आ गई तो उसे मुर्गे का गरम-गरम सूप बनाने के लिए कहा।
शिष्य जितना जल्दी भाग सकता था, भागकर बाजार से चीजें लाने के लिए गया । बूढ़ी औरत मुर्गा मारने के लिए बाहर गई और एनटोनियो अकेला जिनेवरा के पास रहा।
उसने उसे बुलाया और वह उसके ऊपर झुक गया । उसने वह सबकुछ जो उसके साथ घटा था, उसको बताया।
"ओह, मेरे प्रियतम!" अपनी कहानी समाप्त कर जिनेवरा ने कहा, "केवल तुम ही ऐसे निकले जो मेरे आने पर नहीं डरे, केवल तुम ही मुझे प्रेम करते हो ।"
"क्या मैं तुम्हारे संबंधियों— चाचा, माँ या तुम्हारे पति को बुला भेजूँ?" एनटोनियो ने पूछा।
“मेरा कोई संबंधी नहीं है; न मेरा पति है और न ही चाचा अथवा माँ! वे सब मेरे लिए अजनबी हैं, सिवाय तुम्हारे; क्योंकि मैं उनके लिए मर चुकी हूँ और तुम्हारे लिए ही जीवित हूँ — और मैं तुम्हारी हूँ ।"
सूर्य की पहली किरणें कमरे में आने लगीं । जिनेवरा उनको देखकर मुसकराई। जैसे ही सूर्य और तेज हुआ, उसके गालों पर जीवन का रंग चढ़ गया; कनपटियों की नाड़ियों में गरम रक्त संचार करने लगा। जब एनटोनियो ने झुककर उसका आलिंगन किया और उसके होंठों का चुंबन लिया तो उसे ऐसा लगा कि सूर्य उसे नया और अमर जीवन देता हुआ पुनर्जीवित कर रहा था।
" एनटोनियो," जिनेवरा ने धीरे से कहा, "भला हो मृत्यु का, जिसने हमें प्रेम करना सिखा दिया है; भला हो प्रेम का, जो मृत्यु से शक्तिशाली है!”
(अनुवाद : भद्रसैन पुरी)