लम्बू, चौड़ू और दूर का देखने वाला : चेक लोक-कथा
Long, Broad and Sharpsighted : Lok-Katha (Czech)
(यह लोक कथा यूरोप महाद्वीप के बोहेमिया देश में कही सुनी जाती है। चेक गणराज्य, जिसे चेकिया के नाम से भी जाना जाता है और ऐतिहासिक रूप से बोहेमिया के नाम से जाना जाता है, मध्य यूरोप में एक स्थलरुद्ध देश है।)
एक बार की बात है कि एक बूढ़ा राजा था जिसके एक बेटा था। एक दिन उसने अपने बेटे को बुलाया और बोला — “बेटा, मैं अब बूढ़ा हो रहा हूँ किसी भी दिन मर जाऊँगा। उससे पहले मैं यह देखना चाहता हूँ कि तुम शादी कर के खुश रहो और तुम्हारी ज़िन्दगी में भी कोई तुम्हारा सुख दुख बाँटने वाला हो।”
फिर उसने अपनी जेब में से एक सोने की चाभी निकाली और अपने बेटे को दिखायी और बोला — “जाओ, तुम किले की मीनार पर चले जाओ और अपने लिये एक पत्नी ढूँढ लो।”
राजकुमार ने पिता से वह सोने की चाभी ली और तुरन्त ही किले की मीनार पर चला गया। उसे याद नहीं पड़ता था कि पहले कभी उसने किसी और को उस किले की ताला लगी मीनार पर जाते देखा हो। उसको तो यह भी नहीं पता था कि वहाँ था क्या।
उसने ऊपर जा कर दरवाजा खोल कर अन्दर जा कर देखा तो वहाँ दीवार पर बारह बड़ी बड़ी तस्वीरें लगी हुई थीं। उनमें से ग्यारह तस्वीरें बहुत सुन्दर स्त्रियों की थीं। हर स्त्री के सिर पर ताज था और वे सब अलग अलग पोशाकें पहने हुए थीं।
उसने एक एक कर के सब तस्वीरों को देखा तो उसको ऐसा लगा जैसे वे सब उसकी तरफ देख रही हों। हर दूसरी तस्वीर पहली तस्वीर से ज़्यादा सुन्दर थी।
बारहवीं तस्वीर एक सफेद कपड़े से ढकी हुई थी। राजकुमार ने उसका वह कपड़ा हटाया तो देखा कि वह तस्वीर तो सबसे सुन्दर लड़की की थी। उसने सफेद पोशाक पहन रखी थी और सफेद मोतियों का ताज पहन रखा था।
राजकुमार उसको देख कर मुस्कुराया और बोला — “अगर मेरी पसन्द पूछी जाये तो यही लड़की मेरी पत्नी होगी। मैं इसी से शादी करूँगा।”
जैसे ही उसने ये शब्द कहे उस लड़की ने अपना सिर झुका लिया और दुख भरी नजर से उसको देखा। बस उसी पल सारी तस्वीरें गायब हो गयीं।
राजकुमार नीचे उतर कर अपने पिता के पास गया और बोला
— “पिता जी, मैंने अपनी पत्नी चुन ली है और मुझे पूरा विश्वास है
कि वह मुझे खुश रखेगी।” फिर उसने राजा को यह भी बताया कि
उसने अपने लिये कौन सी पत्नी चुनी है।
राजा उसकी बात सुन कर उदास हो गया और बोला — “बेटे, तुमने अपने लिये एक ऐसी राजकुमारी चुन ली है जो तुमको मिलनी नामुमकिन है।
वह राजकुमारी एक बहुत ही बुरे जादूगर के फन्दे में फँसी है। वह एक लोहे के किले में कैद है। जो भी उसको उस जादूगर की कैद से आजाद कराने गया वह फिर कभी लौट कर नहीं आया। पर अगर तुम उसी लड़की से शादी करना चाहते हो तो जाओ, मेरी दुआएँ तुम्हारे साथ हैं। तुम कामयाब हो कर सुरक्षित घर लौटो।”
सो राजकुमार अपनी पत्नी की खोज में चल दिया। उसने चार घोड़े लिये – एक सवारी के लिये और तीन आराम करने के लिये और चल दिया।
उसने जंगल पार किये, पहाड़ पार किये, वह दिन रात चलता रहा। चलते चलते उसको एक आदमी पैदल जाता मिला। यह आदमी बहुत लम्बा था। उसके हाथ और पैर भी बहुत लम्बे थे। वह आदमी चिल्लाया — “रुको, मुझे भी अपने साथ ले लो।”
राजकुमार ने पूछा — “कौन हो तुम?”
