लड़ाई का जन्म : लाइबेरिया लोक-कथा
Ladaai Ka Janm : Liberia Folk Tale
बहुत पुरानी बात है जब धरती पर कोई लड़ाई नहीं थी। लोग एक दूसरे के साथ मिल जुल कर रहा करते थे। जब दो लोगों की राय आपस में एक दूसरे से नहीं मिलती थी तब वे आपस में मिल जुल कर ही उसको निपटा लिया करते थे।
कोई किसी को कड़े शब्द नहीं बोलता था जिससे आपस में लड़ाई शुरू हो जाये। जब कभी किसी के पड़ोसी का खून बहता तो वह हमेशा किसी न किसी दुर्घटना से बहता था लड़ाई से नहीं। उस समय लोग भगवान की प्रार्थना करते कि वह उनको माफ कर दे।
ऐसे समय में दुनिया में आदमी ज़्यादा थे और उनके मुकाबले में औरतें बहुत कम थीं। इसलिये शादी लायक लड़कियों की सबकी शादी बहुत जल्दी ही हो गयी होती थी।
एक जवान आदमी को तो केवल इस बात का इन्तजार करना होता था कि फिर कब कोई दूसरी छोटी लड़की शादी लायक होगी ताकि वह उससे शादी कर सके।
ऐसे समय में एक गाँव में एक आदमी अपनी पत्नी और बेटे साम्बा के साथ रहता था। उस आदमी की पत्नी जल्दी ही मर गयी थी सो साम्बा को उसने अकेले ही पाला। जल्दी ही साम्बा भी बड़ा होगया।
हालँकि साम्बा के पिता ताम्बा की उमर काफी हो चुकी थी फिर भी उसको लगता था कि उसको किसी औरत के साथ की जरूरत थी सो उसने एक जवान और सुन्दर लड़की से शादी कर ली।
जब वह लड़की ताम्बा के घर आयी तो साम्बा को वह लड़की बहुत अच्छी लगी। ताम्बा इस बात पर साम्बा पर बहुत गुस्सा हुआ और उसने उसको बहुत पीटा।
साम्बा बोला — “मुझे एक पत्नी की जरूरत है। मेरे लिये एक पत्नी ढूँढो। ”
उसके पिता ताम्बा ने कहा — “नहीं, तुम्हारी शादी तभी होगी जब मैं यह देखूँगा कि तुम शादी के लिये तैयार हो। ”
साम्बा बोला — “पर मैं तो तैयार हूँ। मेरी उमर के मेरे सारे साथियों ने अपनी अपनी पत्नियाँ चुन ली हैं। ”
ताम्बा ने कहा — “वह तो ठीक है पर वे अपने माता पिता के साथ नहीं रहते। तुम शादी तब करना जब तुम उसको रख सको। ”
इस तरह ताम्बा ने साम्बा को उसकी शादी करने से मना कर दिया। इस बात से साम्बा बहुत नाराज और नाउम्मीद हो गया। कभी कभी वह अपने पिता के पास जाता और अपनी शादी कराने के लिये कहता पर उसका पिता हमेशा उसे मना कर देता।
उसका पिता जितना उसको शादी के लिये मना करता साम्बा के दिल में शादी की इच्छा उतनी ही बढ़ती जाती।
तब साम्बा ने एक दिन निश्चय कर लिया कि कुछ भी हो जाये वह अब शादी करके ही रहेगा। उसने खूब मेहनत की ताकि वह अपने पैरों पर खड़ा हो सके। वह अपने भगवान से रोज प्रार्थना करता कि वह उसकी इस काम में सहायता करे।
एक दिन उसका पिता अपनी पत्नी को साथ ले कर एक लम्बी यात्र पर गया और साम्बा को अकेला ही घर में छोड़ गया। बहुत मेहनत करने के बाद एक रात साम्बा ने रोज की तरह अपने भगवान से अपने लिये एक पत्नी देने की पार्थना की।
