आलसी जैक : ब्रिटेन की लोक-कथा
Lazy Jack : British Folk Tale
ब्रिटेन की यह कहानी एक बहुत ही मजेदार और हँसी की कहानी है। इस कहानी में देखो कि एक बेवकूफ लड़का किस तरह एक अमीर आदमी की बेटी को हँसा कर उससे शादी करके खुद अमीर बन जाता है।
एक गाँव में एक स्त्री अपने एकलौते बेटे जैक के साथ रहती थी। जैक बहुत ही आलसी था। न तो वह घर में ही माँ की कोई सहायता करता था और न वह बाहर ही कोई काम करता था। उसकी इस आदत से उसकी माँ बहुत दुखी थी।
एक दिन गुस्से मे आ कर उसने जैक से कहा — “अगर कल से तुमने कोई काम शुरू नहीं किया तो मैं तुम्हें घर से बाहर निकाल दूँगी।”
अब जैक तो यह सुन कर घबरा गया सो अगले दिन ही वह कुछ काम ढूँढने चल दिया।
काम ढूँढते ढूँढते वह एक किसान के पास पहुँचा और उसके पास उसने एक पैंस के लिये पूरे दिन काम करने का निश्चय किया।
शाम को बड़ी खुशी के साथ जैक ने वह पैंस का सिक्का किसान से लिया और घर चला।
आज वह बहुत खुश था। आज उसने पहली बार पैसा अपनी मेहनत से कमाया था। पहले उसने पैसा कभी रखा नहीं था सो उस को पैसा रखना आता भी नहीं था इसलिये वह उस पैनी को उछालता हुआ चला आ रहा था।
चलते चलते वह एक पुल पर से गुजरा जो एक नदी के ऊपर बना हुआ था। पैनी उछल कर नदी में जा गिरी और नदी में खो गयी। वह दुखी दुखी अपने घर आया।
जब उसने अपनी माँ को यह बताया तो वह बोली — “तुमको वह पेनी जेब में रख कर लानी चाहिये थी।”
जैक कुछ दुखी आवाज में बोला — “अच्छा, अब की बार मैं ऐसा ही करूँगा।”
अगले दिन वह एक ग्वाले के पास काम करने के लिये गया। शाम को ग्वाले ने जैक को उसके काम के बदले में एक जग भर कर दूध दिया। उसने अपनी माँ की सलाह के अनुसार उसको अपनी जैकेट की बड़ी जेब में भर लिया।
जाहिर है कि घर पहुँचने से पहले पहले ही वह दूध बिखर चुका था। घर पहुँचने पर जब उसकी माँ ने पूछा कि “आज तुमको क्या मिला?”
तो उसने उसको बताया कि आज उसको दूध मिला। माँ ने पूछा कि “दूध कहाँ है?”
तो उसने उसको बताया कि वह उसके कहे अनुसार अपनी जेब में रख कर लाया था पर अब वह पता नहीं कहाँ है।
उसकी माँ ने कहा — “बहुत ही बेवकूफ हो तुम, तुमको वह दूध सँभाल कर सिर पर रख कर लाना चाहिये था।”
जैक बोला “अच्छा, अगली बार से मैं ऐसा ही करूँगा।
अगले दिन वह फिर किसी खेत पर काम करने गया। वहाँ सारा दिन काम करने के बाद मजदूरी के रूप में उसे क्रीम चीज़ मिली। तो अपनी माँ के कहे अनुसार उसे अपने सिर पर रख लिया।
लेकिन यह क्या? उस दिन कड़ी धूप होने की वजह से घर आते आते वह सारी क्रीम चीज़ पिघल गयी और उसका चेहरा, बाल और कपड़े सभी खराब हो गये।
उसकी माँ ने गुस्से में कहा — “जैक़ तुम्हें अक्ल कब आयेगी। उसको तुम्हें हाथों में सँभाल कर लाना था।”
जैक ने फिर वायदा किया कि अगले दिन से वह वैसा ही करेगा।