आदमी बोला — “मेरा नाम लम्बू है। मैं अपने हाथ पैर बहुत दूर तक ले जा सकता हूँ। तुम उस पाइन के पेड़ पर वह घोंसला देख रहे हो न?”
कह कर उसने अपना हाथ बढ़ाया तो वह खुद पाइन के पेड़ जितना लम्बा हो गया। फिर उसने उस घोंसले को छुआ और अपने हाथ को वापस ले आया।
राजकुमार बोला — “वाह, आओ, आ जाओ मेरे साथ।” सो वह लम्बू उसके तीन घोड़ों में से एक घोड़े पर बैठ गया और दोनों दो घोड़ों पर सवार हो कर फिर अपने सफर पर चल दिये।
जब वे जा रहे थे तो उनको एक और आदमी मिला। यह आदमी बहुत ही छोटा और भारी था और उसका पेट बैरल की तरह आगे निकला हुआ था। उस आदमी ने भी राजकुमार से कहा — “रुको, मुझे भी अपने साथ ले लो न।”
राजकुमार ने उससे पूछा — “तुम कौन हो?”
वह बोला — “मेरा नाम चौड़ू है। मैं अपने आपको कितना भी चौड़ा कर सकता हूँ। तुम मुझसे थोड़ा दूर हट जाओ तो फिर मैं तुमको दिखाता हूँ कि मैं क्या कर सकता हूँ।”
जब राजकुमार और लम्बू कुछ दूर चले गये तो चौड़ू ने एक लम्बी साँस ली और अपना पेट और बाँया और दाँया हिस्सा बढ़ाना शुरू किया और वह सब इतना बढ़ा दिया कि वह एक पहाड़ जैसा लगने लगा जिसको किसी ने दबा कर चौरस कर दिया हो।
बाद में जब वह अपने पुराने साइज में आ गया तो राजकुमार ने उसे भी एक घोड़ा दे दिया और वह भी उनके साथ हो लिया। अब तीनों घोड़ों पर सवार हो कर चलने लगे।
कुछ दूर जाने पर उनको एक और आदमी मिला। उसने अपनी
आँखों पर पट्टी बाँध रखी थी। वह आदमी भी राजकुमार से बोला
— “रुक जाओ और मुझे भी साथ ले लो।”
राजकुमार को उसकी बात सुन कर बड़ा आश्चर्य हुआ। यह उसकी समझ में ही नहीं आया कि वह अपनी आँखों पर पट्टी बाँध कर उसको कैसे देख सका? उसने उससे पूछा — “तुम कौन हो और तुम आँख पर पट्टी बाँध कर कैसे देख सकते हो?”
वह आदमी बोला — “मेरा नाम तेज़ देखने वाला है और मैं अपनी आँख पर पट्टी बाँध कर भी ऐसे ही देख सकता हूँ जैसे तुम लोग अपनी आँख खोल कर देखते हो।
अगर में अपनी आँख की पट्टी खोल दूँ तो मैं उन चीज़ों के अन्दर तक झाँक कर देख सकता हूँ जिनको तुम लोग पास से भी नहीं देख सकते।
और अगर मैं किसी को घूर दूँ तब तो उसमें आग ही लग जायेगी। और जो कुछ जल नहीं पायेगा वह फट कर टुकड़े टुकड़े हो जायेगा।”
फिर उसने एक बड़ी चट्टान की तरफ घूर कर देखा तो वह चटकने लगी। कुछ ही पलों ही वह टूट कर बिखर गयी और वहाँ रेत का ढेर पड़ा रह गया।
राजकुमार ने उसको भी अपने साथ ले लिया और अब चारों चारों घोड़ों पर सवार हो कर चल दिये।
थोड़ी देर बाद ही वे सब उस बुरे जादूगर के लोहे के किले के पास पहुँच गये। उन लोगों ने किले की खाई के ऊपर का पुल पार किया और उस किले में घुस गये।
अन्दर जा कर उन्होंने अपने घोड़े अस्तबल में बाँध दिये। ऐसा लग रहा था जैसे वह अस्तबल उन्हीं के लिये ही तैयार किया गया हो क्योंकि उसमें जानवरों के लिये दाना पानी भी रखा था।
आँगन में चारों तरफ लोहे की मूर्तियाँ खड़ी हुई थीं। पर वे मूर्तियाँ ज़िन्दा लोगों की सी लग रहीं थीं। राजकुमार और उसके नये साथी सब लोग दरवाजे में से हो कर उस किले के अन्दर घुस गये। दरवाजे से हो कर वह जिस कमरे में पहुँचे वह बहुत चमकीली रोशनी से भरा हुआ था और उसमें एक खाने की मेज लगी थी जिस पर चार आदमियों के लिये कई तरह के खाने और शराब रखी थी।