उस दिन भगवान उसके सामने प्रगट हुए और बोले — “जाओ, साम्बा थोड़ी लकड़ी काट कर लाओ और मेरे लिये आग जलाओ। ”
साम्बा ने वैसा ही किया। वह जंगल से थोड़ी सी लकड़ी काट कर लाया और आग जलायी। भगवान उसके साथ कई दिन तक रहे। साम्बा ने भगवान से बार बार पत्नी देने की प्रार्थना की ताकि वह रोज किसी के पास घर आ सके, किसी को अपना कह सके।
साम्बा ने भगवान से पत्नी देने के लिये जितनी ज़्यादा प्रार्थना की भगवान को भी उसके ऊपर उतनी ज़्यादा दया आने लगी। एक दिन भगवान ने साम्बा को गहरी नींद में सुला दिया और कहा कि जब तक वह उससे न कहें तब तक वह न तो जागे और न ही कुछ बोले।
जब साम्बा सो रहा था तो भगवान ने एक आदमी के नाप का एक केले के पेड़ का तना लिया और उसको साम्बा की बगल में लिटा दिया। फिर उन्होंने साम्बा और उस तने को एक कपड़े से ढक दिया और वहाँ से चले गये।
अगले दिन सुबह सवेरे ही भगवान वापस आये और बोले — “लैंगो लैंगो। जागो। ” तुरन्त ही उस केले के तने से एक लड़की पैदा हुई और उठ गयी। वह लड़की इतनी सुन्दर थी कि वैसी सुन्दरता गाँव वालों में से किसी ने न कभी पहले देखी थी न सुनी थी।
साम्बा भी इस पुकार से जाग गया था तो उसने भी जब उस लड़की को देखा तो उसका मुँह तो खुला का खुला रह गया। उसने कुछ बोलने की कोशिश की पर उसके मुँह से कोई शब्द ही नहीं निकला।
भगवान बोले — “साम्बा, यह तुम्हारी पत्नी लैंगो है। तुमको हमेशा उसको सहारा देना चाहिये और उसकी रक्षा करनी चाहिये। ”
साम्बा बोला — “ऐसा ही होगा। हे मेरे भगवान, मेरी प्रार्थना सुनने के लिये तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद। ”
कुछ दिनों बाद साम्बा का पिता ताम्बा वापस आ गया तो उसने घर में लैंगो को देखा तो उसको देख कर उसके मन में भी उसके लिये प्यार जाग उठा।
उसने साम्बा को अपने घर से भगाने की सारी कोशिशें की ताकि वह लैंगो को अपने लिये रख सके पर साम्बा नहीं भागा। इस पर उसने साम्बा को अपने घर से निकाल दिया।
जब साम्बा ने देखा कि उसका पिता उसके साथ यह सब क्या कर रहा है तो वह बहुत गुस्सा हुआ और उस पर चिल्ला पड़ा — “अगर मैंने तुमको मेरे और मेरी पत्नी के बीच में आते देखा तो मैं तुमको मार दूँगा। ”
यह सुन कर, खास कर अपने बेटे के मुँह से, तो ताम्बा तो भौंचक्का रह गया क्योंकि उसके बेटे ने न तो इससे पहिले कभी ऐसा कहा था और न ही इससे पहिले कभी उससे ऐसा बरताव ही किया था।
अपने बेटे की धमकी से गुस्सा हो कर ताम्बा को यह मौका मिल गया कि वह साम्बा को अपने घर से बाहर निकाल दे। उसने ऐसा ही किया और उसने साम्बा को बाहर निकाल दिया। लैंगो ताम्बा के पास ही रही।
पर साम्बा लैंगो को भूल नहीं पाया क्योंकि वह उसको बहुत प्यार करता था। पहले तो वह बहुत दिनों तक इधर उधर घूमता रहा फिर एक गाँव में आ गया और वहाँ आ कर वह ठहर गया।