अगले दिन वह एक डबल रोटी बनाने वाले के पास गया। शाम को काम के बदले में उसे एक बिल्ली मिली। वह उसे सँभाल कर हाथों में ला रहा था कि रास्ते ही में उसने कुलमुलाना शुरू कर दिया और वह इतना ज़्यादा कुलमुलाई कि उसके हाथों से छूट कर भाग गयी।
खाली हाथ जब वह घर पहुँचा तो उसकी माँ फिर बहुत नाराज हुई और बोली — “तुम कैसे आदमी हो, वह बिल्ली थी तुमको उसे उसके गले में रस्सी बाँध कर लाना था।”
जैक फिर बोला — “माँ, कल से मैं ऐसा ही करूँगा।”
अगले दिन वह काम करने के लिये एक कसाई की दूकान पर गया। उस दिन शनिवार था इसलिये रविवार को खाने के लिये उसने उसको बकरे का एक बहुत ही बढ़िया कन्धा दिया।
जैक उसको देख कर बहुत ही खुश हुआ कि आज उसको बहुत बढ़िया खाना मिलेगा।
उसने अपनी माँ के कहे अनुसार बकरे के उस कन्धे में एक रस्सी बाँधी और उसे खींचता हुआ घर की तरफ चल दिया।
जाहिर है जब तक वह उसे ले कर घर पहुँचा वह टुकड़ा बिल्कुल ही बेकार हो चुका था।
अब की बार उसकी माँ ने उसे बहुत डाँटा और कहा — “बेवकूफ लड़के, तुम बहुत ही बेकार आदमी हो। रोज कमाते हो और रोज ही किसी न किसी तरीके से उसे बेकार कर देते हो।
अब केवल बन्द गोभी ही रखी है मेरे पास कल के लिये, वही खाना तुम कल। तुमको यह गोश्त अपने कन्धे पर रख कर लाना था।”
जैक बहुत ही शरमिन्दा हो कर बोला — “अच्छा माँ, अगली बार मैं ऐसा ही करूँगा।”
सोमवार को जैक फिर ग्वाले के पास काम के लिये गया। अब की बार उसे अपने काम के बदले में एक गधा मिला।
काफी परेशानी के बाद वह उस गधे को अपने कन्धे पर रखने में कामयाब हो सका। वह उसे ले कर धीरे धीरे सँभाल कर चलने लगा।
उसके घर के रास्ते में एक बहुत ही अमीर आदमी का घर पड़ता था। उसके एक इकलौती बेटी थी। अमीर की बेटी बहुत सुन्दर थी पर वह गूँगी थी।
अपने जीवन में वह कभी नहीं हँसी थी। डाक्टरों का कहना था कि यदि दूसरा कोई उसे हँसा सके तो शायद वह बोलने लायक हो सके।
उस अमीर के घर में उसको हँसाने के लिये रोज ही कोई न कोई नाच, हँसी के नाटक़ मजाकिया कहानियाँ, मजाकिया गाने आदि होते रहते थे परन्तु उस लड़की के चेहरे पर अभी तक एक हल्की सी मुस्कुराहट भी नहीं आयी थी।
आखिर उस अमीर ने ढिंढोरा पिटवा दिया कि जो कोई उसकी
बेटी को हँसा देगा वह उसी से अपनी बेटी की शादी कर देगा और उसी को अपनी सारी धन दौलत भी दे देगा।
और दिनों की तरह से उस शाम को भी वह लड़की खिड़की में उदास बैठी बाहर की ओर देख रही थी कि उसको एक अजीब चीज़ देखने को मिली।
एक जवान लड़का एक ज़िन्दा गधे को अपने कन्धों पर रख कर ले जा रहा था। यह देखते ही वह लड़की ज़ोर से हँस पड़ी और तब तक हँसती रही जब तक कि उसकी आँखों से आँसू नहीं निकल पड़े।
जब अमीर ने अपनी बेटी की हँसी की आवाज सुनी तो वह तुरन्त भागा भागा आया और जैक को अन्दर बुलाया।
वायदे के मुताबिक उसने अपनी बेटी की शादी जैक से कर दी और अपनी सारी धन सम्पत्ति उसको दे दी। जैक अपनी ससुराल चला गया और अब उसे काम करने की कोई जरूरत नहीं थी।
वहाँ जा कर उसने अपनी माँ को भी बुला लिया और सब आराम से रहने लगे।