सो चारों उस मेज पर बैठ गये और वहाँ उन्होंने डट के खाना खाया। खाने के बाद वे किले को देखने के लिये उठे। जैसे ही वे उठे किले का मालिक जादूगर एक दरवाजे से अन्दर आया। वह एक लम्बी हल्के सलेटी रंग की पोशाक पहने था जो फर्श को छू रही थी। और एक लम्बा नुकीला टोप पहने था जो ऊपर से कुछ मुड़ा हुआ था। उसकी आधी सफेद दाढ़ी करीब करीब उसकी कमर तक आ रही थी।
उसके हाथ में एक रस्सी थी और वह रस्सी से उस लड़की को बाँधे हुए था जिसको राजकुमार ने अपने किले की मीनार की तस्वीर में देखा था।
राजकुमारी को देखते ही राजकुमार उसकी तरफ दौड़ा पर इससे पहले कि वह कुछ बोलता जादूगर बोला — “मुझे मालूम है कि तुम यहाँ क्यों आये हो। तुम यहाँ इस लड़की को लेने के लिये आये हो न। ले लो इसको अगर तुम ले सकते हो तो।
मैं यहाँ इसको तीन दिनों के लिये यहाँ छोड़ कर जा रहा हूँ। इसकी तुम तीन दिन तक रखवाली करना। तीन दिनों में अगर यह गायब हो गयी तो मैं तुम्हें और तुम्हारे दोस्तों सबको लोहे की मूर्तियों में बदल दूँगा जैसे मैंने और दूसरे लोगों को बदल कर रखा है जो तुमसे पहले यहाँ इस राजकुमारी को छुड़ाने के लिये आये थे।”
फिर उसने राजकुमारी को एक कुर्सी पर बैठने का इशारा किया और खुद वहाँ से गायब हो गया।
राजकुमार की आँख उस सुन्दर राजकुमारी से हट ही नहीं पा रही थी। उसने उससे बात करने की कोशिश की पर वह कुछ नहीं बोली। ऐसा लग रहा था जैसे वह कोई मूर्ती हो।
उसकी आँखें राजकुमारी पर ही लगी रहीं और उसने सोच लिया कि वह सोयेगा नहीं। वह नहीं चाहता था कि राजकुमारी वहाँ से गायब हो जाये सो वह उसकी तीन दिनों तक रखवाली करेगा।
लम्बू ने अपनी आँखें और हाथ पैर कमरे की दीवार तक फैला लिये ताकि अगर कोई उस कमरे में आये तो उसको पता चल जाये।
चौड़ू ने अपने आपको इतना फैला लिया कि उसने कमरे का दरवाजा ही रोक लिया ताकि कमरे में न तो कोई अन्दर आ सके और न ही उसमें से कोई बाहर जा सके।
तेज़ नजर वाला कमरे के बीच में खड़ा हो गया और चारों तरफ अपनी निगाह रखने लगा ताकि अगर कोई आये जाये तो वह उसको देख सके।
पर अपनी पूरी कोशिशों के बावजूद वे सब सो गये और रात भर सोते रहे।
अगली सुबह राजकुमार और लोगों से पहले जाग गया। उसने तुरन्त अपनी राजकुमारी की तरफ देखा तो उसका तो दिल बैठ गया। वह वहाँ नहीं थी। वह तो गायब हो चुकी थी।
उसने अपने साथियों को जगाया तो वे भी उतने ही परेशान हुए जितना कि राजकुमार खुद परेशान था।
उसी समय तेज़ नजर वाले ने इधर उधर देखना शुरू किया और बोला — “चिन्ता न करो। मैंने उसको देख लिया है। वह यहाँ से सौ मील दूर है। एक जंगल के बीच में एक ऊँचा सा ओक का पेड़ है और उस पेड़ पर ओक की गिरी लगी है, वह उस गिरी में छिपी हुई है।”
लम्बू तेज़ नजर वाले के ऊपर बैठ गया ताकि वह उसको बता सके कि वह राजकुमारी कहाँ है। लम्बू ने हर दस मील पर एक कदम रख कर अपने पैर फैलाने शुरू किये।
कुछ पलों में ही वह उस ओक के पेड़ से वह गिरी तोड़ लाया और ला कर राजकुमार को दे दी। राजकुमार ने वह गिरी अपनी पास वाली कुर्सी पर अपने पास ही रख ली। राजकुमारी वहाँ तुरन्त ही प्रगट हो गयी।