उसको लैंगो की कमी बहुत महसूस हो रही थी सो वह उस गाँव के सरदार मोमोडु के पास गया और उससे अपनी पत्नी को वापस लेने में उसकी सहायता माँगी।
सरदार मोमोडु ने साम्बा की पत्नी को वापस करने के लिये ताम्बा के पास अपने दूतों को भेजा पर ताम्बा ने उसकी प्रार्थना पर कोई ध्यान नहीं दिया। बल्कि उसने उन दूतों को मार दिया ताकि वे सरदार मोमोडु के पास ही न पहुँच सकें।
इस तरह दुनिया में यह पहला कत्ल हुआ।
जब मोमोडु के पास उसके दूत नहीं पहुँचे तो वह खुद और ज़्यादा दूतों को ले कर ताम्बा के पास गया। जब ताम्बा ने उसे भी लैंगो को देने से मना कर दिया मोमोडु वहाँ से उसको जबरदस्ती ले गया और ताम्बा से लड़ाई की घोषणा कर दी,। लड़ाई में मोमोडु ने ताम्बा को हरा दिया और मार दिया।
मोमोडु ने जब लैंगो को देखा तो वह खुद भी उसके प्यार में पड़ गया। वह उसको अपनी पत्नी के पास ले गया और साम्बा को यह धमकी देते हुए अपने गाँव से निकाल दिया कि अगर वह वहाँ रहा तो वह उसको भी मार देगा।
साम्बा डर के मारे उस गाँव से भाग कर दूसरे गाँव चला गया। इस दूसरे गाँव के सरदार का नाम फ़ामाम्बा था। वहाँ जा कर उसने अपनी कहानी इस सरदार को भी सुनायी और उससे प्रार्थना की कि वह उसकी पत्नी को सरदार मोमोडु से वापस दिलवाने में उसकी सहायता करे।
जब सरदार फ़ामाम्बा सरदार मोमोडु के पास गया तो सरदार मोमोडु ने भी लैंगो को देने से इनकार कर दिया। इससे उन दोनों में लड़ाई छिड़ गयी। सरदार फ़ामाम्बा ने सरदार मोमोडु को हरा दिया और उसे मार दिया।
सरदार फ़ामाम्बा भी लैंगो की सुन्दरता का दीवाना हो गया था सो वह उसको अपने लिये रखना चाहता था। उसने भी कोई तरकीब निकाल कर साम्बा को अपने गाँव से बाहर निकाल दिया।
फिर उसने अपने आपसे कहा — “इस सबकी वजह तो केवल साम्बा है अगर मैंने उसको गाँव से निकालने की बजाय उसको मार दिया होता तो सारा किस्सा ही खत्म हो जाता और ये लड़ाइयाँ भी न होतीं। ”
यह सोच कर फ़ामाम्बा ने साम्बा को एक दूर जंगल में भेज दिया और वहाँ ले जा कर उसको मार दिया।
लैंगो फ़ामाम्बा के पास कुछ ही समय रही क्योंकि जब और ज़्यादा ताकतवर सरदारों ने उसको देखा तो उन्होंने फ़ामाम्बा से लड़ाई छेड़ दी और फ़ामाम्बा को हरा कर और उसको मार कर लैंगो को वहाँ से ले गये।
यह सब अब तक चल रहा है क्योंकि दुनिया में जहाँ जहाँ जब तक लैंगो रहेंगी तब तक वहाँ वहाँ लड़ाइयाँ चलती रहेंगीं।
भारत में एक कहावत है कि सारी लड़ाइयों की जड़ तीन चीज़ें होती हैं – ज़र, ज़मीन और जोरू। यानी पैसा या ज़मीन या औरत। लाइबेरिया में कही सुनी जाने वाली यह लोक कथा बताती है कि उन के समाज में भी लड़ाई की जड़ एक औरत ही थी।
(साभार : सुषमा गुप्ता)