लालची दुकानदार : युगोस्लाविया की लोक-कथा - पुनर्कथन : आइरीन मिर्कोविच
Lalachi Dukandar : Lok-Katha (Yugoslavia)
रफीक व्यापारी एक बहुत धनी दुकानदार था उसका लंबा चोगा महंगे फर का बना था। उसकी अंगुलियों में सोने से जगमगाती अंगूठियां थीं जिनमें माणिक और नीलम जड़े थे।
एक दिन रफीक अपने स्टोर में बेचने के लिए कुछ तांबे की थालियां और बर्तन खरीदने गया। कई घंटों तक सौदेबाजी करने के बाद, उसने माल को सबसे कम कीमत में खरीदा।
जब वो वापस अपनी दुकान पर लौटा, तो रफीक ने पाया कि उसके पैसों की थैली गायब थी। वो जल्दी से वापस गया और उसने बहुत ढूँढा, लेकिन खोई थैली उसे कहीं नहीं मिली। उसने चिंता में कई बाल अपने खींचे, और अपनी मूंछों को भी खींचा। उसे यकीन था कि कोई बेईमान बदमाश उसके पैसे लेकर भाग गया था।
बाद में, दोपहर में, शहर की संकरी गलियों में डुगडुगी पिटी और एक उद्घोषक चिल्लाया, "सुनो भाइयों, सुनो! दुकानदार रफीक की पैसों की थैली खो गई है। जो कोई उसे वापिस करेगा रफीक उस खोजकर्ता को, एक सोने का सिक्का इनाम में देगा।"
अब ऐसा हुआ कि जब रफीक बाजार में तगड़ी सौदेबाजी कर रहा था, उसी समय एक गरीब किसान इवो शहर में अपने घोड़े की जीन की मरम्मत कराने आया था।
वो अपनी पत्नी के लिए एक कंगन खरीदना चाहता था, लेकिन इवो बहुत गरीब था।
जब इवो दुकान की खिड़कियों को निहार रहा था, वो सड़क पर पड़े एक पत्थर पर फिसल गया और वहीं गिर गया।
जब वो वहां गिरा तो उसने पत्थर के नीचे व्यापारी का पर्स पड़ा देखा। उसी समय उसने शहर में डुगडुगी वाले की उद्घोषणा सुनी। इवो ने पर्स उठाया और एक ईमानदार आदमी होने के नाते वो सीधे रफीक की दुकान की ओर गया।
"मेरा नाम इवो है, और यह पर्स शायद आपका है।"
"एकदम अद्भुत," व्यापारी ने कहा। लेकिन उसकी खुशी जल्द ही दुख में बदल गई जब उसे इनाम देने का अपना वादा याद आया।
जब इवो दुकान की अलमारियों में सजे सामान को निहार रहा था, तब लालची व्यापारी ने झट से थैली से एक सोने का सिक्का निकालकर उसे अपनी जेब में रख लिया।
"अरे नहीं," रफीक ने कहा। "जब मैंने थैली खोई थी तो उसमें दस सोने के सिक्के थे, और अब केवल नौ ही हैं। इसका मतलब है तुम पहले से ही एक सोने के सिक्के का इनाम ले चुके हो।'
यह सुनकर इवो चौंका, लेकिन वादा किए गए इनाम के नुकसान के ज़्यादा उसके गर्व को झटका लगा, क्योकि इवो एक ईमानदार आदमी था।
"मैंने तो आपकी थैली खोली तक नहीं," उसने अमीर व्यापारी के सामने कसम खाई।
"तुम मुझे झूठा कहते हो? फिर मैं तुम्हें अदालत में ले जाऊंगा," रफीक ने कहा।
इवो उससे पहले कभी अदालत में नहीं गया था। वो कचेहरी के विशाल कमरे में खुद खोया हुआ महसूस कर रहा था। दोनों लोग न्यायाधीश के आने और केस की जांच करने की प्रतीक्षा करने लगे। लेकिन जब इवो ने जज को कक्ष में प्रवेश करते देखा, तो वो एकदम घबरा गया। जज एक लंबा चोगा पहने थे और साथ में वो एक फर का कॉलर और एक सफेद विग पहने हुए थे। उनके हाथ में एक बड़ी मोटी कानून की किताब थी और उनके चेहरे पर एक बहुत कठोर भाव था। जज को देखकर इवो के घुटने कांपने लगे।
रफीक खड़ा हुआ और उसने कहा, "सम्माननीय जज साहब, जब मेरा बटुआ खोया तब उसमें दस सोने के सिक्के थे। मैंने बटुआ लौटने वाले को एक सोने के सिक्के का इनाम देने का वादा किया था। पर जब इस किसान ने मुझे बटुआ वापिस लौटाया तो उसमें केवल नौ ही सोने के सिक्के थे। वो पहले ही एक सोने के सिक्के का इनाम ले चुका है।"
फिर इवो ने जज के सामने अपना पक्ष पेश किया। "सर," उसने विनम्रतापूर्वक अपने हाथों में टोपी घुमाते हुए कहा, "जैसे ही मुझे बटुआ मिला, मैंने उसे वापस कर दिया। मैंने उसे खोलकर तक नहीं देखा, सोने का सिक्का निकालने की बात तो दूर रही। आज मेरी ईमानदारी और प्रतिष्ठा दांव पर है।"
कठोर और भयावह दिखने वाले जज साहब, दिल से एक दयालु व्यक्ति थे और वो अपने काम में बहुत चतुर और बुद्धिमान थे। एक पल के लिए जज साहब बिल्कुल चुप रहे। फिर उन्होंने अपना फैसला सुनाया।
"दुकानदार, रफ़ीक, तुम मुझे यह बताओ कि क्योंकि तुमने दस सोने के सिक्कों वाला बटुआ खोया था तो फिर नौ सोने के सिक्कों वाला यह बटुआ तुम्हारा कैसे हो सकता है? तुम अपनी दुकान पर वापस जाओ और अपने बटुए के वापस आने का इंतज़ार करो।"
जज ने फिर इवो की और इशारा करके कहा। " और तुम्हें नौ सोने के सिक्कों वाला एक बटुआ मिला है। तुम भी अपने घर जाओ और उसके मालिक के आने और उसके द्वारा दावा पेश करने की प्रतीक्षा करो। अगर वो छह महीनों तक नहीं आता है, तो फिर यह बटुआ तुम्हारा होगा। फिर तुम जैसे चाहो उसे वैसे खर्च कर सकते हो या फिर उन्हें बचाकर रख सकते हो।"
जज का निर्णय सुनकर लालची दुकानदार रफीक गुस्से से आग बबूला हो गया, लेकिन गिरफ्तार होने के डर से उसकी कुछ हिम्मत नहीं हुई। उसने अपना लंबा चोगा उठाया और फिर अदालत कक्ष से बाहर चला गया।
जज द्वारा दी गई थैली को पकड़कर इवो इतना हैरान हुआ कि वो कुछ देर के लिए वहां से हिल तक नहीं सका।
"एक ईमानदार आदमी, असल में बहुत अमीर होता है," जज ने इवो से कहा। "चाहे वो बहुत गरीब ही क्यों न हो।"