उसी समय कमरे का दरवाजा धड़ाम से खुला और गुस्से से भरा जादूगर वहाँ आया। उसने तो यह उम्मीद ही नहीं की थी कि राजकुमारी वहाँ उस कमरे में होगी।
वह बोला — “तुम्हारी राजकुमारी आज फिर यहाँ इस कमरे में रहेगी और तुम फिर इसकी पहरेदारी करना। मुझे शक है आज रात भी तुम लोग इसकी इतनी ही अच्छी तरह से पहरेदारी कर सकोगे जितनी कि तुम सबने कल की थी।”
यह कह कर उस जादूगर ने उस राजकुमारी के कन्धे पर हाथ रखा और दोनों गायब हो गये।
दिन तो जल्दी ही गुजर गया। जब रात हुई तो वह जादूगर
राजकुमारी को ले कर फिर उसी दरवाजे से अन्दर आया और बोला
— “इसकी पहरेदारी कर सकते हो तो करो। अगर यह सुबह तक
चली गयी तो तुम सब भी मेरी उन पत्थरों की मूर्तियों की लाइन मे
लग जाओगे।”
राजकुमार और उसके दोस्तों ने फिर सारी रात जागने की कोशिश की पर उस जादूगर के जादू ने उन सबको फिर सुला दिया। राजकुमारी दोबारा गायब हो चुकी थी।
अगले दिन फिर से राजकुमार सुबह सबसे पहले जागा और देखा कि राजकुमारी तो वहाँ नहीं थी।
राजकुमार ने अपने दोस्तों से कहा — “दोस्तों मुझे तुम्हारी सहायता की फिर से जरूरत है। राजकुमारी को ढूँढने में मेरी सहायता करो।”
तेज़ देखने वाले ने अपनी आँखें मलीं और बोला — “मुझे राजकुमारी दिखायी दे रही है।दो सौ मील दूर एक पहाड़ है। उस पहाड़ में एक चट्टान है और उस चट्टान में एक कीमती पत्थर है। राजकुमारी उस कीमती पत्थर के अन्दर है।”
लम्बू ने फिर से अपने हाथ पैर फैलाये और तेज़ नजर वाले की सहायता से उस पहाड़ तक पहुँच गया।
तेज़ नजर वाले ने अपनी आँख से पट्टी उतारी और उस पहाड़ को जो घूर कर देखा तो वह पहाड़ टूट गया। उस पहाड़ में से वह चट्टान निकल आयी जिसमें वह कीमती पत्थर था।
फिर उसने उस चट्टान को घूरा तो उसमें से वह कीमती पत्थर निकल आया जिसके अन्दर राजकुमारी थी। लम्बू ने वह कीमती पत्थर उठाया और वह कीमती पत्थर ला कर उसने राजकुमार को दे दिया।
राजकुमार ने जैसे ही वह कीमती पत्थर कुर्सी पर रखा तो एक बार फिर वह राजकुमारी उस पत्थर में से बाहर आ गयी।
तभी कमरे का दरवाजा धड़ाम से खुला और वह जादूगर उस कमरे में घुसा। राजकुमारी को वहाँ उस कमरे में देख कर उसकी आँखें गुस्से से जली जा रही थीं।
आ कर वह बोला — “मैं देख रहा हूँ कि तुम लोगों ने एक बार फिर राजकुमारी की ठीक से निगरानी की है। पर कल यह कहानी कुछ और ही होगी। कल यह राजकुमारी तुमसे खो जायेगी और फिर तुम सब मेरी पत्थर की सेना में शामिल हो जाओगे।”
कह कर उस जादूगर ने उस राजकुमारी के कन्धे पर हाथ रखा और वे दोनों एक बार फिर गायब हो गये।
दिन तो जल्दी ही बीत गया। जब रात हुई तो वह जादूगर उस राजकुमारी को ले कर फिर वहाँ आया और बोला — “अपनी ज़िन्दगी की आज की आखिरी रात तुम और खुशी मना लो क्योंकि अबकी बार तुम राजकुमारी की निगरानी करने में सफल नहीं हो पाओगे और तुम सब पत्थरों में बदल जाओगे।”
यह कह कर वह राजकुमारी को वहीं छोड़ कर वहाँ से चला गया। उसके जादू से वे चारों फिर से सो गये और राजकुमारी वहाँ से फिर गायब हो गयी।
