लौर्ड, सेन्ट पीटर और लोहार : इतालवी लोक-कथा
Lord St Peter Aur Lohar : Italian Folk Tale
एक बार की बात है कि एक छोटे से शहर में एक लोहार रहता था। वह एक बहुत अच्छा, मेहनती और अपने काम में बहुत ही होशियार आदमी था।
पर इस सबके लिये वह इतना घमंडी था कि जब तक कोई उसको प्रोफेसर कह कर न बुलाये वह उससे बात तक नहीं करता था। वैसे उसमें कोई खराबी नहीं थी पर उसके केवल इसी घमंड ने उसके लिये सबके दिलों में बड़ा असन्तोष फैला रखा था।
एक दिन सेन्ट पीटर के साथ लौर्ड उसकी दूकान में आये। लौर्ड जब बाहर जाते थे तो सेन्ट पीटर को अपने साथ ही रखते थे। लौर्ड ने लोहार से कहा — “प्रोफेसर, क्या तुम मुझे अपनी दूकान में थोड़ा सा काम करने दोगे?”
लोहार तो यह सुन कर बहुत खुश हुआ और बोला — “हाँ हाँ क्यों नहीं। आओ और जो चाहो वह कर लो। तुम क्या बनाना चाहते हो?”
“यह तुम्हें जल्दी ही पता चल जायेगा।” और यह कह कर उन्होंने वहाँ से एक चिमटा उठा लिया। उससे उन्होंने पीटर को पकड़ा और उसको उसकी भट्टी में तब तक रखा जब तक वह गरम हो कर खूब लाल नहीं हो गया।
फिर उन्होंने उसको हथौड़े से चारों तरफ से खूब पीटा। दस मिनट के अन्दर अन्दर वह बूढ़ा गंजा अपोसिल एक बहुत सुन्दर नौजवान के रूप में बदल गया। उसके सिर पर तो बाल भी बहुत सुन्दर आ गये थे।
वह लोहार तो यह देख कर दाँतों तले उँगली दबा बैठा। लौर्ड और सेन्ट पीटर ने उसको धन्यवाद दिया और वहाँ से चले गये।
कुछ देर बाद जब मास्टर लोहार को होश आया तो वह अपनी दूकान की दूसरी मंजिल पर दौड़ा गया जहाँ उसका बीमार पिता बिस्तर में लेटा हुआ था।
“पिता जी जल्दी यहाँ आइये। मैंने अभी अभी सीखा है कि आप जैसे आदमी को एक नौजवान आदमी कैसे बनाना है।”
उसका पिता कुछ डर कर बोला — “बेटे क्या तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है?”
“नहीं पिता जी। आप मेरा विश्वास करें। मैंने खुद देखा है। अब उसी तरीके से मैं आपको भी नौजवान बना सकता हूँ।” कह कर वह उनको नीचे ले जाने की कोशिश करने लगा।
यह देखते हुए कि उसकी कोशिश काम नहीं कर रही है उसने अपने पिता को जबरदस्ती पकड़ा और नीचे अपनी दूकान में ले गया और उनके चिल्लाने और रोने के बावजूद उनको भट्टी में फेंक दिया।
पर जब वह उनको उस भट्टी में से निकालने लगा तो वह उसमें से उनकी केवल एक जली हुई टाँग ही निकाल सका। और जिसको जब उसने हथौड़े से पीटा तो वह तो एक ही बार में टुकड़े टुकड़े हो गयी। इससे वह बहुत दुखी हुआ और बहुत गुस्से से भर गया।
वह तुरन्त ही उन दोनों आदमियों को ढूँढने उनके पीछे पीछे भागा। उसकी खुशकिस्मती से वे दोनों उसको बाजार में ही मिल गये।
उनको देखते ही वह चिल्लाया — “जनाब। आपने क्या किया था। आपने तो मुझे धोखा दिया। मैं आपके तरीके की नकल कर रहा था कि उससे तो मेरे पिता ज़िन्दा ही जल कर मर गये।
मेहरबानी करके जल्दी मेरे साथ आइये और अगर मेरी सहायता कर सकते हैं तो कीजिये।”
लौर्ड मुस्कुराये और बोले — “आराम से घर जाओ। तुम्हें तुम्हारे पिता ठीक और ज़िन्दा मिल जायेंगे पर मिलेंगे बूढ़े ही।”
यह सुन कर वह लोहार दौड़ा दौड़ा घर गया और यह देख कर बहुत खुश हुआ कि उसके पिता ज़िन्दा थे।
उस दिन से उसका घमंड टूट गया। अब जब भी कोई उसको प्रोफेसर कह कर बुलाता तो वह कहता — “प्रोफेसर? वह भी क्या बेवकूफी थी। वेनिस में कुलीन लोग रहते है और पादुवा में प्रोफेसर। मैं तो केवल एक सीखतर हूँ।
नोटः
यह लोक कथा इटली में कई जगह कई तरीके से कही सुनी जाती है। इसका एक रूप हमने “जीसस और सेन्ट पीटर सिसिली में” लोक कथा में “इटली की लोक कथाएं–8” में दिया था जिसमें लोहार का काम सेन्ट पीटर खुद करता है वह खुद एक बूढ़े को जवान बनाना चाहता है पर उसको मार देता है। बाद में जीसस उसको जिन्दा करते हैं।