अगले दिन सुबह को राजकुमार सबसे पहले उठा। जब उसने राजकुमारी को वहाँ नहीं देखा तो उसने तेज़ देखने वाले को उठाया।
वह उठा और इधर उधर देख कर बोला — “हाँ मुझे दिखायी दे रहा है। राजकुमारी यहाँ से तीन सौ मील दूर समुद्र की तली में है। समुद्र में एक सीपी है। सीपी में एक सोने की अँगूठी है और वह राजकुमारी उस अँगूठी में है।”
चौड़ू बोला — “लम्बू को मुझे और तेज़ देखने वाले दोनों को साथ ले कर वहाँ चलना चाहिये।”
सो लम्बू ने अपना शरीर बढ़ाया और चौड़ू को और तेज़ देखने वाले को अपने कन्धों पर बिठाया और लम्बे लम्बे कदम रखता हुआ समुद्र की तरफ चल दिया।
तेज़ देखने वाले ने लम्बू को बता दिया था कि उसको उन्हें कहाँ ले कर जाना था। लम्बू ने समुद्र के पास पहुँच कर देखा कि वह तो सीपी तक पहुँच ही नहीं पा रहा है।
सो जब लम्बू उस सीपी तक नहीं पहुँच सका जिसमें राजकुमारी बैठी थी तो चौड़ू बोला — “तुम लोग हटो अब मेरा काम करने का समय है।”
सबको हटा कर वह अपने पेट के बल समुद्र के किनारे पर लेट गया और अपने आपको उसने बहुत चौड़ा कर के समुद्र का पानी पीना शुरू कर दिया।
कुछ ही पलों में समुद्र का पानी इतना अधिक नीचे गिर गया कि लम्बू उसमें चलने और अपनी बाँह फैलाने लायक हो गया। उसने तुरन्त ही वह सीपी उठा ली। सीपी को खोल कर उसने उसमें से अँगूठी निकाली और सब लोग वापस किले की तरफ दौड़ पड़े।
चौड़ू ने समुद्र का इतना सारा पानी पी लिया था कि वह बहुत भारी हो गया था सो लम्बू ने उसको अपने कन्धे पर से उतार दिया। चौड़ू के नीचे गिरते ही उसके मुँह में से काफी सारा पानी निकल कर घाटी में फैल गया जिससे उन तीनों को वहाँ से बाहर नकलने में बहुत परेशानी हुई।
इधर किले में राजकुमार बहुत परेशान हो रहा था। सूरज उग आया था और उसके लोग अभी तक नहीं लौटे थे। तभी वह जादूगर कमरे में धम धम करता आ पहुँचा।
उसने देखा कि राजकुमारी तो कमरे में नहीं थी सो उसने अपनी जादू की छड़ी उठायी और राजकुमार और उसके दोस्तों पर उनको पत्थर का बनाने के लिये अपना जादू फेंकने ही वाला था कि तेज़ नजर वाले ने उसको यह करते देख लिया।
उसने तुरन्त ही लम्बू को यह बताया तो लम्बू ने अपनी बाँह सबसे ज़्यादा लम्बी फैलायी और समुद्र से लायी हुई अंगूठी को कुर्सी पर रख दिया।
अँगूठी कुर्सी पर रखते ही अँगूठी में से राजकुमारी निकल आयी। राजकुमारी को देखते ही जादूगर गुस्से से भुनभुनाया और एक रैवन बन कर खिड़की में से बाहर उड़ गया।
उस सुन्दर राजकुमारी ने राजकुमार की तरफ देख कर उसको बार बार धन्यवाद दिया। उधर जैसे ही जादूगर रैवन बन कर उड़ा तो किले में रखी सारी पत्थर की मूर्तियाँ ज़िन्दा हो उठीं।
राजकुमार ने राजकुमारी से शादी करने की इच्छा प्रगट की तो राजकुमारी भी मान गयी। जल्दी ही दोनों की शादी हो गयी। राजकुमार का पिता अपने बेटे की शादी उसकी पसन्द की राजकुमारी से होते देख कर बहुत खुश था।
बाद में उसने राजकुमार के तीनों दोस्तों – लम्बू चौड़ू और तेज़ देखने वाले को आदर दिया। सभी लोग उस राजकुमार के राज्य में बहुत सालों तक खुशी खुशी रहे।
(साभार सुषमा गुप्ता जी, जिन्होंने लोक-कथाओं पर उल्लेखनीय काम किया है.)