यही लोक कथा नस्ट में
नस्ट में यह लोक कथा “धरती पर हमारे सेवियर की एक यात्रा” के नाम से मशहूर है जो इस तरह से है —
“एक पिता अपने जुआरी बेटे को एक सिपाही बना देता है। पर वह लड़का एक तूफानी रात को घर छोड़ कर चला जाता है और एक सराय में जा कर ठहर जाता है। वहाँ वह एक आदमी से मिलता है जो उसको ऐसा लगता है कि वह उसकी सारी ज़िन्दगी की बातें जानता है। उस आदमी का नाम “सेवियर” है।
सेवियर को यह मालूम है कि पीटर घर छोड़ कर चला गया है और उसको वापस आने के लिये मनाया जा रहा है पर वह उसको बचा लेंगे। रोजी रोटी कमाने के लिये वह सेवियर उसको अपनी यात्रा में साथ ले लेते हैं और बीमारों को ठीक करते हैं। यह करने के लिये उनको एक मौका भी मिल जाता है।
एक अमीर आदमी बहुत बीमार है। सेवियर तीन दिन में उसको ठीक करने का वायदा करते हैं। सेवियर सब लोगों को वहाँ से हटा देते हैं। वह कुछ जड़ी बूटियों से एक काढ़ा तैयार करते हैं और उस बीमार को ठीक कर देते हैं।
उस अमीर आदमी के रिश्तेदार सेवियर को कृतज्ञता के तौर पर बहुत सारी कीमती चीज़ें भेंट करते हैं पर सेवियर अपनी ज़िन्दगी चलाने के लायक उनमें से केवल कुछ चीज़ें ही लेते हैं।
इससे उनका वह साथी इतना नाराज हो जाता है कि वह उनको छोड़ कर चला जाता है। वह खुद अलग से अपने आप बीमारों को ठीक करना चाहता है।
एक बार उसको एक राजा की बीमार लड़की को ठीक करने का मौका मिल जाता है तो वह राजा से यह वायदा करता है कि वह उसकी बेटी को ठीक कर देगा। हालाँकि वह उसको ठीक करने के लिये ठीक उसी तरीके से सब कुछ करता है जैसे सेवियर ने किया था पर फिर भी उस काढ़े से वह राजकुमारी मर जाती है।
राजा को जैसे ही यह सब पता चलता है वह पीटर को जेल में डलवा देता है। जब पीटर को जेल ले जाया जा रहा होता है तो रास्ते में उसको सेवियर मिलते हैं। वह उनसे प्रार्थना करता है कि वह उसे बचा लें। सेवियर उसकी प्रार्थना पर उसकी सहायता करने के लिये तैयार हो जाते हैं।
सेवियर तब राजा के पास जाते हैं और उससे कहते हैं कि अगर वह कैदी को छोड़ देगा तो वह उसकी बेटी को जिन्दा कर देंगे। राजा इस बात पर राजी हो जाता है पर साथ में उसको यह धमकी भी देता है कि अगर वह उसकी बेटी को ज़िन्दा नहीं कर पाया तो उसको मार दिया जायेगा।
खैर, सेवियर राजकुमारी को ज़िन्दा कर देते हैं तो राजा अपनी कृतज्ञता दिखाते हुए अपनी बेटी का हाथ सेवियर को देना चाहता है पर सेवियर उसको यह कहते हुए मना कर देते हैं कि ऐसे काम करते हुए धरती पर घूमना तो उनका पेशा है इसलिये वह राजकुमारी को स्वीकार नहीं कर सकते। और वह राजकुमारी को अपने साथी को देने के लिये कह देते हैं।
यही लोक कथा वेनिस में
ऐसी ही एक लोक कथा वेनिस में भी कही सुनी जाती है। उसमें लौर्ड और सेन्ट पीटर एक गरीब स्त्री के मेहमान बनते हैं जिसको पास उनको सुलाने के लिये कोई बिस्तर नहीं है। सो वह उनके लिये भूसे का बिस्तर बनाती है और उस पर वह पाँच ऐल लम्बी एक चादर बिछाती है जो उसने उसी दिन नयी खरीदी है।
अगले दिन लौर्ड जब वहाँ से जाते हैं तो उसको वरदान दे जाते हैं कि वह सारा दिन वही काम करती रहेगी जिस काम से वह अपना दिन शुरू करेगी।
वह अपने मेहमानों की चादर उठाती है और उसके टुकड़े कर कर के उसे फाड़ती रहती है। इस तरह उसके पास बहुत सारा कपड़ा हो जाता है।
उसकी एक पड़ोसन जब इस बारे में सुनती है तो वह भी लौर्ड के साथ ऐसा ही करती है पर अपने मतलबीपन के लिये उनसे सजा पाती है।
(साभार : सुषमा गुप्ता)